आपको यकिन नहीं होगा कि र्सिफ एक पवित्र निशान घर के बाहर लगा कर आप इस दीपावली पर मालामाल बन सकते हैं। जानिए क्यों और कैसे
दीपावली रौशनी और खुशहाली का पर्व है। इस दिन श्री गणेश जी एवं लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गणेश एवं लक्ष्मी जी उस घर मे रहने के लिये आते हैं जिस घर मे उनका पूजा सत्कार किया जाता है। गणेश पूजा के बिना कोई भी पूजन अधूरा होता है इसलिए लक्ष्मी के साथ गणेश पूजन भी किया जाता है। घर को साफ-सुथरा कर रंगोली और स्वस्तिक बनाने की भी परंपरा है। दरअसल स्वस्तिक को गणेशजी का प्रतीक माना जाता है।
सभी मांगलिक चिन्हों में से स्वस्तिक सबसे कल्याणकारी चिन्ह है। इस चिन्ह को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। शुभ कार्यो में आम की पत्तियों को घर के दरवाजे पर बांधा जाता है। क्योंकि आम की पत्ती, इसकी लकड़ी और फल को ज्योतिष की दृष्टी से भी बहुत शुभ माना जाता है। मंगल प्रसंगों के अवसर पर पूजा स्थान तथा दरवाजे की चौखट और प्रमुख दरवाजे के आसपास स्वस्तिक चिन्ह बनाने की परंपरा है। वे स्वस्तिक कतई परिणाम नहीं देते, जिनका संबंध प्लास्टिक, लोहा या स्टील से हो।
सोना, चांदी, तांबा, पंचधातु या आम की लकड़ी से बने स्वस्तिक प्राण प्रतिष्ठित करवाकर चौखट पर लगवाने से सुखद परिणाम देते हैं, जबकि रोली-हल्दी-सिंदूर से बनाए गए स्वस्तिक संतुष्टि ही देते हैं। अगर आप मालामाल बनना चाहते हैं और पारिवारिक प्रगति चाहते हैं तो ऐसे स्वस्तिक यंत्र गुरु-पुष्य तथा दीपावली के अवसर पर लक्ष्मी श्रीयंत्र के साथ लगाना लाभदायक है।
दीपावली रौशनी और खुशहाली का पर्व है। इस दिन श्री गणेश जी एवं लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गणेश एवं लक्ष्मी जी उस घर मे रहने के लिये आते हैं जिस घर मे उनका पूजा सत्कार किया जाता है। गणेश पूजा के बिना कोई भी पूजन अधूरा होता है इसलिए लक्ष्मी के साथ गणेश पूजन भी किया जाता है। घर को साफ-सुथरा कर रंगोली और स्वस्तिक बनाने की भी परंपरा है। दरअसल स्वस्तिक को गणेशजी का प्रतीक माना जाता है।
सभी मांगलिक चिन्हों में से स्वस्तिक सबसे कल्याणकारी चिन्ह है। इस चिन्ह को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। शुभ कार्यो में आम की पत्तियों को घर के दरवाजे पर बांधा जाता है। क्योंकि आम की पत्ती, इसकी लकड़ी और फल को ज्योतिष की दृष्टी से भी बहुत शुभ माना जाता है। मंगल प्रसंगों के अवसर पर पूजा स्थान तथा दरवाजे की चौखट और प्रमुख दरवाजे के आसपास स्वस्तिक चिन्ह बनाने की परंपरा है। वे स्वस्तिक कतई परिणाम नहीं देते, जिनका संबंध प्लास्टिक, लोहा या स्टील से हो।
सोना, चांदी, तांबा, पंचधातु या आम की लकड़ी से बने स्वस्तिक प्राण प्रतिष्ठित करवाकर चौखट पर लगवाने से सुखद परिणाम देते हैं, जबकि रोली-हल्दी-सिंदूर से बनाए गए स्वस्तिक संतुष्टि ही देते हैं। अगर आप मालामाल बनना चाहते हैं और पारिवारिक प्रगति चाहते हैं तो ऐसे स्वस्तिक यंत्र गुरु-पुष्य तथा दीपावली के अवसर पर लक्ष्मी श्रीयंत्र के साथ लगाना लाभदायक है।