Friday, June 17, 2011

कुंडली में चंद्र और शनि एक साथ हो तो...

ज्योतिष एक ऐसा माध्यम है जिससे व्यक्ति के हर जन्म के कर्म और स्वभाव को जाना जा सकता है। ज्योतिष विज्ञान को आज लगभग सभी मानने लगे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि के योग के क्या फल हैं? जानिए...

- जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि प्रथम भाव में हो वह व्यक्ति नौकरी करने वाला, क्रूर, लोभी, नीच, आलसी और पापी हो सकता है। ऐसा व्यक्ति विश्वासपात्र नहीं होता।

- किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि चतुर्थ भाव में हो तो वह व्यक्ति जल से संबंधित कार्य करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति खनिज पदार्थ का व्यवसाय करते हैं।

- कुंडली में चंद्र और शनि सप्तम भाव में हो तो व्यक्ति किसी मंत्री का प्रिय होता है परंतु स्त्रियों से कष्ट प्राप्त करने वाला होता है।

- चंद्र और शनि किसी व्यक्ति की कुंडली में दशम भाव में हो तो व्यक्ति शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला, सुविख्यात और राजा के समान सुख प्राप्त करने वाला होता है।

ध्यान रहें अन्य सभी ग्रहों की स्थिति भी विचारणीय है।

बुरे प्रभाव से बचने के उपाय

- चंद्र से संबंधित वस्तुओं का दान करें।

- शनि की वस्तुएं दान करें और दान या उपहार में चंद्र या शनि से संबंधित वस्तुएं कभी ना लें।

- हनुमान जी का पूजन करें। प्रति मंगलवार और शनिवार को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।

- प्रतिदिन हनुमान चालिसा का पाठ करें।

शिवलिंग पर चढ़ाएं कच्चा दूध, जो चाहोगे वही मिलेगा

शिव महापुराण के अनुसार सृष्टि निर्माण से पहले केवल शिवजी का ही अस्तित्व बताया गया है। भगवान शंकर ही वह शक्ति है जिसका न आदि है न अंत। इसका मतलब यही है कि शिवजी सृष्टि के निर्माण से पहले से हैं और प्रलय के बाद भी केवल महादेव का ही अस्तित्व रहेगा। अत: इनकी भक्ति मात्र से ही मनुष्य को सभी सुख, धन, मान-सम्मान आदि प्राप्त हो जाता है।

शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर को भोलेनाथ कहा गया है अर्थात् शिवजी अपने भक्तों की आस्था और श्रद्धा से बहुत ही जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। शिवजी के प्रसन्न होने के अर्थ यही है कि भक्त को सभी मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो जाती है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के कई उपाय बताए गए हैं। इनकी पूजा, अर्चना, आरती करना श्रेष्ठ मार्ग हैं। प्रतिदिन विधिविधान से शिवलिंग का पूजन करने वाले श्रद्धालुओं को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

शिवजी को जल्द ही प्रसन्न के लिए शिवलिंग पर प्रतिदिन कच्चा गाय का दूध अर्पित करें। गाय को माता माना गया है अत: गौमाता का दूध पवित्र और पूजनीय है। इसे शिवलिंग पर चढ़ाने से महादेव श्रद्धालु की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

दूध की प्रकृति शीतलता प्रदान करने वाली होती है और शिवजी को ऐसी वस्तुएं अतिप्रिय हैं जो उन्हें शीतलता प्रदान करती हैं। इसके अलावा ज्योतिष में दूध चंद्र ग्रह से संबंधित माना गया है। चंद्र से संबंधित सभी दोषों को दूर करने के लिए प्रति सोमवार को शिवजी को दूध अर्पित करना चाहिए। मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए यह भी जरूरी है कि आपका आचरण पूरी तरह धार्मिक हो। ऐसा होने पर आपकी सभी मनोकामनाएं बहुत ही जल्द पूर्ण हो जाएंगी।

घर में जूते-चप्पल कहां और कैसे रखें?

परिवार के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि घर में पूरी तरह साफ-सफाई रहे, गंदगी न हो, धुल-मिट्टी न हो। गंदगी के कारण हमारे स्वास्थ्य को तो नुकसान है साथ ही इससे हमारी आर्थिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार जिस घर में गंदगी रहती है वहां कई प्रकार की आर्थिक हानि होती हैं और हमेशा पैसों की तंगी बनी रहती है। जब भी हम कहीं बाहर जाते हैं तब हमारे जूते-चप्पलों में गंदगी लग जाती है जिसे लेकर हम घर आ जाते हैं। काफी लोग घर में जूते-चप्पल पहनते हैं जबकि शास्त्रों के अनुसार घर में नंगे पैर ही रहना चाहिए क्योंकि घर में कई स्थान देवी-देवताओं से संबंधित होते हैं उनके आसपास जूते-चप्पल लेकर जाना शुभ नहीं माना जाता है।

जूते-चप्पल घर के बाहर या घर के अंदर ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जहां से गंदगी पूरे घर में न फैले। घर के बाहर भी जूते-चप्पलों को व्यवस्थित ढंग से ही रखा जाना चाहिए। बेतरतीब रखे गए जूते-चप्पल वास्तु दोष उत्पन्न करते हैं। अत: इससे बचना चाहिए। यदि घर में चप्पल पहनना ही पड़े तो घर के अंदर की चप्पल दूसरी रखें, जिसे बाहर पहनकर न जाएं।

घर के मंदिर कितनी बड़ी भगवान की मूर्तियां रखें?


प्रतिदिन सुबह-सुबह भगवान की प्रतिमा या चित्र के दर्शन से हमारा पूरा दिन खुशियोंभरा और सुख के साथ बीतता है। इसके साथ ही भगवान की पूजा से हमारे कई जन्मों के पाप स्वत: नष्ट हो जाते हैं और पुण्यों की वृद्धि होती है। सभी के घरों में भगवान के लिए अलग स्थान बनाया जाता है। कहीं-कहीं छोटे-छोटे मंदिर बने होते हैं। घर के मंदिरों के संबंध वास्तु कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं।

पूजा घर घर का सबसे पवित्र स्थान होता है। वास्तु के अनुसार यदि पूजा घर का वास्तु ठीक हो तो घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है। पूजा घर में कुछ बातों का ध्यान रखकर आप घर की परेशानियों को दूर सकते हैं। आजकल भिन्न-भिन्न प्रकार की धातुओं से मंदिर बनाए जाते हैं लेकिन घर में शुभता की दृष्टि से मंदिर लकड़ी, पत्थर और संगमरमर का होना चाहिए।

वास्तु के अनुसार, घर में पूजा के लिए अंगूठे के आकार की प्रतिमाएं श्रेष्ठ मानी गई हैं। इससे बड़ी मूर्तियों की पूजा घर में नहीं की जानी चाहिए। ज्यादा बड़ी मूर्तियों की पूजा केवल मंदिरों में ही श्रेष्ठ मानी जाती है। घर में पीतल, अष्ठधातु की भी बड़े आकार की मूर्ति नहीं होनी चाहिए।