Saturday, May 7, 2011

ग्रहों का उपाय और इलाज

ग्रहों का उपाय और इलाज 
पहले घर मे़ बृ्हस्पति शुभ फल देने वाला माना गया है परन्तु सातवां घर खाली होने के कारण बृ्हस्पति शुभ होते हुए भी निष्फल होगा अब ऎसे में शादी होने पर सातवें घर में शुक्र कायम होगा और उसके बाद यह ग्रह अपना शुभ फल देने लगेगा.
बृ्हस्पति के सामने घर में शुक्र को स्थापित करके बृ्हस्पति शुक्र दो ग्रहों को मिलाकर बृ्हस्पति का उत्तम फल लेने के लिए कर्म करने की विधि बतलाई गई तो, बृ्ह्स्पति के दसवें घर मे़ होने पर जातक को शनि की तरह चौकन्ना रहने और काम करने की सलाह दी गई है. आठवें और बारहवें घर के मन्दे ग्रहों को अलग अलग रखने के लिए मन्दिर में न जाने की सलाह दी गई हो या सुझाव दिया गया हो तो इसी को उपाय कहा जाएगा और जो दो ग्रह मिलकर मन्दा प्रभाव देते हो उनका कर्म द्वारा अलग करने या अलग अलग रखने का नाम भी उपाय है
दो ग्रहों की आपसी मिलाप से शुभ या अशुभ फल सामने आते है. इसलिए दो ग्रहों को मिलन से रोककर या दो या दो ग्रहों को आपस में मिलाकर ग्रहों के मन्दे प्रभाव से बचने का उपाय अनुष्ठान या ईलाज कुछ भी कहा जा सकता है.
ग्रहों को अनुकूल बनाने के उपाय
ज्योतिष शास्त्र के सिद्दान्त के अनुसार ग्रह अपने फल देते है. उनके लए कोई उपाय शास्त्र में नहीं बताए गये है किन्तु यदि ग्रह -राशि की संदेहास्पद स्थिति हो तो उनके उपाय करने के विधान शास्त्र सम्मत माने जाते है. यहां ग्रहों को अनुकूल बनाकर उनसे सहयोग लेने के उपाय बताए जा रहे है- - राहु केतु  एवं शनि पापी ग्रह है जो प्राय: विश्वासघात करते है. इनके विश्वासघत का कारण इनके ही पाप माने जाते हैं. राहु के अशुभ प्रभाब को केतु के उपाय से दूर किया जा सकता है, जबकी केतु की अनिष्ठता राहु के उपाय से दूर की जा सकती है.- पापी ग्रहो़ से सम्बन्धित वस्तुओं या प्राणिओं को पास रखने पालने एवं उनके आशीर्वाद से या उनसे क्षमा मांगने से अनुकूलता प्राप्त होती है.- आर्थिक नुकासन से बचने एवं शनि की अनिष्टता को दूर करने के लिए रोज कौओं को रोटी खिलाएं.- यदि सन्तान बाधा हो तो कुत्तों को रोटी खिलाने से और सोना दुध में बुझाकर पीने से सन्तान उत्पन्न होगी.-हर ग्रह की अशुभता के पीछे दो ग्रहो का हाथ रहता है. इन दो ग्रहों में से किसी एक ग्रह की अशुभता दूर करने पर शुभ फल प्राप्त होता है. जो ग्रह पापी ग्रह  की अशुभता दूर करने में सक्षम हो, उसका प्रभाव बढाना चाहिए. शनि अशुभ हो तो उसकी अशुभता की पीछे शुक्र और बृ्हस्पति का हाथ रहता है. इनमें से बृ्हस्पति को अलग करने के लिए बुध के प्रभाब को बढाना होगा. शुक्र-बुध के एक होने से शनि शुभ फल प्रदान करेगा.- अशुभ मंगल  का प्रभाव मृ्ग चर्म के उपयोग से कम होता है. बडे़ तवे पर गुड की रोटी बनाकर लोगों को खिलाने से अशुभ मंगल का प्रभाव कम होता है.- बुध, शुक्र एवं शनि के अशुभ प्रभावों को दूर करने का आसान उपाय है- गौ ग्रास. रोज भोजन करते समय परोसी गयी थाली में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्ते को एवं एक हिस्सा कौए को खिलाएं.-राहु का अशुभ प्रभाब दूर करने के लिए घास या किसी अनाज-बाजरा, ज्वार या गेहुं को जमीन पर रखकर उस पर वजनी चीज रखें. जौ को दुध से धोकर बहते पानी मे़ प्रवाहित करे.- यदि तपेदिक जैसी जानलेवा बीमारी के कारण ज्वर च़ढ जाए तो जौ को गाय के मूत्र मे़ भिगोकर नए कपडे़ में बांध कर घर में ऊंची जगह पर टांग दें. रोगी रोज गौ- मूत्र से अपने दांत साफ करे.ग्रहों से सम्बन्धित चीजें घर में अधिक रखने से संबन्धित ग्रह का दुष्प्रभाव दूर हो जाता है. - अगर पुत्री के कारण पिता को कष्ट होता है तो पुत्री के गले मे़ तांबे का चौरस टुकडा़ बांधे.- अगर मंगल 1, 2, 3, 8 घर मे बैठा हो तो मंगल का उपाय न करके बुध का उपाय करना चाहिए. 
आजमाए हुए उपाय
यदि उपरोक्त उपाय कारगर न हो तो निम्न उपाय करने से तुरंत अनुकूल फल प्राप्त होता है, ये उपाय आजमाए हुए है. कोई भी उपाय कम से कम 40 दिन और अधिक-से-अधिक 43 दिन तक करें अगर ये उपाय रोज न हो सके तो प्रत्यक आठवें दिन अवश्य करना चाहिए. उपाय पूर्ण होने से पहले यदि कोई व्यवधान या विघ्न आ जाए तो नए सिरे से पुन: करे. अगर अपरिहार्य कारणो से उपायों का क्रम टूट जाए तो चावल दुध में और केसर पान में रखे. इससे पू्र्व समय में किए गए उपाय व्यर्थ नहीं जाते. उपाय किसी भी दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही करने चाहिए. ग्रहों के अनुसार ये उपाय निम्न है -सूर्य  - बहते पानी में गुड़ प्रवाहित करे.चन्द्र - दूध या पानी से भरा बर्तन रात को सिरहाने रखें. सुबह उस दुध या पानी से बबुल के पेड़ की जड़ सींचे.मंगल - मंगल शुभ हो तो मिठाई या मीठा भोजन दान करे. बतासे बहते पानी में प्रवाहित करे. मंगल अशुभ हो तो बहते पानी में तिल और गुड़ से बनी रेवाडि़यां प्रवाहित करे. बुध  - तांबे के पत्तर मे़ छेद करके उसे बहते पानी में प्रवाहित करें.बृ्हस्पति  - केसर का सेवन करें. उसे नाभि या जीभ पर लगाएं.शुक्र  - गो - दान करें. ज्वारा या चने का चारा दान करे.शनि  - किसी बर्तन में तेल लेकर उसमे अपना प्रतिबिम्ब देखें और बर्तन तेल के साथ दान करे. बर्तन कांसे का हो तो शीघ्र फलदायी होता है.राहु  - मूली की तरकारी का दान करें. मूली के पत्ते निकाल लें.केतु  - कुत्ते को मीठा रोटी खिलाएं.
विवाह के समय / पूर्व अशुभ ग्रहों के उपाय 
विवाह के समय या विवाह के पूर्व अशुभ ग्रहों का उपाय (Remedies for malefic planets before and after marriage) कर लेना अनिवार्य होता है. खासकर पुरुषों को तो ये उपाय अवश्य ही करने चाहिए, क्योंकि विवाह के बाद पुरुष के ग्रहों का सम्पूर्ण प्रभाव स्त्री पर पड़ता है. अशुभ ग्रह से मुक्ति पाने और संन्तान प्राप्ति के लिए सम्बन्धित ग्रहों से बचाव करना चाहिए. ग्रहों की अनुसार ये उपाय निम्न है:- - सूर्य के लिए गेहूँ और तांबे का बर्तन दान करें.- चन्द्र के लिए चावल, दुध एवं चान्दी के वस्तुएं दान करें.- मंगल के लिए साबुत, मसूर की दाल दान करें- बुध के लिए साबुत मूंग का दान करें.- बृ्हस्पति के लिए चने की दाल एवं सोने की वस्तु दान करें.- शुक्र के लिए दही, घी, कपूर या मोती में से किसी एक बस्तु दान करें. - शनि के लिए काले साबुत उड़द एवं लोहे की वस्तु का दान करें.- राहु के लिए सरसों एबं गोमेद का दान करें.- केतु के लिए तिल का दान करें. 
उपाय करने के बिशेष नियम
1) सभी उपाय दिन के समय करें.2) आमतौर पर एक उपाय 40 या 43 दिन तक करना चाहिए.3) एक दिन में केवल एक ही उपाय करें.4) किसी के लिए उसका खून का रिश्तेदार भी उसका उपाय कर सकता है.

अगर शनि नाराज है आपसे....


अगर शनि नाराज है आपसे....


हर दिन हमसे कई लोग मिलते हैं, कुछ लोगों से अच्छे से बात होती है तो कुछ से वाद-विवाद भी हो जाता है। यह एक सामान्य सी बात है लेकिन यदि कोई काला व्यक्ति (जिस व्यक्ति का रंग काला हो) आपको बार-बार परेशान करता है, उसकी वजह से अक्सर कोई न कोई समस्या झेलनी पड़ती है तो समझ लें कि शनिदेव आपसे नाराज हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नौ ग्रह बताए गए हैं जो कि हमारी कुंडली में अलग-अलग स्थितियों के अनुसार जीवन प्रभावित करते हैं। इन्हीं ग्रहों में से एक है शनि। शनि को न्याय का देवता माना जाता है कि जो कि हमें हमारे कर्मों के अनुसार शुभ-अशुभ फल प्रदान करता है। बुरे कर्मों का बुर फल यानि परेशानियां, असफलता, बीमारी आदि झेलना पड़ता है। वहीं अच्छे कर्मों का अच्छा फल प्राप्त होता

है। यदि किसी व्यक्ति से जाने-अनजाने कोई बुरा कर्म हो गया है, किसी निर्दोष गरीब व्यक्ति को आपकी वजह से कोई परेशानी उठानी पड़ी है या कोई नुकसान हुआ है, उसने कोई अधार्मिक कृत्य कर दिया है या माता-पिता को कष्ट दिए है तो शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या में शनिदेव का प्रकोप झेलना पड़ेगा। यदि किसी को कोई काला व्यक्ति परेशान कर रहा है या उसकी वजह से किसी प्रकार का नुकसान हो रहा है तो इसका मतलब यही है कि शनि देव का प्रकोप झेलना पड़ रहा है। शनि को श्याम वर्ण माना जाता है अर्थात् शनि देव स्वयं काले रंग के हैं और वे काले रंग के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी वजह से वे साढ़ेसाती या ढैय्या में इसी तरह से शुभ-अशुभ फल प्रदान करते हैं।

कैसे दूर करें शनि के कुप्रभाव

- प्रति शनिवार तेल में अपना चेहरा देखकर किसी गरीब को तेल दान करें।

- हर शनिवार को काली वस्तुओं का दान करें। जैसे काले तिल, काले वस्त्र, काला कंबल, काला कपड़ा, काली छतरी का दान करें।

- प्रतिदिन हनुमान चालिसा का पाठ करें।

- हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें।

- शनिदेव को तेल चढ़ाएं।

ग्लैमर, सुख और सुविधाएं चाहिए तो ऐसे मनाएं शुक्र को...

शुक्र का कुंङली में अच्छे स्थान पर होना ग्लैमर, वैभव और सुख देता है। शुक्र अगर अच्छे स्थान पर न हो तो आदमी को इन सभी का सुख नहीं मिलता। आज सभी अपनी जिंदगी में सारे सुख-साधन और सुविधाएं चाहते हैं।

शुक्र ऐसा ग्रह है जिसको सब अपनी पत्रिका में अनुकूल चाहते हैं। शुक्र वैभव, पत्नी, अच्छी संतान, ग्लैमर, सुख का दाता है लेकिन यदि शुक्र जन्म पत्रिका में असामान्य हो तो जातक इन सब से वंचित हो जाता है।

शुक्र यदि शुक्र के साथ युति करता हो तो उसको केवल अपनी ही स्त्री से लाभ होता हैं। अन्य स्त्री चाहे वह स्वच्छंद स्वभाव की क्यों न हो, उस पर नजर डालने से जातक को मानहानि का सामना करना पडता हैं।

केवल सदाचरण ही उसे सम्मान दिलाता हैं। शुक्र शत्रु या नीच राशि में स्थित हो जाए तो जातक को सम्मान की प्राप्ति नहीं होती। उसके किए कार्यो को भी रिस्पांस नहीं मिलता चाहे वह कितना भी अच्छा हो या मेहनत से किया गया हो।

शुक्र की अनुकूलता के लिए क्या करें?

- सबसे सामान्य व्यवहार करें।

- सदाचार का पालन करें।

- शुक्र का दान करें।

- सफेद वस्त्रों का ज्यादा उपयोग करें।

- गाय छोड़कर कोई जानवर घर में न पालें।

वास्तुदोष दूर करें और हो जाएगी शादी

वास्तुदोष दूर करें और हो जाएगी शादी


क्या विवाह योग्य युवाओं का विवाह नहीं हो रहा है? यदि उनका ज्योतिष और व्यवहारिक पक्ष दोनों उत्तम है फिर भी विवाह में अड़चन आ रही है तो कहीं वास्तुदोष तो कारण नहीं है?

यहां वास्तु संबंधी कुछ उपाय बताए जा रहे हैं जिनका प्रयोग करने पर शीघ्र विवाह के योग बन सकते हैं-

- विवाह योग्य युवाओं का कमरा उत्तर दिशा या उत्तर-पूर्व दिशा या उत्तर पश्चिम दिशा में होना चाहिए।

- सोते समय युवाओं को पैर उत्तर की ओर तथा सिर दक्षिण की ओर रखना चाहिए।

- अविवाहितों के कमरे का रंग गुलाबी, पीला या सफेद होना चाहिए।

- युवाओं के कमरे में एक से अधिक दरवाजे होने चाहिए।

- विवाह योग्य लड़के-लड़कियां अधूरे बने कमरे में बिलकुल ना रहें।

- लड़के-लड़कियों के कमरे में काले रंग की कोई वस्तु ना रखें।

- कमरे में बीम लटका हुआ दिखाई नहीं देना चाहिए।

- कमरे की पूर्व-उत्तर दिशा में पानी का फव्वारा रखें।

- कक्ष की उत्तर दिशा में क्रिस्टल बॉल, कांच की प्लेट रखें।

- मांगलिक व्यक्ति को अपने कक्ष के दरवाजे का रंग लाल या गुलाबी रखना चाहिए। क्योंकि लाल रंग मंगलदेव का पसंदीदा रंग है।

- विवाह योग्य व्यक्ति का कमरा दक्षिण या दक्षिण पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए।

- कमरे में कोई भी खाली बर्तन ना रखे।

- अविवाहित व्यक्ति के पलंग के नीचे कोई भी भारी वस्तु या लोहे की वस्तु कतई ना रखें।

वास्तु संबंधी अन्य जिज्ञाओं को शांत करने के लिए यहां दिए गए रिलेटेट आर्टिकल्स, पाठकों की पसंद वाले  आर्टिकल्स या अभी-अभी वाले टेग पर क्लिक करें।

गर्दन भी खोलती है व्यक्तित्व के गहरे राज...


गर्दन भी खोलती है व्यक्तित्व के गहरे राज...

शरीर का हर हिस्सा वास्तव में हमारे व्यक्तित्व का आईना होता है। कोई लाख अपनी पहचान छिपाने की कोशिश करे लेकिन शरीर की बनावट से उसके बारे में वो सब जाना जा सकता है जो हम जानना चाहते हैं।गर्दन शरीर का वह हिस्सा है जिस पर मनुष्य का सिर टिका होता है और मस्तिष्क से निकलकर सभी अंगों में पहुंचने वाली नसें और नाडिय़ां इसी से होकर गुजरती हैं। प्राय: निम्न प्रकार की गर्दन होती हैं-

सीधी गर्दन- सीधी गर्दन वाले जातक स्वाभिमानी, समय के पाबंद, वचनबद्ध एवं सिद्धांतप्रिय होते हैं।

लंबी गर्दन- अगर गर्दन सामान्य से अधिक बड़ी हो तो ऐसे जातक बातूनी, मंदबुद्धि, अस्थिर, निराश और चापलूस होता है। यह अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने की आदत से लाचार भी होता है।

छोटी गर्दन- अगर गर्दन सामान्य आकार से छोटी होती है तो ऐसे जातक कम बोलने वाले, मेहनती, हितसाधक मगर धूर्त, कंजूस, अविश्वसनीय व घमण्डी होते हैं।

मोटी गर्दन- ऐसे जातक भ्रष्ट चरित्र, व्यसनी, शराबी, दु:स्साहसी, क्रोधी, अहंकारी, उन्मादी तथा अधिक आक्रामक होते हैं।

सूखी गर्दन- ऐसी गर्दन में मांस कम होता है तथा नसें स्पष्ट दिखाई देती हैं। ऐसे जातक सुस्त, कम महत्वाकांक्षी, सदैव रोगी रहने वाला, आलसी, क्रोधी, विवेकहीन और हर कार्य में असफल होते हैं।

ऊंट जैसी गर्दन- ऐसी गर्दन पतली व ऊंची होती है। ऐसे जातक आमतौर पर सहनशील, अदूरदर्शी व परिश्रमप्रिय होते हैं। कुछ लोग धूर्त भी होते हैं।

आदर्श गर्दन- ऐसी गर्दन पारदर्शी व सुराहीदार होती है, जो आमतौर पर महिलाओं में पाई जाती है। ऐसी गर्दन कलाप्रिय, कोमल, ऐश्वर्य और भोग की परिचायक होती है। ऐसे जातक सुख व वैभव का जीवन जीते हैं।