किसी घर में चोरी क्यों होती है? सुरक्षा की कमी और मालिक की लापरवाही। लेकिन आप यकीन नहीं करेंगे कि वास्तुदोष भी किसी घर में चोरी कराने में अहम भूमिका निभाता है। घर में उत्पन्न वास्तुदोष चोरी के लिए जिम्मेदार होता है।
चोरी और डकैती की घटना को वास्तु काफी हद तक प्रभावित करते हैं। जिन घरों में वास्तु संबंधी दोष होता है आमतौर पर उन घरों में इस तरह की घटनाएं घटित होती हैं।
वास्तुशास्त्र के नियमानुसार जिनके घर का मुख्य दरवाजा पूर्व आग्नेय यानी पूर्व दिशा के अंतिम भाग में दक्षिण की ओर होता है उस घर में चोरी की आशंका प्रबल रहती है। ऐसे घर में कलह एवं अग्नि संबंधी दुर्घटनाएं भी होती हैं।
अगर घर का मुख्य दरवाजा बाहर की ओर झुका है तो उसे जल्दी ठीक करवा लेना चाहिए। इससे घर का मालिक अक्सर घर से बाहर रहता है और घर में चोरी की आशंका रहती है। पूर्व और दक्षिण भाग घर एवं आंगन से नीचा है तो उसे ऊंचा करने की व्यवस्था कर लें क्योंकि घर का यह वास्तुदोष आपकी जमा पूंजी चोरी करवा सकता है। इस वास्तुदोष से शत्रुओं के कारण भी नुकसान होता है।
उत्तर की अपेक्षा पश्चिम भाग अधिक बढ़ा हुआ होना दोषपूर्ण माना जाता है। इस स्थिति में विरोधियों की संख्या बढ़ती और घर में चोरी की घटनाएं होती हैं। पूर्व एवं उत्तर दिशा में मुख्य द्वार तिरछा नहीं होना चाहिए। इससे भी चोरी की आशंका बढ़ जाती है।
चोरी एवं दुर्घटना में कमी लाने के लिए हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि आग्नेय दिशा में ढलान नहीं हो। इस दिशा में गड्डे एवं बोरबेल, कुआं एवं पानी की टंकी नहीं हो। दक्षिण दिशा में उत्तर दिशा से अधिक सामान रखें, पश्चिम दिशा में पूर्व दिशा से कम खाली स्थान हो। चारदीवारी की दक्षिण नैऋत्य और पूर्व आग्नेय में मुख्य द्वार नहीं हो।
चोरी और डकैती की घटना को वास्तु काफी हद तक प्रभावित करते हैं। जिन घरों में वास्तु संबंधी दोष होता है आमतौर पर उन घरों में इस तरह की घटनाएं घटित होती हैं।
वास्तुशास्त्र के नियमानुसार जिनके घर का मुख्य दरवाजा पूर्व आग्नेय यानी पूर्व दिशा के अंतिम भाग में दक्षिण की ओर होता है उस घर में चोरी की आशंका प्रबल रहती है। ऐसे घर में कलह एवं अग्नि संबंधी दुर्घटनाएं भी होती हैं।
अगर घर का मुख्य दरवाजा बाहर की ओर झुका है तो उसे जल्दी ठीक करवा लेना चाहिए। इससे घर का मालिक अक्सर घर से बाहर रहता है और घर में चोरी की आशंका रहती है। पूर्व और दक्षिण भाग घर एवं आंगन से नीचा है तो उसे ऊंचा करने की व्यवस्था कर लें क्योंकि घर का यह वास्तुदोष आपकी जमा पूंजी चोरी करवा सकता है। इस वास्तुदोष से शत्रुओं के कारण भी नुकसान होता है।
उत्तर की अपेक्षा पश्चिम भाग अधिक बढ़ा हुआ होना दोषपूर्ण माना जाता है। इस स्थिति में विरोधियों की संख्या बढ़ती और घर में चोरी की घटनाएं होती हैं। पूर्व एवं उत्तर दिशा में मुख्य द्वार तिरछा नहीं होना चाहिए। इससे भी चोरी की आशंका बढ़ जाती है।
चोरी एवं दुर्घटना में कमी लाने के लिए हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि आग्नेय दिशा में ढलान नहीं हो। इस दिशा में गड्डे एवं बोरबेल, कुआं एवं पानी की टंकी नहीं हो। दक्षिण दिशा में उत्तर दिशा से अधिक सामान रखें, पश्चिम दिशा में पूर्व दिशा से कम खाली स्थान हो। चारदीवारी की दक्षिण नैऋत्य और पूर्व आग्नेय में मुख्य द्वार नहीं हो।
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