Saturday, June 8, 2013

ऐसे स्थान जहां मकान बनाने से होता है नुकसान


हर व्यक्ति का सपना होता है अपना घर। महंगाई के इस जमाने में एक आम आदमी को अपना घर बसाने के लिए जीवन भर की जमा पूंजी लगानी पड़ती है। इसलिए जरूरी है कि घर ऐसे स्थान पर हो जहां आप अपने परिवार के साथ सुकून के पल बिताएं।

वास्तुविज्ञान में कहा गया है कि जहां दक्षिण दिशा ढाल वाली हो उस स्थान पर घर बनाने से स्त्रियों को कष्ट होता है। इसी तरह वास्तु में कई अन्य स्थानों का भी उल्लेख किया गया है जिसका वर्णन भविष्य पुराण में भी मिलता है।

भविष्य पुराण के अनुसार घर ऐसे स्थान पर होना चाहिए जहां की भूमि की ढाल पूर्व या उत्तर की ओर हो। मंदिर पूजनीय और पवित्र स्थान होता है लेकिन इसके आस-पास का स्थान गृहस्थों के निवास के लिए नहीं होता है।

इसका कारण संभवतः यह हो सकता है कि मंदिर की घंटी, मंत्र और शंख की ध्वनि भक्ति की भावना को अधिक उभारता है जिससे गृहस्थी से मन उचाट हो सकता है। घर पर मंदिर की छाया का पड़ना उन्नति में बाधक होता है।

जिस स्थान पर मांस-मदिरा बेचा जाता हो, जुआ खेलने वाले लोग आते हों ऐसे स्थान पर भी घर नहीं बसाना चाहिए। इससे घर में रहने वालों को मान-सम्मान का खतरा रहता है।

घर में रहने वालों पर नकारात्मक सोच हावी रहता है जिससे व्यक्तित्व के विकास में बाधा आती है। नगर का द्वार, चौक-चौराहे, राजकर्मचारी के निवास स्थान एवं राजमार्ग के आस-पास भी घर नहीं बसाना चाहिए।

घर बसाने के लिए उचित स्थान
  • भविष्य पुराण कहता है कि गृहस्थों को ऐसे स्थान पर घर बसाना चाहिए जहां बुद्घिजीवी और विद्वान लोग रहते हों।
  • जहां आवागमन के लिए साफ और सुव्यवस्थित रास्ते बनें हों।
  • जहां घर बसाने जा रहे हों वहां के लोगों के व्यवहार के विषय में पहले जान लें। जहां के लोग व्यवहारिक हों, समय-समय पर एक दूसरे का साथ दें, वहां पर घर बसाएं।
  • दुष्ट विचार रखने वालों के आस-पास घर नहीं बसाना चाहिए। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अधिक धनवान एवं अपने से कम आय वालों के बीच बसना भी उचित नहीं होता है।
  • भविष्य पुराण कहता है कि पड़ोसियों के बारे में जानने के बाद ज़मीन की पूरी जानकारी कर लें कि, इस पर कोई विवाद तो नहीं है।
  • पड़ोसियों को हमेशा मित्र बनाए रखने की कोशिश करें।

इन वास्तुदोष के कारण घरों में होती है चोरियां

किसी घर में चोरी क्यों होती है? सुरक्षा की कमी और मालिक की लापरवाही। लेकिन आप यकीन नहीं करेंगे कि वास्तुदोष भी किसी घर में चोरी कराने में अहम भूमिका निभाता है। घर में उत्पन्न वास्तुदोष चोरी के लिए जिम्मेदार होता है।

चोरी और डकैती की घटना को वास्तु काफी हद तक प्रभावित करते हैं। जिन घरों में वास्तु संबंधी दोष होता है आमतौर पर उन घरों में इस तरह की घटनाएं घटित होती हैं।

वास्तुशास्त्र के नियमानुसार जिनके घर का मुख्य दरवाजा पूर्व आग्नेय यानी पूर्व दिशा के अंतिम भाग में दक्षिण की ओर होता है उस घर में चोरी की आशंका प्रबल रहती है। ऐसे घर में कलह एवं अग्नि संबंधी दुर्घटनाएं भी होती हैं।

अगर घर का मुख्य दरवाजा बाहर की ओर झुका है तो उसे जल्दी ठीक करवा लेना चाहिए। इससे घर का मालिक अक्सर घर से बाहर रहता है और घर में चोरी की आशंका रहती है। पूर्व और दक्षिण भाग घर एवं आंगन से नीचा है तो उसे ऊंचा करने की व्यवस्था कर लें क्योंकि घर का यह वास्तुदोष आपकी जमा पूंजी चोरी करवा सकता है। इस वास्तुदोष से शत्रुओं के कारण भी नुकसान होता है।

उत्तर की अपेक्षा पश्चिम भाग अधिक बढ़ा हुआ होना दोषपूर्ण माना जाता है। इस स्थिति में विरोधियों की संख्या बढ़ती और घर में चोरी की घटनाएं होती हैं। पूर्व एवं उत्तर दिशा में मुख्य द्वार तिरछा नहीं होना चाहिए। इससे भी चोरी की आशंका बढ़ जाती है।

चोरी एवं दुर्घटना में कमी लाने के लिए हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि आग्नेय दिशा में ढलान नहीं हो। इस दिशा में गड्डे एवं बोरबेल, कुआं एवं पानी की टंकी नहीं हो। दक्षिण दिशा में उत्तर दिशा से अधिक सामान रखें, पश्चिम दिशा में पूर्व दिशा से कम खाली स्थान हो। चारदीवारी की दक्षिण नैऋत्य और पूर्व आग्नेय में मुख्य द्वार नहीं हो।

घर में ही कहीं मौजूद है आत्महत्या का कारण

जब कोई आत्महत्या करता है तो उसके भाग्य के साथ-साथ उसके घर के वास्तुदोष भी अहम भूमिका निभाते हैं।

जिस घर में आत्महत्या होती है उस घर में दो या दो से अधिक वास्तुदोष अवश्य होते हैं। जिनमें से एक घर के ईशान कोण (उत्तर पूर्व) में होता है और दूसरा दोष नैऋत्य कोण (दक्षिण पश्चिम) में होता है। इन दिशाओं में भूमिगत पानी की टंकी, कुआं, बोरवेल, बेसमेंट या किसी भी प्रकार से इस कोने का फर्श नीचा हो या घर के दक्षिण दिशा का दक्षिणी कोना या दक्षिण पश्चिम का दक्षिणी भाग का बढ़ा हुआ हो तो वास्तु बुरी तरह प्रभावित होता है।

इस दोष के साथ यदि घर के पश्चिम नैऋत्य कोण में मुख्य द्वार हो तो घर के पुरूष सदस्य द्वारा और यदि मुख्य द्वार दक्षिण नैऋत्य कोण में हो तो उस घर की स्त्री द्वारा आत्महत्या करने की संभावना रहती है।

दूसरा वास्तुदोष घर के ईशान कोण में होता है। घर का यह कोना अंदर दब जाए, कट जाए, गोल हो जाए या किसी कारण दक्षिण पूर्व की दीवार पूर्व की ओर आगे बढ़ जाए तो घर के पुरूष सदस्य द्वारा और यदि उत्तर पश्चिमी दीवार का का उत्तरी भाग आगे बढ़ा हुआ हो तो स्त्री सदस्य आत्महत्या कर सकती है।

घर के दक्षिण नैऋत्य में मार्ग प्रहार हो यानी इस दिशा में कोई रास्ता आकर मिल रहा हो तब स्त्रियां और पश्चिम नैऋत्य में कोई मार्ग आकर घर के द्वार के पास मिल रहा हो तब पुरूष इस प्रकार का कदम उठाते हैं।

जमीन के पूर्व आग्नेय कोण को किसी भी चीज से ढकना नहीं चाहिए अन्यथा पुरूषों में निराशा और आत्महत्या की भावना बलवती होती है जबकि वायव्य ढका हुआ हो तब स्त्रियां निराश होकर इस तरह के कदम उठाती हैं।

वास्तु के अनुसार इस तरह की घटना से बचने के लिए जरूरी है कि घर बनवाते समय वास्तु के इन दोषों को ध्यान में रखते हुए घर बनवाएं। अगर किराये पर घर ले रहे हैं तो ध्यान रखें कि घर में ऐसे वास्तुदोष न हो।

Friday, June 7, 2013

2014 तक जन्म लेने वाले बच्चे होंगे भाग्यशाली, लेकिन?

saturn sas yoga effect in birth chart इन दिनों शनि अपनी उच्च राशि तुला में वक्री होकर चल रहे हैं। इस राशि में शनि 2 नवंबर 2014 तक रहेगें। जिन बच्चों का जन्म इस अवधि में होगा उनकी कुण्डली में शश नामक शुभ योग होगा। इस योग को ज्योतिषशास्त्र में राजयोग की श्रेणी में रखा गया है।

माना जाता है कि जिनकी कुण्डली में यह योग होता है वह उच्च पद प्राप्त करते हैं। सम्मान और धन दोनों इनके पास होता है। ज्योतिषशास्त्री के अनुसार जिनका जन्म मेष, कर्क, तुला अथवा मकर लग्न में होता है उनकी कुण्डली में यह उच्च कोटि का राजयोग बनता है।

लेकिन वैवाहिक जीवन की दृष्टि से कर्क लग्न वालों की कुण्डली में शश योग प्रतिकूल फल देता है। भगवान राम की जन्मकुण्डली इस लिहाज से उल्लेखनीय है। चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को दोपहर में भगवान राम का जन्म कर्क लग्न में हुआ।

वाल्मीकि रामायण के अनुसार राम के जन्म के समय सूर्य, मंगल, शनि, गुरु और शुक्र ग्रह अपनी-अपनी उच्च राशि में थे। चंद्रमा अपनी ही राशि कर्क में था जिसके साथ बृहस्पति भी मौजूद थे। कर्क राशि में बृहस्पति सबसे अधिक मजबूत स्थिति में होते हैं। बुध अपने मित्र शुक्र की वृष राशि में था।

बृहस्पति के उच्च राशि में होने कारण इनकी कुण्डली में हंस योग, शनि के तुला राशि में होने से शश योग, मंगल उच्च राशि में होने से रूचक योग बन रहा था। लेकिन शनि का शुभ योग इनके वैवाहिक जीवन के लिए अशुभ योग बन गया।

पहले रावण द्वारा द्वारा सीता का हरण कर लिये जाने के कारण राम को सीता का वियोग सहना पड़ा। बाद में सीता की पवित्रता पर उंगली उठाये जाने के कारण राम ने सीता को वन भेज दिया और विरह की आग में जलन पड़ा। इसलिए जिनकी जन्म कर्क लग्न में होगा उन्हें वैवाहिक जीवन से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।