Thursday, June 2, 2011

इंटरव्यू से सक्सेस पाने का अचूक फंडा

इंटरव्यू का नाम सुनते ही अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाते हैं। हर वक्त यही बात दिमाग में घुमती है कि इंटरव्यू में क्या प्रश्न पुछेंगे। उनका जबाव दे पाऊंगा या नहीं। इस तरह इंटरव्यू से पहले ही कई लोग नर्वस हो जाते हैं। यदि आप भी इंटरव्यू देने जा रहे हैं और उसमें सफलता चाहते हैं तो नीचे लिखा उपाय करें-
उपाय

शुभ दिन देखकर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सफेद रंग का सूती आसन बिछाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके उस पर बैठ जाएं। अब अपने सामने पीला कपड़ा बिछाकर उस पर 108 दानों वाली स्फटिक की माला रख दें और इस पर केसर व इत्र छिड़क कर इसका पूजन करें। इसके बाद धूप, दीप और अगरबत्ती दिखाकर नीचे लिखे मंत्र का 31 बार उच्चारण करें। इस प्रकार ग्यारह दिन तक करने से वह माला सिद्ध हो जाएगी। जब भी किसी इंटरव्यू में जाएं तो इस माला को पहन कर जाएं। ऐसे करने से शीघ्र ही इंटरव्यू में सफलता मिलेगी।

मंत्र

ऊँ ह्लीं वाग्वादिनी भगवती मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु फट् स्वाहा।


तंत्र शास्त्र के अंतर्गत अनेक समस्याओं का समाधान निहित है। यह साधारण तंत्र उपाय जल्दी ही शुभ परिणाम देते हैं। यदि इस संबंध आपकी कोई जिज्ञासा हो तो आप हमें पुछ सकते हैं। आप अपनी जिज्ञासा हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर पोस्ट करें। हम आपके प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयत्न करेंगे।

लाल किताब में ग्रहो के पक्के घर


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जिस प्रकार वैदिक ज्योतिष में ग्रहो का कारक के रुप में प्रयोग भावानुसार होता है, उसी प्रकार लाल किताब में प्रत्येक भाव का कारक होता है. जिस प्रकार वैदिक ज्योतिष में ग्रहो का कारक के रुप में प्रयोग भावानुसार होता है, उसी प्रकार लाल किताब में प्रत्येक भाव का कारक होता है.

लाल किताब के अनुसार भाव के कारक, ग्रहो के पक्के घर कहलाते हैं. लाल किताब पद्वति में राशि की जगह भाव की प्रधानता  है इसलिए इन ग्रहो का महत्व भी अधिक हो जाता है.

आम तौर पर वैदिक ज्योतिष और लाल किताब के भावो के कारक  लगभग एक से हैं, परन्तु लाल किताब कुछ भावो के कारक थोडा सा अलग है. लाल किताब का एक अन्य सिद्धान्त है कि जिस भाव में कोइ ग्रह न हो या भाव पर किसी ग्रह की दृष्टि न हो तो वह भाव सोया हुआ  कहलायेगा. लेकिन अगर ग्रह अपने पक्के घर में स्थित हो जैसे सूर्य प्रथम भाव में, बृहस्पति द्वितीय भाव में इत्यादि तो उस ग्रह को हम पूरी तरह जागता हुआ मानेंगे यानि कि वह ग्रह अपने प्रभाव से दूसरे भाव या ग्रह को प्रभावित करने में पूर्ण समर्थ होगा. इस दृष्टिकोण से लाल किताब में पक्के घर का ग्रह बहुत उपयोगी है.

एक बात और है चूँकि लाल किताब में भावों में राशियाँ स्थिर मानी जाती हैं, प्रथम भाव में हमेशा मेष राशी, द्वितीय भाव में वृष राशी तथा द्वादश भाव में मीन राशी रहेगी चाहे  का जन्म किसी भी समय हुआ हो इस दृष्टि से कारक ग्रह अधिक प्रासांगिक हो जाते हैं.

लाल किताब पद्वति में राशी के स्थान पर भाव की प्रधानता है. अतः यहाँ प्रत्येक ग्रह को किसी न किसी भाव का कारक माना गया है. लाल किताब में ये ग्रहो के पक्के घर के नाम से विख्यात है.

भाव न: ग्रह

1 सुर्य
2 बृह्स्पति
3 मंगल
4 चन्द्रमा
5 बृहस्पति
6 बुध व केतु
7 बुध व शुक्र
8 मंगल व शनि
9 बृहस्पति
10 शनि
11 बृहस्पति
12 बृहस्पति व राहु

लालकिताब के अनुसार धोखा फल


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कुण्डली के किसी भी भाव में स्थित ग्रह अपने से दसवें स्थान में स्थित ग्रह को अपनी धोखे की दृष्टि से अशुभ फल प्रदान करता है. जैसे कि उपरोक्त कुण्डली में दशम भाव में बैठा सूर्य अपनी दशम दृष्टि सप्तम भाव पर डालकर पत्नि या वैवाहिक जीवन की हानि करता है.

इसी प्रकार राहु पंचम भाव में स्थित होकर द्वितीय भाव में स्थित शनि पर अपनी दशम धोखे की दृष्टि डाल रहा है, जिस कारण से व्यक्ति के कुटुम्ब-परिवार में समस्या रहने की सम्भावना है. दृष्टि (धोखे) के इस नियम में भी नैसर्गिक मित्रता एंव शत्रुता का कोई महत्व नहीं है.लाल किताब में धोखे की दृष्टि के सम्बन्ध में एक बात बहुत महत्वपूर्ण है कि जो ग्रह जिस भाव पर अपनी दसवीं दृष्टि डाल रहा है उसका उस भाव से कैसा सम्बन्ध है.

उदाहरण स्वरुप यदि दृष्टिगत भाव ग्रह का स्वक्षेत्र उच्च क्षेत्र या पक्का घर हो तो जो ग्रह उस भाव में स्थित है उस पर अपनी धोखे की दृष्टि डालकर ग्रह को तो नुक्सान पहुँचा रहा होगा परन्तु भाव की हानि नहीं करेगा. लेकिन यदि दृष्टिगत भाव दृष्टि डालने वाले ग्रह का शत्रु या नीच राशी वाला भाव हो तो वह परम हानि करेगा. हाँ एक बात और विशेष रुप से ध्यान देने योग्य है कि अशुभ ग्रह या भाव किसी अन्य ग्रह से शुभ सम्बन्ध बना रहा हो तो उसके फल में परिवर्तन हो जायेगा.

शुक्र ग्रह के ऋण-पितृ होने पर परिवार के प्रत्येक सदस्य से समान मात्रा में धन एकत्र करें फिर उस धन से 100 गायो का उत्तम भोजन (चारा इत्यादि) करायें.