Sunday, January 1, 2012

ऐसे लोगों को दिखते हैं और महसूस भी होते हैं भूत-प्रेत...

क्या आप जानते है कि भूत-प्रेत अक्सर कैसे लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं? भूत-प्रेत अक्सर उन लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं जो ज्योतिषीय नजरिये से कमजोर ग्रहों वाले होते हैं। इन लोगों में मानसिक रोगीयों की संख्या ज्यादा होती है।

ज्योतिष के अनुसार वो लोग भूतों का शिकार बनते हैं जिनकी कुंडली में पिशाच योग बनता है।

ये योग जन्म कुंडली में चंद्रमा और राहु के कारण बनता है। अगर कुंडली में वृश्चिक राशि में राहु के साथ चंद्रमा होता है तब पिशाच योग बन जाता है। ये योग व्यक्ति को मानसिक रूप से कमजोर बनाता है। वैसे तो कुंडली में किसी भी राशि में राहु और चंद्र का साथ होना अशुभ और पिशाच योग के बराबर अशुभ फल देने वाला माना जाता है लेकिन वृश्चिक राशि में इन चंद्रमा निच स्थिति में हो जाता है यानि अशुभ फल देने वाला हो जाता है इसलिए इस स्थिति को महत्वपूर्ण माना जाता है।

राहु और चंद्रमा मिलकर व्यक्ति को मानसिक रोगी भी बना देते हैं। पिशाच योग राहु द्वारा निर्मित योगों में नीच योग है। पिशाच योग जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली में होता है वह प्रेत बाधा का शिकार आसानी से हो जाता है। इनमें इच्छा शक्ति की कमी रहती है। इनकी मानसिक स्थिति कमज़ोर रहती है, ये आसानी से दूसरों की बातों में आ जाते हैं। इनके मन में निराशात्मक विचारों का आगमन होता रहता है। कभी कभी स्वयं ही अपना नुकसान कर बैठते हैं।

वृष लग्न की कुंडली में राहु- केतु के फायदे और नुकसान...

वृष लग्न की कुंडली के प्रथम भाव में राहु हो तो...

जिन लोगों की कुंडली वृष लग्न की है और उसके प्रथम भाव में राहु स्थित है तो उन लोगों को स्वास्थ्य के संबंध में थोड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कुंडली का प्रथम भाव शरीर से संबंधित होता है। इस स्थान वृष राशि का स्वामी शुक्र है और शुक्र की राशि में राहु हो तो व्यक्ति दिखने में सामान्य रहता है। ये लोग गुप्त चतुराइयों से कार्य करते हैं। साथ ही इन लोगों के जीवन में बहुत सी परेशानियों आती हैं और उसी के बाद इन्हें सफलता प्राप्त होती है।

वृष लग्न के द्वितीय भाव राहु हो तो...

इस लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव धन एवं कुटुम्ब से संबंधित होता है। इस स्थान मिथुन राशि का स्वामी ग्रह बुध है। यहां राहु का उच्च का रहता है। अत: इस ग्रह स्थिति के प्रभाव से व्यक्ति को अनेक योजनाएं बनानी की शक्ति मिलती है। ये लोग बहुत चतुर रहते हैं। ये लोग धनी होते हैं और घर-परिवार से भी संपन्न रहते हैं। इनका धन बढ़ते रहता है। फिर भी कई बार घर-परिवार में कुछ तनाव बना ही रहता है।


 यदि वृष लग्न की कुंडली में राहु तृतीय भाव में हो तो...

वृष लग्न की कुंडली में राहु यदि तृतीय स्थान पर स्थित हो तो व्यक्ति को अक्सर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तीसरा स्थान पराक्रम और भाई-बहन से संबंधित होता है। इस भाव कर्क राशि का स्वामी चंद्र है। चंद्र तथा राहु को एक-दूसरे का शत्रु माना जाता है। शत्रु राशि में होने से राहु मानसिक तनाव बढ़ाता है। इन लोगों को घर-परिवार और व्यवसाय की चिंताएं सताती रहती हैं।

वृष लग्न की कुंडली के चतुर्थ भाव में राहु हो तो...

इस लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव सिंह राशि का है और इसका स्वामी सूर्य है। सूर्य और राहु को शत्रु माना जाता है। अत: सूर्य की राशि में होने पर राहु व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह भाव माता एवं भूमि से संबंधित होता है। इस ग्रह स्थिति के कारण व्यक्ति को माता की ओर से भी सुख में कमी रहती है। इन्हें भूमि और भवन से भी पर्याप्त लाभ प्राप्त नहीं हो पाता है।


वृष लग्न की कुंडली के पंचम भाव में राहु हो तो...

जिन लोगों की कुंडली वृष लग्न की है और उसके पंचम भाव में राहु हो तो व्यक्ति को संतान से कष्ट प्राप्त होने की संभावनाएं रहती हैं। इस कुंडली का पांचवा भाव कन्या राशि है और इसका स्वामी बुध ग्रह है। बुध की राशि में राहु होने पर व्यक्ति नशा करने वाला हो सकता है। ये लोग गुप्त विद्याओं में अधिक कार्य करते हैं। इन लोगों को जीवनसाथी से विशेष सहयोग प्राप्त होता है।

वृष लग्न की कुंडली के षष्ठम भाव में राहु हो तो...

वृष लग्न की कुंडली के षष्ठम भाव में राहु होने पर व्यक्ति को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती रहती है। इस लग्न में षष्ठम भाव तुला राशि है और इसका स्वामी शुक्र ग्रह है। शुक्र की राशि में राहु हो तो व्यक्ति गुप्त शक्तियों की विद्या जानने वाला होता है। इन लोगों को मानसिक अशांति का सामना करना पड़ता है। परेशानियों में हिम्मत से काम लेते हैं और सफलता प्राप्त कर लेते हैं।


वृष लग्न की कुंडली के सप्तम भाव में राहु हो तो...

कुंडली का सातवां भाव स्त्री तथा व्यवसाय से संबंधित है। इस लग्न में सप्तम भाव वृश्चिक राशि का है और इसका स्वामी है मंगल। मंगल की राशि में राहु होने पर व्यक्ति को पत्नी की ओर से कई प्रकार के कष्ट झेलने पड़ते हैं। इन लोगों को आय के संबंध में कई परेशानियां रहती है।

वृष लग्न की कुंडली के अष्टम भाव में राहु हो तो...

ज्योतिष के अनुसार कुंडली का अष्टम भाव आयु एवं पुरातत्व से संबंधित होता है। इस भाव धनु राशि का स्वामी गुरु है। गुरु की राशि में राहु होने पर व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आयु के घर में राहु होने से आयु में भी कमी हो सकती है। धनु राशि में राहु होने से व्यक्ति व्यवहारिक तथा सज्जन होता है। जीवन में काफी मेहनत के बाद सफलता प्राप्त करते हैं।

वृष लग्न की कुंडली के नवम भाव में राहु हो तो...

इस लग्न की कुंडली का नवम भाव मकर राशि का स्थान होता है। इसका स्वामी शनि है। कुंडली का नवम भाव भाग्य एवं धर्म से संबंधित होता है। इस स्थान पर राहु होने से व्यक्ति का स्वभाव धार्मिक नहीं होता है लेकिन वह खुद धर्म के प्रति लगाव रखने वाला ही बताता है। इन लोगों के पास काफी पैसा रहता है। इस ग्रह स्थिति के कारण व्यक्ति कई गुप्त योजनाओं से ही स्वयं का भाग्य बनाता है।


वृष लग्न की कुंडली के दशम भाव में राहु हो तो...

जिन लोगों की कुंडली वृष लग्न की है और उसके दशम भाव में राहु स्थित है तो व्यक्ति को शासकीय कार्यों में थोड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। दसवां भाव राज्य एवं पिता से संबंधित होता है। इस भाव कुंभ राशि का स्वामी शनि है और शनि की राशि में राहु होने पर पिता से अक्सर वाद-विवाद का सामना करना पड़ता है। राज्य एवं व्यवसाय के क्षेत्र में भी कठिनाइयां उपस्थित होती हैं।

वृष लग्न की कुंडली के एकादश भाव में राहु हो तो...

कुंडली का ग्याहरवां भाव लाभ का स्थान माना जाता है। इस लग्न की कुंडली में इस भाव मीन राशि का स्वामी गुरु है और गुरु की इस राशि में राहु होने पर आर्थिक क्षेत्र में व्यक्ति को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार इस स्थान पर यदि कोई क्रूर ग्रह हो तो व्यक्ति को कड़ी मेहनत के बाद बड़ी सफलता मिलने के योग होते हैं। राहु भी एक क्रूर ग्रह माना जाता है यह लाभ के स्थान पर राहु मेहनत अवश्य करवाता है लेकिन शुभ फल भी प्रदान करता है। इस ग्रह स्थिति के कारण व्यक्ति को गुप्त योजनाओं का सहारा लेना पड़ता है। तभी सफलता प्राप्त होती है।

वृष लग्न की कुंडली में राहु यदि द्वादश भाव में हो तो...

इस लग्न की कुंडली का 12वां भाव मेष राशि का है और इसका स्वामी मंगल है। मंगल की राशि में राहु व्यक्ति को अधिक खर्च करने वाला बनाता है। बाहरवां भाव व्यय एवं बाहरी स्थानों से संबंधित होता है। अत: इस स्थान पर राहु होने से व्यक्ति को आय से अधिक खर्च करने पड़ते हैं, कड़ी मेहनत करना होती है।


वृष लग्न की कुंडली के प्रथम भाव में केतु हो तो...

जिन लोगों की कुंडली वृष लग्न की है और उसके प्रथम भाव में केतु हो तो व्यक्ति को शारीरिक सौंदर्य में कुछ कमी रहती है। वृष लग्न की कुंडली का प्रथम भाव वृष राशि का होता है और उसका स्वामी शुक्र है। शुक्र की इस राशि में केतु होने पर व्यक्ति को चिंताओं का सामना करना पड़ता है। इन लोगों को शारीरिक परिश्रम अधिक करना पड़ता है। योग्यता के प्रभाव से अन्य लोगों को अच्छे से प्रभावित कर लेते हैं।

वृष लग्न की कुंडली के द्वितीय भाव में केतु हो तो...

कुंडली का दूसरा भाव धन एवं कुटुम्ब का स्थान माना जाता है। मिथुन राशि का यह स्थान है और इसका स्वामी बुध है। इन लोगों को कठिनाइयों एवं परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन्हें गुप्त योजनाओं के माध्यम से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। कठिन परिश्रम के बल पर ही कार्य पूर्ण होते हैं।



वृष लग्न की कुंडली के तृतीय भाव में केतु के प्रभाव...

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली वृष लग्न की है और उसके तृतीय भाव में केतु है तो व्यक्ति को शत्रु एवं पराक्रम के क्षेत्र में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तृतीय भाव कर्क राशि का स्वामी चंद्र है और चंद्र की राशि में केतु होने पर व्यक्ति को जीवन में कई बार बड़ी-बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ये लोग मन की कमजोरी और अभावों के चिंता न करते हुए हिम्मत से काम लेते हैं। धैर्य और परिश्रम से सभी कार्य पूर्ण कर लेते हैं। इन्हें जीवन में सफलता के लिए कड़ा संघर्ष करना होता है।

वृष लग्न की कुंडली के चतुर्थ भाव में केतु हो तो...

इस लग्न की कुंडली का चतुर्थ भाव सिंह राशि का है और इस भाव का स्वामी सूर्य है। सूर्य की राशि में केतु होने पर व्यक्ति को माता एवं भूमि के संबंध में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। चौथा भाव माता, भूमि और सुख का स्थान होता है। केतु के प्रभाव से ये लोग गुप्त युक्तियों में माहिर होते हैं। सफलता के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है।
 
वृष लग्न की कुंडली के पंचम भाव में केतु हो तो...

जिन लोगों की कुंडली वृष लग्न की है और उसके पंचम भाव में केतु स्थित है तो उन लोगों को विद्या और बुद्धि के क्षेत्र में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस लग्न का पंचम भाव कन्या राशि का है और इसका स्वामी बुध है। बुध की राशि में केतु होने पर व्यक्ति को धैर्य और साहस प्राप्त होता है। ऐसे लोग गुप्त योजनाओं के माध्यम से भी अपने कार्यों में सफलता प्राप्त कर लेते हैं।

वृष लग्न की कुंडली के षष्ठम भाव में केतु के फल...

इस लग्न की कुंडली में षष्ठम भाव का केतु होने पर व्यक्ति को हिम्मत प्राप्त होती है। षष्ठम भाव तुला राशि का स्वामी शुक्र है और शुक्र की इस राशि में केतु के प्रभाव से व्यक्ति गुप्त युक्तियों से ही सफलताएं प्राप्त करते हैं। कुंडली का षष्ठम भाव रोग से संबंधित होता है। इन लोगों को केतु के कारण कई प्रकार शारीरिक बीमारियों का सामना भी करना पड़ता है। जीवन की सभी परेशानियों का सामना हिम्मत और धैर्य के साथ करते हैं।
वृष लग्न की कुंडली के सप्तम भाव में केतु हो तो...

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली वृष लग्न की है और उसके सप्तम भाव में केतु हो तो व्यक्ति को स्त्री या पत्नी के संबंध में काफी कष्ट सहना पड़ते हैं। कुंडली का सातवां भाव स्त्री एवं व्यवसाय से संबंधित होता है। सप्तम भाव वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है। मंगल और केतु एक-दूसरे के शत्रु ग्रह माने जाते हैं। शत्रु की राशि में केतु होने पर व्यक्ति को मूत्राशय से संबंधित रोग तथा प्रमेह रोग होने की संभावनाएं रहती हैं। व्यवसाय के संबंध में लोगों को कई कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। संकटों का सामना करते हुए ये लोग सफलता प्राप्त कर सकते हैं लेकिन इन्हें धैर्य रखना चाहिए।

वृष लग्न की कुंडली के अष्टम भाव में केतु हो तो...

कुंडली का आठवां भाव मृत्यु और पुरातत्व से संबंधित होता है। इस लग्न में इस स्थान धनु राशि का स्वामी गुरु है। गुरु और केतु को एक-दूसरे का शत्रु माना जाता है। शत्रु की राशि में केतु होने पर व्यक्ति को जीवन निर्वाह के लिए कड़ी मेहनत करना होती है। इन लोगों को आयु तो लंबी मिलती है लेकिन अधिकांश समय इन्हें कठिनाइयों का सामना ही करना पड़ता है।
 

सावधान आपके घर का सारा पैसा उड़ सकता है, दरवाजे पर ध्यान दें वरना...

ये तो सच है कि अगर आपको अपना पैसा प्यारा है तो घर के दरवाजे पर ध्यान देना जरूरी है वरना धीरे-धीरे आपके घर से पैसा खत्म होने लगेगा। घर में बरकत नहीं होगी।

आपकी इनकम और फायदे पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है घर के मुख्य दरवाजे का। अगर आपके घर का मेन गेट सही दिशा में नहीं है तो जल्दी ही आपको गरीबी का मुंह देखना पड़ सकता है।


पूर्व दिशा में घर का दरवाजा है तो ऐसा व्यक्ति कर्ज में डुब जाता है। इसके लिए सोमवार को रुद्राक्ष घर के दरवाजे के मध्य लटका दें और पहले सोमवार को हवन करें। रुद्राक्ष व शिव की आराधना करने से आपके समस्त कार्य सफल होंगे।

पश्विम दिशा में दरवाजा हो

ने से घर की बरकत खत्म होती है। ऐसे दरवाजे से दोष उत्पन्न होने पर रविवार को सूर्योदय से पूर्व दरवाजे के सामने नारियल के साथ कुछ सिक्के रखकर दबा दें। किसी लाल कपड़े में बांध कर लटका दें। सूर्य के मंत्र से हवन करें। द्वार दोष दूर होगा।

वास्तु के अनुसार उत्तर का दरवाजा हमेशा लाभकारी होता है। यदि द्वार दोष उत्पन्न होता है, तो भगवान विष्णु की आराधना करें। पीले फूले की माला दरवाजे पर लगाएं। लाभ होगा।

दक्षिण दिशा में घर कर मेन गेट शुभ नहीं हैं तथा इसके कारण घर में लगातार आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके लिउ बुधवार या गुरुवार को नींबु या सात कौडिय़ां धागे में बांधकर लटका देना चाहिए।

पैसों की हर समस्या दूर करते हैं ये उपाय

क्या आप पैसों की कमी के कारण परेशान हैं या फिर आपका रुका हुआ पैसा नहीं मिल रहा है? या पैसों से संबंधित कोई और समस्या है। अगर आप इन समस्याओं का समाधान चाहते हैं तो नीचे लिखे उपाय करें। शीघ्र ही आपकी हर परेशानी
दूर हो जाएगी।

उपाय 

- पैसों की समस्याएं हों तो 21 शुक्रवार तक नौ वर्ष से कम आयु की पांच कन्याओं को खीर और मिश्री का प्रसाद बांटें। आपकी समस्या दूर हो जाएगी।

- जब कोई किन्नर आपसे कुछ मांगें तो उसे आप अपनी इच्छा से दान दें तथा फिर उससे निवेदन कर एक सिक्का मांग लें। किन्नर द्वारा दिया गया यह सिक्का बहुत ही शुभ होता है। इसे पर्स में रखने से कभी पैसों की कमी नहीं रहती।

- नोटों को गिनते समय थूक न लगाएं। इससे लक्ष्मी नष्ट होती है।

- घर में जब दीपक लगाएं तो उसमें रुई की जगह कलावा (पूजा का धागा) का उपयोग करें। इससे धन आने की संभावना बढ़ेगी।

- यदि रुका हुआ पैसा नहीं आ रहा है तो शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार से लगातार तीन गुरुवार तक गरीबों को मीठे चावल बांटें। धन लाभ होने लगेगा।

अगर चाहिए मनचाही नौकरी तो करें यह उपाय

वर्तमान समय में बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है। नौकरी न होने के कारण न तो समाज में मान-सम्मान मिलता है और न ही घर-परिवार में। यदि आप भी बेरोजगार हैं और बहुत प्रयत्न करने पर भी रोजगार नहीं मिल रहा है तो निराश होने की कोई जरुरत नहीं है। नीचे लिखा उपाय करने से भी आप रोजगार पा सकते हैं।
उपाय

बुधवार को गणेशजी के मंदिर में जाकर सवा किलो मोतीचूर के लड्डुओं का भोग लगाएं। घी का दीपक जलाएं और मंदिर में ही बैठकर 108 बार मन ही मन में नीचे लिखे मंत्र का जप करें-

मंत्र- कवन सो काज कठिन जग माही।

जो नहीं होय तात तुम पाहिं।।

इसके बाद 40 दिनों तक रोज अपने घर के मंदिर में इस मंत्र का जप 108 बार करें। ईश्वर की कृपा से 40 दिनों के अंदर ही आपको रोजगार मिल जाएगा।

लाड़ले की शादी तो करें यह उपाय

हिंदू धर्म में विवाह को सोलह संस्कारों में सबसे प्रमुख माना गया है। हर माता-पिता की इच्छा होता है कि उनके बेटे का विवाह धूम-धाम से हो। लेकिन कभी-कभी कुछ कारणों के चलते उचित समय पर उसका विवाह नहीं हो पाता। यदि आपके साथ भी यही समस्या है तो नीचे लिखे टोटके से इस समस्या का निदान संभव है
 उपाय

कुम्हार अपने चाक को जिस डंडे से घुमाता है, उसे किसी तरह किसी को बिना बताए प्राप्त कर लें। इसके बाद घर के किसी कोने को रंग-रोगन कर साफ कर लें। इस स्थान पर उस डंडे को लंहगा-चुनरी व सुहाग का अन्य सामग्री से सजाकर दुल्हन का स्वरूप देकर एक कोने में खड़ करके गुड़ और चावलों से इसकी पूजा करें।

इस टोटके से लड़के का विवाह शीघ्र ही हो जाता है। यदि चालीस दिनों में इच्छा पूरी न हो तो फिर यही प्रक्रिया दोहराएं(डंडा प्राप्त करने से लेकर पूजा तक)। यह प्रक्रिया सात बार कर सकते हैं।

किराए के घर में भी कर सकते हैं वास्तु नियमों का पालन, जानिए कैसे

किराए के मकान में गृहस्वामी की स्वीकृति के बिना परिवर्तन नहीं किया जा सकता। अक्सर देखने में आता है कि वास्तु नियमों के अनुकूल बने भवन में किराएदार सुखी और संपन्न रहते हैं। कुछ बातों का ध्यान रख किराए के भवन में रहते हुए भी
वास्तु के नियमों का पालन किया जा सकता है जैसे-

1- भवन का उत्तर-पूर्व का भाग अधिक खाली रखें।

2- दक्षिण-पश्चिम दिशा के भाग में अधिक भार या सामान रखें।

3- पानी की सप्लाई उत्तर-पूर्व से लें।

4- शयनकक्ष में पलंग का सिरहाना दक्षिण दिशा में रखें और सोते समय सिर दक्षिण दिशा में व पैर उत्तर दिशा में रखें।

5- यदि ऐसा न हो तो पश्चिम दिशा में सिरहाना व सिर कर सकते हैं।

6- भोजन दक्षिण-पूर्व की ओर मुख करके ग्रहण करें।

7- पूजा स्थल उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें यदि अन्य दिशा में हो तो पानी ग्रहण करते समय मुख ईशान (उत्तर-पूर्व) कोण की ओर रखें।

पूरे साल रहना है चुस्त व संकटमुक्त तो बोलें यह हनुमान मंत्र

जीवन में शक्ति और सिद्धि की कामना को पूरी करने के लिए श्री हनुमान उपासना अचूक मानी जाती है। दरअसल, श्री हनुमान व उनका चरित्र जीवन में संकल्प, बल, ऊर्जा, बुद्धि, चरित्र शुद्धि, समर्पण, शौर्य, पराक्रम, दृढ़ता के साथ जीवन
में हर चुनौतियों या कठिनाईयों का सामना करने व उनसे पार पाने की अद्भुत प्रेरणा है।

श्री हनुमान चिरंजीवी भी माने जाते हैं। ऐसी अद्भुत शक्तियों व गुणों के स्वामी होने से ही वे जाग्रत देवता के रूप में पूजनीय हैं। इसलिए किसी भी वक्त हनुमान की भक्ति संकटमोचन करने के साथ ही तन, मन व धन से संपन्न बनाने वाली मानी गई है।

वर्ष के पहले दिन और सालभर यहां बताए जा रहे विशेष हनुमान मंत्र का स्मरण चुस्त व संकटमुक्त रहने की ऐसी कामनासिद्धि कर बहुत ही मंगलकारी साबित होगा -

- स्नान के बाद श्री हनुमान की पंचोपचार पूजा यानी सिंदूर, गंध, अक्षत, फूल, नैवेद्य चढ़ाकर करें।

- गुग्गल धूप व दीप जलाकर नीचे लिखा हनुमान मंत्र लाल आसन पर बैठ साल और जीवन को सफल व पीड़ामुक्त बनाने की इच्छा से बोलें और अंत में श्री हनुमान की आरती करें -

ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमित विक्रमाय

प्रकटपराक्रमाय महाबलाय सूर्य कोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।।