Thursday, March 17, 2011

लाल किताब में शनि का प्रत्येक भाव के लिए उपाय

शनि देव के प्रकोप से हम सभी भयभीत रहते हैं। शनि की साढ़े साती हो या ढईया इनका नाम सुनते ही घबराहट सी महसूस होने लगती है। लाल किताब में शनि के प्रकोप से बचने के लिए आसान उपाय दिये गये हैं। इस लेख में इन्हीं उपायों के बारे में जिक्र किया जा रहा है।

आमतौर पर वैदिक ज्योतिष में जब ग्रह कमजोर या अशुभ स्थिति  मे होते है तब उनका उपाय किया जाता है।परन्तु लाल किताब के अनुसार ग्रह चाहे शुभ स्थिति में हो या अशुभ उसका उपाय करने से जहाँ उसके फल में स्थायित्व रहता हें, वही दूसरी तरफ अशुभ ग्रह का उपाय करने से उसके विपरीत प्रभाव में कमी आती है।

कुण्डली में शनि जिस भाव में है उस भाव के अनुसार हमें किस प्रकार का उपाय करना चाहिए, यहां लाल किताब के सिद्धान्तों के अनुसार हम इसे जानने की कोशिश करेंगे।

आपकी कुण्डली में शनि प्रथम भाव में स्थित हों तो आपको इस प्रकार के उपाय करने चाहिए।

1) जमीन पर तेल गिराएं.

2) 48 वर्ष की आयु तक मकान न बनाएं.

3) रूके हुये पानी में काला सुरमा दबाएं.

4) बन्दर पालें.

5) मांगने वाले को लोहे की अगींठी, तवा, चिमटा इत्यादि दान में दें.

6) वट बृक्ष की पेड़ की जड़ में दूध डालकर उसकी गीली मिट्टी का तिलक माथे पर लगाएं.




द्वितीय भाव में स्थित शनि के उपाय 

1) भूरे रंग की भेंस पालें.

2) साँप को दूध पिलाएं.

3) मन्दिर में उड़द काली मिर्च, काले चने व चन्दन की लकडी दान में दें.

4) प्रतिदिन मन्दिर में दर्शन करें.


तृतीय भाव में स्थित शनि के उपाय 

1) अलग-अलग रंग के (सफेद, लाल, काला, ) तीन कुत्ते पालें.

2) मकान की दहलीज में लोहे की कील लगाएं.


चतुर्थ भाव में स्थित शनी के उपाय 

1) साँप को दूध पिलाएं.

2) मछ्ली को चावल, दाना आदी डालें

3) डा़क्टरी का कार्य करें और इलाज के तौर खुश्क दवा दें.

4) रात को दूध न पिये.

5) श्रमिक वर्ग से अच्छे सम्बन्ध बनाकर रखें.

6) भैस पालें.

7) दवाईयों व्यापार करें.


पंचम भाव में स्थित शनी के उपाय 

1) 48 वर्ष आयु से पहले मकान न वनाएं.

2) मन्दिर में बादाम चढाए़ व उनमें से आधे वाप़स लाकर घरमें रखें.

3) पुत्र के जन्म दिन पर मिठाई न बाटें.

4) कुत्ता पालें.

5) काले सुरमें को बहते जल में प्रवाहित करें.

छटे भाव में स्थित शनि के उपाय 

1) भूरे व काले रंग का कुत्ता पालें.

2) सरसो का तेल मिट्टी या शीशी के बर्तन में बन्द करके तालाब के पानी के अन्दर दबाएं.

3) साँप को दूध पिलाएं.

4) रात के समय किया गया काम लाभदायक होगा.

सप्तम भाव में स्थित शनि के उपाय

1) 22 वर्ष की आयु से पहले विवाह न करें.

2) देशी खाण्ड मिटटी के बर्तन में भरकर श्मशान में दवाएं.

3) पत्नी के बालों में सोना लगाएं.

4) किसी भी रिश्तेदार से साझें में कार्य न करें.

5) पत्नी की सलाह से काम करें.

अष्टम भाव में स्थित शनि के उपाय

1) शराब, अण्डे, मांस से परहेज करें.

2) मकान न खरीदें.

3) भारी मशीनरी का व्यबसाय न करें.

4) लोहे की अंगीठी, तवा, चिमटा आदि दान करें.

5) भुमि पर नगें पाँव ना चलें.

6) आठ किलो साबुत उड़त चलते पानी में प्रवाहित करें.


नवम भाव में स्थित शनि के उपाय 
1) शराब, अण्डा, मांस का सेवन ना करें.

2) चलते पानी में चावल प्रवाहित करें.

3) पिता, दादा के साथ रहें.

4) बूढे ब्राह्मण को बृहस्पति की वस्तुएँ दान करें .

5) छत पर इंधन (चूल्हा) न जलाएँ.

6) सोना, चांदी व कपडे़ का व्यबसाय लाभ देगा.


द्शम भाव में स्थित शनि के उपाय 
1) रात को दूध ना पिये.

2) सिर ढक कर रखें .

3) दस अन्धों को भोजन करायें.

4) शराब, अण्डा, मांस का सेवन ना करें.5) मन्दिर में दर्शन हेतु जाते रहें.


एकादश भाव में स्थित शनि के उपाय 
1) शराब, अण्डा, मांस का सेवन ना करें.

2) 48 वर्ष आयु के पश्चात मकान बनाऎं.

3) जमीन पर तेल गिराऎं.

4) मकान में दक्षिण दिशा की ओर दरवाजा ना रखें.

5) शुभ काम करने से पहले मिट्टी का घडा़ पानी से भरकर रखें.


द्वादश भाव में स्थित शनि के उपाय
1) झूठ बोलने से बचे.

2) मकान की पिछली दीवार में रोशनदान ना बनाएं.

3) शराब, अण्डा, मांस से परहेज करें.

4) धर्म, कर्म करते रहें.


लाल किताब के अनुसार शनि के उपरोक्त उपाय  करने से तुरन्त लाभ मिलता हैं.

ध्यान रखें:

1) एक समय में केवल एक ही उपाय करें.

2) उपाय कम से कम 40 दिन या 43 दिनो तक करें.

3) उपाय में नागा ना करें यदि किसी कारणवश नागा हो तो उपाय फिर से प्रारम्भ करें.

4) उपाय सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक करें.

5) उपाय खून का रिश्तेदार ( भाई, पिता, पुत्र इत्यादि) भी कर सकता है.

लाल किताब एवं संतान योग

कुण्डली का पांचवा घर संतान भाव के रूप में विशेष रूप से जाना जाता है (The fifth house of the Lal Kitab stands for progeny). ज्योतिषशास्त्री इसी भाव से संतान कैसी होगी, एवं माता पिता से उनका किस प्रकार का सम्बन्ध होगा इसका आंकलन करते हैं.
 इस भाव में स्थित ग्रहों को देखकर व्यक्ति स्वयं भी काफी कुछ जान सकता है जैसे

पांचवें घर में सूर्य (Sun in Fifth House)
लाल किताब के नियमानुसार पांचवें घर में सूर्य का नेक प्रभाव होने से संतान जब गर्भ में आती है तभी से व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होना शुरू हो जाता है. इनकी संतान जन्म से ही भाग्यवान होती है. यह अपने बच्चों पर जितना खर्च करते हैं उन्हें उतना ही शुभ परिणाम प्राप्त होता है. इस भाव में सूर्य अगर मदा (Weak sun in Lal kitab gives unhappiness from children) होता है तो माता पिता को बच्चों से सुख नहीं मिल पाता है. वैचारिक मतभेद के कारण बच्चे माता पिता के साथ नहीं रह पाते हैं.

पांचवें घर में चन्द्रमा (Moon in fifth house)
चन्द्रमा पंचवें घर में संतान का पूर्ण सुख देता है. संतान की शिक्षा अच्छी होती है. व्यक्ति अपने बच्चों के भविष्य के प्रति जागरूक होता है. व्यक्ति जितना उदार और जनसेवी होता है बच्चों का भविष्य उतना ही उत्तम होता है. इस भाव का चन्द्रमा अगर मंदा हो तो संतान के विषय मे मंदा फल देता है (Weak Moon in fifth house causes problems from children). लाल किताब का उपाय है कि बरसात का जल बोतल में भरकर घर में रखने से चन्द्र संतान के विषय में अशुभ फल नहीं देता है.

पांचवें घर में मंगल (Mars in the fifth house of Lal kitab kundali)
लाल किताब के अनुसार मंगल अगर खाना संख्या पांच में है तो संतान मंगल के समान पराक्रमी और साहसी होगी (Mars in fifth house gives a child as brave as Mars) संतान के जन्म के साथ व्यक्ति का पराक्रम और प्रभाव बढ़ता है. शत्रु का भय इन्हें नहीं सताता है. इस खाने में मंगल अगर मंदा है तो व्यक्ति को अपनी चारपायी या पलंग के सभी पायों में तांबे की कील ठोकनी चाहिए. इस उपाय से संतान सम्बन्धी मंगल का दोष दूर होता है.

पांचवें घर में बुध (Mercury in fifth house)
बुध का पांचवें घर में होना इस बात का संकेत है कि संतान बुद्धिमान और गुणी होगी (Mercury in the fifth house of lal kitab kundali gives an intelligent child). संतान की शिक्षा अच्छी होगी. अगर व्यक्ति चांदी धारण करता है तो यह संतान के लिए लाभप्रद होता है. संतान के हित में पंचम भाव में बुध वाले व्यक्ति को अकारण विवादों में नहीं उलझना चाहिए अन्यथा संतान से मतभेद होता है.

पांचवें घर में गुरू (Jupiter in the fifth house)
पंचम भाव में गुरू शुभ होने से संतान के सम्बन्ध में शुभ परिणाम प्राप्त होता है. संतान के जन्म के पश्चात व्यक्ति का भाग्य बली होता है और दिनानुदिन कामयाबी मिलती (A person gains success after birth of child if Jupiter is in fifth house) है. संतान बुद्धिमान और नेक होती है. अगर गुरू मंदा हो तो संतान के विषय में शुभ फल प्राप्त नहीं होता है. मंदे गुरू वाले व्यक्ति को गुरू का उपाय करना चाहिए.

पांचवें घर में शुक्र (Venus is in fifth house of Lal kitab kundali)
पांचवें घर में शुक्र का प्रभाव शुभ होने से संतान के विषय में शुभ फल प्राप्त होता है. इनके घर संतान का जन्म होते ही धन का आगमन तेजी से होता है (Person gains money when a child is born and Venus is in the fifth house). व्यक्ति अगर सद्चरित्र होता है तो उसकी संतान पसिद्ध होती है. अगर व्यक्ति अपने व्यक्तित्व और चरित्र का ध्यान नहीं रखता है तो संतान के जन्म के पश्चात कई प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना होता है. शुक्र अगर इस भाव में मंदा हो तो दूध से स्नान करना चाहिए।

पांचवें घर में शनि (Saturn in the fifth house)
शनि पांचवें घर में होने से संतान सुख प्राप्त होता है. शनि के प्रभाव से संतान जीवन में अपनी मेहनत और लगन से उन्नति करती है (Saturn in fifth house of lal kitab gives success with own efforts). इनकी संतान स्वयं काफी धन सम्पत्ति अर्जित करती है. अगर शनि इस खाने में मंदा होता है तो कन्या संतान की ओर से व्यक्ति को परेशानी होती है. इस भाव में शनि की शुभता के लिए व्यक्ति को मंदिर में बादाम चढ़ाने चाहिए और उसमें से 5-7 बादाम वापस घर में लाकर रखने चाहिए.

पांचवें घर में राहु (Rahu in the fifth house)
खाना नम्बर पांच में राहु होने से संतान सुख विलम्ब से प्राप्त होता है. अगर रहु शुभ स्थिति में हो तो पुत्र सुख की संभावना प्रबल रहती है. मंदा राहु पुत्र संतान को कष्ट देता है. लाल किताब के अनुसार मंदा राहु होने पर व्यक्ति को संतान के जन्म के समय उत्सव नहीं मनाना चाहिए. अगर संतान सुख में बाधा आ रही हो तो व्यक्ति को अपनी पत्नी से दुबारा शादी करनी चाहिए.

पांचवें घर में केतु (Ketu in the fifth house)
केतु भी राहु के समान अशुभ ग्रह है लेकिन पंचम भाव में इसकी उपस्थिति शुभ हो तो संतान के जन्म के साथ ही व्यक्ति को आकस्मिक लाभ मिलना शुरू हो जाता है. यदि केतु इस खाने में मंदा हो तो व्यक्ति को मसूर की दाल का दान करना चाहिए. इस उपाय से संतान के विषय में केतु का मंदा प्रभाव कम होता है.

सू्र्य को बनाएं बली

अगर मंदा हो तो जीवन में रोजी रोजगार के क्षेत्र में कठिनाईयों का सामना करना होता है. राजकीय पक्ष से सहायता नहीं मिल पाती है. इस स्थिति में जिनकी कुण्डली में सूर्य मंदा हो उसे लाल किताब के अनुसार सूर्य को जगाना चाहिए।
प्रथम भाव में सूर्य ( Placement of Sun in the First House)
लाल किताब के अनुसार ग्रह को जगाने का अर्थ है उसे शुभ फलदायी बनाना.  अगर सूर्य मंदा हो तो उसे शुभ फलदायी बनाने के लिए 24 वर्ष के बाद शादी करनी चाहिए. व्यक्ति को अपने मान मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए किसी के आगे व्यर्थ नहीं झुकना चाहिए. इस खाने में स्थित सूर्य के मन्दे फल से बचाव के लिए व्यवहार एवं चरित्र का भी ख्याल रखना चाहिए.
द्वितीय भाव में सूर्य (Placement of Sun in the Second House)
सूर्य द्वितीय भाव में मंदा हो तो मंदे प्रभाव से बचाव हेतु कुटुम्बीजनों से आशीर्वाद लेना चाहिए. व्यक्ति को दूसरे का धन नहीं लेना चाहिए. अगर उपहार में भी धन प्राप्त हो तो उससे भी परहेज रखना चाहिए. इस भाव में सूर्य वाले व्यक्ति के लिए लालच हानिकारक होता है.
तृतीय भाव में सूर्य (Placement of Sun in the Third House)
लाल किताब की कुण्डली मे सूर्य तीसरे घर में अशुभ होकर बैठा हो तो चारित्रिक दुर्बलताओं से स्वयं को बचाकर रखना चाहिए. रविवार के दिन तांबे का पात्र मन्दिर में दान करने से सूर्य का मन्दा फल दूर होता है. रविवार के दिन चांदी का चौकोर टुकड़ा धारण करने से भी सूर्य नेक होता है.

चतुर्थ भाव में सूर्य (Placement of Sun in the Fourth House)
सूर्य अगर चौथे खाने में अशुभ होकर बैठा हो तो व्यक्ति को अपना मन शांत रखना चाहिए. कलह और विवाद में उलझना हानिप्रद होता है. बुजुर्गों का अशीर्वाद लेना चाहिए. किसी भी व्यक्ति को कष्ट अथवा नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए अन्यथा सूर्य का फल और भी मंदा हो जाता है.  लोहे और मशीनरी के काम में लाभ की संभावना नहीं रहती, बल्कि व्यक्ति को नुकसान होता है अत: इन वस्तुओं के कारोबार से बचना चाहिए.

पांचवे भाव में सूर्य (Placement of Sun in the Fifth House)
पांचवें भाव में मंदे सूर्य को नेक बनाने के लिए घर में पूर्व और उत्तर दिशा में रोशनदान रखना चाहिए. सूर्य का शुभ फल प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को दसरों की सहायता के लिए आगे आना चाहिए. जिद्द और हठी होना इस भाव में मंदे सूर्य को और भी मंदा करता है अत: इनसे बचना चाहिए.
छठे भाव में सूर्य ( Placement of Sun in the Sixth House)
छठे भाव में सूर्य मंदा होने पर सूर्य के मंदे प्रभाव को दूर करने के लिए रात्रि के समय दूध डालकर अग्नि को बुझाना चाहिए.बन्दर को गुड़ खिलाने से भी छठे भाव में सूर्य का मंदा फल प्रभावी नहीं होता है. घर में नदी का जल रखने से सूर्य का शुभ फल प्राप्त होता है. चीटियों को चीनी डालने से सूर्य का मंदा प्रभाव नहीं प्राप्त होता है.
सातवें भाव में सूर्य (Placement of Sun in the Seventh House)
सूर्य सातवें घर में मंदा होकर बैठा हो तो चांदी का चौकोर टुकड़ा ज़मीन में दबाने से मंदा फल दूर होता है.इस भाव में मंदे सूर्य को नेक बनाने के लिए आदित्य हृदयस्तोत्र एवं हरिवंश पुरण का पाठा करना चाहिए. सींग वाली गाय की सेवा करनी चाहिए. बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए.
आठवें भाव में सूर्य ( Placement of Sun in the Eighth House)
अगर सूर्य आठवें घर में मदा होकर अशुभ फल दे रहा हो तो इसे नेक बनाने के लिए बरसात का पानी जमा करके घर के पूर्व दिशा में रखना चाहिए. किसी कार्य को शुरू करने से पहले मीठी वस्तुओं का सेवन करना चाहिए. किसी भी काम में असामाजिक और अनैतिक आचरण वाले लोगों की सहायता नहीं लेनी चाहिए.
नवम भाव में सूर्य ( Placement of Sun in the Ninth House)
सूर्य अगर नवम खाने में मंदा हो तो मनोकामना पूर्ति के लिए भूमि पर सोना चाहिए. सूर्य के मंदे प्रभाव से बचाव हेतु घर में टूटे फूटे बर्तनो को नहीं रखना चाहिए. (घर के बड़े और आदरणीय व्यक्तियों से आशीर्वाद लेना चाहिए. अपने स्वभाव को सामान्य रखना चाहिए न तो अधिक क्रोध करना चाहिए और न ही अधिक शांत होना चाहिए.
दशम भाव में सूर्य ( Placement of Sun in the Tenth House)
दसवें घर में बैठा सूर्य अगर मंदा फल दे रहा हो तो सूर्य का शुभ फल प्राप्त करने के लिए 43 दिनो तक तांबे का सिक्का नदी मे प्रवाहित करना चाहिए. आदित्य हृदय स्तोत्र और हरिवंश पुराण का पाठ शुभ फलदायी होता है. सूर्य को नियमित जल देने से भी इस भाव मे स्थित सूर्य का मंदा फल दूर होता है.
एकादश भाव में सूर्य ( Placement of Sun in the Eleventh House)
सूर्य एकादश भाव में अशुभ हो तो लाल किताब के अनुसार इसे नेक बनाने के लिए व्यक्ति को मांस मदिरा के सेवन से परहेज रखना चाहिए. कल पूर्जे वाले सामान, मशीन आदि खराब हो गए हों तो उसे ठीक करा लेना चाहिए अन्यथा घर में नहीं रखना चाहिए इससे भी सूर्य मंदा फल देता है. सूर्य मंदा होने पर घर में काला पत्थर रखना भी अशुभ फल देता है.
द्वादश भाव में सूर्य ( Placement of Sun in the Twelfth House)
खाना नम्बर 12 में सूर्य मंदा हो तो नेक प्रभाव पाने के लिए नदी में कच्चा जल प्रवाहित करना चाहिए. मंदे सूर्य से नेक फल पाना हो तो 43 दिनों तक नदी में गुड़ प्रवाहित करना चाहिए. 24 वर्ष के बाद विवाह करना से एवं तीन माला गायत्री मंत्र का जप करना भी मंदे सूर्य के मंदे फल को दूर करने में सहायक होता है.