Friday, October 10, 2014

रिश्ते और ज्योतिष


रिश्ते और ज्योतिष

मानव एक सामाजिक प्राणी है | हम समाज से जुड़े रहते हैं | समाज में भी हम रिश्तों की डोर से बंधे रहते हैं | कभी कभी रिश्ते हमारे लिए महत्वपूर्ण बन जाते हैं | ऐसे भी रिश्ते होते हैं जिनसे हमें ख़ास लगाव रहता है |

यदि ये रिश्ते न हों तो शायद दुनिया में किसी को किसी की या फिर यूं कहिये कि अपनी भी फ़िक्र न हो |

इन्ही रिश्तों को ज्योतिष की दृष्टि से भी देखा जा सकता है | आपकी जन्मकुंडली बता सकती है कि आपके परस्पर सम्बन्ध कैसे रहेंगे | भाई, बहन, माँ बाप, दादा, दादी, नाना और नानी से लेकर ससुराल सास ससुर और साले आदि का भी विश्लेष्ण आपकी जन्मकुंडली के द्वारा किया जा सकता है |

शुक्र स्त्री का कारक है | पुरुष की कुंडली हो तो शुक्र पत्नी का कारक है | चंद्रमा माता है और सूर्य पिता हैं |

बुध से छोटी या बड़ी बहन का विचार किया जाता है | मंगल भाई का कारक है | गुरु स्त्री की कुंडली में पति का परिचायक है | अधिक अंशों में बुध का विचार मामा से किया जाता है | मामा या मौसी के बारे में देखने के लिए बुध के अंश देखिये | अधिक गहराई से देखने के लिए मैं हमेशा नक्षत्रों को भी गिनता हूँ | शनि से ताया का विचार किया जाता है और राहू से ससुराल और ससुराल से जुड़े सभी लोगों का पता लगाया जाता है | यदि हम नक्षत्रों को साथ लेकर चलते हैं तो हम गहराई से किसी भी रिश्ते के बारे में जान सकते हैं | जैसे कि मेरी ससुराल कैसी होगी| मेरी सास के साथ मेरी बनेगी या नहीं | साले और सालियाँ या जीजा और बड़ी बहन के विषय में राहू और राहू के नक्षत्रों से काफी कुछ जाना जा सकता है |

इसी तरह हम जन्मकुंडली में भी देख सकते हैं | पहला घर यानी आप | आपसे सातवाँ घर आपकी पत्नी का है |

लग्न से चौथा घर यानी माँ का है तो माँ के घर से सातवाँ आपके पिता का | तीसरे घर से भाई का विचार किया जाता है और भाई के घर से सातवाँ उसकी पत्नी यानी आपकी भाभी का है | ननिहाल से सम्बंधित रिश्ते देखने के लिए आपको माता के घर का पता होना आवश्यक है | तभी आप ननिहाल पक्ष के नातेदारों के विषय में देख पायेंगे | कुंडली का चौथा घर आपकी माँ का है और माँ का भाई यानी आपके मामा या माता की बहन यानी आपकी मौसी के बारे में जानने के लिए माता से तीसरा यानी छठां घर आपके मामा और मौसी का है | कुंडली के तीसरे घर से भाई का विचार किया जाता है |

यदि पत्नी के भाई का विचार करना हो तो पत्नी का स्थान यानी सातवाँ और सातवें से तीसरा पत्नी के भाई का होता है | इस तरह नौवें घर से आप अपने साले और सालियों के बारे में जान सकते हैं |

विवाह से पहले अधिकतर लड़कियां अपनी ससुराल के बारे में जानना चाहती हैं यानी उनके ससुर कैसे होंगे | देवर, देवरानी जेठ, जेठानी, ननद, जीजा और सास ससुर के साथ सम्बन्ध कैसे रहेंगे | क्या लम्बे समय तक आपके सम्बन्ध कायम रहेंगे ? क्या आपको सास या ससुर से प्यार मिलेगा ? क्या आपके पति का छोटा भाई यानी आपका देवर लक्ष्मण की भांति आपकी सेवा करेगा ?

इसी तरह के सवालों के जवाब के लिए आपको ये समझ होनी आवश्यक है कि जिस स्थान में पाप ग्रह बैठा है उस घर से सम्बंधित सभी रिश्तों से आपको निराशा ही मिलेगी | जैसे कि दशम भाव में राहू होने से आपकी ससुराल आपके लिए न के बराबर रहेगी यानी संबंधों में न्यूनता | यदि आपका शनि नीच का है तो आपके घर में बुजुर्गों का हमेशा अभाव रहेगा | यदि राहू आपकी कुंडली में अच्छा नहीं है तो ससुराल से आपको कोई विशेष लाभ नहीं होगा और यदि आपका राहू अच्छा है तो ससुराल से न केवल आपके जीवन भर मधुर सम्बन्ध जुड़े रहेंगे अपितु समय समय पर ससुराल से मदद भी मिलेगी |

सबसे पक्का रिश्ता

सबसे पक्का रिश्ता दोस्ती का माना जाता है जो कभी टूटने के बाद भी फिर से जुड़ने की उम्मीद रहती है | दोस्ती ही एकमात्र वह रिश्ता है जिसके न होने से आपको हर रिश्ता अधूरा लगेगा |
कुछ लोगों की किस्मत में दोस्त होते ही नहीं या फिर उन्हें दोस्तों से हमेशा धोखा ही मिलता है | ऐसा क्यों होता है ? आइये एक नज़र डालते हैं इस रिश्ते पर भी |

बुध आपकी कुंडली में यदि शुभ स्थिति में है तो आपके मित्र आपके सगे सम्बन्धियों से ज्यादा आपको चाहेंगे | आपको एक या एक से अधिक मित्र ऐसे उपलब्ध रहेंगे जैसे कि आपकी परछाई हों |

जीवन में किसी भी प्रकार की विपरीत स्थिति में आपके मित्र आपके समक्ष प्रस्तुत रहेंगे और आपकी मदद करेंगे और आप भी उनके बिना नहीं रह पाएंगे | इसके विपरीत बुध यदि राहू के साथ है और निर्बल है तो फिर मित्रों से दूर रहने का ही प्रयत्न कीजिये क्योंकि आपके मुह पर तो वे आपके पक्ष में रहेंगे परन्तु समय पड़ने पर जड़ काटने को भी तैयार रहेंगे | हो सकता है कि किसी समय काम भी आ जाएँ परन्तु यहाँ भी उनका किसी न किसी प्रकार का स्वार्थ छिपा रहेगा |

शनि के साथ बुध होने पर आपके मित्र बुरे नहीं होंगे | बुध के साथ सूर्य रहने पर आप जैसा व्यवहार अपने मित्रों के साथ करेंगे आपको भी वैसा ही फल मिलेगा | यदि आप स्वार्थी हैं तो आपके मित्र भी स्वार्थी होंगे | एक फायदा आपको हमेशा रहेगा | आप मित्रों से हमेशा घिरे रहेंगे | गुरु के साथ बुध होने पर आपके मित्र सच्चे और सहायक होने के साथ साथ आपके गुण दोष आपके मुह पर कहने वाले होंगे | आपकी पीठ पीछे कोई आपकी बुराई नहीं करेगा |

केतु यदि बुध के साथ हो तो आपके मित्र मददगार तो होंगे परन्तु सामान्य लोगों से आपकी मित्रता नहीं होगी | आपके मित्र ऊँचे दर्जे के होंगे | यदि केतु शुभ है तो बड़े लोगों के साथ आपकी मित्रता खतरनाक लोगों के साथ रहेगी |
शुक्र बुध के साथ है तो स्त्रियों से मित्रता रहेगी और यदि चन्द्रमा बुध के साथ है तो हर किसी व्यक्ति को आप अपना मित्र बना सकते हैं | यहाँ तक कि आपमें शत्रुओं को भी अपने पक्ष में रखने की शक्ति होगी |

बेमेल विवाह और जन्मकुंडली

बेमेल विवाह और जन्मकुंडली

हमारे समाज में बेमेल विवाह एक मामूली सी बात है | इसमें पति और पत्नी में भारी अंतर होता है | अधिकतर मामलों में पति की उम्र विवाह के समय पत्नी से दुगनी होती है | महिलाएं इससे सर्वाधिक प्रभावित हैं | जैसा कि देखने में आता है कि पति पत्नी में काफी अंतर दिखाई देता है | सामान्य न लगने वाला यह संजोग बेमेल विवाह कहलाता है | हाल भी में उत्तर प्रदेश के कटिहार से एक ईमेल के जरिये एक नवविवाहिता ने अपने बारे में पूछा कि ऐसे क्यों हुआ | क्यों उसकी शादी उससे कम पढ़े लिखे युवक से कर दी गई | उस महिला ने बताया कि स्नातकोत्तर की डिग्री होते हुए भी एक ड्राइवर से उसकी शादी हो गई जो कि मैट्रिक भी पास नहीं है |
शिक्षा की दृष्टि से देखें या करियर की दृष्टि से | उम्र के लिहाज से या शरीर के किसी नुख्स के नजरिये से, हर कोई बेमेल विवाह से दुखी हो सकता है | विशेषकर तब जबकि व्यक्ति विशेष को इस बात का पहले से पता न हो कि उसके साथ क्या होने जा रहा है |
हाल ही में अम्बाला में ३३ वर्षीय एक लड़की को मंगलीक होने की वजह से जब कोई उपयुक्त वर नहीं मिला तो उसने २३ वर्षीय एक लड़के के साथ गुपचुप विवाह कर लिया और अपने परिवार से नाता तोड़ लिया | अपने से बड़ी उम्र की दुल्हन के साथ विवाह करने वाला कोई भी व्यक्ति कभी तो यह महसूस करेगा ही कि यह अनमेल विवाह क्यों हुआ |
चाहे कोई अपनी छात्रा से विवाह करे या दो लड़के आपस में विवाह करें, चाहे उम्र का फासला अधिक हो या पत्नी ज्यादा कमाती हो | गोर काले का भेद हो या दोनों में से एक बेहद खूबसूरत और दूसरा बदसूरत | सवाल अनपढ़ और पढ़े लिखे का हो या गरीब अमीर का | सभी चीजों को लोग बेमेल मानते हैं और ये नहीं जानते कि ये बेमेल विवाह उनके कर्मों के अनुसार परमात्मा की इच्छा से मिला है जिसे दोष नहीं दिया जा सकता |
सबकी अपनी अपनी सोच है | मेरी सोच केवल यही है कि जो भी होता है आपके कर्मानुसार पूर्वनिर्धारित है जिसे भगवान् की इच्छा समझ कर ग्रहण करना चाहिए | फिर भी पिछले कुछ दिनों में लोगों ने बेहद सवाल किये हैं कि ऐसा क्यों होता है | कुछ लोग जानना चाहते हैं कि उनके विवाह से पहले उन्हें इस बात की सूचना मिल जाए तो बेमेल विवाह नहीं होंगे |
यह आपकी सोच है परन्तु मेरे अनुसार बेमेल विवाह वह है जिसमे एक व्यक्ति घोर मंगलीक है और दूसरा कुंडली में विशवास न रखते हुए बिना मिलान किये शादी करने को तैयार है | बेमेल विवाह वो है जिसमे एक को पता है कि वो मंगली है और दूसरा नहीं | बेमेल विवाह वह है जिसमे धोखा दिया जाए और असलियत छुपा ली जाए |
संभव है कि यदि आप अपनी कुंडली का निरीक्षण करके अपने भाग्य का पता लगा कर अपने जीवन साथी के बारे में सचेत हो जाएँ तो जन्म लेने से पहले ही विवाद ख़त्म हो जाए | इसी आशा के साथ प्रस्तुत हैं ऐसे विवाह योग जिन्हें आप अपनी कुंडली में आसानी से देख सकते हैं |
कुंडली के अनुसार बेमेल विवाह
यदि आपकी कुंडली में सप्तमेश लग्न से असाधारण रूप से बलवान है तो आपमें और आपके जीवनसाथी में काफी अंतर होगा |
यदि पुरुष की कुंडली में शुक्र नीच का हो और सप्तमेश शुक्र का शत्रु हो जैसे कि सूर्य, मंगल या चन्द्र तो विवाह अनमेल होगा | ऐसे योग में आपकी पत्नी में और आपमें बहुत अधिक अंतर होगा |

यदि किसी भी प्रकार से मंगल की दृष्टि शुक्र और सप्तम स्थान दोनों पर पड़ती हो तो विवाह अनमेल होगा | पति या पत्नी में से कोई एक अपंग होगा |
शुक्र या गुरु को मंगल और शनि देख रहे हों और सप्तम स्थान पर कोई शुभ ग्रह न हो तो विवाह अनमेल होगा | इस योग में विवाह के बाद दोनों में से कोई एक मोटापे की और अग्रसर हो जाता है

गुरु लग्न में वृषभ, मिथुन, कन्या राशी में हो और उस पर शनि की दृष्टि हो तो व्यक्ति का शरीर विवाह के बाद बहुत बेडोल हो जाता है इसके विपरीत यदि शुक्र स्वराशी में या अच्छी स्थिति में हो तो पति पत्नी में जमीन आसमान का फर्क नज़र आता है |
शनि लग्न में हो और गुरु सप्तम में हो तो पति पत्नी की उम्र में काफी अंतर होता है |
राहू केतु लग्न और सप्तम में हों और लग्न या सप्तम भाव पर शनि की दृष्टि हो तो देखने में पति पत्नी की सुन्दरता में भारी अंतर होता है यानि एक बेहद खूबसूरत और दूसरा इसके विपरीत |

क्या कारण हैं
लग्न आपका अपना शरीर है और सातवाँ घर आपके पति या पत्नी का परिचायक है | यदि खूबसूरती का प्रश्न हो तो सब जानते हैं कि राहू और शनि खूबसूरती में दोष उत्पन्न करते हैं | गुरु मोटापा बढाता है | शुक्र के कमजोर होने से शरीर में खूबसूरती और आकर्षण का अभाव रहता है | मंगल शरीर के किसी अंग में कमी ला सकता है और राहू सच को छिपा कर आपको वो दिखाता है जो आप देखना चाहते हैं |
इसी कारण ऐसा होता है और यदि आपको ये वहम हो जाए कि आपके साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ है या हो सकता है तो आपके विचार और प्रश्न आमंत्रित हैं | यदि मैं माध्यम बनकर आपके बेमेल विवाह में बाधक बन सकूं तो हो सकता है कि यह भी परमपिता परमात्मा की ही इच्छा हो |

दुर्भाग्य और परिहार

दुर्भाग्य और परिहार

कुछ लोगों के जीवन में शादी के बाद उथल पुथल शुरू हो जाती है | यदि शादी के बाद आप कुछ अच्छा अनुभव नहीं कर रहे हैं या भाग्य साथ नहीं दे रहा है तो जन्मकुंडली में इसके कारण का पता लगा कर इसका परिहार किया जा सकता है |
यदि शुक्र पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो शादी के बाद भाग्य चमकने की बजाये दुर्भाग्य में भी बदल सकता है | ऐसी स्थिति में यह जानना आवश्यक है कि वह कौन सा ग्रह है जो शुक्र पर बुरा प्रभाव डाल रहा है | मैं एक एक करके सभी ग्रहों का वर्णन करता हूँ |
चन्द्र, बुध और गुरु से शुक्र को उतनी हानि नहीं होती इसलिए केवल उन्ही ग्रहों की चर्चा करूंगा जो शुक्र या विवाह के लिए बाधक बन सकते हैं |
इनमे सबसे ऊपर नाम आता है राहू का | राहू यदि भाग्य में अवरोध पैदा कर रहा हो तो बहुत ही चमत्कारी उपाय है | धर्म स्थान मंदिर, मस्जिद या गुरुद्वारा आदि में जो थोड़ी बहुत गन्दी जगह दिखे वहां पर राहू का वास होता है | उस जगह पर झाड़ू लगाने से आप राहू को धर्म के स्थान से अलग कर सकते हैं | रोज न हो सके तो प्रत्येक शनिवार को यह उपाय करें | इसके अतिरिक्त किसी से स्टील का कोई बर्तन मुफ्त में न लें | यदि पहले लिया हो तो किसी तरह उसे वापस कर दें या उसकी कीमत दे दें |
शनि से शुक्र को उतना नुक्सान नहीं पहुँचता जितना सूर्य, मंगल और राहू से होता है | यदि शनि भाग्य में अवरोध का कारण हो तो किसी बुजुर्ग को कपडे भेंट करें | मंदिर / धर्मस्थान में पेठा दान करें | इसके अतिरिक्त एक और आजमाया हुआ उपाय है जो बहुत लाभदायक सिद्ध होता है | शुक्रवार के दिन स्टील का नया ताला खरीद लें और शनिवार की सुबह पांच बजे से पहले किसी धर्म स्थान में दान कर दें | ताले को बंद करके चाबी बीच में ही छोड़ दें और आते हुए पीछे मुड़कर न देखें |
मंगल यदि भाग्य में अवरोध पैदा कर रहा हो तो मंगलवार के दिन तंदूरी रोटी और खीर के साथ कद्दू की सब्जी का भोजन और कुछ पैसे किसी विकलांग व्यक्ति को दोपहर के समय दें | हर मंगलवार यह उपाय करें |
यदि सूर्य भाग्य में बाधक बन जाए तो आलस्य छोड़ दीजिये और सूर्योदय से पूर्व उठाना प्रारम्भ कर दीजिये | स्नानोपरांत ताम्बे के पात्र में जल भरकर थोडा दूध और केसर मिला कर यह जल सूर्यदेव को तब अर्पण कीजिये जब सूर्य उदय हो  रहा हो | केवल चालीस दिन में भाग्य में आ रहा अवरोध समाप्त हो जाएगा |

कौन और कैसा होगा आपका जीवन साथी


कौन और कैसा होगा आपका जीवन साथी


प्रेम व्यक्ति में स्वाभाविक रूप से जागृत होता है | प्रेम ही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा अजनबी एक दुसरे के प्रति समर्पण को जान पाते हैं | दो व्यक्तियों के बीच पनपने वाले इस भाव का लक्ष्य शादी पर संपन्न हो जाए तो प्रेम को पूर्णता मिल जाती है |

प्रेम करने वाले युवक युवतियों से हर रोज मेरी बात होती है | प्रेम के विषय पर लोगों से मेरी चर्चा जब भी होती है कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है | यही मेरे ज्ञान का स्त्रोत है | कुछ सालों से मैंने लोगों से जितना सीखा है उतना ज्ञान किताबों से मिलना मुमकिन नहीं है | माँ सरस्वती का यह आशीर्वाद मेरे लिए दुर्लभ है |

माँ सरस्वती की कृपा से कुछ ऐसे तथ्य जो हाल ही में मैंने आप लोगों से ही सीखे हैं इस लेख के माध्यम से प्रस्तुत कर रहा हूँ |

प्रेम विवाह और जन्मकुंडली
जैसा कि वास्तविक जीवन में होता है | अनायास ही मुलाकात होती है और कोई अजनबी अपना लगने लगता है | जन्मकुंडली में भी कुछ ग्रह ऐसे होते हैं जो अनायास होने वाली घटनाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं | हर अजनबी पर राहू की सत्ता है क्योंकि आप उसके विषय में कुछ नहीं जानते | राहू रहस्य के लिए जाना जाता है | इसलिए प्रेम को समझने के लिए राहू को समझना अत्यंत आवश्यक है |

मैंने देखा है जिस स्थान से राहू का सम्बन्ध हो उस स्थान से सम्बंधित काम अचानक ही होते हैं | प्रेम का भाव शुक्र से पनपता है | यदि आपका शुक्र अच्छा है तो आप प्रेम कर पायेंगे | प्रेम को समझने की आपमें शक्ति होती | प्रेम की अनुभूति आपके लिए नयी चीज नहीं होगी |

इस बात को थोड़ी और गहराई से समझते हैं | इस दुनिया में जितनी चमकदार चीजें हैं जिन्हें देखकर मन मोहित हो जाता है उन पर शुक्र का आधिपत्य है | मन को बहलाने के लिए या खुश होने के लिए या जिन कार्यों से ख़ुशी प्राप्त होती है उन सभी पर शुक्र का साम्राज्य है |

यदि आपका राहू अच्छा है तो अजनबी लोगों के दिल का हाल जानने की क्षमता आपमें होगी | आपका लगाया गया अनुमान गलत साबित नहीं होगा परन्तु यदि कुंडली में राहू खराब है तो आप किसी व्यक्ति को तब तक नहीं समझ पायेंगे जब तक काफी देर न हो चुकी हो |

शुक्र और राहू यदि दोनों अच्छे हैं तो प्रेम भी होगा और प्रेम विवाह भी होगा | आप अपने जीवन साथी विषय में अनुमान लगा पायेंगे कि वह इस समय सुख में है या दुःख में है | यही प्रेम है और यही प्रेम की पूर्णता है |

इस तरह शुक्र और राहू बहुत कुछ कहते हैं जिन्हें समझ पाने के लिए ज्ञान और अनुभव दोनों की आवश्यकता होगी |

किस से होगी शादी आपकी शादी 
यदि आपके माता पिता आपके लिए वर / वधु की तलाश कर रहे हैं और आपका मन कहीं और अटका है तो यह सवाल आपके मन में अवश्य आएगा | किन्ही दो व्यक्तियों की कुंडली देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह दोनों पति पत्नी बनेंगे या नहीं | इस सम्बन्ध में सटीक भविष्यवाणी करने के पीछे मेरे पास कुछ सिद्धांत हैं जिन्हें पढ़कर और समझकर आप भी शत प्रतिशत अनुमान लगा सकते हैं कि आपकी शादी किस से होने वाली है और किस से नहीं |

दो कुंडलियों में यदि समान लग्न, समान राशि, समान नवांश लग्न और समान नवमांश मिले तो चालीस प्रतिशत एक और लिख लें |

आपकी कुंडली के सातवें घर का स्वामी यदि आपके साथी की कुंडली में यदि नवांश लग्न में है या नवांश से किसी भी प्रकार का सम्बन्ध रखता है तो पचास प्रतिशत एक ओर लिख लें |

आपका शुक्र और आपके साथी का शुक्र किसी एक ही ग्रह की राशि में हैं तो पचास प्रतिशत एक ओर लिख लें |

आपकी कुंडली का…
सप्तमेश और आपके जीवन साथी की कुंडली का सप्तमेश,
शुक्र और आपके जीवन साथी का शुक्र,
नवांश लग्नेश और जीवन साथी का नवांश लग्नेश,
लड़के का गुरु और लड़की का शुक्र,

यदि एक ही राशि में बैठे हों, एक दुसरे को देख रहे हों या एक ही ग्रह की राशि में हों तो यह संभावना साथ प्रतिशत बढ़ जाती है कि आपमें मेल होगा |

यदि आपकी कुंडली में सातवें घर में कोई वक्री ग्रह है और आपके साथी की कुंडली में भी कोई वक्री ग्रह सातवें घर में है तो आप दोनों के बीच शादी की संभावना सत्तर प्रतिशत होगी |

यदि लड़का और लड़की दोनों के सप्तमेश एक ही ग्रह के नक्षत्र में हों

यदि लड़का और लड़की दोनों के लग्नेश एक ही ग्रह के नक्षत्र में हों

यदि लड़का और लड़की दोनों के नवांश लग्नेश एक ही ग्रह के नक्षत्र में हों

तो शादी की संभावना तीस प्रतिशत तक होती है |

ऊपर लिखे नियमों में से एक से अधिक नियम यदि मिल जाएँ तो परस्पर शादी संभव होती है |

इस तरह के और भी नियम हैं जो केवल तभी प्रकट होते हैं जब सामने कुंडली हो और जिन्हें बिना देखे व्यक्त नहीं किया जा सकता |
मनपसन्द व्यक्ति से शादी

हर व्यक्ति की इच्छा होती है कि उसकी शादी उसकी पसंद के अनुसार हो | प्रस्तुत है कुछ ऐसे नियम जब आप की शादी मनचाहे जीवन साथी से होती है |

यदि सातवें घर में कोई ग्रह स्वराशी हो तो आप अपने जीवन साथी को पहली बार देखते ही पसंद करने लगेंगे | परन्तु कभी कभी केवल स्वराशी में होना पर्याप्त नहीं होता | फिर भी यह नियम सौ में से साठ लोगों पर लागू होगा |

मनपसंद व्यक्ति से शादी का मतलब यह नहीं की आपका जीवनसाथी अत्यंत सुन्दर हो अपितु कुछ लोगों की पसंद यह भी होती है कि जीवन साथी अच्छे स्वभाव वाला तथा प्रेम करने वाला हो | यदि आप स्त्री हैं और गुरु कुंडली के 1, 3, 7, 11वें घर में है तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि आपके पति से आपको प्रेम मिलेगा और आपके पति आपका ध्यान रखेंगे | परन्तु ऐसे गुरु पर यदि राहू, शनि का प्रभाव हो तो प्रेम तो मिलेगा परन्तु प्रेम के लिए तरसना भी पड़ेगा |

सातवें घर के स्वामी पर यदि गुरु, शुक्र, बुध और चन्द्र का प्रभाव हो तो भी आप उम्मीद कर सकते हैं कि आपके पति / पत्नी में बहुत से गुण ऐसे होंगे जो आपको पसंद हैं |

सातवें घर या सातवें घर के स्वामी पर शुक्र का प्रभाव होना ही इस बात के लिए काफी होता है कि जीवन साथी आकर्षक होगा |

आपकी कुंडली का नवमांश इस बात की पूरी जानकारी देता है कि आपका जीवनसाथी कैसा होगा | आपकी पसंद का होगा या आप उसे नापसंद करेंगे | समझदार होगा या लापरवाह | आपसे प्यार करेगा या आपसे दूर भागेगा | आदर्श जीवन साथी होगा नहीं |

बहरहाल कुंडली देखने के मेरे अपने नियम हैं मेरी अपनी विचारधारा है | हो सकता है कि मैंने अधिक ध्यान से यह लेख न लिखा हो या फिर आप मेरे विचारों से सहमत न हों | फिर भी मैं आपका आभारी रहूँगा यदि आप इस लेख के विषय में अपने विचार प्रकट करेंगे |

Saturday, October 4, 2014

यदि नहीं मिल पा रहा मनचाहा जॉब,

यदि नहीं मिल पा रहा मनचाहा जॉब, तो बस इतना कर लीजिए

क्या आप भी नौकरी की तलाश में है? क्या आप अपनी वर्तमान नौकरी से खुश नहीं हैं? क्या आप नौकरी बदलना चाहते हैं? पेश है कुछ आसान से चमत्कारी टोटके खास आपके लिए, जो निश्चित रूप से दिलाएंगे आपको मनचाहा आकर्षक जॉब। तुरंत आजमाएं यह सरल से 10 उपाय-

बजरंग बली का फोटो जिसमें उनका उड़ता हुआ चित्र हो घर में रखना चाहिए और उसकी पूजा करना चाहिए।

आपको नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाना है तो घर से निकलने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

शनिवार के दिन शनि देव का विधिपूर्वक पूजन करके नीचे लिखे मंत्र का 108 बार जप करें। मंत्र – ॐ शं शनैश्चराय नम:

रोज सुबह पक्षियों को सात प्रकार के अनाजों को एकसाथ मिलाकर खिलाएं और मंदिर में दर्शन करें।

एक नींबू के ऊपर चार लौंग गाड़ दें और ‘ॐ श्री हनुमते नम:’ मंत्र का 108 बार जप करके नींबू को अपने साथ लेकर जाएं। आपका काम अवश्य बन जाएगा।

रोजाना शिवलिंग पर जल चढ़ाकर अक्षत यानी चावल अर्पित करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार इस उपाय से व्यक्ति को अखंड लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।इ
इंटरव्यू देने जाते समय यदि रास्ते में कोई गाय नजर आ जाए तो उसे आटा-गुड़ खिला कर जाएं।

रूके हुए कार्य सिद्धि के लिए यह टोटका बहुत ही लाभदायक है।

किसी भी गणेश चतुर्थी को गणेश जी का ऐसा चित्र घर पर लगाएं, जिसमें उनकी सूंड दाईं ओर मुड़ी हुई हो। उनकी आराधना करें। उनके आगे लौंग तथा सुपारी रखें। जब भी कहीं काम पर जाना हो, तो इस लौंग तथा सुपारी को साथ लेकर जाएं, तो काम सिद्ध होगा।

श्रीकृष्ण का मूलमंत्र ‘कृं कृष्णाय नमः’ है। अपना सुख चाहने वाले प्रत्येक मनुष्य को इस मूलमंत्र का जाप प्रातः काल नित्य क्रिया व स्नानादि के पश्चात एक सौ आठ बार करना चाहिए। ऐसा करने वाले मनुष्य सभी बाधाओं एवं कष्टों से सदैव मुक्त रहते है। 

सुकृति एस्ट्रो वास्तु रिसर्च सेंटर, करनाल 

Friday, October 3, 2014

वास्तुदेव की विशेषताए

वास्तुदेव की विशेषताएँ

वास्तुदेव की तीन विशेषताएं होती हैं  : -
चर वास्तु  : इसमें वास्तु पुरुष की  नजर या रुख  भाद्रपद ( अगस्त, सितम्बर ), आश्विन तथा कार्तिक ( अक्टूबर , नवम्बर ) महीनों के अवधि में दक्षिण की ओर  होता है |  तथा  मार्गशीर्ष (नवम्बर-दिसंबर ), पौष ( दिसंबर – जनवरी ), और माघ (जनवरी-फरवरी ) महीनों में पश्चिम की ओर होता है | फाल्गुन (फरवरी – मार्च ), चैत्र (मार्च – अप्रैल ), और  वैशाख (अप्रैल – मई ) महीनों में उत्तर की ओर होता है | ज्येष्ठ (मई – जून ), आषाढ़ (जून – जुलाई ), तथा  श्रावण (जुलाई – अगस्त ) महीनों की अवधि में पूर्व की ओर होता है | निर्माण कार्य का आरम्भ  या शिलान्यास  और मुख्य द्वार की स्थापना  ऐसे स्थान पर होनी चाहिए जो वास्तुपुरुष की दृष्टी  या नजर की ओर हो , ताकि मनुष्य उस मकान में शान्ति और सुख से रह सके |

स्थिर वास्तु :  वास्तु पुरुष का सिर सदैव उत्तर-पूर्व की ओर  तथा पैर दक्षिण – पश्चिम की ओर , दाहिना हाथ उत्तर-पश्चिम की ओर  एवं बांया  हाथ दक्षिण – पूर्व की ओर रहता है  इस बात को ध्यान में रखते हुए मकान का डिजाइन एवं प्लान  बनाना चाहिए |

नित्य वास्तु : प्रत्येक दिन वास्तु पुरुष की नजर  सुबह प्रथम  तीन घंटे  पूर्व की ओर , इसके पश्चात तीन घंटे दक्षिण  की ओर  तथा उसके बाद तीन घंटे पश्चिम की ओर तथा अंतिम तीन घंटे उत्तर की ओर दृष्टी अथवा नजर रहती है | भवन का निर्माण कार्य इसी प्रकार समयानुसार करना  चाहिए | वास्तु पुरुष की तीन अवसरों पर पूजा अर्चना करनी चाहिये  निर्माण कार्य में  शिलान्यास  करते समय , दूसरी बार  मुख्य द्ववार लगाते  समय , तीसरी बार  गृह प्रवेश के समय पूजा करनी चाहिये | गृह प्रवेश उस समय होना चाहिये जब वास्तुपुरुष की नजर उस ओर हो  ये शुभ रहता है ।

सुकृति एस्ट्रो वास्तु करनाल
मोबाइल 8607627999