Sunday, May 20, 2012

ग्रहों के अनुसार करें ये उपाय, जल्दी होगा प्रमोशन

कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हमेशा अपने काम के प्रति समर्पित रहते हैं। वे दिन-रात अपने काम में निखार लाने का प्रयत्न करते रहते हैं और उसमें सफल भी होते हैं लेकिन इसके बाद भी उन्हें प्रमोशन नहीं मिल पाता। जबकि कुछ लोग बिना कुछ किए ही प्रमोशन पा लेते हैं। कुछ ग्रहों के अशुभ प्रभाव के कारण ऐसा हो सकता है। यदि आप प्रमोशन चाहते हैं तो नीचे लिखे उपाय कर उन ग्रहों को शांत करें, आपका भी प्रमोशन जल्दी होगा।

उपाय

- यदि शनि आपके प्रमोशन में बाधा उत्पन्न कर रहा है, तो एक बर्तन में तिल्ली का तेल लेकर उसमें अपनी परछाई देखकर भिखारी को दान कर दें।

- यदि सूर्य के कारण बाधा हो तो प्रतिदिन पहली रोटी गाय को दें यदि गाय काली या पीली हो तो और भी शुभ रहता है।

- चन्द्र के कारण बाधा हो तो पिता को स्वयं जाकर दूध पिलाएं और उनकी सेवा करें।

- मंगल के अशुभ प्रभाव के कारण बाधा हो तो घर में बुजुर्ग, महिलाओं का सम्मान करें और चांदी की अंगूठी या कड़ा पहनें।

- बुध ग्रह के कारण आपके प्रमोशन में बाधा उत्पन्न हो रही हो तो किसी चांदी के आभूषण का दान करें।

- गुरु के प्रभाव के कारण तरक्की में बाधा उत्पन्न हो रही हो तो प्रतिदिन पीली गाय को गुड़-चने खिलाएं।

- यदि शुक्रग्रह के कारण आपको बाधा हो तो रोज घर की बुजुर्ग स्त्रियों के चरण स्पर्श करें।

- राहु के प्रभाव के कारण व्यवसाय या नौकरी में बाधा आ रही हो तो लाल गुंजा व सौंफ  को लाल वस्त्र में बांधकर अपने कमरे में रखें।

- केतु का अशुभ प्रभाव हो तो रोज कुत्ते को तेल से चुपड़ी रोटी खिलाएं।

पहनें इस रंग के कपड़े, हो जाएगी चट मंगनी-पट ब्याह



यदि काफी उम्र होने के बाद भी आपकी बिटिया की शादी नहीं हो पा रही है और अब रिश्ते आना भी बंद हो गए हैं तो भी आपको चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है क्योंकि नीचे हम आपको बता रहे हैं इस समस्या का निदान कैसे संभव है।

उपाय

ज्योतिष के अनुसार हर रंग का व्यक्ति पर विशेष प्रभाव पड़ता है। हर रंग एक विशेष देवता को प्रिय होता है। पीला रंग देवगुरु बृहस्पति को अधिक प्रिय माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार जब तक देवगुरु बृहस्पति अनुकूल न हो,विवाह नहीं हो पाता है। जिस कन्या के विवाह में विलंब हो रहा हो उसे गुरुवार को पीले तथा शुक्रवार को सफेद वस्त्र पहनना चाहिए। ऐसा करने से उस कन्या के लिए विवाह प्रस्ताव आने लगते हैं और जल्दी ही उसका विवाह भी हो जाता है। यह उपाय करते समय मन में देवगुरु बृहस्पति के लिए श्रृद्धा भाव होना आवश्यक है।

करें इस मंत्र का जप, नहीं सताएगा दुश्मनों का डर

क्या आपके कई दुश्मन हैं जो हमेशा आपका अहित करने की सोचते रहते हैं। आपको हर समय यही डर सताता रहता है कि कहीं आपका कोई दुश्मन आपको नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा। यदि ऐसा है तो नीचे लिखे मंत्र का विधिवत जप करने से आपको कभी भी दुश्मनों का भय नहीं सताएगा। यदि आपका कोई शत्रु आपका अहित करने का प्रयास करेगा भी तो वह सफल नहीं हो पाएगा।

मंत्र

मर्कटेश महोत्साह सर्वशोकविनाशन।

शत्रून संहर मां रक्ष श्रियं दापय मे प्रभो।।


जप विधि-

- सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्म कर, नहाकर, साफ वस्त्र धारण करें।

- भगवान हनुमान का चित्र और हनुमान यंत्र सामने रख कर पूर्व दिशा में मुख करके आसन पर बैठ जाएं।

- शत्रु निवारण के लिए हनुमान यंत्र के सामने यह मंत्र पढ़ते हुए सिंदूर चढ़ाएं साथ ही गुड़ का भोग भी लगाएं।

- मंत्र जप के समय मूंगे की माला या लाल हकीक की माला का प्रयोग करें।

जानिए, पीपल का पेड़ आपको कैसे बना सकता है धनवान

हिंदू धर्म में पीपल के वृक्ष को बहुत ही पवित्र माना गया है। ऐसी मान्यता है कि जिसके घर में पीपल का वृक्ष होता है, उसके घर कभी दरिद्रता नहीं आती और सुख-शांति बनी रहती है। विज्ञान ने भी पीपल के वृक्ष के महत्व को माना है। यहां हम आपको बता रहे हैं पीपल के वृक्ष से जुड़े कुछ तंत्र उपाय, जिससे आपकी कई समस्याओं का निदान हो जाएगा।

उपाय

शनि दोष से बचने के लिए

शनि दोष निवारण के लिए भी पीपल की पूजा करना श्रेष्ठ उपाय है। यदि रोज पीपल पर जल चढ़ाया जाए तो शनि दोष की शांति होती है। शनिवार की शाम पीपल के नीचे दीपक लगाएं और पश्चिममुखी होकर शनिदेव की पूजा करना और भी लाभकारी होता है।

धन प्राप्ति के लिए

पीपल के पेड़ के नीचे शिव प्रतिमा स्थापित करके उस पर प्रतिदिन जल चढ़ाएं और पूजन-अर्चन करें। कम से कम 5 या 11 माला मंत्र का जप(ऊँ नम: शिवाय) करें। कुछ दिन नियमित साधना के बाद परिणाम आप स्वयं अनुभव करेंगे। प्रतिमा को धूप-दीप से शाम को भी पूजना चाहिए।

हनुमानजी की कृपा पाने के लिए

हनुमानजी की कृपा पाने के लिए भी पीपल के वृक्ष की पूजा करना शुभ होता है। पीपल के वृक्ष के नीचे नियमित रूप से बैठकर हनुमानजी का पूजन, स्तवन करने से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं और साधक की हर मनोकामना पूरी करते हैं।

बहुत तेज होता है गुस्सा इन लोगों का, नाम के पहले अक्षर से पहचानिए..


जिन लोगों के नाम का पहला अक्षर ई, उ, ए, ओ, वा, वि, वू, वे, वो से शुरू होता है वे वृष राशि वाले माने जाते हैं। इस राशि का चिन्ह बैल है। बैल स्वभाव से ही अधिक परिश्रमी और अधिक वीर्यवान होता है। साधारणत: वह शांत रहता है किन्तु क्रोध आने पर वह उग्र रूप धारण कर लेता है। यह स्वभाव वृष राशि के जातक में भी पाया जाता है। वृष राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है। इसके अन्तर्गत कृत्तिका नक्षत्र के तीन चरण, रोहिणी के चारों चरण और मृगशिरा के प्रथम दो चरण आते हैं।

इस राशि के लोगों को पिता-पुत्र का कलह सहन करना पड़ता है। जातक का मन सरकारी कार्यों की ओर रहता है। सरकारी ठेकेदारी का कार्य करवाने की योग्यता रहती है। पिता के पास जमीनी काम या जमीन के द्वारा जीविकोपार्जन का साधन होता है। वृष राशि के अधिकतर लोग शराब और मांसाहार  भोजन में अपनी रूचि को प्रदर्शित करता है।

गुरु का प्रभाव जातक में ज्ञान के प्रति अहम भाव को पैदा करने वाला होता है, वह जब भी कोई बात करता है तो गर्व की बात करता है। सरकारी क्षेत्रों की शिक्षाएं और उनके काम व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यदि इनकी कुंडली में किसी प्रकार से केतु का बल भी मिल जाता है तो व्यक्ति सरकार का मुख्य सचेतक बनने की योग्यता रखता है। मंगल के प्रभाव से व्यक्ति क्रोधी स्वभाव का हो सकता है। कल-कारखानों का संचालन, स्वास्थ्य कार्यों और जनता के झगड़े सुलझाने का कार्य जातक कर सकता है। इनकी माता को कई प्रकार की आपत्तियों का सामना करना पड़ता है। ये अधिक सौन्दर्य बोधी और कला प्रिय होते हैं। जातक कला के क्षेत्र में नाम करता है। वृष राशि के लोग अपने जीवन साथी के अधीन रहना पसंद करता है। ये उत्तम श्रेणी के प्रेमी होते हैं।

इन लोगों को चन्द्र-बुध के प्रभाव से संतान के रूप में कन्या प्राप्त होने के अधिक योग रहते हैं। जीवन में व्यापारिक यात्राएं काफी होती हैं। कभी-कभी व्यक्ति अपने ही बनाए हुए उसूलों पर जीवन चलाता है, वह मकड़ी जैसा जाल बुनता रहता है और अपने ही बुने जाल में फंस जाता है। रोहिणी के चौथे चरण के मालिक चन्द्र-चन्द्र है, जातक के अन्दर हमेशा उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है, वह अपने ही मन का राजा होता है।

यदि इन लोगों की कुंडली में मंगल-सूर्य की युति हो तो व्यक्ति अपने शरीर से दुबले-पतले और गुस्सेवाले हो सकते हैं। इन लोगों में आदेश देने की प्रवृत्ति होती है। जातक अगर राज्य में किसी भी विभाग में काम करते हैं तो सरकारी सम्पत्ति को किसी भी तरह से क्षति नहीं होने देते। मंगल-बुध जातक के अन्दर कभी कठोर और कभी नर्म भावनाएं पैदा करते हैं। इनका मन कम्प्यूटर और इलेक्ट्रोनिक क्षेत्र की ओर होता है। वृष राशि वाले जातक शांति पूर्वक रहना पसंद करते हैं।