घर में शांति /सुकून के लिए वास्तु सिद्धांत ----
वास्तु के अनुसार घर की सजावट करते समय निम्न बातों का ध्यान रखें :-
1) घर के प्रवेश द्वार पर स्वस्तिक अथवा 'ॐ' की आकृति लगाने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
2) जिस भूखंड या मकान पर मंदिर की पीठ पड़ती है, वहाँ रहने वाले दिन-ब-दिन आर्थिक व शारीरिक परेशानियों में घिरते रहते है।
3) समृद्धि की प्राप्ति के लिए नार्थ-ईस्ट दिशा में पानी का कलश अवश्य रखना चाहिए।
4) घर में ऊर्जात्मक वातावरण बनाने में सूर्य की रोशनी का विशेष महत्व होता है इसलिए घर की आंतरिक साज-सज्जा ऐसी होनी चाहिए कि सूर्य की रोशनी घर में पर्याप्त रूप में प्रवेश करे।
5) घर में कलह अथवा अशांति का वातावरण हो तो ड्राइंग रूम में फूलों का गुलदस्ता रखना श्रेष्ठ होता है।
6) अशुद्ध वस्त्रों को घर के प्रवेश द्वार के मध्य में नहीं रखना चाहिए।
7) वास्तु के अनुसार रसोईघर में देवस्थान नहीं होना चाहिए।
8) गृहस्थ के बेडरूम में भगवान के चित्र अथवा धार्मिक महत्व की वस्तुएँ नहीं लगी होना चाहिए।
9) घर में देवस्थान की दीवार से शौचालय की दीवार का संपर्क नहीं होना चाहिए।
गृह कलह/क्लेश निवारण हेतु सरल और आसन उपाय----
वर्तमान समय में सभी परिवार चाहे वह संयुक्त हो या एकल परिवार हो गृह कलह से पीड़ित नजर आते है। गृह कलह के कारण परिवार के सभी सदस्यों में हृदय रोग, मधुमेह, उन्माद जैसी भयानक बीमारियां उत्पन्न हो सकती है एवं कभी-कभी यह गृह कलह प्राण-घातक (आत्मघातक) भी जो जाते है। गृह कलह मुख्य रूप से सास-बहु, पिता-पुत्र, भाई-बहिन-भाई, देवरानी-जेठानी, ननद-भाभी, पति-पत्नि के बीच दिखाई देता है।
आइये हम और आप ज्योतिषीय दृष्टि से गृह कलह के कारणों एवं उनके उपाय के बारे में जानें----
ज्योतिष् के अनुसार जन्म कुण्डली में सप्तम भाव सप्तमेश, सप्तम् भाव में स्थित ग्रह सप्तम् भाव पर दृष्टि डालने वाले गृह तथा सप्तम् भाव के कारक ग्रह से व्यक्ति के दाम्पत्य जीवन के बारे में विचार किया जाता है। यदि जातक का सप्तम् बलहीन हो सप्तम् भाव पर शनि, मंगल, सूर्य या राहु-केतु पापी कूरुर ग्रह का प्रभाव हो गुरु एवं शुक्र अस्त हो या पापक्रांत (पापकरतारी) हों तो दाम्पत्य सुख में बाधा आती है।
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सूर्य-ग्रह के कारण गृह कलह एवं उपाय----
जातक की कुण्डली में यदि सूर्य प्रथम, द्वितीय और सप्तम् भावों पर प्रभाव होने पर और बलहीन व नीच राशि के सूर्य के सप्तम् भाव में होने पर जातक अहंकारी, स्वाभिमानी, अड़ियल एवं जिद्दी स्वाभाव का होता है। पत्नी या परिवार के अन्य लोगों से स्वाभिमान का टकराव उत्पन्न होता है और जो गृह कलह का कारण बनता है।
उपाय -
1. सूर्योदय से पूर्व स्नानादि कर भगवान् सूर्य को ताँबे के लोटे में पवित्र शुद्ध जल भरकर उसमें लाल पुष्प, रोरी, अक्षत, मसूर दाल या मलका, गुड़ डालकर सूर्योदय काल में निम्न मंत्र पढ़ते हुए अध्र्य दें। एहि सूर्य! सहस्त्रांशो ! तेजोराशे! जगत्पते! अनुकम्प मां भक्त्या गृहाणाघ्र्यं दिवाकर!
2. ताँबे की अगुँठी या कड़ा दाहिने हाथ में घारण करें।
3. रविवार को दोपहर के समय लाल गाय को हाथों में भरकर गेहूँ खिलाए। कृपया जीमन में न डालें।
4. सूर्य भगवान के हृदय स्त्रोत का पाठ करें।
5. किसी विद्वान पण्डित से सूर्य की शान्ति जप सहित करवाए।
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मंगल ग्रह के कारण गृह कलह एवं उपाय----
मंगल एक उग्र एवं पापी ग्रह माना जाता है। जब जन्म कुण्डली में मंगल प्रथम, चैथे, सातवें, आठवें, या बारहवें भाव में स्थित हों तो जातक मंगली कहलाता है। मंगल जातक स्वभाव में विशेष प्रभाव करता है। मंगल के प्रभाव से जातक क्रोधी, उग्रता पूर्ण, एवं चड़चिडाहट पूर्ण व्यवहार करता है। यदि लग्न अथवा सप्तम भाव पर मंगल स्थित हो या सप्तम् भाव पर मंगल का प्रभाव (नीच दृष्टि, शत्रु) हो तथा किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक क्रोधी, अहंकारी, अभिमानी होता है और ये स्वभाव पति-पत्नी एवं परिवार के अन्य जनों के मध्य विवाद, गृह कलह का कारण उत्पन्न होता है।
उपाय-----
1. मंगलवार के दिन लाल गाय को गुड रोटी खिलाए
2. हनुमान चालीसा का पाठ करें।
3. शुक्ल पक्ष के मंगलवार का स्नानादि कर हनुमान मंदिर (दक्षिणमुखी) में चमेली का तेल सिन्दूर, गुड़, चना, एवं जनेऊ चढ़ाए और हनुमान संकट मोचन का पाठ करें। ऐसा लगातार सात मंगलवार करें।
4. मसूर दाल, गेंहूँ, गुड़, लाल पुष्प, ताँम्र-पात्र कुछ द्रव्य(दक्षिणा) सहित मंगलवार को ब्राह्मण या भिक्षुक को दान करें।
5. बन्दरों को चना-गुड़ खिलाए।
6. घर के सभी लोग संयुक्त रूप से भोजन करें। (दिन में एक बार भी कर सकते है।)
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शनि ग्रह के कारण गृह कलह एवं उपाय-----
यदि शनि की दृष्टि प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ अथव सप्तम् भाव में प्रभाव डालती है और साथ ही शनि अन्य पापी ग्रहों से सम्बन्ध बनता हों तो ऐसे शनि दाम्पत्य जीवन को उत्साह उमंग से क्षीण, परस्पर अकर्षक से विहीन बनता है। पति-पत्नी एवं परिवार के सदस्य साथ में रहते हुए पृथक रहने के समान जीवन व्यतीत करते हैं। आपस में चिड़चिडापर युक्त, कडवाहट युक्त एवं रूखा व्यवहार करते है। जिसके फलस्वरूप गृह कलह उत्पन्न होती है।
उपाय------
1. हनुमान चालीसा का पाठ नित्य करें।
2. सोलह सोमवार व्रत करें।
3. स्फाटिक या पारद शिवलिंग पर नित्य गाय का कच्चा दुध चढ़ाए फिर शुद्ध जल चढ़ाऐं और ओम् नमः शिवाय मन्त्र का जाप करें।
4. प्रदोष व्रत रखें।
5. प्रत्येक शनिवार को सूर्योदय के समय पीपल में तिल युक्त जल चढ़ाऐं और शाम को (सूर्यअस्त के बाद) तेल का दीपक जलाऐं।
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राहु ग्रह के कारण गृह कलह एवं उपाय------------------
जातक की कुण्डली में प्रथम, द्वितीय , चतुर्थ, सप्तम् भाव में राहु के दुष्प्रभाव के कारण दाम्पत्य जीवन एवं परिवार में विवाद, झगडे़ इत्यादि विषम परिस्थिति का सामना करना पड़ सकता है। राहु आकस्मिक क्रोध, वाणी कटुता, लोभ उत्पन्न करता है। जो गृह कलह का कारण होता है।
उपाय---------------
1. उड़द, तिल, तेल, काला कपड़ा छाता, सूपा, लोहे की चाकू, बुधवार के दिन सफाई कर्मचारी वर्ग के लोगों को दान करें।
2. शनिवार के दिन नीले वस्त्र में चार नारियल बांध कर नदी (बहते जलाशय) में लगातार सात शनिवार प्रवाहित करें।
3. केसर का तिलक माथे पर लागाऐं ।
4. मछली एवं पंक्षी को दाना खिलाऐं।
5. रुद्राभिषेक पूजन प्रत्येक प्रदोष में करें।
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पति-पत्नी के मध्य गृह कलह दूर करने हेतु उपाय-------
1. यदि पति-पत्नी के माध्य वाक् युद्ध होता रहता है तो दोनों पति-पत्नी को बुधवार के दिन दो घण्टे का मौन व्रत धारण करें।
2. पति को चाहिए की शुक्रवार को अपनी पत्नी को सुन्दर सुगन्ध युक्त पुष्प एवं इत्र भेंट करें एवं चाँदी की कटोरी चम्मच से दही शक्कर पत्नी को खिलाऐं।
3. पति को चाहिए की पत्नी की माँग में सिन्दूर भरें एवं पत्नी पति के मस्तक पर पीला तिलक लगाऐं।
4. स्त्री को चाहिए की अपने शयन कक्ष में 100 ग्राम सौंफ प्रातःकाल स्नान के बाद लाल कपडे में बांधकर रखें।
5. पति-पत्नी दोनों को फिरोज रत्न चाँदी में अनामिका आगुँली में धारण करें।
6. प्रतिदिन पति-पत्नी लक्ष्मी-नारायण या गौरी-शंकर के मन्दिर में जाऐं, सुगन्धित पुष्प चढ़ाऐं और दाम्पत्य सुख हेतु प्रार्थना करें।
7. पति-पत्नी सोमवार को दो-मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
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सास-बहु के बीच कलेश दूर करने के उपाय---------
1. घर के बर्तन के गिरने टकराने की आवाज न आने दें।
2. घर सजाकर सुन्दर रखें।
3. बहू को चाहिए की सूर्योदय से पहले घर में झाडू लगाकर कचड़े को घर के बाहर फेंके।
4. पितरों का पूजन करें।
5. प्रतिदिन पहली रोटी गाय को एवं आखरी रोटी कुत्ते को खिलाऐं।
6. ओम् शांति मन्त्र का जाप सास-बहू दोनों 21 दिन तक लगातर 11-11 माला करें।
7. रोटी बनाते समय तवा गर्म होने पर पहले उस पर ठंडे पानी के छींटे डाले और फिर रोटी बनाएं।
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भाई-भाई के बीच गृह कलह दूर करने के उपाय--------
1. गणेश जी एवं स्वामी कार्तिक जी का पूजन प्रतिदिन करें।
2. शिवलिंग पर शमी पत्र चढ़ाऐं।
3. विष्णु जी को तुलसी पत्र चढ़ाऐं।
4. माता-पिता एवं पूजनीय व्यक्तियों के चरण स्पर्श करें।
5. ओम् रामाय नमः मन्त्र का जप करें।
6. रामायण या रामचरित्र मानस का यथा शक्ति पाठ करें।
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देवरानी-जेठानी एवं ननद-भाभी में गृह कलह को दूर करने के उपाय-------
1. गाय के गोबर का दीपक बनाकर तेल रुई सहित उसे जलाऐं एवं मुख्य दरवाजे में रख कर उसमें थोड़ा गुड़ डालें।
2. ओम् नमः शिवशक्तिस्वरूपाय मम गृहे शांति कुरु-कुरु स्वाहा इस मन्त का जप 41 दिन तक नित्य 11 माला (रुद्राक्षमाला से) करें।
3. शिवलिंग में दूध एवं गंगाजल चढ़ाऐं और फिर बिल्व पत्र और पुष्प घर के सभी लोग चढ़ाऐं।
4. घर को सुन्दर, सजावट युक्त रखें एवं घर के चारों कोनो में शंख ध्वनि करें।
5. गीता का पाठ करें।
6. शिव जी का पूजन अपने पूरे परिवार सहित करें।
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गृह कलह शान्ति हेतु अन्य उपाय-------------
1. प्रतिदिन आटा गूथते समय एक चुटकी नकम एवं एक चुटकी बेसन उसमें मिला लें।
2. गेंहूँ चक्की पर पिसने जाने से पहले उसमें थोड़े से चने मिला दें तथा केवल सोमवार एवं शनिवार को ही गेंहूँ पिसवाऐं।
3. दुर्गा सप्तशती का पाठ नवरात्री में विद्वान पण्डित से कराऐं।
4. चीटियों का शक्कर खिलाऐं ।
5. घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में शौंच का स्थान न रखें एवं उस स्थान को साफ, और भार युक्त वास्तु से दूर रखें।
6. जो ग्रह कलह कारक हों उनकी वस्तुओं का दान करें।
7. कुण्डली के बली ग्रहों के मंत्रों का जप विद्वान पण्डित जी से या स्वयं किसी गुरु के सानिध्य में करें।
8. तेज स्वर (ऊंची आवाज) में बात न करें।
आइये हम और आप ज्योतिषीय दृष्टि से गृह कलह के कारणों एवं उनके उपाय के बारे में जानें----
ज्योतिष् के अनुसार जन्म कुण्डली में सप्तम भाव सप्तमेश, सप्तम् भाव में स्थित ग्रह सप्तम् भाव पर दृष्टि डालने वाले गृह तथा सप्तम् भाव के कारक ग्रह से व्यक्ति के दाम्पत्य जीवन के बारे में विचार किया जाता है। यदि जातक का सप्तम् बलहीन हो सप्तम् भाव पर शनि, मंगल, सूर्य या राहु-केतु पापी कूरुर ग्रह का प्रभाव हो गुरु एवं शुक्र अस्त हो या पापक्रांत (पापकरतारी) हों तो दाम्पत्य सुख में बाधा आती है।
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सूर्य-ग्रह के कारण गृह कलह एवं उपाय----
जातक की कुण्डली में यदि सूर्य प्रथम, द्वितीय और सप्तम् भावों पर प्रभाव होने पर और बलहीन व नीच राशि के सूर्य के सप्तम् भाव में होने पर जातक अहंकारी, स्वाभिमानी, अड़ियल एवं जिद्दी स्वाभाव का होता है। पत्नी या परिवार के अन्य लोगों से स्वाभिमान का टकराव उत्पन्न होता है और जो गृह कलह का कारण बनता है।
उपाय -
1. सूर्योदय से पूर्व स्नानादि कर भगवान् सूर्य को ताँबे के लोटे में पवित्र शुद्ध जल भरकर उसमें लाल पुष्प, रोरी, अक्षत, मसूर दाल या मलका, गुड़ डालकर सूर्योदय काल में निम्न मंत्र पढ़ते हुए अध्र्य दें। एहि सूर्य! सहस्त्रांशो ! तेजोराशे! जगत्पते! अनुकम्प मां भक्त्या गृहाणाघ्र्यं दिवाकर!
2. ताँबे की अगुँठी या कड़ा दाहिने हाथ में घारण करें।
3. रविवार को दोपहर के समय लाल गाय को हाथों में भरकर गेहूँ खिलाए। कृपया जीमन में न डालें।
4. सूर्य भगवान के हृदय स्त्रोत का पाठ करें।
5. किसी विद्वान पण्डित से सूर्य की शान्ति जप सहित करवाए।
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मंगल ग्रह के कारण गृह कलह एवं उपाय----
मंगल एक उग्र एवं पापी ग्रह माना जाता है। जब जन्म कुण्डली में मंगल प्रथम, चैथे, सातवें, आठवें, या बारहवें भाव में स्थित हों तो जातक मंगली कहलाता है। मंगल जातक स्वभाव में विशेष प्रभाव करता है। मंगल के प्रभाव से जातक क्रोधी, उग्रता पूर्ण, एवं चड़चिडाहट पूर्ण व्यवहार करता है। यदि लग्न अथवा सप्तम भाव पर मंगल स्थित हो या सप्तम् भाव पर मंगल का प्रभाव (नीच दृष्टि, शत्रु) हो तथा किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक क्रोधी, अहंकारी, अभिमानी होता है और ये स्वभाव पति-पत्नी एवं परिवार के अन्य जनों के मध्य विवाद, गृह कलह का कारण उत्पन्न होता है।
उपाय-----
1. मंगलवार के दिन लाल गाय को गुड रोटी खिलाए
2. हनुमान चालीसा का पाठ करें।
3. शुक्ल पक्ष के मंगलवार का स्नानादि कर हनुमान मंदिर (दक्षिणमुखी) में चमेली का तेल सिन्दूर, गुड़, चना, एवं जनेऊ चढ़ाए और हनुमान संकट मोचन का पाठ करें। ऐसा लगातार सात मंगलवार करें।
4. मसूर दाल, गेंहूँ, गुड़, लाल पुष्प, ताँम्र-पात्र कुछ द्रव्य(दक्षिणा) सहित मंगलवार को ब्राह्मण या भिक्षुक को दान करें।
5. बन्दरों को चना-गुड़ खिलाए।
6. घर के सभी लोग संयुक्त रूप से भोजन करें। (दिन में एक बार भी कर सकते है।)
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शनि ग्रह के कारण गृह कलह एवं उपाय-----
यदि शनि की दृष्टि प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ अथव सप्तम् भाव में प्रभाव डालती है और साथ ही शनि अन्य पापी ग्रहों से सम्बन्ध बनता हों तो ऐसे शनि दाम्पत्य जीवन को उत्साह उमंग से क्षीण, परस्पर अकर्षक से विहीन बनता है। पति-पत्नी एवं परिवार के सदस्य साथ में रहते हुए पृथक रहने के समान जीवन व्यतीत करते हैं। आपस में चिड़चिडापर युक्त, कडवाहट युक्त एवं रूखा व्यवहार करते है। जिसके फलस्वरूप गृह कलह उत्पन्न होती है।
उपाय------
1. हनुमान चालीसा का पाठ नित्य करें।
2. सोलह सोमवार व्रत करें।
3. स्फाटिक या पारद शिवलिंग पर नित्य गाय का कच्चा दुध चढ़ाए फिर शुद्ध जल चढ़ाऐं और ओम् नमः शिवाय मन्त्र का जाप करें।
4. प्रदोष व्रत रखें।
5. प्रत्येक शनिवार को सूर्योदय के समय पीपल में तिल युक्त जल चढ़ाऐं और शाम को (सूर्यअस्त के बाद) तेल का दीपक जलाऐं।
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राहु ग्रह के कारण गृह कलह एवं उपाय------------------
जातक की कुण्डली में प्रथम, द्वितीय , चतुर्थ, सप्तम् भाव में राहु के दुष्प्रभाव के कारण दाम्पत्य जीवन एवं परिवार में विवाद, झगडे़ इत्यादि विषम परिस्थिति का सामना करना पड़ सकता है। राहु आकस्मिक क्रोध, वाणी कटुता, लोभ उत्पन्न करता है। जो गृह कलह का कारण होता है।
उपाय---------------
1. उड़द, तिल, तेल, काला कपड़ा छाता, सूपा, लोहे की चाकू, बुधवार के दिन सफाई कर्मचारी वर्ग के लोगों को दान करें।
2. शनिवार के दिन नीले वस्त्र में चार नारियल बांध कर नदी (बहते जलाशय) में लगातार सात शनिवार प्रवाहित करें।
3. केसर का तिलक माथे पर लागाऐं ।
4. मछली एवं पंक्षी को दाना खिलाऐं।
5. रुद्राभिषेक पूजन प्रत्येक प्रदोष में करें।
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पति-पत्नी के मध्य गृह कलह दूर करने हेतु उपाय-------
1. यदि पति-पत्नी के माध्य वाक् युद्ध होता रहता है तो दोनों पति-पत्नी को बुधवार के दिन दो घण्टे का मौन व्रत धारण करें।
2. पति को चाहिए की शुक्रवार को अपनी पत्नी को सुन्दर सुगन्ध युक्त पुष्प एवं इत्र भेंट करें एवं चाँदी की कटोरी चम्मच से दही शक्कर पत्नी को खिलाऐं।
3. पति को चाहिए की पत्नी की माँग में सिन्दूर भरें एवं पत्नी पति के मस्तक पर पीला तिलक लगाऐं।
4. स्त्री को चाहिए की अपने शयन कक्ष में 100 ग्राम सौंफ प्रातःकाल स्नान के बाद लाल कपडे में बांधकर रखें।
5. पति-पत्नी दोनों को फिरोज रत्न चाँदी में अनामिका आगुँली में धारण करें।
6. प्रतिदिन पति-पत्नी लक्ष्मी-नारायण या गौरी-शंकर के मन्दिर में जाऐं, सुगन्धित पुष्प चढ़ाऐं और दाम्पत्य सुख हेतु प्रार्थना करें।
7. पति-पत्नी सोमवार को दो-मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
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सास-बहु के बीच कलेश दूर करने के उपाय---------
1. घर के बर्तन के गिरने टकराने की आवाज न आने दें।
2. घर सजाकर सुन्दर रखें।
3. बहू को चाहिए की सूर्योदय से पहले घर में झाडू लगाकर कचड़े को घर के बाहर फेंके।
4. पितरों का पूजन करें।
5. प्रतिदिन पहली रोटी गाय को एवं आखरी रोटी कुत्ते को खिलाऐं।
6. ओम् शांति मन्त्र का जाप सास-बहू दोनों 21 दिन तक लगातर 11-11 माला करें।
7. रोटी बनाते समय तवा गर्म होने पर पहले उस पर ठंडे पानी के छींटे डाले और फिर रोटी बनाएं।
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भाई-भाई के बीच गृह कलह दूर करने के उपाय--------
1. गणेश जी एवं स्वामी कार्तिक जी का पूजन प्रतिदिन करें।
2. शिवलिंग पर शमी पत्र चढ़ाऐं।
3. विष्णु जी को तुलसी पत्र चढ़ाऐं।
4. माता-पिता एवं पूजनीय व्यक्तियों के चरण स्पर्श करें।
5. ओम् रामाय नमः मन्त्र का जप करें।
6. रामायण या रामचरित्र मानस का यथा शक्ति पाठ करें।
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देवरानी-जेठानी एवं ननद-भाभी में गृह कलह को दूर करने के उपाय-------
1. गाय के गोबर का दीपक बनाकर तेल रुई सहित उसे जलाऐं एवं मुख्य दरवाजे में रख कर उसमें थोड़ा गुड़ डालें।
2. ओम् नमः शिवशक्तिस्वरूपाय मम गृहे शांति कुरु-कुरु स्वाहा इस मन्त का जप 41 दिन तक नित्य 11 माला (रुद्राक्षमाला से) करें।
3. शिवलिंग में दूध एवं गंगाजल चढ़ाऐं और फिर बिल्व पत्र और पुष्प घर के सभी लोग चढ़ाऐं।
4. घर को सुन्दर, सजावट युक्त रखें एवं घर के चारों कोनो में शंख ध्वनि करें।
5. गीता का पाठ करें।
6. शिव जी का पूजन अपने पूरे परिवार सहित करें।
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गृह कलह शान्ति हेतु अन्य उपाय-------------
1. प्रतिदिन आटा गूथते समय एक चुटकी नकम एवं एक चुटकी बेसन उसमें मिला लें।
2. गेंहूँ चक्की पर पिसने जाने से पहले उसमें थोड़े से चने मिला दें तथा केवल सोमवार एवं शनिवार को ही गेंहूँ पिसवाऐं।
3. दुर्गा सप्तशती का पाठ नवरात्री में विद्वान पण्डित से कराऐं।
4. चीटियों का शक्कर खिलाऐं ।
5. घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में शौंच का स्थान न रखें एवं उस स्थान को साफ, और भार युक्त वास्तु से दूर रखें।
6. जो ग्रह कलह कारक हों उनकी वस्तुओं का दान करें।
7. कुण्डली के बली ग्रहों के मंत्रों का जप विद्वान पण्डित जी से या स्वयं किसी गुरु के सानिध्य में करें।
8. तेज स्वर (ऊंची आवाज) में बात न करें।