Wednesday, July 14, 2010

आजिविका में सफलता के सूत्र

आजिविका के क्षेत्र में सफलता व उन्नति प्राप्त करने के लिये व्यक्ति में अनेक गुण होने चाहिए, सभी गुण एक ही व्यक्ति में पाये जाने संभव नहीं है. किसी के पास योग्यता है तो किसी व्यक्ति के पास अनुभव पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. कोई व्यक्ति अपने आजिविका क्षेत्र में इसलिये सफल है कि उसमें स्नेह पूर्ण व सहयोगपूर्ण व्यवहार है.

कोई अपनी वाकशक्ति के बल पर आय प्राप्त कर रहा है. तो किसी को अपनी कार्यनिष्ठा के कारण सफलता की प्राप्ति हो पाई है. अपनी कार्यशक्ति व दक्षता के सर्वोतम उपयोग करने पर ही इस गलाकाट प्रतियोगिता में आगे बढने का साहस कर सकता है. आईये देखे की ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कौन से ग्रह से व्यक्ति में किस गुण का विकास होता है.

1. कामकाज की जानकारी व समझ (Understanding The Job Responsibilities)

काम छोटा हों या बडा हों, उसे करने का तरीका सबका एक समान हों यह आवश्यक नहीं, प्रत्येक व्यक्ति कार्य को अपनी योग्यता के अनुसार करता है. जब किसी व्यक्ति को अपने कामकाज की अच्छी समझ न हों तो उसे कार्यक्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड सकता है. व्यक्ति के कार्य को उत्कृ्ष्ट बनाने के लिये ग्रहों में गुरु ग्रह को देखा जाता है.

कुण्डली में जब गुरु बली होकर स्थिति हो तथा वह शुभ ग्रहों के प्रभाव में हों तो व्यक्ति को अपने क्षेत्र का उतम ज्ञान होने की संभावनाएं बनती है (Strong Jupiter suggests excellent knowledge). गुरु जन्म कुण्डली में नीच राशि में (Guru in Neecha Rashi), वक्री या अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हों तो व्यक्ति में कामकाज की जानकारी संबन्धी कमी रहने की संभावना रहती है. सभी ग्रहों में गुरु को ज्ञान का कारक ग्रह कहा गया है. गुरु ग्रह व्यक्ति की स्मरणशक्ति को प्रबल करने में भी सहयोग करता है. इसलिये जब व्यक्ति की स्मरणशक्ति अच्छी होंने पर व्यक्ति अपनी योग्यता का सही समय पर उपयोग कर पाता है.

2. कार्यक्षमता व दक्षता (Skills & Performance Through Astrology)

किसी भी व्यक्ति में कार्यक्षमता का स्तर देखने के लिये कुण्डली में शनि की स्थिति देखी जाती है (Saturn's position is considered for judging skills). कुण्डली में शनि दशम भाव से संबन्ध रखते हों तो व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में अत्यधिक कार्यभार का सामना करना पड सकता है. कई बार ऎसा होता है कि व्यक्ति में उतम योग्यता होती है. परन्तु उसका कार्य में मन नहीं लगता है.

इस स्थिति में व्यक्ति अपनी योग्यता का पूर्ण उपयोग नहीं कर पाता है. या फिर व्यक्ति का द्वादश भाव बली (Strong 10th house) हों तो व्यक्ति को आराम करना की चाह अधिक होती है. जिसके कारण वह आराम पसन्द बन जाता है. इस स्थिति में व्यक्ति अपने उतरदायित्वों से भागता है. यह जिम्मेदारियां पारिवारिक, सामाजिक व आजिविका क्षेत्र संबन्धी भी हो सकती है. शनि बली स्थिति में हों तो व्यक्ति के कार्य में दक्षता आती है.

3. कार्यनिष्ठा: (Analysis of Dedication through Jyotish)

जन्म कुण्डली के अनुसार व्यक्ति में कार्यनिष्ठा का भाव देखने के लिये दशम घर से शनि का संबन्ध देखा जाता है (Saturn's relationship to the 10th house). अपने कार्य के प्रति अनुशासन देखने के लिये सूर्य की स्थिति देखी जाती है. शनि व सूर्य की स्थिति के अनुसार व्यक्ति में अनुशासन का भाव पाया जाता है. शनि व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग बनाता है. कुण्डली में शनि जब बली होकर स्थित होंने पर व्यक्ति अपने कार्य को समय पर पूरा करने का प्रयास करता है.

4. स्नेह, सहयोगपूर्ण व्यवहार (Co-operation & Cordial attitude at the workplace)

कई बार व्यक्ति योग्यता भी रखता है उसमें दक्षता भी होती है. परन्तु वह अपने कठोर व्यवहार के कारण व्यवसायिक जगत में अच्छे संबध नहीं बना पाता है. व्यवहार में मधुरता न हों तो कार्य क्षेत्र में व्यक्ति को टिक कर काम करने में दिक्कतें होती है. चन्द्र या शुक्र कुण्डली में शुभ भावों में स्थित (Venus, Moon in auspicious houses) होकर शुभ प्रभाव में हों तो व्यक्ति में कम योग्यता होने पर भी उसे सरलता से सफलता प्राप्त हो जाती है. अपनी स्नेहपूर्ण व्यवहार के कारण वह सबका शीघ्र दिल जीत लेता है. बिगडती बातों को सहयोगपूर्ण व्यवहार से संभाल लेता है. चन्द्र पर किसी भी तरह का अशुभ प्रभाव होने पर व्यक्ति में सहयोग का भाव कम रहने की संभावनाएं बनती है.

5. यान्त्रिक योग्यता (Technical Skills revealed by Jyotish)

आज के समय में सफलता प्राप्त करने के लिये व्यक्ति को कम्प्यूटर जैसे: यन्त्रों का ज्ञान होना भी जरूरी हो. किसी व्यक्ति में यन्त्रों को समझने की कितनी योग्यता है. यह गुण मंगल व शनि का संबन्ध (Aspect between Mars and Saturn) बनने पर आता है. केतु को क्योकि मंगल के समान कहा गया है. इसलिये केतु का संबन्ध मंगल से होने पर भी व्यक्ति में यह योग्यता आने की संभावना रहती है. इस प्रकार जब जन्म कुण्डली में मंगल, शनि व केतु में से दो का भी संबन्ध आजिविका क्षेत्र से होने पर व्यक्ति में यन्त्रों को समझने की योग्यता होती है!

6. वाकशक्ति (Communication Skills & Vedic Astrology)

बुध जन्म कुण्डली में सुस्थिर बैठा हों तो व्यक्ति को व्यापारिक क्षेत्र में सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है. इसके साथ ही बुध का संबन्ध दूसरे भाव / भावेश से भी बन रहा हों तो व्यक्ति की वाकशक्ति उतम होती है. वाकशक्ति प्रबल होने पर व्यक्ति को इस से संबन्धित क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने में सरलता रहती है.

मंगल की शान्ति के उपाय (Remedies for Mars According to Vedic Astrology)

जन्म कुण्डली (Birth Chart in Jyotish) या गोचर में जब ग्रहों का शुभ फल प्राप्त न हो रहा हों या फिर पाप ग्रहों के प्रभाव में होने के कारण जब ग्रह व्यक्ति के लिये अनिष्ट या अरिष्ट का कारण बन रहे हों तो ग्रहों से संबन्धित उपाय (Remedies related to Planets Through Astrology) करने से व्यक्ति के कष्टों में कमी की संभावनाएं बनती है.

जब किसी व्यक्ति का स्वयं का जन्म या फिर उसकी संतान का जन्म अशुभ योगों में अर्थात गण्डमूळ, गण्डान्त, अभुक्तमूल आदि अशुभ नक्षत्रों (Gandmoola, Gandant, Abhuktamoola as inauspicious Nakshatras at the time of birth) में हुआ हों तो व्यक्ति के कुशलता व आयु वृ्द्धि के लिये शान्ति उपाय किये जाते है. व्यक्ति के जीवन की घटनाओं को ग्रह विशेष रुप से प्रभावित करते है.

जैसे:- जब कोई व्यक्ति बहुत मेहनत कर रहा है. परन्तु योग्य होने पर भी उसे पदोन्नति की प्राप्ति नहीं हो रही है तो इस स्थिति में एकादश भाव के स्वामी ग्रह के उपाय करने से या फिर मंगल के उपाय (Remedies for Mars) करने से मनोवांछित फल प्राप्त होने की संभावना बनती है. इस प्रकार कारक ग्रह के उपाय करने पर संबन्धित उद्धेश्य की प्राप्ति होती है.

आईये देखे की कुण्डली या गोचर में जब मंगल से अनिष्ट (remedies for Mars during transit) होने की संभावना हों तो कौन से उपाय किये जा सकते है.

1. मंगल की वस्तुओं से स्नान (Remedy for Mars Through Bathing)

मंगल से संबन्धित वस्तुओं से स्नान करने पर इसके अशुभ प्रभाव को दूर किया जा सकता है. कुण्डली में मांगलिक योग (Manglik Yoga in Astrological Chart) के लिये भी मंगल स्नान किया जा सकता है. इस स्नान के लिये पानी में बेलगीरी (Boil belgiri in a water and mix in the bathing water as a Remedy for Mars) डाल कर उबाल लिया जाता है. उबले हुए पानी व वस्तु को सामान्य जल में मिलाकर स्नान किया जाता है.

मंगल की वस्तुओं से स्नान करने पर वस्तु का प्रभाव व्यक्ति पर प्रत्यक्ष रुप से पडता है. यह उपाय शुभ मुहूर्त समय पर करने पर उतम फल प्राप्त होते है (perform remedy in the auspicious Muhurtha). यह स्नान करते समय मंगल मंत्र का ध्यान करना चाहिए.


2. मंगल की वस्तुओं का दान (Astrological Remedy for Mars Through Donation)

जब व्यक्ति मंगल की वस्तुओं से स्नान न कर पायें तो उसके लिये वस्तुओं का दान करना लाभकारी रहता है. मंगल की वस्तुओं में सभी लाल रंग की वस्तुएं, गुड्, लाल फूल, गेहूं, लाल दाल का दान करने से मंगल की शुभता में वृ्द्धि होती है (donate red color products such as red flowers, red dal and wheat for auspiciousness of Mars) . दान का कार्य जिस व्यक्ति के लिये किया जा रहा है उस व्यक्ति को अगर संभव हों तो अपने हाथों से दान करना चाहिए. इस कार्य को करने से पहले अपने बडों का आशिर्वाद लेना पर उपाय के फलों में वृ्द्धि होती है.

यह दान मंगलवार के दिन करना चाहिए. तथा दान की वस्तुओं को लेते समय इस कार्य पर हो रहे धन व्यय को लेकर परेशान नहीं होना चाहिए. अपनी खुशी व सामर्थय के अनुसार ही दान करना चाहिए. व इस कार्य को अपने सम्मान का विषय नहीं बनाना चाहिए. दूसरों के सामने इसका बार-बार वर्णन करने पर विपरीत फलों की प्राप्ति की संभावनाएं बनती है.


3. हनुमान चालीसा का पाठ (Recitation of Hanumana Chalisa for Jyotish Remedy for Mars)


मंगल ग्रह के उपायों में हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है. यह पाठ करने पर मंगल ग्रह की शान्ति होती है (Recite Hanumana Chalisa for Mars positivity) . तथा इसके अशुभ प्रभाव को दूर किया जा सकता है. मंगलवार के दिन इस पाठ को करने से मंगल के अनिष्ट में कमी होती है. हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले व्यक्ति को इस दिन अपने मन में बुरे विचार नहीं लाने चाहिए. क्रोध, वाद-विवाद से इस दिन दूर ही रहना चाहिए (Do not involve in the disputes on the day of performing Astrological Remedy for Mars). तथा वैवाहिक जीवन में संयम से काम लेना उतम फल देता है.

4. मंगल के मंत्र का जाप करना (Mars Astrological Remedy by Chanting Mantra)

ग्रहों का मंत्र जाप करने से भी ग्रह की शान्ति की जा सकती है. मंगल ग्रह की शान्ति के लिये " ऊँ भौ भौमाय नम:" का जाप किया जा सकता है. राम नाम का पाठ करने पर भी मंगल की अशुभता में कमी होती है. इस मंत्र का जाप प्रतिदिन या फिर प्रत्येक मंगलवार के दिन एक माला अर्थात 108 बार या अधिक किया जा सकता है (Chanting should be done for 108 times or more for the auspiciousness of Mars) . मंत्र का पूर्ण उच्चारण करना चाहिए.
 5. मंगल यन्त्र धारण करना (Remedy by Establishment of Mars Yantra)


मंगल के उपायों कि श्रेणी में अगला उपाय मंगल यन्त्र (Mangal Yantra) निर्माण व इसकी स्थापना का है. मंगल यन्त्र (Mangal Yantra) को तांबे के ताम्र पत्र पर या फिर भोज पत्र पर तथा विशेष परिस्थिति में इसे कागज पर भी बनाया जा सकता है. इनमें से किसी वस्तु पर इस यन्त्र को बनाने के लिये अनार की कलम व लाल चंदन, केसर, कस्तूरी की स्याही से इसका निर्माण किया जाता है (use pomegranate quill, red sandalwood, saffron and musk for making this Yantra).

यन्त्र निर्माण मंगलवार के दिन करना शुभ रहता है. मंगल यन्त्र के नौ खानों में निम्न अंक स्थापित किये जाते है. मंगल यन्त्र निम्न प्रकार का होता है. मंगल यन्त्र की संख्याऔं का योग किसी भी प्रकार किया जाये 21 ही आता है (the total sum of this Yantra is 21 from every side).

विशेष परिस्थितियों में इस यन्त्र को बनवाकर धारण भी किया जा सकता है. अन्यथा इसे व्यवसायिक स्थल में इसे लगाने से शत्रुओं पर विजय प्राप्ति में सहयोग प्राप्त होता है.