Saturday, February 19, 2011

जानें और कब तक रहेंगे आपके बुरे दिन?

राशियां और ग्रह हमारे जीवन को पूरी तरह से प्रभावित करते है। यदि आपकी कुंडली में कोई ग्रह अशुभ फल देने वाला है तो वह अपनी वर्तमान स्थिति के अनुसार जब तक उस राशि में रहेगा तब तक आपको परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। उसी तरह शुभ ग्रह अच्छा फल प्रदान करते हैं।

जानिए... कौन सा ग्रह, एक राशि में कितने समय तक रहता है और कब तक आपके जीवन को प्रभावित करता है।



जो ग्रह आपकी राशि में रहता है उसी के अनुसार आपको फल प्राप्त होते हैं। अत: ग्रह स्थिति के अनुसार विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए।



सूर्य- अगर आपकी कुंडली में सूर्य अशुभ है तो आपको सूर्य की वर्तमान स्थिति के अनुसार एक माह तक उसका फल मिलेगा।

चंद्र- किसी राशि वाले के लिए यह ग्रह अशुभ होने पर कुछ समय के लिए ही बुरा फल देता है। यानी सवा दो दिन ।

मंगल- एक राशि पर डेढ़ माह तक रहता है इसलिए इसका बुरा फल 45 दिन तक ही रहता है।

बुध- यह ग्रह एक राशि पर 30 तक ही अपना अच्छा या बुरा फल देता है।

गुरु- एक राशि पर गुरु का प्रभाव 12 महीने तक रहता है।

शुक्र- यह ग्रह एक राशि पर 27 दिन तक रहता है। इसलिए इसका शुभ अशुभ प्रभाव 27 दिन तक ही रहता है।

शनि- एक राशि पर शनि का शुभ-अशुभ प्रभाव ढाई साल तक रहता है।

राहु और केतु एक राशि पर डेढ़ साल तक अपना प्रभाव देते हैं। ये दोनो छाया ग्रह है इसलिए इनका शुभ अशुभ प्रभाव बदलता रहता है।

यदि कुंडली का केंद्र स्थान खाली हो...

कुंडली में चार केंद्र स्थान होते हैं। यह प्रथम, चतुर्थ, सप्तम एवं दशम भाव होते हैं जो कि तन, सुख, दांपत्य एवं कर्म के कारक होते हैं।

यदि केंद्र में शुभ ग्रह हो तो जातक लक्ष्मीपति होता है। वहीं केंद्र में उच्च के पाप ग्रह बैठे हो तो जातक राजा तो होता ही है पर वह धन से हीन होता है।

सूर्य यदि उच्च को हो तथा गुरु केंद्र में चतुर्थ स्थान पर बैठा हो तो जातक आधुनिक केंद्र या राज्य में मंत्री पद को प्राप्त करता है। सूर्य के केंद्र में होने से जातक राजा का सेवक, चंद्रमा केंद्र में हो तो व्यापारी, मंगल केंद्र में हो तो व्यक्ति सेना में कार्य करता है।

बुध के केंद्र में होने से अध्यापक तथा गुरु के केंद्र में होने से विज्ञानी, शुक्र के केंद्र में होने पर धनवान तथा विद्यावान होता है। शनि के केंद्र में होने से नीच जनों की सेवा करने वाला होता है।

यदि केंद्र में कोई भी ग्रह नहीं हो तो जातक समस्या ग्रस्त परेशान रहता है। कोई भी ग्रह केंद्र में न हो तथा आप, ऋण, रोग, दरिद्रता से परेशान हो तो निम्न उपाय करें।

- शिवजी की उपासना करें।

- सोमवार का व्रत करें।

- भगवान शिव पर चांदी का नाग अर्पण करें।

- बिल्व पत्रों से 108 आहूतियां दें।

अलग-अलग रिश्तों के लिए अलग है ग्रह पूजा

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली से व्यक्ति के सभी पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों पर विचार किया जाता है। कुंडली के ग्रहों की स्थिति से मालूम किया जा सकता है कि उस व्यक्ति के अपने परिवार के लोगों से कैसे रिश्ते हैं और भविष्य में कैसे रहेंगे? मित्र कैसे हैं? इसी तरह अन्य सभी रिश्तों पर विचार किया जा सकता है।

हर रिश्ते को अलग-अलग ग्रह प्रभावित करते हैं-

रिश्ता- रिश्ते को प्रभावित करने वाला ग्रह

राज्य- सूर्य

भाई, मित्र- मंगल

गुरु, पिता, दादा- गुरु

चाचा, ताऊ- शनि

पुत्र- केतु

माता, दादी- चंद्र

पुत्री, बहन, बुआ- बुध

पत्नी या पति- शुक्र

ससुराल, ननिहाल- राहु

हर रिश्ता कैसा रहेगा यह कुंडली में स्थित ग्रहों के शुभ-अशुभ होने पर निर्भर करता है।

- यदि आपको राज्य या समाज में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो आप सूर्य की आराधना करें। प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाएं, इससे समाज में यश, मान-सम्मान मिलेगा।

- भाई या मित्र से संबंध ठीक नहीं रहते तो मंगलदेव की आराधना करें। प्रति मंगलवार शिवलिंग पर लाल फूल चढ़ाएं।

- यदि पिता, दादा या गुरु से रिश्ता ठीक नहीं है तो गुरु अथवा ब्रहस्पति की पूजा कराएं। प्रतिदिन शिवजी को पीले फूल अर्पित करें।

- यदि चाचा या ताऊजी से संबंधों खटास है तो शनिवार को शनिदेव के निमित्त तेल का दान करें।

- यदि पुत्र आपकी नहीं सुनता, तो केतु का उपचार करें। केतु संबंधी वस्तुओं का दान दें।

- चंद्र की आराधना से माता और दादी से रिश्तों में सुधार आएगा।

- पुत्री, बहन या बुआ से रिश्तों में कड़वाहट आ गई है तो बुध ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करें। बुधवार को श्रीगणेश को दूर्वा अर्पित करें।

- यदि पति-पत्नी के रिश्तों में किसी तरह की परेशानियां आ रही हैं तो शुक्रदेव को मनाएं। शुक्रवार को शुक्र ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करें।

- ससुराल या ननिहाल वालों को मनाने के लिए राहु जप कराएं।

जल्दी शादी के लिए गुरुवार का व्रत ही क्यों?

कहते हैं जिन लोगों की कुंडली में दोष होता है उनकी शादी में विघ्र आते हैं या तो उनकी शादी या तो बहुत जल्दी होती है या बहुत देर से होती है। लोगों के विवाह में देरी का एक कारण मंगली लड़की या लड़के का ना मिलना भी होता है। समय पर योग्य वर या वधु नहीं मिल पाते हैं। जो मिलते हैं वहां कोई दूसरी समस्या सामने आ जाती है। ऐसे में शीघ्र विवाह के लिए गुरु के उपाय करने को कहा जाता है।



ज्योतिष के अनुसार गृहस्थ जीवन को गुरु प्रभावित करता है। पारिवारिक शांति और सुखमय गृहस्थ जीवन के लिए बृहस्पति यानी गुरु से संबंधित उपाय किए जाते है तो निश्चित ही घर में सुख शांति बनी रहती है। दरअसल गुरु को विवाह का कारक गृह माना जाता है। जब किसी की कुंडली में गुरु अशुभ होता है तो उसकी कुंडली में विवाह विलंब योग बनता है।गुरु को जन्मकुंडली के सप्तम भाव का कारक माना जाता है।





कुंडली का यह भाव पति या पत्नी का माना गया है। इसलिए मंगल होने पर भी मंगल के उपाय के साथ ही ज्योतिषों द्वारा गुरुवार का व्रत रखने की ओर गुरु से जुड़े उपाय करने की सलाह दी जाती है ताकि जन्मकुंडली के दोष का निवारण हो और विवाह योग्य लड़के या लड़की का शीघ्र विवाह हो जाए।