Sunday, January 6, 2013

अंक 6 के घर में रहने वाले होते हैं शुक्र से प्रभावित

numerology house no 6अंक 6 का घर शुक्र के प्रभाव में होता है। इसलिए इस अंक के घर में रहने वाले लोगों में शुक्र के गुणों का विकास होता है। शुक्र प्रेम, सौन्दर्य एवं कला क्षेत्र का कारक होता है। इसलिए 6 अंक के घर में रहने वाले लोग भी रोमांटिक होते हैं। संगीत, अभिनय एवं दूसरी कलाओं के प्रति इनमें आकर्षण होता है। इस अंक के घर में रहने वाले लोग घर को सलीके से सजाकर रखना पसंद करते हैं। घर आंतरीक सज्जा को देखकर लोग इनकी तारीफ करते हैं। 

अंक 6 के घर में महिलाओं का वर्चस्व होता है, पुरूष वर्ग महिलाओं का सम्मान करते हैं। बच्चों को खुला माहौल मिलता जिससे बच्चों का मानसिक विकास तेजी से होता है। बच्चे उत्साहित और प्रसन्न रहते हैं। इस अंक के घर में रहने वाले लोग पौराणिक परंपरा और धार्मिक मान्यताओं में अधिक विश्वास करते हैं। धर्म-कर्म एवं अध्यात्मिक विषयों में इनकी रूचि होती है।

अंक ज्योतिष के अनुसार इस अंक का घर कला जगत से जुड़े लोगों के लिए अनुकूल रहता है। समाज सेवा, बच्चों के लिए कार्य करने वाले कार्यकर्ता, नर्सों, बुजुर्गों एवं धर्म व अध्यात्म से संबंधित काम करने वालों के लिए लकी होता है।
घर का अंक निकालने का तरीका बहुत ही आसान है। अपने घर का नंबर जोड़ें। अंग्रेजी का कोई लेटर है तो उसे भी जोड़ लें जैसे F-1। F अंग्रेजी का 5वां लेटर है इसलिए F के लिए 5 अंक लेंगे और इसमें 1 को जोड़ेंगे। इस प्रकार अंक 6 प्राप्त हो जाएगा। इसी प्रकार आप भी अपने घर का मूलांक निकालिए और अपने घर की विशेषता जानिए।

आर्थिक नुकसान भी पहुंचा सकता है मनी प्लांट

money plant may harm your economy माना जाता है कि मनी प्लांट का पौधा घर में लगाने से घर में धन का आगमन बढ़ता और सुख-समृद्धि में इजाफा होता है। ऐसी मान्यता के कारण बहुत से लोग अपने घरों में मनी प्लांट का पौधा लगाते हैं। लेकिन मनी प्लांट को लगाने के बाद भी धनागमन में कोई अंतर नहीं होता है बल्कि कई बार आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। इसका कारण वास्तु विज्ञान में बताया गया है।

वास्तु विज्ञान के अनुसार हर पौधे के लिए एक दिशा निर्धारित है। अगर उचित दिशा में पेड़-पौधा लगाते हैं तो वातावरण की सकारात्मक उर्जा का लाभ मिलता है। लेकिन गलत दिशा में वृक्षारोपण करने से लाभ की बजाय नुकसान होने लगता है। वास्तु विज्ञान में मनी प्लांट का पौधा लगाने के लिए आग्नेय दिशा यानी दक्षिण-पूर्व को उत्तम माना गया है। आग्नेय दिशा के देवता गणेश जी हैं और प्रतिनिधि ग्रह शुक्र है। गणेश जी अमंगल का नाश करते हैं और शुक्र सुख-समृद्धि का कारक होता है। बेल और लता का कारक शुक्र होता है इसलिए आग्नेय दिशा में मनी प्लांट लगाने इस दिशा सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होता है।

मनी प्लांट के लिए सबसे नकारात्मक दिशा ईशान यानी उत्तर पूर्व को माना गया है। इस दिशा में मनी प्लांट लगाने पर धन वृद्धि की बजाय आर्थिक नुकसान हो सकता है। ईशान का प्रतिनिधि ग्रह बृहस्पति है। शुक्र और बृहस्पति में शत्रुवत संबंध होता है क्योंकि एक राक्षस के गुरू हैं तो दूसरे देवताओं के गुरू। शुक्र से संबंधित चीज इस दिशा में होने पर हानि होती है। वास्तु विज्ञान के अनुसार उत्तर पूर्व दिशा के लिए सबसे उत्तम तुलसी का पौधा होता है। इसलिए ईशान दिशा में मनी प्लांट लगाने की बजाय चाहें तो तुलसी लगा सकते हैं। अन्य दिशाओं में मनी प्लांट का पौधा लगाने पर इसका प्रभाव कम हो जाता है।

रोमांटिक होते हैं 5 मूलांक के घर में रहने वाले लोग

moolank 5 house person are romantic घर के अंक का प्रभाव व्यक्ति के स्वभाव पर पड़ता है। यह व्यक्ति के कार्य क्षेत्र को भी प्रभावित करता है। अंक ज्योतिष के अनुसार अगर व्यक्ति अपने घर के अंक के अनुसार कार्य क्षेत्र का चुनाव करे तो कार्य क्षेत्र में जल्दी तरक्की होती है। जो लोग किराये पर रहते हैं वह अपने कार्य क्षेत्र के अनुसार मकान किराये पर लें तो इसका उन्हें फायदा हो सकता है।

अंक ज्योतिष के अनुसार जिस घर का मूलांक 5 होता है उस पर गुरू का प्रभाव होता है। ऐसे घर में रहने वाले लोग लेखन एवं अध्यापन के क्षेत्र में जल्दी उन्नति करते हैं। धर्म-कर्म एवं अध्यात्म से जुड़े लोगों के लिए भी यह घर भाग्यशाली होता है। गुरू को सामाजिक कार्यों में भी सफलता दिलाने वाला ग्रह माना जाता है।

सोशल वर्क करने वाले मूलांक 5 वाले घर में रहते हैं तो इनके मान-सम्मान एवं सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। अंक 5 की उर्जा खिलाड़ियों को भी सर्पोट करती है। इस अंक के घर में रहने वाले लोग विभिन्न खेलों में रूचि रखते हैं। टूर एंड ट्रैवल्स के काम में भी इस अंक के घर में रहने वाले लोग सफल होते हैं।

अंक 5 के घर में रहने वाले लोग स्वभाव से रोमांटिक होते हैं। इन्हें वैवाहिक संबंध की अपेक्षा रोमांस अधिक पसंद होता है। इनके व्यवहार में बचपना झलकता है। कई बार भावुकता में बहने लगते हैं। यह अपनी चीजों को संभालकर नहीं रखते हैं। सैर-सपाटा इन्हें काफी पसंद होता है।

घर की दीवार के सहारे न चढ़ाएं बेल और लताओं को

 creeper plantation according vastu अगर आप अपने घर को सजाने के लिए घर की दीवार के सहारे बेल और लताओं को चढ़ाते हैं तो, वास्तु विज्ञान के अनुसार आप अपने शत्रुओं की संख्या में वृद्धि करते हैं। वास्तु विज्ञान के अनुसार घर की दीवार के सहारे बेल और लताओं का चढ़ना बताता है कि आपके शत्रु धीरे-धीरे बलवान हो रहे हैं और आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं। बेल और लताओं को घर के मुख्य द्वार पर लगाना भी वास्तुशास्त्र के अनुसार शुभ फलदायी नहीं होता है।

मत्स्य पुराण में वास्तु विज्ञान एवं उसके प्रभाव का उल्लेख मिलता है। वास्तु विज्ञान बताया गया है कि बेल और लताओं पर शुक्र का प्रभाव होता है। इन्हें घर के दक्षिण पूर्व भाग में खाली स्थान में लगाना चाहिए। पेड़ या किसी अन्य चीज के सहारे इन्हें ऊपर चढ़ाया जा सकता है। इस दिशा में सुगंधित फूल भी लगाया जा सकता है क्योंकि इनका कारक ग्रह भी शुक्र होता है। आग्नेय दिशा यानी दक्षिण पूर्व में इन्हें लगना शुभ फलों की वृद्धि करता है। लताओं को भी मनी प्लांट की तरह उत्तर पूर्व में नहीं लगाना चाहिए।

वास्तु विज्ञान के नियम व्यवहारिकता पर आधारित हैं। व्यवहारिक दृष्टि से देखा जाए तो बेल और लताओं के सहारे विषैले जीव-जंतु घर में पहुंच कर घर में रहने वाले व्यक्ति को नुकसान पहुंचा सकते हैं। संभवतः इसलिए वास्तु विज्ञान में बेल और लताओं को दीवार के सहारे ऊपर चढ़ाना अशुभ बताया गया होगा।

किस राशि के लोग कैसे होते ?

  ज्योतिष के अनुसार इंसानों को जन्म के समय और ग्रहों की स्थिति के अनुसार 12 राशियों में विभाजित किया गया है। हर राशि के व्यक्ति का स्वभाव और आदतें दूसरी राशि के लोगों से एकदम अलग होती हैं। किसी भी इंसान को समझने के लिए ज्योतिष सटीक विद्या है।

मेष-
राशि चक्र की यह पहली राशि है, इस राशि का चिन्ह मेढ़ा या भेड़ है, मेष राशि पूर्व दिशा की द्योतक है तथा इसका स्वामी मंगल है। मेष राशि के अन्तर्गत अश्विनी और भरणी नक्षत्र के चारों चरण और कृत्तिका का प्रथम चरण आते हैं। मंगल जातक को अधिक उग्र और निरंकुश बना देता है। वह किसी की जरा सी भी विपरीत बात में या कार्य में जातक को क्रोधात्मक स्वभाव देता है, जिससे जातक बात-बात में झगड़ा करने को उतारू हो जाता है। मेष राशि के जातक को किसी की आधीनता पसंद नहीं होती है। वह अपने अनुसार ही कार्य और बात करना पसंद करता है। जातक को ऐश-आराम की जिन्दगी जीने के लिये मेहनत वाले कार्यों से दूर रखता है और जातक विलासी होता है। जातक के दिमाग में विचारों की स्थिरता रहती है और जातक जो भी सोचता है उसे करने के लिये उद्धत हो जाता है। मंगल की वजह से जातक में भटकाव वाली स्थिति रहती है वह अपनी जिन्दगी में यात्रा को महत्व देता है। जातक में उग्रता के साथ विचारों को प्रकट न करने की हिम्मत देते हैं, वह हमेशा अपने मन में ही लगातार माया के प्रति सुलगता रहता है। जीवन साथी के प्रति बनाव बिगाड़ हमेशा चलता रहता है, मगर जीवन साथी से दूर भी नहीं रहा जाता है। जनता के लिये अपनी सहायता वाली सेवाएं देकर पूरी जिन्दगी निकाल देगा। सूर्य जातक को अभिमानी और चापलूस प्रिय बनाता है। बुध जातक को बुद्धि वाले कार्यों की तरफ और संचार व्यवस्था से धन कमाने की वृत्ति देता है। शुक्र विलासिता प्रिय और दोहरे दिमाग का बनाता है लेकिन अपने विचारों को उसमें सतुलित करने की अच्छी योग्यता होती है।
मेष अग्नि तत्व वाली राशि है, अग्नि त्रिकोण (मेष, सिंह, धनु) की यह पहली राशि है। इसका स्वामी मंगल अग्नि ग्रह है। राशि और स्वामी का यह संयोग इसकी अग्नि या ऊर्जा को कई गुना बढ़ा देता है, यही कारण है कि मेष जातक ओजस्वी, दबंग, साहसी और दृढ़ इच्छाशक्ति वाले होते हैं, यह जन्मजात योद्धा होते हैं। मेष राशि वाले व्यक्ति बाधाओं को चीरते हुए अपना मार्ग बनाने की कोशिश करते हैं।

वृष-
राशि का चिन्ह बैल है। बैल स्वभाव से ही अधिक पारिश्रमी और बहुत अधिक वीर्यवान होता है, साधारणत: वह शांत रहता है। किन्तु क्रोध आने पर वह उग्र रूप धारण कर लेता है। यह स्वभाव वृष राशि के जातक में भी पाया जाता है। वृष राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है। इसके अन्तर्गत कृत्तिका नक्षत्र के तीन चरण, रोहिणी के चारों चरण और मृगशिरा के प्रथम दो चरण आते हैं।
जातक के जीवन में पिता-पुत्र का कलह रहता है, जातक का मन सरकारी कार्यों की ओर रहता है। सरकारी ठेकेदारी का कार्य करवाने की योग्यता रहती है। पिता के पास जमीनी काम या जमीन के द्वारा जीविकोपार्जन का साधन होता है। जातक अधिकतर शराब, काबाब के भोजन में अपनी रुचि को प्रदर्शित करता है।
गुरु का प्रभाव जातक में ज्ञान के प्रति अहम भाव को पैदा करने वाला होता है, वह जब भी कोई बात करता है तो गर्व की बात करता है, सरकारी क्षेत्रों की शिक्षाएं और उनके काम जातक को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और किसी प्रकार से केतु का बल मिल जाता है तो जातक सरकार का मुख्य सचेतक बनने की योग्यता रखता है। मंगल के प्रभाव से जातक के अन्दर मानसिक गर्मी को प्रदान करता है, कल कारखानों, स्वास्थ्य कार्यों और जनता के झगड़े सुलझाने का कार्य जातक कर सकता है, जातक की माता आपत्तियों से घिरी होती है और पिता का लगाव अन्य स्त्रियों से बना रहता है। ये अधिक सौन्दर्य बोधी और कला प्रिय होते हैं। जातक कलाकारी के क्षेत्र में नाम करता है। माता और पति का साथ या माता और पत्नी का साथ घरेलू वातावरण मे सामजस्यता लाता है, जातक अपने जीवन साथी के अधीन रहना पसंद करता है।
चन्द्र-बुध जातक को कन्या संतान अधिक देता है और माता के साथ वैचारिक मतभेद का वातावरण बनाता है, जातक के जीवन में व्यापारिक यात्राएं काफी होती हैं, जातक अपने ही बनाए हुए उसूलों पर जीवन चलाता है, वह मकडी जैसा जाल बुनता रहता है और अपने ही बुने जाल में फंस जाता है।
रोहिणी के चौथे चरण के मालिक चन्द्र-चन्द्र है,जातक के अन्दर हमेशा उतार चढाव की स्थिति बनी रहती है,वह अपने ही मन का राजा होता है।
मंगल-सूर्य की युति में पैदा होने वाले जातक अपने शरीर से दुबले पतले होने के वावजूद गुस्सेवाले होते हैं, वे घमंडी होते हैं। जिससे आदेश देने की वृत्ति होने से सेना या पुलिस में अपने को निरंकुश बनाकर रखते है, इस तरह के जातक अगर राज्य में किसी भी विभाग में काम करते हैं तो सरकारी सम्पत्ति को किसी भी तरह से क्षति नहीं होने देते। मंगल-बुध जातक के अन्दर कभी कठोर और कभी नर्म वाली स्थिति पैदा कर देते हैं। जातक का मन कम्प्यूटर और इलेक्ट्रोनिक क्षेत्र की ओर होता है। वृष राशि वाले जातक शांति पूर्वक रहना पसंद करते हैं। जीवन में परिवर्तन से चिढ सी होती है, अलग माहौल में रहना अच्छा नही लगता है। इस प्रकार के लोग सामाजिक होते हैं और अपने से उच्च लोगों को आदर की नजर से देखते है।

मिथुन- राशि का प्रतीक युवा दम्पति है, यह द्वि-स्वभाव वाली राशि है। मृगसिरा नक्षत्र के तीसरे चरण के मालिक मंगल-शुक्र हैं। मंगल शक्ति और शुक्र माया है। जातक के अन्दर माया के प्रति भावना पायी जाती है, जातक जीवन साथी के प्रति हमेशा शक्ति बन कर प्रस्तुत होता है। साथ ही घरेलू कारणों चलते कई बार आपस में तनाव रहता है। मंगल और शुक्र की युती के कारण जातक में स्त्री रोगों को परखने की अद्भुत क्षमता होती है। जातक वाहनों की अच्छी जानकारी रखता है। इनका घरेलू साज सज्जा के प्रति अधिक झुकाव होता है।
मंगल के कारण जातक जबान का पक्का बन जाता है। गुरु आसमान का राजा है तो राहु गुरु का चेला, दोनो मिलकर जातक में आसमानी ताकतों को बढ़ाते हैं। जातक का रुझान अंतरिक्ष और ब्रह्माण्ड के बारे मे पता करने की योग्यता जन्म जात पैदा होती है। वह वायुयान और सेटेलाइट के बारे में ज्ञान बढ़ाता है। राहु-शनि के साथ मिलने से जातक के अन्दर शिक्षा और शक्ति उत्पादित होती है। जातक का कार्य शिक्षा स्थानों में या बिजली, पेट्रोल या वाहन वाले कामों की ओर होता है। जातक एक दायरे मे रह कर ही कार्य कर पाता है और पूरा जीवन कार्योपरान्त फलदायक रहता है। जातक के अन्दर एक मर्यादा जो धर्म में लीन करती है और जातक सामाजिक और धार्मिक कार्यों में अपने को रत रखता है। गुरु जो ज्ञान का मालिक है, उसे मंगल का साथ मिलने पर उच्च पदासीन करने के लिये और रक्षा आदि विभागों में ले जाता है।
जातक के अन्दर अपने ही विचारों में अपने ही कारणों से उलझने का कारण पैदा होता है। मिथुन राशि पश्चिम दिशा की द्योतक है, जो चन्द्रमा की निरयण समय में जन्म लेते हैं, वे मिथुन राशि के कहे जाते हैं।
जातक मे चंचलता रहती है। शरीर बलबान नही रह पाता है, आंखों का रंग भूरा या नीला होता है, शरीर का रंग सांवला या गोरा कैसा भी हो सकता है।
मिथुन राशि वालों को दुर्बोध माना जाता है। इस राशि का निशान स्त्री और पुरुष का जोडा है। इसका स्वामी बुध है। बुध की धातु पारा है और इसका स्वभाव जरा सी गर्मी-सर्दी में ऊपर नीचे होने वाला है।
जातकों में दूसरे की मन की बातें पढऩे, दूरदृष्टि, बहुमुखी प्रतिभा, अधिक चतुरायी से कार्य करने की क्षमता होती है। जातक को बुद्धि वाले कामों में ही सफलता मिलती है। अपने आप पैदा होने बाली मति और वाणी की चतुरता से इस राशि के लोग कुशल कूटनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ भी बन जाते हैं, हर कार्य में जिज्ञासा और खोजी दिमाग होने के कारण इस राशि के लोग अन्वेषण में भी सफलता लेते रहते हैं और पत्रकार, लेखक, मीडियाकर्मी, भाषाओं की जानकारी, योजनाकार भी बन सकते हैं।

कर्क- इस राशि का चिन्ह केकड़ा है और यह उत्तर दिशा की द्योतक है। यह चर राशि है। राशि स्वामी चन्द्रमा है। इसके अन्तर्गत पुनर्वसु नक्षत्र का अन्तिम चरण, पुष्य नक्षत्र के चारों चरण तथा अश्लेशा नक्षत्र के चारों चरण आते हैं।
जातक कल्पनाशील होते हैं। शनि-सूर्य जातक को मानसिक रूप से अस्थिर बनाते हैं और जातक में अहम की भावना बढ़ाते हैं। जिस स्थान पर भी वह कार्य करने की इच्छा करता है, जातक को परेशानी ही मिलती है।
शनि-बुध दोनो मिलकर जातक को होशियार बना देते है। शनि-शुक्र जातक को धन और जायदाद देते है। शुक्र उसे सजाने संवारने की कला देता है और शनि अधिक वासना देता है।
जातक को उपदेशक बन सकता है। जातक को बुध आंकडे और शनि लिखने का प्रभाव देते हैं। कम्प्यूटर आदि का प्रोग्रामर बनाने में जातक को सफलती मिलत है।
जानक श्रेष्ठ बुद्धि वाला, जलविहारी, कामुक, कृतज्ञ, ज्योतिषी, सुगंधित पदार्थों का सेवी और भोगी होता है। वह मातृभक्त होता है।
कर्क केकडा जब किसी वस्तु या जीव को अपने पंजों के जकड़ लेता है, तो उसे आसानी से नहीं छोडता है। भले ही इसके लिये उसे अपने पंजे गंवाने पडें. उसी तरह जातकों में अपने प्रेम पात्रों तथा विचारों से चिपके रहने की प्रबल भावना होती है, यह भावना उन्हें ग्रहणशील, एकाग्रता और धैर्य के गुण प्रदान करती है। उनका मूड बदलते देर नहीं लगती है। कल्पनाशक्ति और स्मरण शक्ति बहुत तीव्र होती है। उनके लिए अतीत का महत्व होता है। मैत्री को वे जीवन भर निभाना जानते हैं, अपनी इच्छा के स्वामी होते हैं।
ये सपना देखने वाले होते हैं, परिश्रमी और उद्यमी होते हैं। जातक बचपन में प्राय: दुर्बल होते हैं, किन्तु आयु के साथ साथ उनके शरीर का विकास होता जाता है। चूंकि कर्क कालपुरुष की वक्षस्थल और पेट का प्रतिधिनित्व करती है, अत: जातकों को अपने भोजन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

सिंह- सिंह राशि पूर्व दिशा की द्योतक है। इसका चिन्ह शेर है। राशि का स्वामी सूर्य है और इस राशि का तत्व अग्नि है। इसके अन्तर्गत मघा नक्षत्र के चारों चरण, पूर्वा फाल्गुनी के चारों चरण और उत्तराफाल्गुनी का पहला चरण आता है।
केतु-मंगल जातक में दिमागी रूप से आवेश पैदा करता है। केतु-शुक्र, जो जातक में सजावटी और सुन्दरता के प्रति भावना को बढाता है। केतु-बुध, जो जातक में कल्पना करने और हवाई किले बनाने के लिये सोच पैदा करता है। चन्द्र-केतु जातक में कल्पना शक्ति का विकास करता है। शुक्र-सूर्य जातक को स्वाभाविक प्रवृत्तियों की तरफ बढाता है। जातक का सुन्दरता के प्रति मोह होता है और वे कामुकता की ओर भागते हैं। जातक में अपने प्रति स्वतन्त्रता की भावना भरता है और जातक किसी की बात नहीं मानता।
जातक, पित्त और वायु विकार से परेशान रहने वाले लोग, रसीली वस्तुओं को पसंद करने वाले होते हैं। कम भोजन करना और खूब घूमना, इनकी आदत होती है। छाती बड़ी होने के कारण इनमे हिम्मत बहुत अधिक होती है और मौका आने पर यह लोग जान पर खेलने से भी नहीं चूकते। जातक जीवन के पहले दौर में सुखी, दूसरे में दुखी और अन्तिम अवस्था में पूर्ण सुखी होता है।
सिंह राशि वाले जातक हर कार्य शाही ढंग से करते हैं जैसे सोचना शाही, करना शाही, खाना शाही और रहना शाही। इस राशि वाले लोग जुबान के पक्के होते हैं। जातक जो खाता है वही खायेगा, अन्यथा भूखा रहना पसंद करेगा, वह आदेश देना जानता है, किसी का आदेश उसे सहन नही है, जिससे प्रेम करेगा, उसके मरते दम तक निभायेगा, जीवन साथी के प्रति अपने को पूर्ण रूप से समर्पित रखेगा, अपने व्यक्तिगत जीवन में किसी का आना इस राशि वाले को कतई पसंद नहीं है।
जातक कठोर मेहनत करने वाले धन के मामलों में बहुत ही भाग्यशाली होते हैं। स्वर्ण, पीतल और हीरा जवाहरात के व्यवसाय इनको बहुत फायदा देने वाले होते हैं। सरकार और नगर पालिका वाले पद इनको खूब भाते हैं। जातकों की वाणी और चाल में शालीनता पायी जाती है। इस राशि वाले जातक सुगठित शरीर के मालिक होते हैं। नृत्य करना इनकी आदत होती है, अधिकतर इस राशि वाले या तो बिलकुल स्वस्थ रहते है या फिर आजीवन बीमार रहते हैं, जिस वारावरण में इनको रहना चाहिये, अगर वह न मिले, इनके अभिमान को कोई ठेस पहुंचाये या इनके प्रेम में कोई बाधा आये, तो यह लोग अपने मानसिक कारणों से बीमार रहने लगते है। रीढ़ की हड्डी की बीमारी या चोटों से अपने जीवन को खतरे में डाल लेते हैं। इस राशि के लोगों के लिये ह्रदय रोग, धड़कन का तेज होना, लू लगना और आदि बीमारी होने की संभावना होती है।

कन्या राशि- राशि चक्र की छठी कन्या राशि दक्षिण दिशा की द्योतक है। इस राशि का चिह्न हाथ में फूल लिए कन्या है। राशि का स्वामी बुध है। इसके अन्तर्गत उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे, तीसरे और चौथे चरण, चित्रा के पहले दो चरण और हस्त नक्षत्र के चारों चरण आते है। जातक को उसके द्वारा किये जाने वाले कार्यों के प्रति अधिक महत्वाकांक्षी बनाते हैं। जातक भावुक होता है एवं वह दिमाग की अपेक्षा ह्रदय से काम लेना चालू कर देता है। इस राशि के लोग संकोची और शर्मीले प्रभाव के साथ झिझकने वाले होते है। मकान, जमीन और सेवाओं वाले क्षेत्र में इस राशि के जातक कार्य करते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से फेफड़ों में ठंड लगना और पाचन एवं आंतों से संबंधी बीमारियां जातकों मे मिलती है।
बाल्याकाल से युवावस्था के अलावा जातकों की वृद्धावस्था अधिक सुखी और ज्यादा स्थिर होता है। इस राशि वाल पुरुषों का भी शरीर स्त्रियों की भांति कोमल होता है। ये नाजुक और ललित कलाओं से प्रेम करने वाले लोग होते है। इनका बचपन संघर्षों में बीतता है, इन्हें सुविधायें आसानी से प्राप्त नहीं होती है। किंतु ये अपनी योग्यता के बल पर ही उच्च पद पर पहुंच जाते है। विपरीत परिस्थितियां भी इन्हें डिगा नहीं सकती और ये अपनी सुझ-बुझ, धैर्य, चातुर्य के कारण आगे बढ़ते रहते है। ये कभी विचलित नही होते है। बुध का प्रभाव इनके जीवन मे स्पष्ट झलकता है. अच्छे गुण, विचारपुर्ण जीवन, बुद्धिमत्ता, इस राशि वाले में अवश्य देखने को मिलती है। इसके स्वभाव मे नम्रता और लज्जा का पुट होता है। शिक्षा और जीवन में सफलता के कारण लज्जा और झेंपुपन तो कम हो जाते हैं परंतु नम्रता तो इनका स्वाभाविक गुण है। इनको अकारण क्रोध नहीं आता किंतु जब क्रोध आता है तो जल्दी समाप्त नहीं होता। जिसके कारण क्रोध आता है, उसके प्रति घृणा की भावना इनके हृदय में घर कर जाती है। इन व्यक्तियों मे भाषण व बातचीत करने की अच्छी शक्ति होती है। सम्बन्धियों से इन्हे विशेष लाभ नहीं होता है इनका वैवाहिक जीवन भी सुखी नहीं होता। यह जरुरी नहीं की इनका किसी और औरत के साथ सम्बन्ध होने के कारण ही ऐसा होगा। बगैर पराई स्त्री से प्रेम के बावजूद भी क्लेशमय हो सकता है। अगर ये ये दुसरा विवाह कर भी लें जिसकी प्रबल सम्भावना रहती है, तो इनके जीवन मे काफी परिवर्तन आ जाता है। पर इनके प्रेम सम्बन्ध प्राय: बहुत सफल नहीं होते है। इसी कारण निकटस्थ लोगों के साथ इनके झगड़े चलते रहते है। ऐसे व्यक्ति धार्मिक विचारों में आस्था तो रखते है परंतु किसी विशेष मत के नहीं होते है। इन्हें यात्राएं भी करनी पड़ती है तथा विदेश गमन की भी सम्भावना रहती है। जिस काम मे हाथ डालते है लगन के साथ पुरा करके ही छोड़ते है। इस राशि वाले लोग अपरिचित लोगों मे अधिक लोकप्रिय होते है, इसलिये इन्हें अपना सम्पर्क विदेशों और विदेशियों मे बढ़ाना चाहिये। परिश्रम और सतत संघर्ष से किसी भी कार्य मे लगें रहे तो इनको सफलता के साथ यश भी मिलता है। इन्हें पेट की बीमारी से प्राय: कष्ट होता है। जिगर भी उसी का भाग है। पैर के रोगों से भी सचेत रहें। वैसे इन व्यक्ति की मैत्री किसी भी प्रकार के व्यक्ति के साथ हो सकती है।

तुला- इस राशि का चिन्ह तराजू है और यह राशि पश्चिम दिशा की द्योतक है और यह वायुतत्व की राशि है। शुक्र राशि का स्वामी है। इस राशि वालों को कफ की प्रवृत्ति होती है। इस राशि के पुरुष सुंदर, आकर्षक व्यक्तित्व वाले होते हैं। आंखों में चमक व चेहरे पर प्रसन्नता झलकती है। इनका स्वभाव सम होता है। किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं होते, दूसरों को प्रोत्साहन देना, सहारा देना इनका स्वभाव होता है। ये व्यक्ति कलाकार, सौंदर्योपासक व स्नेहिल होते हैं। व्यावहारिक भी होते हैं व इनके मित्र इन्हें पसंद करते हैं। कई बार व्यसनाधीन होने की भी रहते है।
तुला राशि की स्त्रियां मोहक व आकर्षक होती हैं। स्वभाव खुशमिजाज व हंसी खनखनाहट वाली होती हैं। बुद्धि वाले काम करने में अधिक रुचि होती है। घर की साजसज्जा व स्वयं को सुंदर दिखाने का शौक रहता है। कला, गायन आदि गृह कार्य में दक्ष होती हैं। बच्चों से बेहद जुड़ाव रहता है।

वृश्चिक राशि- वृश्चिक राशि का चिन्ह बिच्छू है और यह राशि उत्तर दिशा की द्योतक है। वृश्चिक राशि जलतत्व की राशि है। इसका स्वामी मंगल है। यह स्थिर राशि है, स्त्री राशि है। इस राशि के व्यक्ति उठावदार कदकाठी के होते है। यह राशि गुप्त अंगों, उत्सर्जन, तंत्र व स्नायु तंत्र का प्रतिनिधित्व करती है। अत: मंगल की कमजोर स्थिति में इन अंगों के रोग जल्दी होते है। ये लोग एलर्जी से भी अक्सर पीडि़त रहते है विशेषकर जब चंद्रमा कमजोर हो।
वृश्चिक राशि वालों में दूसरों को आकर्षित करने की अच्छी क्षमता रखते हैं। इस राशि के लोग बहादुर, भावुक होने के साथ-साथ कामुक होते हैं। शरीरिक डील-डौल भी अच्छा होता है। ऐसे व्यक्तियों की शारीरिक संरचना अच्छी तरह से विकसित होती है। इनके कंधे चौड़े होते हैं। इनमें शारीरिक व मानसिक शक्ति प्रचुर मात्रा में होती है। इन्हें बेवकूफ बनाना आसान नहीं होता है। इसीलिये कोई इन्हें धोखा नहीं दे सकता। आप हमेशा साफ-सुथरी और सही सलाह देने में विश्वास रखते हैं। कभी साफगोई विरोध का कारण भी बन सकती है। ये जातक दूसरों के विचारों का विरोध ज्यादा करते हैं, अपने विचारों के पक्ष में कम बोलते हैं और आसानी से सबके साथ घुलते-मिलते नहीं हैं। यह जातक अक्सर विविधता की तलाश में रहते हैं। वृश्चिक राशि से प्रभावित लड़के बहुत कम बोलते होते हैं। ये आसानी से किसी को भी आकर्षित कर सकते हैं। इन्हें दुबली-पतली लड़कियां आकार्षित करती हैं। वृश्चिक वाले एक जिम्मेदार गृहस्त की भूमिका निभाते हैं। अति महत्वाकांक्षी और जिद्दी होते हैं। अपने रास्ते चलते है मगर किसी का हस्तक्षेप पसंद नहीं करते। लोगों की गलतियों और बुरी बातों को खूब याद रखते हैं और समय आने पर उनका उत्तर भी देते हैं। इनकी वाणी कटु और गुस्सा तेज होता है मगर मन साफ होता है। दूसरों में दोष ढूंढने की आदत होती है। जोड़-तोड़ की राजनीति में चतुर होते हैं।
इस राशि की लड़कियां तीखे नयन-नक्ष वाली होती हैं। यह ज्यादा सुन्दर न हों तो भी इनमें एक अलग आकर्षण रहता है। इनका बातचीत करने का अपना विशेष अंदाज होता है। ये बुद्धिमान और भावुक होती हैं। इनकी इच्छा शक्ति बहुत दृढ़ होती है। स्त्रियां जिद्दी और अति महत्वाकांक्षी होती है। थोड़ी स्वार्थी प्रवृत्ति भी होती है। स्वतंत्र निर्णय लेना इनकी आदत में होते है। मायके परिवार से अधिक स्नेह रहता है। नौकरीपेशा होने पर अपना वर्चस्व बनाए रखती है। काम करने की अपार क्षमता होती है। वाणी की कटुता इनमें भी होती है, सुख-साधनों की लालसा सदैव बनी ही रहती है।
ये सभी जातक जिद्दी होते है, काम के प्रति लगन रखते है, महत्वाकांक्षी व दूसरों को प्रभावित करने की योग्यता रखते हैं। ये व्यक्ति उदार व आत्मविश्वासी भी होते है।
वृश्चिक राशि के बच्चे परिवार से अधिक स्नेह रखते हैं। कम्प्यूटर-टीवी का बेहद शौक होता है। दिमागी शक्ति तीव्र होती है, खेलों में इनकी रुचि होती है।

धनु राशि- इस राशि का चिन्ह धनुषधारी व्यक्ति होता है। यह राशि दक्षिण दिशा की द्योतक है। धनु राशि वाले काफी खुले विचारों के होते हैं। जीवन के अर्थ को अच्छी तरह समझते हैं। दूसरों के बारे में जानने की कोशिश में हमेशा करते रहते हैं। धनु राशि वालों को रोमांच काफी पसंद होता है। धनु राशि के व्यक्ति निडर व आत्म विश्वासी होते हैं। ये अत्याधिक महत्वाकांक्षी और स्पष्टवादी होते हैं। लेकिन स्पष्टवादीता के कारण दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचा देते हैं। इनके अनुसार जो इनके द्वारा परखा हुआ है वही सत्य है अत: इनके मित्र कम होते है। ये धार्मिक विचारधारा से दूर होते हैं।
धनु राशि के लड़के मध्यम कद काठी के होते हैं। इनके बाल भूरे व आंखें बड़ी-बड़ी होती हैं। इनमें धैर्य की कमी होती है। इन्हें मेकअप करने वाली लड़कियां पसंद हैं। इन्हें भूरा और पीला रंग प्रिय होता है। अपनी पढ़ाई और कैरियर के कारण अपने जीवन साथी और विवाहित जीवन की उपेक्षा कर देते हैं। पत्नी को शिकायत का मौका नहीं देते और घरेलू जीवन का महत्व समझते हैं। धनु राशि की लड़कियां लम्बे कदमों से चलने वाली होती हैं। आप आसानी से किसी के साथ दोस्ती नहीं करती हैं। ये एक अच्छी श्रोता होती हैं और इन्हें खुले और ईमानदारी पूर्ण व्यवहार के व्यक्ति पसंद आते हैं। इस राशि की स्त्रियां गृहणी बनने की अपेक्षा सफल कैरियर बनाना चाहती है। इनके जीवन में भौतिक सुखों की महत्ता रहती है। सामान्यत: सुखी और सम्पन्न जीवन व्यतीत करती हैं।

मकर राशि- मकर राशि का चिन्ह मगरमच्छ है।
मकर राशि के व्यक्ति अति महत्वाकांक्षी होते हैं। यह सम्मान और सफलता प्राप्त करने के लिये लगातार कार्य कर सकते हैं। इनका शाही स्वभाव व गंभीर व्यक्तित्व होता है। आपको अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ता है। इन्हें यात्रा करना पसंद है। गंभीर स्वभाव के कारण आसानी से किसी को मित्र नहीं बनाते हैं। इनके मित्र अधिकतर कार्यालय या व्यवसाय से ही सम्बन्धित होते हैं। मनपसंद रंग भूरा और नीला है। सामान्यत: कम बोलने वाले, गंभीर और उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों को ज्यादा पसंद करते हैं। ईश्वर व भाग्य में विश्वास करते हैं। दृढ़ पसंद-नापसंद के चलते इनका वैवाहिक जीवन लचीला नहीं होता और जीवन साथी को आपसे परेशानी महसूस हो सकती है। मकर राशि के लड़के कम बोलने वाले होते हैं। इनके हाथ की पकड़ काफी मजबूत होती है। देखने में सुस्त किन्तु मानसिक रूप से बहुत चुस्त होते हैं। प्रत्येक कार्य को बहुत योजनाबद्ध ढंग से करते हैं। गहरा नीला या श्वेत रंग प्रधान वस्त्र पहने हुए लड़कियां आपको बहुत पसंत आती है।
जब आप कार में दूर की यात्रा कर रहे होते हैं, आपकी खामोशी आपके साथी को प्रिय होती है। अगर आपकी पत्नी आपके व्यवहार को अच्छी तरह समझ लेती है तो आपका जीवन सुखपूर्वक व्यतीत होता है। आप पत्नी या साथी के सहयोग से उन्नति प्राप्त कर सकते हैं।
मकर राशि की लड़कियां लम्बी व दुबली-पतली होती हैं। यह व्यायाम आदि करना पसंद करती हैं। लम्बे कद के बाबजूद आप ऊंची एड़ी की सैंडिल पहनना पसंद करती हैं। पारंपरिक मूल्यों पर विश्वास करने वाली होती हैं। छोटे छोटे वाक्यों में अपने विचारों को व्यक्त करती हैं। दूसरों के विचारों को अच्छी तरह से समझ सकती हैं। इनके मित्र बहुत होते हैं और नृत्य की शौकिन होती है। इनको मजबूत कद कठी के व्यक्ति बहुत आकर्षित करते हैं। विवाहेत्तर सम्बन्धों में विश्वास नहीं करती हैं। अगर आप कैरियर वूमैन हैं तो आप अपने कार्य क्षेत्र में अपना अधिकतर समय व्यतीत करती हैं। आप अपने घर या घरेलू कार्यों के विषय में अधिक चिन्ता नहीं करती हैं।

कुंभ राशि- कुंभ राशि का चिन्ह घड़ा लिए खड़ा हुआ व्यक्ति है।
कुंभ राशि वाले बुद्धिमान होने के साथ-साथ व्यवहारकुशल होते हैं। जीवन में स्वतन्त्रता के पक्षधर होते हैं। प्रकृति से भी असीम प्रेम करते हैं। शीघ्र ही किसी से भी मित्रता स्थपित कर सकते हैं। आप सामाजिक क्रिया कलापों में रूचि रखने वाले होते हैं। इसमें भी साहित्य, कला, संगीत व दान आपको बेहद पसंद होता है।
इस राशि के लोगों में साहित्य प्रेम भी उच्च कोटि का होता है। आप केवल बुद्धिमान व्यक्तियों के साथ बोलना चालना पसंद करते हैं। कभी भी आप अपने मित्रों से असमानता का व्यवहार नहीं करते हैं। आपका व्यवहार सभी को आपकी ओर आकर्षित कर लेता है। कुंभ राशि के लड़के दुबले और लम्बे होते हैं। आपका व्यवहार स्नेहपूर्ण होता है। इनकी मुस्कान इन्हें आकर्षक व्यक्तित्व प्रदान करती है। इनकी रूचि स्तरीय खान पान व पहनावे की ओर रहती है। ये बोलने की अपेक्षा सुनना ज्यादा पसंद करते हैं। इन्हें लोगों से मिलना जुलना अच्छा लगता है। अपने व्यवहार में बहुत ईमानदार रहते हैं इसलिये अनेक लड़कियां आपकी प्रशंसक होती हैं। आपको कलात्मक अभिरूचि व सौम्य व्यक्तित्व वाली लड़कियां आकर्षित करती हैं। अपनी इच्छाओं को दूसरों पर लादना पसंद नहीं करते हैं और अपने घर परिवार से स्नेह रखते हैं।
कुंभ राशि की लड़कियां बड़ी बड़ी आंखों वाली व भूरे बालों वाली होती हैं। यह कम बोलती हैं इनकी मुस्कान आकर्षक होती है। इनका व्यक्तित्व बहुत आकर्षक होता है किन्तु आसानी से किसी को अपना नहीं बनाती हैं। ये अति सुंदर और आकर्षक होती हैं। आप किसी कलात्मक रूचि, पेंटिग, काव्य, संगीत, नृत्य या लेखन आदि में अपना समय व्यतीत करती हैं। ये सामान्यत: गंभीर व कम बोलने वाले व्यक्तियों के प्रति आकर्षित होती हैं। इनका जीवन सुखपूर्वक व्यतित होता है क्योंकि ये ज्यादा इच्छाएं नहीं करती हैं। अपने घर को भी कलात्मक रूप से सजाती हैं।


मीन राशि- मीन राशि का चिन्ह मछली होता है।
मीन राशि वाले मित्रपूर्ण व्यवहार के कारण अपने कार्यालय व पास पड़ोस में अच्छी तरह से जाने जाते हैं। आप कभी अति मैत्रीपूर्ण व्यवहार नहीं करते हैं। बल्कि आपका व्यवहार बहुत नियंत्रित रहता है। ये आसानी से किसी के विचारों को पढ़ सकते हैं। अपनी ओर से उदारतापूर्ण व संवेदनाशील होते हैं और व्यर्थ का दिखावा व चालाकी को बिल्कुल नापसंद करते हैं। एक बार किसी पर भी भरोसा कर लें तो यह हमेशा के लिये होता है इसीलिये आप आपने मित्रों से अच्छा भावानात्मक सम्बन्ध बना लेते हैं। सौंदर्य और रोमांस की दुनियां में रहते हैं। कल्पनाशीलता बहुत प्रखर होती है। अधिकतर व्यक्ति लेखन और पाठन के शौकीन होते हैं। आपको नीला, सफेद और लाल रंग रूप से आकर्षित करते हैं। आपकी स्तरीय रूचि का प्रभाव आपके घर में देखने को मिलता है। आपका घर आपकी जिंदगी में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। अपने धन को बहुत देखभाल कर खर्च करते हैं। आपके अभिन्न मित्र मुश्किल से एक या दो ही होते हैं। जिनसे ये अपने दिल की सभी बातें कह सकते हैं। ये विश्वासघात के अलावा कुछ भी बर्दाश्त कर सकते हैं।
मीन राशि के लड़के भावुक हृदय व पनीली आंखों वाले होते हैं। अपनी बात कहने से पहले दो बार सोचते हैं। आप जिंदगी के प्रति काफी लचीला दृटिकोण रखते हैं। अपने कार्य क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिये परिश्रम करते हैं।
कार्यालय या विद्यालय में कोई लड़की आपको आकर्षित करती है तो केवल इसलिये कि इससे इनके कार्यों में कोई रूकावट नहीं आती हैं। आपको बुद्धिमान और हंसमुख लड़कियां पसंद हैं। आप बहुत संकोचपूर्वक ही किसी लड़की से अपनी बात कह पाते हैं। एक कोमल व भावुक स्वभाव के व्यक्ति हैं। आप पत्नी के रूप में गृहणी को ही पसंद करते हैं। किन्तु ये खुद घरेलू कार्यों में दखलंदाजी नहीं करते हैं न ही आप अपनी व्यावसायिक कार्य में उसका दखल पसंद करते हैं। आपका वैवाहिक जीवन अन्य राशियों की अपेक्षा सर्वाधिक सुखमय रहता है।
मीन राशि की लड़कियां भावुक व चमकदार आंखों वाली होती हैं। ये आसानी से किसी से मित्रता नहीं करती हैं। लेकिन एक बार उसकी बातों पर विश्वास हो जाये तो आप अपने दिल की बात भी उससे कह देती हैं। ये स्वभाव से कला प्रेमी होती हैं। एक बुद्धिमान व सभ्य व्यक्ति आपको आकर्षित करता है। आप शान्तिपूर्वक उसकी बात सुन सकती हैं और आसानी से अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करती हैं। अपनी मित्रता और वैवाहिक जीवन में सुरक्षा व दृढ़ता रखना पसंद करती हैं। ये अपने पति के प्रति विश्वसनीय होती है और वैसा ही व्यवहार अपने पति से चाहती हैं। आपको ज्योताषि आदि में रूचि हो सकती है। आपको नई-नई चीजें सीखने का शौक होता है।