Wednesday, November 16, 2011

हर सुबह बोलें यह हनुमान मंत्र.. मन को न सताएगा कोई भय-संशय

सांसारिक जीवन की आपाधापी में हर इंसान जीवन से जुड़े हर काम में अच्छे नतीजे ही चाहता है। लेकिन जीवन ही कैसे अच्छा बना लें? इस बारे में बिरले लोग ही विचार कर पाते हैं। अगर जीवन को ही अच्छे आचरण, अनुशासन और संकल्पों से जोड़ लिया जाए तो फिर किसी भी कार्य की सफलता में भय, संशय पैदा नहीं होता।

हनुमान भक्ति जीवन में अच्छे आचरण को अपनाने के लिये सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। शास्त्रों में हनुमान का स्मरण किसी भी वक्त अच्छे कामों व सोच की प्रेरणा ही देता है। इसलिए शास्त्रों में बताए गए एक मंत्र से हर रोज सुबह श्री हनुमान का स्मरण किया जाए तो लक्ष्य की सफलता को लेकर पैदा होने वाले भय-संशय व बाधाएं खत्म हो जाती हैं। जानते हैं यह मंत्र -

- स्नान के बाद श्री हनुमान प्रतिमा को पवित्र जल से स्नान कराने अष्टगंध, लाल चंदन, तिल का तेल और सिंदूर, सुपारी, नारियल, लाल फूलों की माला व गुड़ अर्पित करे।

- यथासंभव लाल वस्त्र पहन उत्तर दिशा की ओर मुख कर लाल आसन पर बैठ सामने श्री हनुमान की तस्वीर रख नीचे लिखे मंत्र हनुमान स्वरूप का ध्यान कर सुखी, समृद्ध व संकटमुक्त जीवन की कामना से करें -

उद्यन्मार्तण्ड कोटि प्रकटरूचियुक्तंचारूवीरासनस्थं।

मौंजीयज्ञोपवीतारूण रूचिर शिखा शोभितं कुंडलांकम्।

भक्तानामिष्टदं तं प्रणतमुनिजनं वेदनाद प्रमोदं।

ध्यायेद्नित्यं विधेयं प्लवगकुलपतिगोष्पदी भूतवारिम्।।

- मंत्र स्मरण के बाद मिठाई का भोग लगा धूप, दीप व कर्पूर आरती करें व क्षमा प्रार्थना करे।

गुरुवार को बृहस्पति पूजा में बोलें यह विष्णु मंत्र..हर मनौती होगी पूरी

गुरु की शरण सभी कमियों और दु:खों से मुक्त कर देती है। मोटे तौर पर अज्ञानता ही शारीरिक, मानसिक या भौतिक जीवन के सारे कष्टों का कारण है। गुरु, ज्ञान द्वारा ही विद्या के अभाव को दूर कर मन व जीवन को समृद्ध बना देते हैं।

शास्त्रों में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का स्वरूप बताया गया है। गुरु बल ही ईश कृपा को संभव बना देता है। गुरुवार गुरु भक्ति से ही उन कमियों और दोषों को दूर करने का दिन जो जीवन में अशांति और कलह का कारण होते हैं। ज्ञान के देवता गुरु बृहस्पति माने गए हैं।

शास्त्रों के मुताबिक बृहस्पति पूजा न केवल वैवाहिक दोष, बल्कि हर तरह से दक्षता, समृद्धि व शांति देने वाली मानी गई है। गुरु की प्रसन्नता के लिए इस दिन खासतौर पर विशेष रूप से केले के वृक्ष की पूजा का महत्व है। केले का वृक्ष विष्णु का रूप भी माना गया है।

यही कारण है कि गुरुवार को अगर विशेष पीली सामग्रियां अर्पित करने के साथ विशेष विष्णु मंत्र का ध्यान कर गुरु बृहस्पति की पूजा की जाए तो यह भरपूर सुख पाने की कामनासिद्धि का अचूक उपाय माना गया है।

- गुरुवार को केले के वृक्ष के नीचे या देवालय में केल के पत्तों के बीच एक चौकी पर पीले वस्त्र बिछाकर बृहस्पति व विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। पीली गाय के दूध से बृहस्पति व विष्णु को स्नान कराएं। पीले फूल, पीला चंदन, गुड़, चने की दाल, पीले वस्त्र  दोनों देवताओं को अर्पित करें। भोग में पीले पकवान या पीले फल अर्पित करें।

- पूजा के बाद गुरु मंत्रो के स्मरण के साथ नीचे लिखें विष्णु मंत्र स्त्रोत का विशेष ध्यान कर विवाह, धन, सुख की कामना करें व अंत में बृहस्पति-विष्णु की आरती घी के दीप से ही करें -

श्रीनिवासाय देवाय नम: श्रीपयते नम:।

श्रीधराय सशाङ्र्गाय श्रीप्रदाय नमो नम:।।

श्रीवल्लभाय शान्ताय श्रीमते च नमो नम:।

श्रीपर्वतनिवासाय नम: श्रेयस्कराय च।

श्रेयसां पतये चैव ह्याश्रयाय नमो नम:।

नम: श्रेय:स्वरूपाय श्रीकराय नमो नम:।।

शरण्याय वरेण्याय नमो भूयो नमो नम:।

स्त्रोत्रं कृत्वा नमस्मृत्य देवदेवं विसर्जयेत्।।

इति रुद्र समाख्याता पूजा विष्णोर्महात्मन:।

य: करोति महाभक्त्या स याति परमं पदम्।।

आज से शुरु करें ये टोटके, तभी बचेंगे शनि की टेढ़ी नजर से

आज से शुरु करें ये टोटके, तभी बचेंगे शनि की टेढ़ी नजर से
15 नवंबर, मंगलवार को शनि का राशि परिवर्तन शुभ फल देने वाला माना जा रहा है लेकिन जिन लोगों पर शनि की साढ़े-साती का प्रारंभ हो रहा है वे अगले साढ़े सात साल तक शनि से प्रभावित होंगे। इस दौरान उन्हें कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए कुछ साधारण टोटके नीचे लिखे गए हैं। इन्हें करने से शनि का कुप्रभाव कम होता है-

टोटके

1- कांसें की कटोरी में तेल भरकर उसमें अपनी परछाई देखकर दान करें।

2- शनिवार को सरसों के तेल में लोहे की कील डालकर दान करें और पीपल की जड़ में तेल चढ़ाएं।

3- पीपल के वृक्ष पर सफेद ध्वजा (झंड़ा) लहराएं।

4- चांदी का चौकोर टुकड़ा हमेशा अपने पास रखें।

5- शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय जो भोजन बने उसे पत्तल में लेकर उस पर काले तिल डालकर पीपल की पूजा करें तथा नैवेद्य लगाएं और यह भोजन काली गाय या काले कुत्ते को खिलाएं।

6- नारियल तथा साबूत बादाम नदी में बहाएं।

7- पुराने लोहे का छल्ला अथवा कड़ा बनवाकर धारण करें।

8- तेल का पराठा बनाकर उस पर कोई मीठा पदार्थ रखकर गाय के बछड़े को खिलाएं।