ज्योतिषशास्त्र में कुण्डली के नवम घर को भाग्य स्थान कहा जाता है। इस घर में जो ग्रह बैठा होता है या जो ग्रह इस घर को देखता है उसके अनुरूप व्यक्ति को भाग्य का सहयोग प्राप्त होता है। इस घर का स्वामी ग्रह जिस घर में बैठता है उससे भी भाग्य प्रभावित होता है। ज्योतिषशास्त्री चन्द्रप्रभाव बताती हैं कि भाग्य स्थान में सूर्य होने पर व्यक्ति स्वाभिमानी और महत्वाकांक्षी होता है। 22 वें वर्ष में इनका भाग्योदय होता है। ऐसा व्यक्ति राजनीति और सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़ कर भाग लेता है। इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी होती है। वाहन सुख प्राप्त होता है।
चन्द्रमा जिनकी कुण्डली में नवें घर में होता है उनका भाग्योदय 16वें वर्ष में होता है। ऐसे व्यक्ति दयालु और धार्मिक प्रवृति के होते हैं। जल से जुड़े क्षेत्र से इन्हें लाभ होता है। ऐसे व्यक्ति जन्म स्थान से दूर जाकर तरक्की करते हैं। मंगल का नवम घर में होना बताता है कि व्यक्ति को भूमि से संबंधित कार्यों में तथा अपने जन्मस्थान पर ही अच्छी कामयाबी मिल जाएगी। ऐसे लोग कई बार धन लाभ के लिए गलत तरीका भी अपना लेते हैं।
बुध का नवम भाव में होना दर्शात है कि व्यक्ति का भाग्योदय 32वें वर्ष में होगा। ऐसे लोग कल्पनाशील और अच्छे लेखक होते हैं। ज्योतिष, गणित एवं पर्यटन क्षेत्र से इन्हें लाभ मिलता है। ऐसे लोग काफी बुद्धिमान होते हैं। इन्हें प्रसिद्घि प्राप्त होती है। गुरू नवम स्थान का स्वामी ग्रह माना जाता है। गुरू का इस स्थान में होना उत्तम माना जाता है। ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय 24वें वर्ष में होता है इन्हें भाग्य का साथ हमेशा मिलता रहता है। धन-संपत्ति के साथ ही इन्हें मान-सम्मान भी प्राप्त होता है।
गुरू की तरह शुक्र का भी नवम स्थान में होना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय 25वें वर्ष में होता है। ऐसे व्यक्ति की रूचि साहित्य और कला में होती है। धन प्राप्ति का एक माध्यम कला और साहित्य हो सकता है। इनके पास धन-संपत्ति भरपूर होती है। भाग्य स्थान में शनि का होना दर्शात है कि व्यक्ति की तरक्की धीमी गति से होगी।
ऐसे व्यक्ति के जीवन का उत्तरार्ध पूर्वार्ध से अधिक सुखमय और खुशहाल होता है। इनका भाग्योदय 36वें वर्ष में होता है। ऐसे व्यक्ति नियम-कानून एवं प्राचीन मान्यताओं से जुड़े रहते हैं। राहु केतु का इस स्थान में होना बताता है कि व्यक्ति का भाग्योदय 42वें वर्ष में होगा।
चन्द्रमा जिनकी कुण्डली में नवें घर में होता है उनका भाग्योदय 16वें वर्ष में होता है। ऐसे व्यक्ति दयालु और धार्मिक प्रवृति के होते हैं। जल से जुड़े क्षेत्र से इन्हें लाभ होता है। ऐसे व्यक्ति जन्म स्थान से दूर जाकर तरक्की करते हैं। मंगल का नवम घर में होना बताता है कि व्यक्ति को भूमि से संबंधित कार्यों में तथा अपने जन्मस्थान पर ही अच्छी कामयाबी मिल जाएगी। ऐसे लोग कई बार धन लाभ के लिए गलत तरीका भी अपना लेते हैं।
बुध का नवम भाव में होना दर्शात है कि व्यक्ति का भाग्योदय 32वें वर्ष में होगा। ऐसे लोग कल्पनाशील और अच्छे लेखक होते हैं। ज्योतिष, गणित एवं पर्यटन क्षेत्र से इन्हें लाभ मिलता है। ऐसे लोग काफी बुद्धिमान होते हैं। इन्हें प्रसिद्घि प्राप्त होती है। गुरू नवम स्थान का स्वामी ग्रह माना जाता है। गुरू का इस स्थान में होना उत्तम माना जाता है। ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय 24वें वर्ष में होता है इन्हें भाग्य का साथ हमेशा मिलता रहता है। धन-संपत्ति के साथ ही इन्हें मान-सम्मान भी प्राप्त होता है।
गुरू की तरह शुक्र का भी नवम स्थान में होना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय 25वें वर्ष में होता है। ऐसे व्यक्ति की रूचि साहित्य और कला में होती है। धन प्राप्ति का एक माध्यम कला और साहित्य हो सकता है। इनके पास धन-संपत्ति भरपूर होती है। भाग्य स्थान में शनि का होना दर्शात है कि व्यक्ति की तरक्की धीमी गति से होगी।
ऐसे व्यक्ति के जीवन का उत्तरार्ध पूर्वार्ध से अधिक सुखमय और खुशहाल होता है। इनका भाग्योदय 36वें वर्ष में होता है। ऐसे व्यक्ति नियम-कानून एवं प्राचीन मान्यताओं से जुड़े रहते हैं। राहु केतु का इस स्थान में होना बताता है कि व्यक्ति का भाग्योदय 42वें वर्ष में होगा।