Wednesday, December 7, 2011

पति-पत्नी में रोमांस बढ़ेगा इन फेंगशुई टिप्स से

यदि आपका दाम्पत्य जीवन सुखमय है तो अन्य परेशानियां स्वयं ही समाप्त हो जाती हैं। पति-पत्नी के बीच रोमांस बढ़ाने के लिए कुछ फेंगशुई सिद्धांतों का भी उपयोग किया जा सकता है। नीचे ऐसे ही कुछ फेंगशुई टिप्स दी गई है जिनसे दांपत्य जीवन में रोमांस बढ़ता है-

1- लवबर्ड, मैंडरेन डक जैसे पक्षी प्रेम के प्रतीक हैं इनकी छोटी मूर्तियों का जोड़ा अपने बेडरूम में रखें।

2- बेडरूम में दक्षिण-पश्चिम दिशा में दिल की आकृति का रोज क्वाट्र्ज रखें।

3- पति-पत्नी के प्रतीक के रूप में बेडरूम में दो सुंदर सजावटी गमले रखें।

4- बेडरूम में पानी की तस्वीर वाली पेंटिंग न लगाएं इसके स्थान पर रोमांटिक कलाकृति, युगल पक्षी की तस्वीर लगाएं।

5- यदि आपकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और इसी वजह से दांपत्य जीवन सुखमय नहीं है तो सुंदर से बाउल में पवित्र क्रिस्टल को चावल के दानों के साथ मिलाकर रखें।

इन नुस्खों को आजमाने पर निश्चित ही कुछ ही समय में आपको सकारात्मक प्रभाव दिखाई देने लगेंगे। आपका दांपत्य जीवन खुशियों भरा और सुखी होगा।

लकवा से पीडि़त व्यक्ति करके देखें

वर्तमान की भागदौड़ भरी जिंदगी में कब कोई इंसान किस बीमारी की चपेट में आ जाए, कहना मुश्किल है। लकवा ऐसी ही एक बीमारी है जो अचानक ही किसी हंसते-खेलते व्यक्ति को अपनी चपेट में ले लेती है। मेडिकल साइंस के इस दौर में लकवा का ईलाज भी संभव है। यदि ईलाज करवाने के साथ-साथ नीचे लिखे कुछ उपाय  भी करें तो संभव है लकवा से पीडि़त व्यक्ति और भी जल्दी ठीक हो जाए।

उपाय



- एक काले कपड़े में पीपल की सूखी जड़ को बांधकर लकवा से पीडि़त व्यक्ति के सिर के नीचे रखें तो कुछ ही दिनों में इसका असर दिखने लगेगा।

- प्रत्येक शनिवार के दिन एक नुकीली कील द्वारा लकवा पीडि़त अंग को आठ बार उसारकर शनिदेव का स्मरण करते हुए पीपल के वृक्ष की मिट्टी में गाड़ दें। साथ ही यह निवेदन करें कि जिस दिन अमुक रोग दूर हो जाएगा, उस दिन कील निकाल लेंगे। जब लकवा ठीक हो जाए तब शनिदेव व पीपल को धन्यवाद देते हुए वह कील निकालकर नदी में प्रवाहित कर दें।

- लकवे से पीडि़त व्यक्ति को लोहे की अंगूठी में नीलम एवं तांबे की अंगूठी में लहसुनिया जड़वाकर क्रमश: मध्यमा और कनिष्ठा अंगुली में पहना दें। इससे भी लकवा रोग में काफी लाभ होगा।

चंद्रग्रहण पर करें यह प्रयोग, बिजनेस में मिलेगी सफलता


यदि आपका बिजनेस ठीक नहीं चल रहा है तो घबराईए बिल्कुल मत क्योंकि  10 दिसंबर, शनिवार को आने वाला चंद्र ग्रहण इस समस्या से छुटकारा पाने का श्रेष्ठ अवसर है। बिजनेस की सफलता के लिए चंद्रग्रहण के दिन यह प्रयोग करें-

प्रयोग

ग्रहण से पहले नहाकर लाल या सफेद कपड़े पहन लें। इसके बाद ऊन व रेशम से बने आसन को बिछाकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। जब ग्रहण काल प्रारंभ हो तब चमेली के तेल का दीपक जला लें। अब दाएं हाथ में रुद्राक्ष की माला लें तथा बाएं हाथ में 5 गोमती चक्र लेकर नीचे लिखे मंत्र का 54 बार जप करें-

ऊँ कीली कीली स्वाहा

अब इन गोमती चक्रों को एक डिब्बी में डाल दें और फिर क्रमश: 5 हकीक के दाने व 5 मूंगे के दाने लेकर पुन: इस मंत्र का 54 बार उच्चारण करें। अब इन्हें भी एक डिब्बी में डालकर उसके ऊपर सिंदूर भर दें। अब दीपक को बुझाकर उसका तेल भी इस डिब्बी में डाल दें।

इस डिब्बी को बंद करके अपने घर, दुकान या ऑफिस में रखें। आपका बिजनेस चल निकलेगा।

चंद्रग्रहण पर करें यह टोटका, अचानक होगा धन लाभ

10 दिसंबर, शनिवार को चंद्रग्रहण है। तंत्र शास्त्र के अनुसार ग्रहण के दौरान किया गया प्रयोग बहुत प्रभावशाली होता है और इसका फल भी जल्दी ही प्राप्त होता है। इस मौके का लाभ उठाकर यदि आप धनवान होना चाहते हैं तो नीचे लिखा उपाय  करने से आपकी मनोकामना शीघ्र ही पूरी होगी और आपको अचानक धन लाभ होगा।

उपाय
ग्रहण के पूर्व नहाकर साफ पीले रंग के कपड़े पहन लें। ग्रहण काल शुरु होने पर  उत्तर दिशा की ओर मुख करके ऊन या कुश के आसन पर बैठ जाएं। अपने सामने पटिए(बाजोट या चौकी) पर एक थाली में केसर का स्वस्तिक या ऊँ बनाकर उस पर महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करें। इसके बाद उसके सामने एक दिव्य शंख थाली में स्थापित करें।

अब थोड़े से चावल को केसर में रंगकर दिव्य शंख में डालें। घी का दीपक जलाकर नीचे लिखे मंत्र का कमलगट्टे की माला से ग्यारह माला जप करें-

मंत्र

सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि मुक्ति मुक्ति प्रदायिनी।

मंत्र पुते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।।

मंत्र जप के बाद इस पूरी पूजन सामग्री को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें। इस प्रयोग से कुछ ही दिनों में आपको अचानक धन लाभ होगा।

Friday, December 2, 2011

ये हें वास्तु दोष निवारक सरलतम प्रयोग----


ये हें वास्तु दोष निवारक सरलतम प्रयोग----

वर्तमान में आम जनता के मन में वास्तु को लेकर अनेक गलत बातें/भ्रांतियां घर कर गयी हें वे इसे एक फालतू का ढकोसला मानते हे..
यदि बौद्धिकता से मनन करें तो आप पाऐंगे कि जहां उत्तर और पूर्वमुखी घर हैं, वहां दक्षिण और पष्चिम मुखी घर भी हैं। जहां भवन में उत्तरी-पूर्वी भाग में शौचालय बनें हैं, वहां वैसे ही भवन के अन्यत्र कोणों में भी हैं । शुभत्व के जहां समस्त संसाधन गृह निर्माण आदि में लगाए गए हैं, वहां अनेक में इन सब से कोई भी शुभत्व का प्रयास नहीं किया गया है . .आदि.. आदि। यदि आप आंकड़े जमा करें तो पाऐंगे कि कहीं दक्षिण अथवा पष्चिम मुखी भवनों में निवास करने वाले तुलनात्मक रुप से अधिक फल-फूल रहे हैं। जिन भवनों में ईषान कोंण में शौचालाय बनें हैं वहां के लोग अन्यत्र कोंणो में बने शौचालयों की तुलना में अधिक स्वस्थ हैं अथवा अधिक संपन्न हैं। तो क्या हम उस वर्ग विषेष की बात मान कर स्वीकार कर लें कि वास्तुषास्त्र के अनुसार किए गए निर्माण आदि से सामान्यतया कोई अंतर नहीं पड़ता? आपके अपने व्यक्तिगत अनुभव में भी ऐसे प्रकरण अवष्य आए होंगे कि जहां भवन का निर्माण पूर्णतया शास्त्रोक्त उपायो से किया गया है फिर भी उसके स्वामी अथवा उसके परिजन कष्ट भरा जीवन जी रहे हैं। जब आप वास्तु पंडित, ज्योतिष मनीषी, तांत्रिक, मांत्रिक आदि के पास गए होंगे तो उसने तत्काल गणना कर दी होगी और कह दिया होगा कि भवन का वास्तु तो बिल्कुल ठीक है परन्तु जनम पत्री में गृह नक्षत्रों का योग विपरीत बन कर कष्ट कारी सिद्ध हो रहा है अथवा किसी ने कुछ कर दिया है अथवा देखने में तो सब ठीक है परन्तु आपके पितर रुष्ट हैं..आदि..आदि।
कहने का तात्पर्य यह है कि व्यक्ति का जीवन किसी एक घटक विषेष से प्रभावित नहीं हो रहा। अध्यात्म के मार्ग में जा कर, अंड-पिंड सिद्धांत को समझ कर, प्रारब्ध-पुरुषार्थ आदि की गूड़ता को मनन कर ही इस गूड़ रहस्य को समझा जा सकता है। प्रारब्ध के कर्मानुसार हम कष्ट भोग रहे हैं। लाख प्रयास, क्रम-उपक्रम करने पर भी हमे आषातीत फल नहीं मिल पा रहे। किस प्रयास आदि से हमें लाभ मिल जाए यह दृष्ट नहीं है। इसलिए एक को गले न लगा कर मानव कल्याण के लिए किए जा रहे प्रयासों को नियमित करते रहें, पता नहीं कौन सा उपक्रम आपको रास आ जाए।
यदि आपको कहीं आभास हो कि सब कुछ होते हुए भी वास्तु अथवा अन्य किन्हीं दोषों के कारण आप कष्ट भोग रहे हैं तो निम्न सरलतम प्रयोग भी कर के देख लें, पता नहीं कौन सा प्रयोग आपके लिए फिट बैठ जाए।
प्रयोग 1.
मकान, दुकान अथवा अन्य कोई भवन निर्माण के समय अलग-अलग पूजा-अर्चना करना प्रचलित है। पूजा-पाठ का आप जो भी विधान अपना लें, थोड़ा है। आस्था हो तो यह प्रयोग करके देखें, घर में कोई दोष नही आ पाएगा।
एक छोटा सा तांबे का ढक्कन वाला लोटा लें, उसे धोकर चमका लें। लोटे में तांबे के पांच छेद वाले सिक्के, छोटा सा चांदी का बना नाग और नागिन का जोड़ा, हनुमान जी के चरणों का थोड़ा सा सिन्दूर, लोहे का छोटा सा एक त्रिषूल तथा चांदी की एक जोड़ी पादुकाएं रख कर उसमें गंगा जल भर दें। लोटे का मुंह अच्छी तरह से बंद कर दें। जिससे जल छलक कर बाहर न गिरे। अब इसको घर, दुकान आदि की नींव में मुख्य द्वार के दांए भाग में दबा दें। यदि घर तैयार हो चुका हो और कोई सज्जन यह प्रयोग करना चाहें तो वह यह सामग्री मुख्य द्वार के दांयी ओर कहीं ऐसे पवित्र स्थान में दबा दें जहां से इसके दुबारा निकलने की संभावना न हो।
यदि भवन के आस-पास उपयुक्त स्थान उपलब्ध हो तो वहां  अषोक, सिरस, केले, श्वेतार्क आदि के पेड़ लगा लें। पाठकों का भ्रम दूर कर दूॅ। जब तक वृक्ष की परछांई भवन पर नही पड़ती, वास्तु दोष नहीं लगता। घर के सामने घनी सी तुलसी की झाड़ लगा लें। यह सब उपक्रम घर में सकारात्मक ऊर्जा का समावेष करते हैं।
प्रयोग 2.
घर में सदैव श्री का वास रहे तथा वास्तु जनित किसी भी प्रकार के दोष के निदान के लिए घर की किसी लड़की, बहु, बेटी आदि से यह प्रयोग करवाएं।
गुरुवार के दिन मुख्य द्वार के दाएं अथवा बांए ओर गंगा जल से पवित्र करें। यहाॅ दाएं हाथ की अनामिका तथा तथा हल्दी-दही के घोल से एक स्वास्तिक बनाएं। इस पर थोड़ा सा गुड़ रखकर एक बूंद शहद टपका दें। प्रत्येक गुरुवार को यह क्रम दोहरा दिया करें। कुछ समय बाद आपको घर का वातावरण सुखद लगने लगेगा।
प्रयोग 3.
किसी भी धातु का एक कटोरा लें। उसमें चावल, नागकेसर भर लें। यदि इनको किसी शुभ मुहूर्त में अभिमंत्रित करके भरा जाता है तो अधिक प्रभावषाली सिद्ध होगा। इस कटोरे में रखे चावलों में एक सिक्का, पीली बड़ी कौड़ी, पीली बड़ी हरड़ तथा छोटे से नृत्य करते हुए एक गणपति स्थापित कर दें। गणपति किसी भी धातु, काॅच, काष्ठ आदि के आप ले सकते हैं। सामग्री भरे हुए इस कटोरे को घर के किसी ईषान कोण में धरती से कुछ ऊॅचाई पर रख दें। भवन के वास्तु दोष निवारण में यह एक अचूक प्रयोग सिद्ध होगा। बहु-मंजिला भवन है अथवा भवन में अनेक कमरे हैं तो आप प्रत्येक तल तथा प्रत्येक कमरे के उत्तर-पूर्वी कोण में भी यह सामग्री रख सकते हैं। इसके लिए आपको उतनी संख्या में सामग्री भरे कटोरे तैयार करने होंगे जितने आप प्रयोग करने जा रहे हैं।
प्रयोग 4.
घर में सौभाग्य जगाने, प्रसन्न वातावरण बनाने अथवा भांति-भांति की सुगन्ध कर देवी-देवताओं को रिझाने के उपक्रम किए जाते हैं। अपनी-अपनी सामथ्र्य , श्रद्धानुसार लोग धूप, अगरबत्ती आदि का प्रयोग करते हैं। एक सलाह आपको अवष्य दूॅगा कि घटिया धूप, अगरबत्ती का प्रयोग अपने विवेक से ही करें। यह सड़े हुए मोबिल आॅयल से तैयार की जाती है। इससे वास्तु दोष दूर हो या न हो, देवी-देवता प्रसन्न हो अपनी कृपा दृष्टि आप पर तथा आपके भवन पर डालें या न डालें परन्तु यह निष्चित है कि आपके फैफड़े अवष्य खराब हो जाऐंगे।
गाय के गोबर के दहकते हुए कण्डे पर शुद्ध घी में डुबोई लौंग, कपूर, गोला गिरि तथा बताषा अथवा चीनी डालकर धूनी करें। इस भीनी-भीनी मदमस्त महक से आपका चित्त प्रसन्न हो उठेगा। भवन के वातावरण में धीरे-धीरे सकारात्मक ऊर्जा भरने लगेगी।
प्रयोग 5.
किसी शुभ मुहूर्त में हल्दी से रंगे एक पीले कपड़े में थोड़ी सी नागकेसर, एक तांबे का सिक्का, हल्दी की एक अखण्डित गांठ, एक मुट्ठी नमक, एक पीली बड़ी हरड़, एक मुट्ठी गेंहू और चांदी अथवा तांबे की एक जोड़ा पादुकाएं बांधकर पोटली बना लें। इस पोटली को घर की रसोई में कहीं ऐसे स्थान पर लटका दें जहां आते-जाते किसी की दृष्टि उस पर न पड़े। जब लगे कि पोटली गन्दी होने लगी है तो किसी शुभ मुहूर्त में उपरोक्त सामग्री पीले कपड़े में बांधकर पुनः लटका दिया करें तथा पुरानी पोटली केा जल में कहीं विसर्जित कर दिया करें, आपके घर में सौभाग्य का आगमन होने लगेगा।
प्रयोग 6.
अपने दायें हाथ की आठ अंगुल प्रमाण में चार लोहे की कील ले लें। इतने ही बड़े चार टुकड़े बढ़ अथवा पीपल की जड़ के काट लें। इन्हें चारों कीलों के साथ अलग-अलग बांध लें। अपने भूखण्ड के चारों कोनों में इन्हे दबा दें। घर को चारों तरफ से लोहे, तांबे तथा सामथ्र्य हो तो चांदी के तारों से इस प्रकार दबा दें, कि तार चारों ओर दबी हुई कीलों से स्पर्ष करते हुए रहें। भूखण्ड के जिस स्थान में ईषान कोंण आ रहा हो, वहा तारों को अलग रखें। यहा पीपल अथवा बढ़ के नौ पत्तों से, एक पत्ता बीच में रखकर अष्टदल कमल बनाएं। इस अष्टदल कमल की अपनी श्रद्धानुसार पूजा-अर्चना करें, इस पर कोई विग्रह, यंत्र अथवा अन्य कोई प्रतिष्ठित मूर्ती, चित्रादि रखकर चारों तरफ से ढक दें। जैसा भी निर्माण कार्य हो रहा हो, वह इसके बाद प्रारम्भ करवाएं। वास्तु निवारण का यह एक अचूक प्रयोग सिद्ध होगा।
प्रयोग 7.
पुष्य नक्षत्र में जड़ सहित चिरचिटे का एक पौधा उखाड़ लाएं। भवन में कहीं भी गड्ढा खोदकर इस पौधे को इस प्रकार से दबा दें कि पत्तिया नीचे रहें और जड़ वाला भाग ऊपर। बद्नजर, किसी के कुछ करे-धरे का दुष्प्रभाव आदि में यह प्रयोग रामबांण सा सिद्ध होगा।

Monday, November 21, 2011

समझो तब मौत आ गई जब माथे पर चंदन जल्दी ना सूखे, क्योंकि...

समझो तब मौत आ गई जब माथे पर चंदन जल्दी ना सूखे, क्योंकि...


शास्त्रों में जीवन का अंतिम और अटल सत्य मृत्यु को ही बताया गया है। किसी भी व्यक्ति के लिए मृत्यु ही अंतिम चरण है। इसके बाद व्यक्ति की आत्मा देह त्याग देती है, आजाद हो जाती है। सभी ये बात जानते है लेकिन फिर भी मौत का डर सदैव बना ही रहता है।

मृत्यु कब और कैसे होगी? यह बता पाना किसी भी इंसान के अधिकार में नहीं है। ज्योतिष के माध्यम से भी केवल संभावनाएं व्यक्त की जा सकती हैं। कई विद्वानों ने ऐसी बातें बताई गई हैं जो मृत्यु के आने सूचना दे देती हैं। इन्हीं बातों में से एक है यदि कोई व्यक्ति मरणासन में है तो उसके माथे पर यदि चंदन लगाया जाए तो वह जल्दी नहीं सूखेगा।

चंदन को बहुत ही पवित्र माना जाता है इसी वजह से सभी प्रकार के पूजन में इसका विशेष स्थान है। जब भी भगवान की आराधना की जाती है तो श्रद्धालु के मस्तक पर इसका तिलक लगाया जाता है। प्राय: चंदन का तिलक लगाने के बाद तुरंत ही सूख जाता है।

कई बार लोगों के साथ ऐसा होता है कि डॉक्टर्स द्वारा किसी व्यक्ति के लिए बोल दिया जाता है कि अब उसका जीवन कुछ ही समय का शेष है। ऐसे में कुछ विद्वानों के अनुसार जब किसी व्यक्ति का मृत्यु का समय निकट आ जाता है तो उसके माथे पर चंदन का तिलक लगाना चाहिए। यदि यह तिलक जल्दी सूख जाता है तब तो समझना चाहिए कि उस व्यक्ति का जीवन अभी शेष है। इसके विपरित यदि वह तिलक जल्दी नहीं सूखता है तो दुर्भाग्यवश विपरित परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। यानि व्यक्ति की मृत्यु की संभावनाएं प्रबल हो जाती हैं क्योंकि मृत्यु के समय व्यक्ति के माथे की गर्मी सबसे पहले समाप्त हो जाती है, मस्तक एकदम ठंडा हो जाता है। इस वजह से चंदन जल्दी नहीं सूख पाता। यदि ऐसा होता है तो संबंधित व्यक्ति के स्वास्थ्य के संबंध में पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। डॉक्टर्स आदि की सलाह लेकर बीमार व्यक्ति का उचित ध्यान रखें। इसके पश्चात अनहोनी टल सकती है।

पैर पर पैर रखकर नहीं बैठना चाहिए क्योंकि...

पैर पर पैर रखकर नहीं बैठना चाहिए क्योंकि...
हमारे स्वभाव, हाव-भाव और व्यवहार में क्या-क्या होना चाहिए और क्या नहीं होना चाहिए? इस संबंध में शास्त्रों में कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं। इन परंपराओं का निर्वहन आज भी बड़ी संख्या में लोगों द्वारा किया जाता है।

जब भी कोई व्यक्ति घर में पैर पर पैर रखकर बैठते हैं तो अक्सर जानकार वृद्धजनों द्वारा ऐसा नहीं करने की सलाह दी जाती है। पुराने समय से ही कई ऐसी बातें चली आ रही हैं जिनका संबंध हमारे जीवन में प्राप्त होने वाले सुख और दुख से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि पैर पर पैर रखकर बैठने से स्वास्थ्य को नुकसान होता है साथ ही इसे धर्म की दृष्टि से भी अशुभ समझा जाता है।

यदि किसी पूजन कार्य में या शाम के समय पैर पर पैर रखकर बैठते हैं तो महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं होती है। धन संबंधी कार्यों में विलंब होता है। पैसों की तंगी बढ़ती है। शास्त्रों के अनुसार शाम के समय धन की देवी महालक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण पर रहती हैं ऐसे में यदि कोई व्यक्ति पैर पर पैर रखकर बैठा रहता है तो देवी उससे नाराज हो जाती हैं। लक्ष्मी की नाराजगी के बाद धन से जुड़ी परेशानियां झेलना पड़ती हैं। अत: बैठते समय ये बात ध्यान रखें। पैर पर पैर रखकर न बैठें।

मुट्ठीभर चावल से दूर हो जाएगी पैसों की समस्या, जानिए कैसे...

चावल को अक्षत भी कहा जाता है और अक्षत का अर्थ है अखंडित। जो टूटा हुआ न हो वही अक्षत यानि चावल माना गया है। शास्त्रों के अनुसार यह पूर्णता का प्रतीक है। इसी वजह से सभी प्रकार के पूजन कर्म में भगवान को चावल अर्पित कर
ना अनिवार्य माना गया है। इसके बिना पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है। चावल चढ़ाने से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्त को देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

धन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में कई सटीक उपाय बताए गए हैं। जिन्हें अपनाने से सभी प्रकार के ग्रह दोष दूर होते हैं और आय बढऩे में आ रही समस्त रुकावटें दूर हो जाती हैं। यदि किसी ग्रह दोष के कारण आपकी आय बढऩे में समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं तो संबंधित ग्रह का उपचार करें। इसके साथ ही यह उपाय अपनाएं-

प्रति सोमवार शिवलिंग का विधिवत पूजन करें। पूजन में बैठने से पूर्व अपने पास करीब आधा किलो या एक किलो चावल का ढेर लेकर बैठें। पूजा पूर्ण होने के बाद अक्षत के ढेर से एक मुठ्ठी चावल लेकर शिवजी को अर्पित करें। तत्पश्चात शेष बचे चावल को मंदिर में दान कर दें या किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दे दें। ऐसा हर सोमवार को करें। इस उपाय को अपनाने से कुछ ही समय में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगेंगे। ध्यान रहे इस दौरान किसी भी प्रकार का अधार्मिक या अनैतिक कर्म न करें। अन्यथा उपाय का प्रभाव निष्फल हो जाएगा।

Sunday, November 20, 2011

संभावित विवाह काल कब और कैसे

संभावित विवाह काल   कब और कैसे
प्राचीनकाल में विवाह बहुत छोटी आयु पैर ही हो जाते थे और साधारण विवाह आयु २० से २२ वर्ष मानी जाती थी था विलम्ब से विवाह आयु ३०-३२ मानी  जाती थी . अब यह मापदंड परिवर्तित हो चुके हैं . सही विवाह समय जानने दे लिए योग्य ज्योतिषियों से उत्तर काल निकलवाना चाहिए .

जल्दी विवाह और देर से विवाह के ज्योतिष सूत्र 
१. यदि लग्नेश व सप्तमेश का कोई स्थान या दृष्टि सबंध शुभ ग्रहों से हो विशेष रूप से गुरु ग्रह से तो जातक का विवाह छोटी उम्र (१८ से २० वेढ के अन्दर ) हो जाता है.
२. यदि सप्तमेश और लग्नेश क्रमानुसार निकटवर्ती स्थानों में हो यानि स्थानों के बीच ४५ डिग्री से जायदा का फासला न हो तो ऐसे जातक का विवाह बचपन में १२ से १५ के अन्दर हो जाता है .
३. यदि लग्नेश बलशाली हो और दुसरे भाव में स्थिति हो तो ऐसे जातको का विवाह उनके ज्ञान बोध होने से पहले हो जाता था .
४. यदि किसी महिला जातक के चंद्रमा यदि उच्च का अंश का हो तो उसकी और  पति की आयु में बड़ा फ़र्क रहता है.
५. यदि सप्तमेश वक्री हो तथा मंगल षष्ठ भाव में हो तो ऐसे जातक का विवाह ३६ वर्ष  के उपरांत ही होता है.

Wednesday, November 16, 2011

हर सुबह बोलें यह हनुमान मंत्र.. मन को न सताएगा कोई भय-संशय

सांसारिक जीवन की आपाधापी में हर इंसान जीवन से जुड़े हर काम में अच्छे नतीजे ही चाहता है। लेकिन जीवन ही कैसे अच्छा बना लें? इस बारे में बिरले लोग ही विचार कर पाते हैं। अगर जीवन को ही अच्छे आचरण, अनुशासन और संकल्पों से जोड़ लिया जाए तो फिर किसी भी कार्य की सफलता में भय, संशय पैदा नहीं होता।

हनुमान भक्ति जीवन में अच्छे आचरण को अपनाने के लिये सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। शास्त्रों में हनुमान का स्मरण किसी भी वक्त अच्छे कामों व सोच की प्रेरणा ही देता है। इसलिए शास्त्रों में बताए गए एक मंत्र से हर रोज सुबह श्री हनुमान का स्मरण किया जाए तो लक्ष्य की सफलता को लेकर पैदा होने वाले भय-संशय व बाधाएं खत्म हो जाती हैं। जानते हैं यह मंत्र -

- स्नान के बाद श्री हनुमान प्रतिमा को पवित्र जल से स्नान कराने अष्टगंध, लाल चंदन, तिल का तेल और सिंदूर, सुपारी, नारियल, लाल फूलों की माला व गुड़ अर्पित करे।

- यथासंभव लाल वस्त्र पहन उत्तर दिशा की ओर मुख कर लाल आसन पर बैठ सामने श्री हनुमान की तस्वीर रख नीचे लिखे मंत्र हनुमान स्वरूप का ध्यान कर सुखी, समृद्ध व संकटमुक्त जीवन की कामना से करें -

उद्यन्मार्तण्ड कोटि प्रकटरूचियुक्तंचारूवीरासनस्थं।

मौंजीयज्ञोपवीतारूण रूचिर शिखा शोभितं कुंडलांकम्।

भक्तानामिष्टदं तं प्रणतमुनिजनं वेदनाद प्रमोदं।

ध्यायेद्नित्यं विधेयं प्लवगकुलपतिगोष्पदी भूतवारिम्।।

- मंत्र स्मरण के बाद मिठाई का भोग लगा धूप, दीप व कर्पूर आरती करें व क्षमा प्रार्थना करे।

गुरुवार को बृहस्पति पूजा में बोलें यह विष्णु मंत्र..हर मनौती होगी पूरी

गुरु की शरण सभी कमियों और दु:खों से मुक्त कर देती है। मोटे तौर पर अज्ञानता ही शारीरिक, मानसिक या भौतिक जीवन के सारे कष्टों का कारण है। गुरु, ज्ञान द्वारा ही विद्या के अभाव को दूर कर मन व जीवन को समृद्ध बना देते हैं।

शास्त्रों में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का स्वरूप बताया गया है। गुरु बल ही ईश कृपा को संभव बना देता है। गुरुवार गुरु भक्ति से ही उन कमियों और दोषों को दूर करने का दिन जो जीवन में अशांति और कलह का कारण होते हैं। ज्ञान के देवता गुरु बृहस्पति माने गए हैं।

शास्त्रों के मुताबिक बृहस्पति पूजा न केवल वैवाहिक दोष, बल्कि हर तरह से दक्षता, समृद्धि व शांति देने वाली मानी गई है। गुरु की प्रसन्नता के लिए इस दिन खासतौर पर विशेष रूप से केले के वृक्ष की पूजा का महत्व है। केले का वृक्ष विष्णु का रूप भी माना गया है।

यही कारण है कि गुरुवार को अगर विशेष पीली सामग्रियां अर्पित करने के साथ विशेष विष्णु मंत्र का ध्यान कर गुरु बृहस्पति की पूजा की जाए तो यह भरपूर सुख पाने की कामनासिद्धि का अचूक उपाय माना गया है।

- गुरुवार को केले के वृक्ष के नीचे या देवालय में केल के पत्तों के बीच एक चौकी पर पीले वस्त्र बिछाकर बृहस्पति व विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। पीली गाय के दूध से बृहस्पति व विष्णु को स्नान कराएं। पीले फूल, पीला चंदन, गुड़, चने की दाल, पीले वस्त्र  दोनों देवताओं को अर्पित करें। भोग में पीले पकवान या पीले फल अर्पित करें।

- पूजा के बाद गुरु मंत्रो के स्मरण के साथ नीचे लिखें विष्णु मंत्र स्त्रोत का विशेष ध्यान कर विवाह, धन, सुख की कामना करें व अंत में बृहस्पति-विष्णु की आरती घी के दीप से ही करें -

श्रीनिवासाय देवाय नम: श्रीपयते नम:।

श्रीधराय सशाङ्र्गाय श्रीप्रदाय नमो नम:।।

श्रीवल्लभाय शान्ताय श्रीमते च नमो नम:।

श्रीपर्वतनिवासाय नम: श्रेयस्कराय च।

श्रेयसां पतये चैव ह्याश्रयाय नमो नम:।

नम: श्रेय:स्वरूपाय श्रीकराय नमो नम:।।

शरण्याय वरेण्याय नमो भूयो नमो नम:।

स्त्रोत्रं कृत्वा नमस्मृत्य देवदेवं विसर्जयेत्।।

इति रुद्र समाख्याता पूजा विष्णोर्महात्मन:।

य: करोति महाभक्त्या स याति परमं पदम्।।

आज से शुरु करें ये टोटके, तभी बचेंगे शनि की टेढ़ी नजर से

आज से शुरु करें ये टोटके, तभी बचेंगे शनि की टेढ़ी नजर से
15 नवंबर, मंगलवार को शनि का राशि परिवर्तन शुभ फल देने वाला माना जा रहा है लेकिन जिन लोगों पर शनि की साढ़े-साती का प्रारंभ हो रहा है वे अगले साढ़े सात साल तक शनि से प्रभावित होंगे। इस दौरान उन्हें कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए कुछ साधारण टोटके नीचे लिखे गए हैं। इन्हें करने से शनि का कुप्रभाव कम होता है-

टोटके

1- कांसें की कटोरी में तेल भरकर उसमें अपनी परछाई देखकर दान करें।

2- शनिवार को सरसों के तेल में लोहे की कील डालकर दान करें और पीपल की जड़ में तेल चढ़ाएं।

3- पीपल के वृक्ष पर सफेद ध्वजा (झंड़ा) लहराएं।

4- चांदी का चौकोर टुकड़ा हमेशा अपने पास रखें।

5- शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय जो भोजन बने उसे पत्तल में लेकर उस पर काले तिल डालकर पीपल की पूजा करें तथा नैवेद्य लगाएं और यह भोजन काली गाय या काले कुत्ते को खिलाएं।

6- नारियल तथा साबूत बादाम नदी में बहाएं।

7- पुराने लोहे का छल्ला अथवा कड़ा बनवाकर धारण करें।

8- तेल का पराठा बनाकर उस पर कोई मीठा पदार्थ रखकर गाय के बछड़े को खिलाएं।

Sunday, October 23, 2011

अगर आपको दिखने लगे ये तो समझें आ गया "गोल्डन पीरियड"


अगर आपकी किस्मत बदलने वाली है और पैसों का छप्पर फटने वाला है तो उससे पहले आपको कुछ इशारे मिलेंगे जिनसे आप पहले ही समझ जाएंगे कि आपका गोल्डन पिरियड आने वाला है जानिए वो कैसे इशारे हैं।

- अगर आप सपने में में इन्द्र धनुष देखते हैं तो समझें आपके जीवन का बहुत सुखमय और खुशियों भरा समय शुरु होने वाला है।

- अगर सपने में कलश, शंख और सोने के गहने दिखे तो आपको जीवन में हर सुख मिलने वाला है।

- ये भी एक इशारा है अच्छे समय का, अगर सपने में खुद को चाय या चाय की चुस्की लेते देखें तो समझें आपके जीवन में हर्ष उल्लास और समृद्धि आने वाली है।

- जब कोई अपनी खोई हुई वस्तु प्राप्त करता है तो उसे आगामी जीवन में सुख मिलता है।

- अगर कोई व्यक्ति सपने में तिल, चावल सरसों, जौ, अन्न, का ढेर देखता है तो उस व्यक्ति को जीवन में सभी सुख मिलते हैं।

जानिए, शनि अस्त होने से आपकी राशि के लिए कैसी रहेगी दीपावली?

इस बार दीपावली चित्रा नक्षत्र जिसका स्वामी मंगल है, में आ रही हैं। दीपावली बुधवार को आएगी। शनि 30 अक्टूबर तक अस्त है। यानि अस्त शनि की दशा में ही दीपावली का पूजन होगा। इस दौरान मेष राशि में स्थित गुरु भी वक्री होगा। शुक्र स्वयं की स्वामित्व की राशि तुला मे स्थित होगा। उसके साथ सूर्य नीच का एवं बुध एवं चंद्रमा भी होगा। चंद्र, बुध शत्रु है सूर्य शुक्र सम हैं तथा सूर्य नीच का होगा। मंगल भी नीच का होगा एवं मंगल की ही महादशा होगी। तुला राशि में चार ग्रहों की युति होगी। इसी दिन अमावस्या का योग भी होगा।

इतने सारे योग इस दीपावली को बहुत खास बना रहे हैं। यह स्थिति व्यापार के लिए ठीक नहीं होगी। निवेश कहां, कैसे करें, यह समझ नहीं आएगा। कीमती धातुओं के भाव लगातार ऊपर नीचे होते रहेंगे। मंहगाई का ग्राफ बढ़ेगा। कई देशों की आर्थिक हालत कमजोर होगी। बीमारी एवं रोगों के फैलने का भय होगा। शत्रु राशि गत अष्टम राहु भी उत्पात मचाकर आतंक में कई लोगों के हताहत होने का संकेत दे रहा है। प्राकृतिक प्रकोप संक्रामक रोग के रूप में हो सकता हैं। जनता में उत्साह की कमी रहेगी। स्थापित सरकार से जनता नाखुश ही रहेगी।

पं. शर्मा के अनुसार नीच का मंगल, मंगल की महादशा एवं मंगल के स्वामित्व वाले नक्षत्र होने के कारण जमीन में कंपन हो सकता है। यह दिन शनिवार होने से जो मंगल का परम शत्रु है अत: यह स्थिति शुभ नहीं कही जा सकती। हालांकि शनि के अस्त होने के कारण प्रभाव कुछ कम हो सकता है फिर भी सावधान रहने की आवश्यकता हैं।

दीपावली पर किस राशि पर कैसा प्रभाव रहेगा?

मेष-व्यापार में लाभ होगा।

वृषभ-चर्म रोग हो सकता हैं।

मिथुन-भाइयों से सहयोग एवं श्रेष्ठ पराक्रम।

कर्क-जमीन से लाभ होगा वर्चस्व बढ़ेगा।

सिंह-नौकरी मे लाभ प्रमोशन।

कन्या-व्यापार मे हानि चोट का भय।

तुला-अत्यधिक लाभ शारिरीक कष्ट।

वृश्चिक-वाहन से हानि, धन का नुकसान।

धनु-भाग्य का साथ, पदौन्नति।

मकर-कार्य की अधिकता, लाभ।

कुंभ-प्रमोशन एवं लाभ।

मीन-व्यय की अधिकता, रोग।

धनतेरस-सोम प्रदोष का अति दुर्लभ योग, मालामाल बना देगी इस मंत्र से शिव पूजा

धनतेरस-सोम प्रदोष का अति दुर्लभ योग, मालामाल बना देगी इस मंत्र से शिव पूजा
जीवन में सुख, शांति और सौंदर्य की कामना है तो मन, वचन व कर्म में सत्य की मौजूदगी भी जरूरी है। शिव हो या शंकर हर स्वरूप व शब्द में भी शमन यानी सुख व शांति का भाव ही छुपा है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान शंकर ने समुद्र मंथन से निकले घातक विष को पीकर जगत के दु:खों का शमन किया और इसी मंथन से ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी प्रकट हुई।

क ल सोमवार के साथ प्रदोष तिथि शिव भक्ति की घड़ी है। जिसके साथ ही धनतेरस का मंगलकारी योग है। जहां सोम प्रदोष पर शिव पूजा हर मनोथरसिद्धि कर सुख-संपन्नता पाने की मंगलकारी घड़ी मानी जाती है। वहीं धनतेरस देवी लक्ष्मी उपासना के पांच दिवसीय महापर्व का पहला दिन।

शास्त्रों में सोम प्रदोष व धनतेरस की शुभ तिथि पर भौतिक सुख खासतौर पर धन की कामना पूरी करने के लिए शिव पूजा के कुछ आसान उपाय बताए गए हैं। इनमें मंत्र विशेष से शिव का ध्यान व अनाज का चढ़ावा लक्ष्मी की अपार कृपा करने वाला माना गया है।

धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा के साथ ही प्रदोष काल यानी, दिन-रात की मिलन की घड़ी या शाम के वक्त शिव पूजा के यहां बताए इस उपाय को अपनाकर समृद्ध और खुशहाल जीवन की कामना पूर्ति करें -

- शाम के वक्त लक्ष्मी पूजा के साथ ही शिवलिंग या मूर्ति को जल या पंचामृत स्नान कराकर सफेद चंदन, सफेद फूल, बिल्वपत्र, सफेद वस्त्र व मिठाई चढ़ाकर नीचे लिखे मंत्र से शिव का स्मरण करें -

कैलासशिखरस्थं च पार्वतीपतिमुत्तमम् ।

यथोक्तरुपिणं शम्भुं निर्गुणं गुणरुपिणम् ।

पंचवक्त्रं दशभुजं त्रिनेत्रं वृषभध्वजम् ।

कर्पूरगौरं दिव्यांगगं चन्द्रमौलिं कपर्दिनम् ।

व्याघ्रचर्मोत्तरीयं च गजचर्माम्बरं शुभम् ।

वासुक्यादिपरीतांगं पिनाकाद्यायुधान्वितम् ।

सिद्धयोऽष्टौ च यस्याग्रे नृत्यन्तीह निरन्तरम् ।

जयजयेति शब्दैश्च सेवितं भक्तपुंजकैः ।

तेजसा दुस्सहेनैव दुर्लक्ष्यं देवसेवितम् ।

शरण्यं सर्वसत्त्वानां प्रसन्नमुखपंकजम् ।

वेदैः शास्त्रैर्यथागीतं विष्णुब्रह्मनुतं सदा ।

भक्तवत्सलमानन्दं शिवमावाहयाम्यहम् |

- इसके बाद महादेव या शिवलिंग के ऊपर अक्षत यानी, चावल जो टूटे न हो लक्ष्मी कृपा की कामना से चढ़ाएं। यह उपाय धन कामना सिद्धि के लिए बहुत शुभ माना गया है।

- अंत में शिव की धूप, दीप व कर्पूर आरती कर दरिद्रता से मुक्त जीवन की कामना करें।

Friday, October 21, 2011

दीपावली पर धनलक्ष्मी कर देगी मालामाल अगर घर के बाहर हो ये निशान

आपको यकिन नहीं होगा कि र्सिफ एक पवित्र निशान घर के बाहर लगा कर आप इस दीपावली पर मालामाल बन सकते हैं। जानिए क्यों और कैसे

दीपावली रौशनी और खुशहाली का पर्व है। इस दिन श्री गणेश जी एवं लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गणेश एवं लक्ष्मी जी उस घर मे रहने के लिये आते हैं जिस घर मे उनका पूजा सत्कार किया जाता है। गणेश पूजा के बिना कोई भी पूजन अधूरा होता है इसलिए लक्ष्मी के साथ गणेश पूजन भी किया जाता है। घर को साफ-सुथरा कर रंगोली और स्वस्तिक बनाने की भी परंपरा है। दरअसल स्वस्तिक को गणेशजी का प्रतीक माना जाता है।

सभी मांगलिक चिन्हों में से स्वस्तिक सबसे कल्याणकारी चिन्ह है। इस चिन्ह को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। शुभ कार्यो में आम की पत्तियों को  घर के दरवाजे पर बांधा जाता है।  क्योंकि आम की पत्ती, इसकी लकड़ी और फल को ज्योतिष की दृष्टी से भी बहुत शुभ माना जाता है। मंगल प्रसंगों के अवसर पर पूजा स्थान तथा दरवाजे की चौखट और प्रमुख दरवाजे के आसपास स्वस्तिक चिन्ह बनाने की परंपरा है। वे स्वस्तिक कतई परिणाम नहीं देते, जिनका संबंध प्लास्टिक, लोहा या स्टील से हो।

सोना, चांदी, तांबा, पंचधातु या आम की लकड़ी से बने स्वस्तिक प्राण प्रतिष्ठित करवाकर चौखट पर लगवाने से सुखद परिणाम देते हैं, जबकि रोली-हल्दी-सिंदूर से बनाए गए स्वस्तिक संतुष्टि ही देते हैं। अगर आप मालामाल बनना चाहते हैं और पारिवारिक प्रगति चाहते हैं तो ऐसे स्वस्तिक यंत्र गुरु-पुष्य तथा दीपावली के अवसर पर लक्ष्मी श्रीयंत्र के साथ लगाना लाभदायक है।

Tuesday, September 13, 2011

नीच राशि का मंगल: बुरे असर से बचने के लिए राशि अनुसार ये उपाय करें

9 सितंबर को मंगल मिथुन राशि से निकल कर अपनी निच राशि में प्रवेश कर चूका है। 30 अक्टुबर तक इसका असर रहेगा। मंगल का राशि बदलना सभी राशि वालों को प्रभावित करेगा। चाहे वो शुभ या अशुभ प्रभाव हो।  निच राशि में आ कर मंगल जो बुरा असर आप पर डालेगा उससे बचने के लिए आप राशि अनुसार उपाय करें इनसे आप मंगल के
बुरे असर से अवश्य ही बच जाऐंगे।

मंगल के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए आप अपनी राशि के अनुसार उपाय ये करें।

मेष- हनुमान मन्दिर में बूंदी के लड्डू का प्रसाद चढ़ाएं।

वृष- तांबे का सिक्का या कलश का दान दें।

मिथुन- बहते पानी में रेवड़ी या बताशे प्रवाहित करें।

कर्क- भोजन करने से पहले अपने भोजन में से कुछ हिस्सा गाय के लिए निकालें।

सिंह- गुड़ की रोटी बनाकर कुत्तों को दें।

कन्या- 10 वर्ष से कम उम्र की 9 कन्याओं की पूजा कर के उनको दक्षिणा दें।

तुला- हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाए और हनुमान जी की दाहिनी भुजा से सिंदूर लेकर स्वयं लगाएं। 

वृश्चिक- आप लाल हकिक धारण करें।

धनु- रात को तांबे के कलश में पानी भर कर सिरहाने रख कर सोएं और सुबह कांटेदार पौधे में वो जल डाल दें।

मकर- आप शहद का दान दें तो आप पर मंगल के अशुभ प्रभाव नही होंगे।

कुंभ- किसी गरीब को तांबे का सिक्का दान दें।

मीन- आप लाल वस्तुओं से परहेज रखें और किसी भी कार्य के लिए घर से मीठा खाकर निकलें।

ये तीन सस्ती चीजें काले कपड़े में बांधे और शनि को मनाएं...

शनिवार, ये दिन है शनि देव का... इस दिन शनि को मनाने के लिए विशेष पूजन कर्म करने का महत्व है। ज्योतिष के अनुसार कुंडली में शनि की स्थिति काफी अधिक खास होती है। शनि की शुभ या अशुभ स्थिति के चलते व्यक्ति का जीवन सुखी या दुखों से पीडि़त हो सकता है। शनि का सर्वाधिक प्रभाव साढ़ेसाती और ढैय्या में ही झेलना पड़ता है। हर व्यक्ति को शनि की साढ़ेसाती अवश्य झेलना पड़ती है, इससे कोई बच नहीं सकता।

यदि शनि के कारण किसी व्यक्ति को अत्यधिक दुखों और असफलताओं का सामना करना पड़ रहा है तो शनिवार के दिन कुछ विशेष पूजन कार्य किए जाने चाहिए। शनि को मनाने के लिए यह सटीक उपाय बताया गया है, इसे प्रति शनिवार अपनाने से बहुत जल्द शुभ फल प्राप्त होने लगते हैं।

शनि के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए शनिवार के दिन एक काले कपड़े में काले उड़द, काले तिल और लोहे की वस्तु बांध लें। शनिदेव को अर्पित करें और पूजा करें। इसके बाद किसी ब्राह्मण, किसी जरूरतमंद व्यक्ति को काले कपड़े में बंधी तीनों चीजें दान कर दें। ऐसा हर शनिवार को किया जाना चाहिए। कुछ ही दिनों में इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगेंगे।

नीच राशि का शुक्र: प्यार, पैसा और दांम्पत्य सुख के उपाय

शुक्र के नीच राशि में आ जाने से सभी राशि वालों के जीवन में प्यार, पैसा और दांम्पत्य सुख संबंधित परेशानियां आने लगती है। 9 सितंबर से  शुक्र सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में आया है । शुक्र अपनी नीच राशि में यानी कन्या राशि में 4 अक्टूबर तक रहेगा। अक्सर ऐसा देखा गया है कि जब भी शुक्र अपनी नीच राशि में आता है सभी राशि वालों के प्यार, पैसा और दांपत्य पर शुभ-अशुभ असर पड़ता है। वैसे तो शुक्र हमेशा शुभ फल देने वाला होता है। लेकिन अपनी नीच राशि में आ कर कुछ राशि वालों के लिए अशुभ फल देता है। अगर आप राशि अनुसार शुक्र के उपाय करें तो आपके सुखी दांपत्य जीवन में प्यार और पैसा दोनों रहेगा।

शुक्र देव को प्रसन्न करने के उपाय-

मेष- किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।

वृष- पिता से सोना लेकर पहनें या धन स्थान पर रख कर पूजा करें तो जल्दी ही धन लाभ होगा।

मिथुन- भाई या बहन को शुक्र देव के लिए सफेद वस्त्र के साथ चांदी का सिक्का दें।

कर्क- शुक्रवार के दिन गाय के दुध से स्नान करना चाहिए।

सिंह- 10 वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को गाय के दूध की खीर खिलाएं तो आपको जल्दी ही इसके शुभ परिणाम मिलेंगे।

कन्या- सोने या चांदी की लक्ष्मी प्रतिमा का पूजन कर के धन स्थान पर रखें।

तुला- माता से सफेद कपड़े में चावल और चांदी का सिक्का लेकर धन स्थान पर रखने से मां लक्ष्मी प्रस्रन्न होगी।

वृश्चिक- लक्ष्मी जी को कमल पुष्प और कमल गट्टे अर्पित करें।

धनु- भोजपत्र पर लाल चंदन से श्रीं: लिख कर उसकी पूजा करें।

मकर- किसी मन्दिर में गाय का घी दान दें।

कुंभ- मां लक्ष्मी को शुद्ध गाय के घी का दीपक लगाएं।

मीन- मछलियों को आटे की गोलियां (दाना) डालें।

नीच राशि का शुक्र: प्यार, पैसा और दांम्पत्य सुख के उपाय

शुक्र के नीच राशि में आ जाने से सभी राशि वालों के जीवन में प्यार, पैसा और दांम्पत्य सुख संबंधित परेशानियां आने लगती है। 9 सितंबर से  शुक्र सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में आया है । शुक्र अपनी नीच राशि में यानी कन्या राशि में 4 अक्टूबर तक रहेगा। अक्सर ऐसा देखा गया है कि जब भी शुक्र अपनी नीच राशि में आता है सभी राशि वालों के प्यार, पैसा और दांपत्य पर शुभ-अशुभ असर पड़ता है। वैसे तो शुक्र हमेशा शुभ फल देने वाला होता है। लेकिन अपनी नीच राशि में आ कर कुछ राशि वालों के लिए अशुभ फल देता है। अगर आप राशि अनुसार शुक्र के उपाय करें तो आपके सुखी दांपत्य जीवन में प्यार और पैसा दोनों रहेगा।

शुक्र देव को प्रसन्न करने के उपाय-

मेष- किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।

वृष- पिता से सोना लेकर पहनें या धन स्थान पर रख कर पूजा करें तो जल्दी ही धन लाभ होगा।

मिथुन- भाई या बहन को शुक्र देव के लिए सफेद वस्त्र के साथ चांदी का सिक्का दें।

कर्क- शुक्रवार के दिन गाय के दुध से स्नान करना चाहिए।

सिंह- 10 वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को गाय के दूध की खीर खिलाएं तो आपको जल्दी ही इसके शुभ परिणाम मिलेंगे।

कन्या- सोने या चांदी की लक्ष्मी प्रतिमा का पूजन कर के धन स्थान पर रखें।

तुला- माता से सफेद कपड़े में चावल और चांदी का सिक्का लेकर धन स्थान पर रखने से मां लक्ष्मी प्रस्रन्न होगी।

वृश्चिक- लक्ष्मी जी को कमल पुष्प और कमल गट्टे अर्पित करें।

धनु- भोजपत्र पर लाल चंदन से श्रीं: लिख कर उसकी पूजा करें।

मकर- किसी मन्दिर में गाय का घी दान दें।

कुंभ- मां लक्ष्मी को शुद्ध गाय के घी का दीपक लगाएं।

मीन- मछलियों को आटे की गोलियां (दाना) डालें।

Friday, September 9, 2011

घर में शांति /सुकून के लिए वास्तु सिद्धांत


घर में शांति /सुकून के लिए वास्तु सिद्धांत ----


वास्तु के अनुसार घर की सजावट करते समय निम्न बातों का ध्यान रखें :-
1) घर के प्रवेश द्वार पर स्वस्तिक अथवा 'ॐ' की आकृति लगाने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
2) जिस भूखंड या मकान पर मंदिर की पीठ पड़ती है, वहाँ रहने वाले दिन-ब-दिन आर्थिक व शारीरिक परेशानियों में घिरते रहते है।
3) समृद्धि की प्राप्ति के लिए नार्थ-ईस्ट दिशा में पानी का कलश अवश्य रखना चाहिए।
4) घर में ऊर्जात्मक वातावरण बनाने में सूर्य की रोशनी का विशेष महत्व होता है इसलिए घर की आंतरिक साज-सज्जा ऐसी होनी चाहिए कि सूर्य की रोशनी घर में पर्याप्त रूप में प्रवेश करे।
5) घर में कलह अथवा अशांति का वातावरण हो तो ड्राइंग रूम में फूलों का गुलदस्ता रखना श्रेष्ठ होता है।
6) अशुद्ध वस्त्रों को घर के प्रवेश द्वार के मध्य में नहीं रखना चाहिए।
7) वास्तु के अनुसार रसोईघर में देवस्थान नहीं होना चाहिए।
8) गृहस्थ के बेडरूम में भगवान के चित्र अथवा धार्मिक महत्व की वस्तुएँ नहीं लगी होना चाहिए।
9) घर में देवस्थान की दीवार से शौचालय की दीवार का संपर्क नहीं होना चाहिए।

गृह कलह/क्लेश निवारण हेतु सरल और आसन उपाय----

वर्तमान समय में सभी परिवार चाहे वह संयुक्त हो या एकल परिवार हो गृह कलह से पीड़ित नजर आते है। गृह कलह के कारण परिवार के सभी सदस्यों में हृदय रोग, मधुमेह, उन्माद जैसी भयानक बीमारियां उत्पन्न हो सकती है एवं कभी-कभी यह गृह कलह प्राण-घातक (आत्मघातक) भी जो जाते है। गृह कलह मुख्य रूप से सास-बहु, पिता-पुत्र, भाई-बहिन-भाई, देवरानी-जेठानी, ननद-भाभी, पति-पत्नि के बीच दिखाई देता है।


आइये हम और आप ज्योतिषीय दृष्टि से गृह कलह के कारणों एवं उनके उपाय के बारे में जानें----

ज्योतिष् के अनुसार जन्म कुण्डली में सप्तम भाव सप्तमेश, सप्तम् भाव में स्थित ग्रह सप्तम् भाव पर दृष्टि डालने वाले गृह तथा सप्तम् भाव के कारक ग्रह से व्यक्ति के दाम्पत्य जीवन के बारे में विचार किया जाता है। यदि जातक का सप्तम् बलहीन हो सप्तम् भाव पर शनि, मंगल, सूर्य या राहु-केतु पापी कूरुर ग्रह का प्रभाव हो गुरु एवं शुक्र अस्त हो या पापक्रांत (पापकरतारी) हों तो दाम्पत्य सुख में बाधा आती है।
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सूर्य-ग्रह के कारण गृह कलह एवं उपाय----

जातक की कुण्डली में यदि सूर्य प्रथम, द्वितीय और सप्तम् भावों पर प्रभाव होने पर और बलहीन व नीच राशि के सूर्य के सप्तम् भाव में होने पर जातक अहंकारी, स्वाभिमानी, अड़ियल एवं जिद्दी स्वाभाव का होता है। पत्नी या परिवार के अन्य लोगों से स्वाभिमान का टकराव उत्पन्न होता है और जो गृह कलह का कारण बनता है।
उपाय -
1. सूर्योदय से पूर्व स्नानादि कर भगवान् सूर्य को ताँबे के लोटे में पवित्र शुद्ध जल भरकर उसमें लाल पुष्प, रोरी, अक्षत, मसूर दाल या मलका, गुड़ डालकर सूर्योदय काल में निम्न मंत्र पढ़ते हुए अध्र्य दें। एहि सूर्य! सहस्त्रांशो ! तेजोराशे! जगत्पते! अनुकम्प मां भक्त्या गृहाणाघ्र्यं दिवाकर!
2. ताँबे की अगुँठी या कड़ा दाहिने हाथ में घारण करें।
3. रविवार को दोपहर के समय लाल गाय को हाथों में भरकर गेहूँ खिलाए। कृपया जीमन में न डालें।
4. सूर्य भगवान के हृदय स्त्रोत का पाठ करें।
5. किसी विद्वान पण्डित से सूर्य की शान्ति जप सहित करवाए।
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मंगल ग्रह के कारण गृह कलह एवं उपाय----
मंगल एक उग्र एवं पापी ग्रह माना जाता है। जब जन्म कुण्डली में मंगल प्रथम, चैथे, सातवें, आठवें, या बारहवें भाव में स्थित हों तो जातक मंगली कहलाता है। मंगल जातक स्वभाव में विशेष प्रभाव करता है। मंगल के प्रभाव से जातक क्रोधी, उग्रता पूर्ण, एवं चड़चिडाहट पूर्ण व्यवहार करता है। यदि लग्न अथवा सप्तम भाव पर मंगल स्थित हो या सप्तम् भाव पर मंगल का प्रभाव (नीच दृष्टि, शत्रु) हो तथा किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक क्रोधी, अहंकारी, अभिमानी होता है और ये स्वभाव पति-पत्नी एवं परिवार के अन्य जनों के मध्य विवाद, गृह कलह का कारण उत्पन्न होता है।
उपाय-----
1. मंगलवार के दिन लाल गाय को गुड रोटी खिलाए
2. हनुमान चालीसा का पाठ करें।
3. शुक्ल पक्ष के मंगलवार का स्नानादि कर हनुमान मंदिर (दक्षिणमुखी) में चमेली का तेल सिन्दूर, गुड़, चना, एवं जनेऊ चढ़ाए और हनुमान संकट मोचन का पाठ करें। ऐसा लगातार सात मंगलवार करें।
4. मसूर दाल, गेंहूँ, गुड़, लाल पुष्प, ताँम्र-पात्र कुछ द्रव्य(दक्षिणा) सहित मंगलवार को ब्राह्मण या भिक्षुक को दान करें।
5. बन्दरों को चना-गुड़ खिलाए।
6. घर के सभी लोग संयुक्त रूप से भोजन करें। (दिन में एक बार भी कर सकते है।)
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शनि ग्रह के कारण गृह कलह एवं उपाय-----
यदि शनि की दृष्टि प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ अथव सप्तम् भाव में प्रभाव डालती है और साथ ही शनि अन्य पापी ग्रहों से सम्बन्ध बनता हों तो ऐसे शनि दाम्पत्य जीवन को उत्साह उमंग से क्षीण, परस्पर अकर्षक से विहीन बनता है। पति-पत्नी एवं परिवार के सदस्य साथ में रहते हुए पृथक रहने के समान जीवन व्यतीत करते हैं। आपस में चिड़चिडापर युक्त, कडवाहट युक्त एवं रूखा व्यवहार करते है। जिसके फलस्वरूप गृह कलह उत्पन्न होती है।
उपाय------
1. हनुमान चालीसा का पाठ नित्य करें।
2. सोलह सोमवार व्रत करें।
3. स्फाटिक या पारद शिवलिंग पर नित्य गाय का कच्चा दुध चढ़ाए फिर शुद्ध जल चढ़ाऐं और ओम् नमः शिवाय मन्त्र का जाप करें।
4. प्रदोष व्रत रखें।
5. प्रत्येक शनिवार को सूर्योदय के समय पीपल में तिल युक्त जल चढ़ाऐं और शाम को (सूर्यअस्त के बाद) तेल का दीपक जलाऐं।
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राहु ग्रह के कारण गृह कलह एवं उपाय------------------
जातक की कुण्डली में प्रथम, द्वितीय , चतुर्थ, सप्तम् भाव में राहु के दुष्प्रभाव के कारण दाम्पत्य जीवन एवं परिवार में विवाद, झगडे़ इत्यादि विषम परिस्थिति का सामना करना पड़ सकता है। राहु आकस्मिक क्रोध, वाणी कटुता, लोभ उत्पन्न करता है। जो गृह कलह का कारण होता है।
उपाय---------------
1. उड़द, तिल, तेल, काला कपड़ा छाता, सूपा, लोहे की चाकू, बुधवार के दिन सफाई कर्मचारी वर्ग के लोगों को दान करें।
2. शनिवार के दिन नीले वस्त्र में चार नारियल बांध कर नदी (बहते जलाशय) में लगातार सात शनिवार प्रवाहित करें।
3. केसर का तिलक माथे पर लागाऐं ।
4. मछली एवं पंक्षी को दाना खिलाऐं।
5. रुद्राभिषेक पूजन प्रत्येक प्रदोष में करें।
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पति-पत्नी के मध्य गृह कलह दूर करने हेतु उपाय-------
1. यदि पति-पत्नी के माध्य वाक् युद्ध होता रहता है तो दोनों पति-पत्नी को बुधवार के दिन दो घण्टे का मौन व्रत धारण करें।
2. पति को चाहिए की शुक्रवार को अपनी पत्नी को सुन्दर सुगन्ध युक्त पुष्प एवं इत्र भेंट करें एवं चाँदी की कटोरी चम्मच से दही शक्कर पत्नी को खिलाऐं।
3. पति को चाहिए की पत्नी की माँग में सिन्दूर भरें एवं पत्नी पति के मस्तक पर पीला तिलक लगाऐं।
4. स्त्री को चाहिए की अपने शयन कक्ष में 100 ग्राम सौंफ प्रातःकाल स्नान के बाद लाल कपडे में बांधकर रखें।
5. पति-पत्नी दोनों को फिरोज रत्न चाँदी में अनामिका आगुँली में धारण करें।
6. प्रतिदिन पति-पत्नी लक्ष्मी-नारायण या गौरी-शंकर के मन्दिर में जाऐं, सुगन्धित पुष्प चढ़ाऐं और दाम्पत्य सुख हेतु प्रार्थना करें।
7. पति-पत्नी सोमवार को दो-मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
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सास-बहु के बीच कलेश दूर करने के उपाय---------
1. घर के बर्तन के गिरने टकराने की आवाज न आने दें।
2. घर सजाकर सुन्दर रखें।
3. बहू को चाहिए की सूर्योदय से पहले घर में झाडू लगाकर कचड़े को घर के बाहर फेंके।
4. पितरों का पूजन करें।
5. प्रतिदिन पहली रोटी गाय को एवं आखरी रोटी कुत्ते को खिलाऐं।
6. ओम् शांति मन्त्र का जाप सास-बहू दोनों 21 दिन तक लगातर 11-11 माला करें।
7. रोटी बनाते समय तवा गर्म होने पर पहले उस पर ठंडे पानी के छींटे डाले और फिर रोटी बनाएं।
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भाई-भाई के बीच गृह कलह दूर करने के उपाय--------
1. गणेश जी एवं स्वामी कार्तिक जी का पूजन प्रतिदिन करें।
2. शिवलिंग पर शमी पत्र चढ़ाऐं।
3. विष्णु जी को तुलसी पत्र चढ़ाऐं।
4. माता-पिता एवं पूजनीय व्यक्तियों के चरण स्पर्श करें।
5. ओम् रामाय नमः मन्त्र का जप करें।
6. रामायण या रामचरित्र मानस का यथा शक्ति पाठ करें।
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देवरानी-जेठानी एवं ननद-भाभी में गृह कलह को दूर करने के उपाय-------
1. गाय के गोबर का दीपक बनाकर तेल रुई सहित उसे जलाऐं एवं मुख्य दरवाजे में रख कर उसमें थोड़ा गुड़ डालें।
2. ओम् नमः शिवशक्तिस्वरूपाय मम गृहे शांति कुरु-कुरु स्वाहा इस मन्त का जप 41 दिन तक नित्य 11 माला (रुद्राक्षमाला से) करें।
3. शिवलिंग में दूध एवं गंगाजल चढ़ाऐं और फिर बिल्व पत्र और पुष्प घर के सभी लोग चढ़ाऐं।
4. घर को सुन्दर, सजावट युक्त रखें एवं घर के चारों कोनो में शंख ध्वनि करें।
5. गीता का पाठ करें।
6. शिव जी का पूजन अपने पूरे परिवार सहित करें।
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गृह कलह शान्ति हेतु अन्य उपाय-------------
1. प्रतिदिन आटा गूथते समय एक चुटकी नकम एवं एक चुटकी बेसन उसमें मिला लें।
2. गेंहूँ चक्की पर पिसने जाने से पहले उसमें थोड़े से चने मिला दें तथा केवल सोमवार एवं शनिवार को ही गेंहूँ पिसवाऐं।
3. दुर्गा सप्तशती का पाठ नवरात्री में विद्वान पण्डित से कराऐं।
4. चीटियों का शक्कर खिलाऐं ।
5. घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में शौंच का स्थान न रखें एवं उस स्थान को साफ, और भार युक्त वास्तु से दूर रखें।
6. जो ग्रह कलह कारक हों उनकी वस्तुओं का दान करें।
7. कुण्डली के बली ग्रहों के मंत्रों का जप विद्वान पण्डित जी से या स्वयं किसी गुरु के सानिध्य में करें।
8. तेज स्वर (ऊंची आवाज) में बात न करें।

Sunday, September 4, 2011

गालों का रंग बता देता है हाव-भाव और आदत


क्या आप जानते हैं कि किसी भी व्यक्ति के गालों के रंग को देखकर उसका स्वभाव मालूम किया जा सकता है? जी हां, यह संभव है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शरीर के अंगों की बनावट को देखते हुए किसी भी व्यक्ति के स्वभाव, हाव-भाव और आदतों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। जिन ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव हमारे ऊपर सर्वाधिक होता है उसी के अनुसार हमारे गुण और अवगुण होते हैं।

जिन लोगों के गालों का सफेद रंग होता है वे अक्सर अस्वस्थ रहते हैं। वे अधिकांशत: किसी न किसी बीमारी से त्रस्त रहते हैं। ऐसे लोगों में निराशा रहती है और वे आलसी भी हो सकते हैं। इन लोगों में अनिश्चितता की भावना अधिक होती है। हर कार्य को अपने ही ढंग से करते हैं। इसके अलावा जिन लोगों के गालों का रंग लाल है वे लोग थोड़े गुस्से वाले होते हैं। छोटी-छोटी बातों में ही इन्हें क्रोध आ जाता है।

ये लोग साहसी, युद्धप्रिय व उत्तेजित व्यक्तित्व के होते हैं। ये लोग किसी भी कार्य को बहुत अच्छे ढंग से पूर्ण करते हैं। जिन लोगों के गालों का रंग गुलाबी दिखाई देता है वे लोग संतुलित मानसिकता के होते हैं।

किसी भी परिस्थिति में खुद को बहुत अच्छे से सेट कर लेते हैं। हर कार्य को करने की इनकी एक विशेष शैली होती है। इन लोगों को जीवन में कई उपलब्धियां हासिल होती हैं। किसी भी व्यक्ति के संबंध में सटीक भविष्यवाणी करने के लिए उसके विषय में गहराई से अध्ययन करने की आवश्यकता होती है। तभी सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

तिल्ली के तेल का दीपक जलाएं और गरीबी से पीछा छुड़ाएं...

धर्म-ज्योतिष को मानने वाले लोग शनिदेव और शनि के प्रभावों को अच्छे से जानते हैं। ऐसा माना जाता है कि शनि बुरे फल ही प्रदान करता है। ज्योतिष के अनुसार शनि को न्यायाधिश का पद प्राप्त है। इसी वजह से इन्हें क्रूर देवता माना जाता है। हमारे द्वारा किए गए कर्मों का फल शनिदेव साढ़ेसाती और ढैय्या के समय में प्रदान करते हैं।

यदि किसी व्यक्ति से जाने-अनजाने कोई पाप या गलत कार्य हो गया है तो शनिदेव ऐसे लोगों को निश्चित समय पर इन कर्मों का फल प्रदान करते हैं। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति को अत्यधिक कष्ट भोगना पड़ रहे हैं तो इन अशुभ फलों के प्रभावों को कम करने के लिए कुछ ज्योतिषीय उपाय बताए गए हैं।

कुछ लोगों की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में हो तो उसे जीवनभर कई प्रकार के कष्ट उठाने पड़ते हैं। ऐसे में प्रति शनिवार यह उपाय अपनाएं-

शनिवार को प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में उठें और नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि करके पवित्र हो जाएं। इसके बाद जल, दूध, तिल्ली के तेल का दीपक लेकर किसी पीपल के वृक्ष के समीप जाएं। अब पीपल पर जल और दूध अर्पित करें। इसके बाद पीपल के वृक्ष के नीचे तिल्ली के तेल के दीपक को प्रज्जवलित करें। शनिदेव प्रार्थना करें कि आपकी सभी समस्याएं दूर हो और बुरे समय से पीछा छुट जाए। इसके बाद पीपल की सात परिक्रमा करें।

घर लौट कर एक कटोरी में तेल लें और उसमें अपना चेहरा देखकर इस तेल का दान करें। ऐसा करने पर कुछ ही समय में आपको सकारात्मक फल प्राप्त होने लगेंगे। इसके प्रभाव से आपके घर की पैसों से जुड़ी समस्त समस्याएं दूर होने लगेंगी और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलेगी।

पैसों की किल्लत दूर करे यह लक्ष्मी-गणेश मंत्र

पैसों की किल्लत दूर करे यह लक्ष्मी-गणेश मंत्र
ज़िंदगी और गृहस्थ धर्म के सही संतुलन के लिए जरूरी है- आजीविका। जिससे मिलने वाला अर्थ या धन सभी सुख और सुविधाओं को आसान बना देता है। यही कारण है कि हर व्यक्ति छोटा-बड़ा व्यवसाय या फिर नौकरी करता है। किंतु अनेक अवसरों पर ऐसी स्थिति बनती है कि तमाम कोशिशों के बाद भी व्यक्ति व्यापार में घाटे या मंदी के दौर से गुजरने लगता है। ऐसी हालात किसी को भी बेहद परेशान कर देती है।
शास्त्रों में ऐसी ही हालात से बचने या बाहर आने के लिए देव उपासना का महत्व बताया गया है। जिसे किसी भी व्यक्ति को थोड़ा समय देकर जरूर करना चाहिए।
हिन्दू धर्म में भगवान श्री गणेश विघ्रहर्ता और माता लक्ष्मी धन और ऐश्वर्य की देवी के रूप में पूजी जाती है। इसलिए यहां जानते हैं भगवान श्री गणेश और माता लक्ष्मी के स्मरण का एक ऐसा ही आसान मंत्र, जो व्यवसाय में हो रहे घाटे से बचाता है और पैसों की किल्लत दूर कर धनलाभ देता है -
- बुधवार या चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की मूर्ति एक पात्र या चौकी पर विराजित कर उनके सामने घी का दीप जलाएं।
- श्री गणेश की गंध, अक्षत, दूर्वा, पुष्प से पूजा कर कम से कम 108 बार इस गणेश-महालक्ष्मी मंत्र का जप करें।
ऊँ गणेश महलक्ष्यै नम:।
या
ऊँ गं लक्ष्म्यै आगच्छ आगच्छ फट्।।
- मंत्र जप पूरे होने पर लड्डू का भोग लगाकर श्री गणेश और महालक्ष्मी से घाटे से उबारने और आर्थिक कृपा की प्रार्थना करें। ऐसा मंत्र जप और गणेश लक्ष्मी का ध्यान कुछ ही दिनों में शुभ नतीजा देगा।

कुंवारे लोगों के कमरे में ये रंग होगा तो शादी में आएंगी परेशानियां

हमें प्राप्त होने वाले सुख-दुख काफी हद तक हमारे घर के वास्तु पर भी निर्भर करते हैं। यदि जहां हम रहते हैं उस स्थान  या घर पर वास्तु दोष हों तो लाख कोशिशों के बाद भी सफलता मुश्किल से ही प्राप्त होती है।

जिससे मानसिक तनाव बढ़ता है और पारिवारिक जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इन अशुभ प्रभावों के चलते ध्यान रखना चाहिए कि घर में कोई वास्तु दोष न हो।

मनुष्य जीवन के 16 संस्कार मुख्य रूप से बताए गए हैं। इन्हीं में से एक है विवाह। विवाह के संबंध में ऐसा माना जाता है कि जोडिय़ां भगवान ही बनाते हैं और शादी का समय भी भगवान द्वारा ही तय किया जाता है।

कई युवाओं की शादी बहुत विलंब से होती हैं। इसके पीछे भी वास्तु दोष एक कारण हो सकता है। इसी वजह से विवाह योग्य लड़के और लड़कियों का कमरा वास्तु के अनुसार ही बनाया और सजाया जाना चाहिए।

कुंवारे लड़के और लड़कियों के कमरे में मुख्य रूप से काला रंग नहीं होना चाहिए। इनके कमरे में काले रंग के परदे, काले रंग के दरवाजे, काली अलमारियां, काली खिड़कियां, टेबल, बेड या पलंग आदि सभी आवश्यक वस्तुएं काले रंग की नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर विवाह योग्य लड़के और लड़किया की शादी में कई बाधाएं आती हैं।

विवाह प्रस्ताव नहीं आते हैं और यदि आते भी हैं तो बात पक्की नहीं हो पाती है। काला रंग नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। इससे नेगेटिव एनर्जी अधिक एक्टिव हो जाती है और बुरा प्रभाव देती है। इस वजह से विवाह योग्य युवाओं को कमरे में काले रंग से परहेज करना चाहिए।

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगलदोष है तो उसे कमरे में अधिक से अधिक लाल या गुलाबी रंग की वस्तुएं रखनी चाहिए। इससे विवाह में आ रही रुकावटें स्वत: दूर हो जाएंगी। इसके अलावा कुंडली में यदि अन्य किसी ग्रह बाधा की वजह से विवाह में विलंब हो रहा हो तो उसका उचित उपचार किया जाना चाहिए।

जन्म तारीख से जानें कब होगी आपकी सेहत खराब..!

जी हां अगर आप बीमार होने से पहले ही सावधान होना चाहते हैं या जानना चाहते है तो अपनी जन्म तारीख को जोडऩा शुरू कर दें। न्यूमरोलॉजी के अनुसार अंक बीमार होने से पहले ही बता देते हैं कि कौन सा महीना आपकी सेहत के लिए खराब रहेगा? किस महीने में आपको अपनी सेहत के लिए सावधान रहना चाहिए? जानें क्या कहती है न्यूमरोलॉजी...



मूलांक-1: जिन लोगों की जन्म तारीख 1,10,19 या 28 है।

सावधानी: अंक 1 वालों को जनवरी, अक्तूबर और दिसंबर के महीनों में अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहना चाहिए।

मूलांक-2: जन्म दिनांक 2,11,20,29

सावधानी: अगर आपकी जन्म तारीख उपर बताए गए नंबरों में से है तो जनवरी, फरवरी और जुलाई के महीनों में स्वास्थ्य व खान-पान आदि में सावधानी बरतना चाहिए।

मूलांक-3: जन्म दिनांक 3,12,21,30

सावधानी: अंक तीन वालों को  फरवरी, जून, सिंतबर और दिसंबर में अपनी सेहत का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।

मूलांक-4: जन्म दिनांक 4,13,22,31

सावधानी: अपने अंक के  स्वामी अनुसार अंंक 4 वाले लोगों को जनवरी, फरवरी, जुलाई, अगस्त व सितंबर इन पांच महीनों में अपने स्वास्थ्य पर विशेष गौर करना चाहिए।

मूलांक-5:जन्म दिनांक 5,14,23

सावधानी: आपको जून, सिंतबर और दिसंबर के महीनों में अपने स्वास्थ्य के बारे में सावधानी बरतना चाहिए।

मूलांक-6:जन्म दिनांक 6,15,24

सावधानी: आपको अंक का स्वामी शुक्र है इसलिए अंक 6 वालों को मई, अक्तूबर एवं नवंबर के महीने में उन्हें सावधानी रखनी चाहिए।

मूलांक-7: जन्म दिनांक 7,16,25

सावधानी: केतु के अंक वाले होने के कारण आपको जनवरी-फरवरी और जुलाई-अगस्त के चार महीनों में अपने स्वास्थ्य के प्रति पूर्ण सावधानी रखनी चाहिए।

मूलांक-8: जन्म दिनांक 8,17,26

सावधानी: आपके अंक का स्वामी शनि होने के कारण अंक आठ वालों को जनवरी, फरवरी, जुलाई और दिसंबर के महीनों में पूर्ण रूप से सावधान रहना चाहिए।

मूलांक-9:जन्म दिनांक 9,18,27

सावधानी: उपर बताइ गई तारीखों में जन्में लोगों का अंक स्वामी मंगल होता है ऐसे लोगों को  पूरे वर्ष अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए।

Thursday, September 1, 2011

टेढ़े गुरु के बुरे असर से बचाएंगे राशि अनुसार ये उपाय..


टेढ़े गुरु के बुरे असर से बचाएंगे राशि अनुसार ये उपाय...
30 अगस्त को दोपहर से गुरु अपनी सीधी चाल बदल कर टेढ़ी चाल पर आ गया है। अब गुरु टेढ़ा हो गया है, टेढ़े गुरु के उल्टे असर से बचने के लिए और सामान्य फल को शुभ बनाने के लिए राशि अनुसार उपाय करें। राशि अनुसार उपाय करने से आप पर गुरु का अशुभ असर कम हो जाएगा साथ ही अगर आपके लिए गुरु अच्छा फल देने वाला है तो आपके सभी काम पूरे होने लगेंगे।

गुरु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए ये उपाय करें-


मेष- 43 दिनों तक प्रतिदिन एक तांबे का सिक्का नदी में प्रवाहित करें। चमत्कारिक परिणाम प्राप्त होंगे।

वृष- पीला रूमाल सदैव अपने पास रखें।

मिथुन- प्रतिदिन पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं और सात परिक्रमा करें।

कर्क- घर में पीले रंग के फूल का पौधा लगाएं।

सिंह- प्रतिदिन विष्णु मंदिर जाएं और ब्राह्मण या अन्य किसी जरूरत मंद को धन का दान करें।

कन्या- गुरुवार का व्रत रखें।

तुला- भगवान विष्णु को गुड़-चने की दाल का प्रसाद अर्पित करें।

वृश्चिक- घी, दही, आलू और कपूर का दान करें।

धनु - किसी मन्दिर के पूजारी को भोजन कराएं।

मकर - पीली गाय को घास खिलाएं।

कुंभ - हल्दी एवं पीले चंदन से भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करें।

मीन- केसर का तिलक लगाएं।

Saturday, August 20, 2011

शेयर बाजार या लॉटरी, हर बार किस्मत होती है इनके साथ...

गुरु और चंद्रमा मिलकर एक शुभ योग बनाते हैं। इस योग का नाम गजकेसरी योग है। यह योग जिस कुंडली में होता है उसके जीवन में पद प्रतिष्ठा और पैसों की कोई कमी नही होती। इसके कारण अचानक धन लाभ के योग बनते है।



- अगर कुंडली के दुसरे भाव में गुरु और चंद्रमा मीन राशि में होते हैं तो ऐसे व्यक्ति को अचानक शेयर या लॉटरी से धन लाभ मिलता है।

- अगर गुरु केन्द्र भाव यानी चौथे भाव में अपनी ही राशि धनु यानी 9 अंक के साथ होता है तो पंचमहापुरूष योग में से एक हंस योग बनाता है। ऐसे योग से जातक को अचानक पैसा मिलता है ।

- कुंडली के पांचवे भाव में स्थित गुरु और चंद्रमा लाभ भाव यानि ग्यारहवें भाव को देखते हैं और इसी स्थान से गुरु की पांचवी नजर किस्मत के घर पर भी पड़ती है। ऐसा योग जिसकी कुंडली में बनता है। उसकी किस्मत अचानक पलटती है और उसे शेयर बाजार या लॉटरी से धन मिलता है।

- गुरु अपनी ही राशि मीन में यानी 12 नंबर के साथ किस्मत के घर (नवें भाव) में हो तो इस घर में गुरु के होने से किस्मत साथ देेती है और शेयर या लॉटरी से धन लाभ होता है।

- कुंडली के लाभ भाव (ग्यारहवें घर) में चंद्रमा की राशि कर्क यानि 4 अंक के साथ गुरु और चंद्र  धन लाभ देने वाले माने जाते हैं।


- अगर सातवें भाव में स्थित राशि का स्वामी छठें, आठवें या बारहवें घर में हो तो जीवनसाथी सामान्य स्तर की नौकरी करने वाला होता है।

- अगर किसी कुंडली के सातवें घर में स्थित राशि का स्वामी पाप ग्रह होता है यानी सातवें घर में सिंह, कुंभ, मकर, मेष या वृश्चिक राशि हो और सूर्य, शनि या मंगल अपनी निच राशि में हो या शत्रु राशि में हो तो जीवनसाथी की कमाई ज्यादा  नही होती।

Sunday, August 14, 2011

किचन में पानी हमेशा गैस स्टेंड से ऊंचाई पर रखें, नहीं तो...


किचन में पानी हमेशा गैस स्टेंड से ऊंचाई पर रखें, नहीं तो...

आग और पानी को एक-दूसरे का शत्रु माना जाता है। पानी हमेशा आग को बुझा देता है और आग भी पानी को सुखाने की क्षमता रखती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए वास्तु शास्त्र में कुछ खास बातें बताई गई हैं।

वास्तु के अनुसार कीचन में रखी वस्तुओं से परिवार की सुख-शांति और समृद्धि संबंधित रहती है। किचन रखे जाने वाले सभी सामान को वास्तु अनुसार ही रखना चाहिए। कीचन में पीने का पानी और गैस स्टोव्ह के लिए विशेष सावधानी रखने की आवश्यकता है। इन्हें व्यवस्थित ढंग से नहीं रखने की स्थिति में परिवार में शांति नहीं रहती है।

आग और पानी की प्रकृति एक-दूसरे के प्रति विरोधी रहती है अत: इन दोनों को अलग-अलग स्थानों पर ही रखना चाहिए। कभी भी गैस के पास ही पानी नहीं रखना चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि पानी हमेशा गैस स्टोव्ह से ऊंचाई पर ही हो। दोनों बराबरी से नहीं रखे होना चाहिए।

ऐसा नहीं होने पर पति-पत्नी के बीच झगड़े होते रहते हैं और परिवार में अशांति बनी रहती है। जिससे सभी सदस्यों को मानसिक क्लेश झेलना पड़ता है।

अनोखा उपाय- चमक उठेगी आपकी किस्मत, पानी में डालें काले तिल और...

क्या आपके व्यवसाय में धन हानि अधिक हो रही है? क्या आपके घर-परिवार में परेशानियों की वजह से रिश्तों में दरार पड़ गई है? क्या आपके बच्चों को बीमारियां सताती रहती हैं? क्या भाग्य आपका साथ नहीं दे रहा है? यदि इस प्रकार के प्रश्नों से आप परेशान हैं तो यहां एक सटीक ज्योतिषीय उपाय बताया जा रहा है, जिससे आपकी सभी परेशानियां गायब हो जाएंगी।

जीवन से जुड़ी किसी भी प्र
कार की समस्या को दूर करने के लिए शिव आराधना श्रेष्ठ उपाय है। प्रतिदिन शिवजी का विधि-विधान से पूजन करें। यदि विधिवत पूजन कर
ने में असमर्थ हैं तो प्रतिदिन एक लौटे में शुद्ध जल भरें और उसमें थोड़े काले तिल डाल दें। अब इस जल को शिवलिंग पर ऊँ नम: शिवाय मंत्र जप के साथ चढ़ाएं। ध्यान रहे जल पतली धार से चढ़ाएं और मंत्र का जप करते रहें। इसके साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जप बेहद फायदेमंद रहता है।

ऐसा प्रतिदिन करें। ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं फिर किसी भी सिद्ध शिव मंदिर में जाएं। जल चढ़ाने के साथ पुष्प और बिल्व पत्र भी अवश्य चढ़ाएं। इस उपाय को अपनाने से कुछ ही दिनों में चमत्कारिक फल की प्राप्ति होने लगेगी। ध्यान रहे इस उपाय के साथ ही अधार्मिक कर्मों से खुद को दूर रखें। किसी का दिल न दुखाएं और वृद्धजनों का सम्मान करें।

बर्थ डेट से जानें कौन सा लकी स्टोन चमकाएगा आपकी किस्मत

वैसे तो ज्योतिष में ज्यादातर लोग कुंडली और चंद्र राशि के अनुसार रत्न पहनते हैं।  लेकिन कुछ लोगों को अपनी राशि नही मालूम होती और उनके पास कुंडली भी नही होती है इसलिए ज्योतिष में सूर्य राशि यानी जन्म तारिख के अनुसार रत्न पहने जा सकते हैं। सूर्य राशि के अनुसार आप जान सकते है कि आपका लकी स्टोन कौन सा  है।


-14 अप्रेल से 14 मई के बीच जन्म लेने वालों की राशि मेष होती है इसके अनुसार अगर मूंगा पहने तो किस्मत हमेशा साथ रहती है।

- सूर्य राशि के अनुसार 15 मई 14 से जून के बीच जन्म लेने वाले लोगों की राशि वृष होती है इसलिए हीरा पहनने से इस राशि वालों के लाभ होगा।

-15 जून से 15 जुलाई के बीच जन्म लेने वालों की सूर्य राशि मिथुन होती है इसलिए पन्ना रत्न इस राशि वालों के लिए लकी रत्न साबित होगा।

- सूर्य राशि के अनुसार 16 जुलाई से 16 अगस्त के मध्य जन्म लेने वालों का लकी स्टोन मोती होता है।

- 17 अगस्त से 16 सितंबर के बीच जन्म लेने वाले लोगों के लिए लकी स्टोन माणिक्य होता है क्योंकि इस समय सूर्य अपनी ही राशि में रहता है।

- सूर्य राशि के अनुसार 17 सितंबर से 16 अक्टूबर के बीच जन्म लेने वालों को किस्मत चमकाने के लिए पन्ना रत्न पहनना चाहिए।

- 17 अक्टूबर से 16 नवंबर तक सूर्य तुला राशि में होता है इसलिए इस समय में जन्म लेने वालों को लकी रत्न के रूप में हीरा पहनना चाहिए।

- 17 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच जन्म लेने वालों का भाग्यशाली रत्न मूंगा होता है।

- सूर्य राशि के अनुसार 16 दिसंबर से 13 जनवरी के बीच जन्म लेने वालों का लकी रत्न पुखराज होता है।

- 14 जनवरी से 12 फरवरी तक सूर्य मकर राशि में रहता है। इसलिए इस समय जन्म लेने वालों को लकी स्टोन के रूप में नीलम पहनना चाहिए।

- 13 फरवरी से 12 मार्च तक कुंभ राशि में सूर्य का भ्रमण होता है इसलिए इस समय में जन्म लेेने वालों को शनि का भी भाग्यशाली रत्न नीलम होता है।

- 13 मार्च से 13 अप्रेल के बीच जन्म लेने वाले अगर पुखराज पहनें तो ऐसे लोगों की किस्मत अचानक बदल जाती है।

सपने में खुद को ईमानदारी से पैसा कमाता हुआ देखे तो, मिलेगा पैसा ही पैसा

जागती आंखों से खूब पैसा कमाने का सपना सभी देखते हैं लेकिन यदि कोई व्यक्ति नींद में पैसों से संबंधित कोई सपना देखता है तो ज्योतिष के अनुसार यह शुभ संकेत है।

स्वप्न ज्योतिष के अनुसार हमारे सपनों का संबंध भविष्य से होता है। इनमें कई प्रकार के इशारे छुपे होते हैं। इन संकेतों को समझने से आने वाले कल में होने वाली शुभ या अशुभ घटनाओं की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। यदि सपनों में शुभ घटनाओं का संकेत है तब तो ठीक है। यदि किसी अशुभ समय की ओर इशारा मिल रहा है तो इस बुरे समय के प्रभाव को कम करने के प्रयास किए जा सकते हैं।

यदि कोई व्यक्ति सपने में खुद को ईमानदारी से पैसा कमाता हुआ देखता है तो उसे निकट भविष्य में काफी धन की प्राप्ति होने के योग बनेंगे। इसके विपरित यदि कोई व्यक्ति सपने में किसी बुरे काम से धन प्राप्त करता है तो उसे आने वाले समय में कई प्रकार की परेशानियां झेलना पड़ सकती है।

सपने में किसी संत या महात्मा से धन मिले तो यह बहुत ही शुभ स्वप्न है। इसके प्रभाव से भविष्य में धन, दौलत और मान-सम्मान की प्राप्ति हो सकती है।

Saturday, August 13, 2011

बिजनेस, प्यार, दोस्ती...ऐसे नाम वालों से रहें सावधान

ज्योतिष में 12 राशियोंको उनके स्वभाव, प्रकृति, तत्व और गुणों के आधार पर बांटा गया है। सभी लोगों पर अपनी अपनी राशियों का प्रभाव होता है। राशियों की प्रकृति और स्वभाव के अनुसार सभी लोगों पर इसका असर भी पड़ता है। ज्योतिष में राशियों की प्रकृति और स्वभाव तीन तरह के बताए गए हैं। चर, स्थिर और द्विस्वभाव।

जिन लोगों की राशि की प्रकृति द्विस्वभाव होती है ऐसे लोगों से बिजनेस, प्यार, दोस्ती और अन्य क्षेत्रों में सावधान रहना चाहिए क्योंकि ऐसे लोग अपनी राशि के प्रभाव से विश्वास करने योग्य नही होते। द्विस्वभाव राशि के लोग अचानक अपना निर्णय बदल देते हैं।

कैसे नाम वालों से रहें सावधान
 
मिथुन ( का की कु घ ड़ छ के को हा)- जिन लोगों का नाम इन अक्षरों से शुरु होता है उनकी राशि मिथुन और राशि स्वामी बुध होता है। बुध को ज्योतिष में बुद्धि का कारक ग्रह माना गया है। मिथुन राशि वाले बुध के प्रभाव से किसी निर्णय पर स्थिर नही रह सकते।

कन्या-( टो पा पी पू ष ण ठ पे पो)- इन अक्षरों के नाम वालों की राशि कन्या होती है और इस राशि का भी स्वामी बुध है। बुध को ज्योतिष में वाणी का कारक ग्रह माना जाता है। इस राशि के लोगों के दिमाग में हमेशा दो बातें चालती रहती है। यह बोलते कुछ और है, करते कुछ और है।

धनु- (ये यो भा भी भू धा फा ढ़ा भे)- जिन लोगों का नाम इन अक्षरों से शुरु होता है उनकी धनु राशि होती है। गुरु और चंद्रमा के प्रभाव से इस राशि के लोग द्विस्वभाव वाले होते हैं यनि समय आने पर अपना फायदा देखकर बदल जाने वाले होते हैं।

मीन- (दी दू थ झ ञ दे दो चा ची )-  इस राशि वालों का फल भी धनु राशि वालों की तरह होता है।

जीवनसाथी के साथ कभी पटरी नहीं बैठ पाएगी अगर हथेली में....

हथेली में बुध पर्वत यानी लिटिल फिंगर के नीचे के क्षेत्र पर जो आड़ी रेखाएं होती है उन्हें विवाह रेखा कहा जाता है। इस पर्वत पर अगर कई रेखाएं दिखाई दे रही हैं तो इसका अर्थ यह नहीं कि सभी रेखा शादी की हैं अर्थात आपकी उतनी शादी होगी। इस पर्वत पर दिखने वाली सभी रेखाओं में से वही रेखा विवाह रेखा होगी जो सबसे गहरी और लम्बी होगी अन्य रेखा किसी के साथ प्रेम सम्बन्ध को दर्शाती है।
शादी के बाद जीवन कैसा होगा?वैवाहिक जीवन सुखी रहेगा या नहीं कहीं जीवन साथी से अनबन तो नहीं होगी आदी बातें किसी के हाथ में उपस्थित विवाह रेखा के साथ ही मस्तिष्क रेखा व सूर्य रेखा को देखकर भी जानी जा सकती है।
अगर जीवनसाथी के साथ अनबन रहती है या आप जानना चाहते हैं कि शादी के बाद कहीं अनबन तो नहीं रहेगी इसके लिए देखिए कि सूर्य रेखा मस्तिष्क रेखा से निकलकर बीच-बीच में टूटी तो नहीं है। अगर ऐसा है तो अपने जीवनसाथी पर विश्वास कीजिए और उन्हें समझने की कोशिश कीजिए अन्यथा किसी और के कारण आपके वैवाहिक जीवन में अशांति और अनबन रहेगी। इसके अलावा आप यह भी देखिए कि सूर्य पर्वत से निकलकर पतली सी रेखा हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा को कटती हुई जीवन रेखा से तो नहीं मिल रही है अगर ऐसा है तो आप समझ लीजिए आपकी कामयाबी के बीच जीवनसाथी से अनबन बहुत बड़ा कारण है।
जीवन साथी आपका साथ इस जीवन में कब तक निभायेगा यानी क्या आप उसे तन्हा छोड़ जाएंगे या वो आपको छोड़ जाएगा यह भी आप हाथ की रेखाओं से जान सकते हैं। हस्तरेखा विज्ञान कहता है अगर विवाह रेखा झुककर हृदय रेखा को छू रहा है तो इसका अर्थ है कि आप अपने जीवनसाथी को अकेला छोड़ जाएंगे। विवाह रेखा के सिरे पर क्रास का चिन्ह दिख रहा है तो यह संकेत है कि जीवनसाथी अचानक बीच सफर में छोड़कर दुनियां से विदा हो जाएगा।

पर्स में होंगी ये चीजें, तो बनी रहेगी पैसों की किल्लत...



रुपए या नोटों को सुरक्षित और व्यवस्थित रखने का कार्य हमारे पर्स बखूबी निभाते हें। हर परिस्थिति में आपके नोट पर्स
में सही ढंग से रखे रहते हैं। जिससे उनके कटने या फटने का डर नहीं रहता।

पर्स में पैसा रखा जाता है अत: इस संबंध में वास्तु द्वारा कई महत्वपूर्ण टिप्स दी गई हैं। जिन्हें अपनाने पर व्यक्ति को भी धन की कमी का एहसास ही नहीं होता है।

हमारे जीवन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातों का संबंध वास्तु से है। वास्तु शास्त्र हमारे आसपास फैली सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के सिद्धांतों पर कार्य करता है।

जो वस्तु नकारात्मक ऊर्जा फैलाती हैं उन्हें हमारे आसपास से हटा देना चाहिए। क्योंकि इनसे हमारे सुख और कमाई पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आय बढ़ाने या फिजूल खर्चों में कमी करने के लिए पर्स का वास्तु भी ठीक करने की आवश्यकता होती है। पर्स में सिक्के और नोट दोनों को ही अलग-अलग स्थानों पर रखना चाहिए। इसके अलावा पर्स में मृत व्यक्तियों के चित्र रखना भी शुभ नहीं माना जाता है। अत: इस प्रकार के चित्रों को भी पर्स में नोटों के साथ नहीं रखें। पर्स में संत-महात्मा के चित्र रखे जा सकते हैं। यदि कोई संत या महात्मा देह त्याग चुके हैं तब भी उनके चित्र या फोटो पर्स रखे जा सकते हैं क्योंकि शास्त्रों के अनुसार देह त्यागने के बाद भी संत-महात्माओं को मृत नहीं माना जाता है। कुछ लोग पर्स में ही चाबियां भी रखते हैं, चाबियां रखना भी अशुभ ही माना जाता है। इन्हें भी रुपए-पैसों से अलग ही रखना शुभ रहता है। पर्स में नोट या सिक्कों के साथ खाने की चीजें भी नहीं रखना चाहिए।

वास्तु के अनुसार पर्स में ऐसे वस्तुएं हरगिज न रखें जो नकारात्मक ऊर्जा को संचारित करती हैं। पर्स में किसी भी प्रकार के बिल या भुगतान से संबंधित कागज नहीं रखने चाहिए। इसके लिए पर्स में किसी भी प्रकार की अपवित्र वस्तु भी न रखें।

जो वस्तुएं फिजूल हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं है उन वस्तुएं तुरंत ही पर्स से बाहर कर दें। इनके अतिरिक्त पर्स में धार्मिक और पवित्र वस्तुएं रखें, जिनसे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और जिन्हें देखकर हमारा मन प्रसन्न होता है।

ज्योतिष: क्या आपके घर में बार-बार तेल का नुकसान होता है?

ज्योतिष के अनुसार खाने में उपयोग किया जाने वाला खाद्य तेल शनि देव से संबंधित है। इसी वजह से हर शनिवार को शनि देव के निमित्त तेल अर्पित किया जाता है। शनि महाराज को तेल क्यों अर्पित किया जाता है इस संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं।

एक कथा के अनुसार हनुमानजी और शनिदेव में युद्ध हुआ। इस युद्ध में बजरंग बली ने शनि को हरा दिया। इस दौरान हनुमानजी द्वारा किए गए प्रहार से शनि के शरीर में पीड़ा होने लगी। तब हनुमानजी ने इस दर्द से मुक्ति के लिए उन्हें तेल दिया। तभी से शनि हनुमानजी के भक्तों को कष्ट नहीं पहुंचाता है और उन्हें तेल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।

ज्योतिष के अनुसार नौ ग्रह बताए गए हैं जो हमारे सुख और दुख को निर्धारित करते हैं। सभी ग्रहों का संबंध अलग-अलग वस्तुओं से हैं। शनि का गहरा संबंध तेल से है। यदि किसी व्यक्ति के घर में बार-बार तेल ढुल जाता है या अन्य किसी प्रकार से तेल का नुकसान हो तो समझना चाहिए कि उसकी कुंडली में शनि संबंधी कोई दोष है।


यदि कोई व्यक्ति तेल से संबंधी रोजगार से धर्नाजन करता है और उसे इस कार्य से लगातार हानि उठाना पड़ रही हो तो संभव है कि उसकी कुंडली में कोई शनि दोष हो। ऐसे में शनि के दोषों को दूर करने का ज्योतिषीय उपचार करना चाहिए। प्रति शनिवार एक कटोरी में तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें और फिर इस तेल का दान करें। यह शनि के बुरे प्रभाव से बचने का सटीक उपाय है।

यदि आपके घर में कोई हो बहुत जिद्दी, तो करें ये चमत्कारी उपाय...

छोटे बच्चों की जिद माता-पिता का मन मोह लेती है लेकिन कई बार बच्चों की यही आदत बड़े होने तक बनी रहती है। ऐसे में माता-पिता को अक्सर परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि बच्चे कई बार ऐसी जिद कर बैठते हैं जिनका पूरा हो पाना लगभग असंभव सा ही होता है। यदि बच्चा ज्यादा ही जिद्दी हो गया है तो ज्योतिष के अनुसार उसे सुधारने के लिए उपाय बताया गया है-

यदि बच्चे ज्यादा ही जिद करें तो उनके साथ जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। बस केवल उनको रोज सीधे हाथ की सूंड वाले गणेशजी का दर्शन कराएं। इस दर्शन से उनकी बुद्धि में सुधार होने लगेगा तथा धीरे-धीरे उनकी जिद करने की आदत दूर हो जाएगी।

गणेशजी को बुद्धि का प्रतीक माना जाता है। इनकी आराधना से व्यक्ति को सदबुद्धि प्राप्त होती है और स्वभाव विनम्र हो जाता है। इनके दर्शन मात्र से दर्शनार्थी की जिद करने आदत छुट जाती है और वह सभ्य इंसान बन जाता है।

दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है...यह रहे अचूक उपाय

दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है...यह रहे अचूक उपाय


आमतौर पर यह मान्यता है कि शनिदेव बड़े ही निर्दयी स्वभाव के देवता हैं। लेकिन ऐसी मान्यता बड़ी ही सतही और भ्रामक है। अगर ज्योतिष की ही माने तो शनिदेव निर्दयी नहीं बल्कि बेहद न्यायप्रिय और जैसे के साथ तैसा करने वाले हैं। यह किसी भी व्यक्ति की उसके कर्मफलों और स्वभाव के अनुसार फल देने वाले न्यायप्रिय देवता हैं। यदि कोई इंसान मेहनती ईंमानदार और सच्चाई के रास्ते पर चलने वाला है तो शनिदेव उसको आश्चर्यजनक सफलता दिलाने में भरपूर मदद भी करते हैं, या यूं कहें कि योग्य व्यक्ति को शून्य से शिखर तक पहुंचाने में शनिदेव का भरपूर सहयोग मिलता है। लेकिन पिछले कुछ अज्ञात गलत कर्मों के कारण यदि शनिदेव का प्रभाव हमारे जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा हो तो उसे भी नीचे दिये गए अचूक उपायों से समाप्त किया जा सकता है...

- पिछले कर्मों के अच्छे-बुरे परिणामों की फ्रिक छोड़कर निष्काम भाव से सच्चे और न्यायप्रिय कर्म करें।

- प्रतिदिन सूर्योदय के समय गायत्री जप और ध्यान करें, लेकिन मन में किसी फल की आशा न रखें सिर्फ सद्बुद्धि की ही कामना रखें।

- माता-पिता यथा संभव प्रशन्न रखें इससे आपका बुरा प्रारब्ध भी समाप्त होने लगेगा।

- किसी का दिल न दुखाएं बद्दुआओं से सदा बच कर रहें।

- हर मंगलवान और शनिवार को शुन्दरकांड का पाठ करें और प्रतिदिन स्नान करने के बाद हनुमान चालीसा और गायत्री चालीसा का पाठ करें।

- प्रतिदिन 1-माला गायत्री मंत्र का जप और उगते हुए सूर्यदेव का ध्यान करें।

Sunday, July 17, 2011

घर के बाहर कोयले से बनाए स्वस्तिक, आपके परिवार को होगा फायदा

किसी भी व्यक्ति के जीवन में बुरा समय कब शुरू हो जाए, इसका पहले से अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। कोई भी नहीं चाहता कि उनके जीवन में कभी भी बुरा समय आए, इसी वजह से कई प्रकार के प्रयत्न किए जाते हैं। कई बार हमारे सुख, हमारी खुशियों, हमारे परिवार, हमारे घर को किसी की बुरी नजर लग जाती है। जिससे कुछ न कुछ बुरा अवश्य ही होता है।

लोगों की बुरी नजर से बचने के लिए ज्योतिष में कई प्रकार के उपाय बताए गए हैं। इन्हें अपनाने से कुदृष्टि के बुरे प्रभाव से बचा जा सकता है। अपने घर, परिवार के सदस्यों और व्यापार को अन्य लोगों की बुरी नजर से बचाने के लिए घर के बाहर कोयले से स्वस्तिक बनाए। इस काले स्वस्तिक के प्रभाव से हमारे घर को किसी की बुरी नजर प्रभावित नहीं कर सकेगी। स्वस्तिक की पवित्रता और प्रभाव से सभी भलीभांति परिचित हैं। यह श्रीगणेश का प्रतीक चिन्ह हैं। सामान्यत: घरों के बाहर लाल रंग के स्वस्तिक बनाए जाते हैं जिनसे घर में सुख, शांति, समृद्धि बनी रहती है। काला स्वस्तिक बनाने से बुरी नजर से आने वाले बुरे समय को भी रोका जा सकता है।

सूखा नारियल और बादाम नदी में बहाएं, पैसों के साथ मिलेगी खुशियां

देवी-देवताओं के पूजन में नारियल का खास महत्व है। ऐसा माना जाता है भगवान की पूजा में नारियल चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं। इसी वजह से नारियल के बिना किसी भी प्रकार का विधि-विधान से किया जाने वाला पूजन कर्म पूर्ण नहीं माना जा सकता। नारियल के महत्व को देखते हुए ज्योतिष में इससे संबंधित कई उपाय बताए गए हैं।

यदि कोई व्यक्ति जीवन में अत्यधिक कष्ट भोग रहा है और कार्यों में सफलता नहीं मिल रही है तो ज्योतिष कुछ उपाय बताए गए हैं। जिन्हें अपनाने से कई प्रकार के ग्रह दोष स्वत: ही दूर हो जाते हैं और सुख की प्राप्ति होती है।

वैसे तो सभी नौ ग्रहों का अपना अलग महत्व और अलग प्रभाव होता है लेकिन इन सभी शनि को अत्यधिक क्रूर ग्रह माना गया है। शनिदेव को न्यायाधीश का पद प्राप्त है। अत: ये हमारे कर्मों के अनुसार हमें शुभ या अशुभ फल प्रदान करते हैं। सामान्यत: शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या को परेशानियां देने वाला ही माना जाता है। इस समय में शनि के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए प्रति शनिवार किसी पवित्र बहती नदी में सूखा नारियल और बादाम प्रवाहित करें। इस उपाय को अपनाने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या में भी लाभ प्राप्त होता है। धन संबंधी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। घर-परिवार में खुशियोंभरा माहौल बना रहता है। इस उपाय के साथ शनिवार को तेल का दान करना भी अच्छा रहता है।

सूखा नारियल और बादाम नदी में बहाएं, पैसों के साथ मिलेगी खुशियां

देवी-देवताओं के पूजन में नारियल का खास महत्व है। ऐसा माना जाता है भगवान की पूजा में नारियल चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं। इसी वजह से नारियल के बिना किसी भी प्रकार का विधि-विधान से किया जाने वाला पूजन कर्म पूर्ण नहीं माना जा सकता। नारियल के महत्व को देखते हुए ज्योतिष में इससे संबंधित कई उपाय बताए गए हैं।

यदि कोई व्यक्ति जीवन में अत्यधिक कष्ट भोग रहा है और कार्यों में सफलता नहीं मिल रही है तो ज्योतिष कुछ उपाय बताए गए हैं। जिन्हें अपनाने से कई प्रकार के ग्रह दोष स्वत: ही दूर हो जाते हैं और सुख की प्राप्ति होती है।

वैसे तो सभी नौ ग्रहों का अपना अलग महत्व और अलग प्रभाव होता है लेकिन इन सभी शनि को अत्यधिक क्रूर ग्रह माना गया है। शनिदेव को न्यायाधीश का पद प्राप्त है। अत: ये हमारे कर्मों के अनुसार हमें शुभ या अशुभ फल प्रदान करते हैं। सामान्यत: शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या को परेशानियां देने वाला ही माना जाता है। इस समय में शनि के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए प्रति शनिवार किसी पवित्र बहती नदी में सूखा नारियल और बादाम प्रवाहित करें। इस उपाय को अपनाने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या में भी लाभ प्राप्त होता है। धन संबंधी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। घर-परिवार में खुशियोंभरा माहौल बना रहता है। इस उपाय के साथ शनिवार को तेल का दान करना भी अच्छा रहता है।