संसार में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो धन की अभिलाषा नहीं रखता हो। सन्यासी ही होंगे जिन्हें धन की अभिलाषा नहीं होती है।
गृहस्थ अर्थात सांसारिक जीवन व्यतीत करने वाला हर मनुष्य चाहता है कि उन्हें लक्ष्मी की कृपा दृष्टि प्राप्त हो। लक्ष्मी की कृपा की कामना भले ही हम सभी करें परंतु लक्ष्मी की दया हर किसी को बराबर नहीं मिलती है। अपनी आर्थिक समस्याओं से सम्बन्धित प्रश्नों को लेकर अक्सर हम आप ज्योतिषाचार्यों से सम्पर्क करते हैं। आप जब आर्थिक मुद्दों को लेकर ज्योतिषियों के पास जाते हैं तब वे किस प्रकार से फलादेश (Phaladesh) सुनाते हैं आईये इस पर दृष्टि डालते हैं।
प्रश्न कुण्डली के अनुसार जब आप जानना चाहते हैं कि किस व्यक्ति से आपको धन लाभ मिलेगा, उस समय द्वितीय भाव(Second house) संकेत देता है कि आपको संयुक्त रूप से कुटुम्ब जन से धन प्राप्त होगा। तृतीय भाव (Third house) बतता है कि छोटे भाई/बहनों से धन मिलेगा। चतुर्थ भाव (4rth house) से माता या ससुर से धन मिलने का भान होता है तो पंचम भाव (5th house) से संतान से धन, षष्टम (Sixth house) से बैंक से कर्ज के रूप में धन, सप्तम (7th house) से पत्नी से धन, अष्टम भाव (8th house) से ससुराल से धन, नवम भाव(Ninth house) से साले/बहनोई से धन, एकादश (11th house) भाव से मित्र का धन तथा द्वादश भाव (12th house) से अनैतिक तरीके से धन लाभ का ज्ञान मिलता है।
ज्योतिषशास्त्री बताते हैं कि किसी व्यक्ति से धन लाभ के संदर्भ में आपके भाव/भावेश (House/House Lord) के साथ ही कारक ग्रह भी बलवान होकर शुभ होना चाहिए, इसे आप एक उदाहरण से समझ सकते हैं मान लीजिए आपको अपने बड़े भाई या बड़ी बहन से धन लाभ देखना है तो इसके लिए एकादश भाव एवं एकादशेश के साथ ही इनके कारक गुरू के बल पर भी दृष्टि रखनी होगी।
धन लाभ के विषय में दूसरे ग्रहों की एकादश भाव पर दृष्टि या भावेश के साथ युति या दृष्टि से भी विचार करना होता है। उपरोक्त भाव/ग्रहों का परिणाम संयुक्त रूप से अनुकूल आता है तो आपको धन का लाभ होता है। इस स्थिति में परिणाम प्रतिकूल आने से धन हानि होने की संभावना रहती है।
धन लाभ के संदर्भ में एक तथ्य यह भी है कि लग्न/लग्नेश शुभ (Auspiciousnes of Ascendant /Lord of Ascendant) होकर बलवान स्थिति में हों तो व्यक्ति स्वयं ही धन अर्जन करता है। धन लाभ की स्थिति के सम्बन्ध में नवम भाव/नवमेश का बलवान होना भी उत्तम माना जाता है।
तथ्यों के अध्ययन से ज्ञात होता है कि धन के लाभ के लिए हमारी कुण्डली में काफी संभावनाएं हैं। अपनी प्रश्न कुण्डली को जानकर हम धन के संदर्भ में सकारात्मक प्रयास कर सकते हैं।
गृहस्थ अर्थात सांसारिक जीवन व्यतीत करने वाला हर मनुष्य चाहता है कि उन्हें लक्ष्मी की कृपा दृष्टि प्राप्त हो। लक्ष्मी की कृपा की कामना भले ही हम सभी करें परंतु लक्ष्मी की दया हर किसी को बराबर नहीं मिलती है। अपनी आर्थिक समस्याओं से सम्बन्धित प्रश्नों को लेकर अक्सर हम आप ज्योतिषाचार्यों से सम्पर्क करते हैं। आप जब आर्थिक मुद्दों को लेकर ज्योतिषियों के पास जाते हैं तब वे किस प्रकार से फलादेश (Phaladesh) सुनाते हैं आईये इस पर दृष्टि डालते हैं।
ज्योतिर्विदों के मतानुसार धन के विषय में जब विचार करना होता है तब सभी भावों पर दृष्टि (Importance on all houses for considering wealth) रखनी होती है। धन के सम्बन्ध में हर भाव अलग अलग स्थिति बयां करता है जैसे प्रथम भाव स्वअर्जित धन का संकेत देता है तो द्वितीय भाव जमा पूंजी (Second house says about deposit and capital) के संदर्भ में बताता है.
इसी प्रकार तृतीय भाव (Third house) पराक्रम द्वारा अर्जित धन के विषय में, चतुर्थ भाव (Fourth house) से सम्पत्ति, पंचम भाव (Fifth house) से अकस्मात धन लाभ,षष्टम (Sixth house) से शत्रु से धन लाभ, सप्तम भाव (Seventh house) से व्यवसाय में धन लाभ, अष्टम भाव (8th house) से विरासत में प्राप्त धन, नवम भाव (Ninth house) से भाग्य द्वारा धन, दशम भाव (Tenth house) से नौकरी या सरकार से धन, एकादश भाव (11th house) से कार्य में धन लाभ तथा द्वादश भाव (12th house) से विदेश में धन लाभ का संकेत प्राप्त होता है।
इन तथ्यों से ज्ञात होता है कि हमारी कुण्डली के हर भाव में धन का संकेत होता है। धन का कारक बृहस्पति को (Jupiter is the significator of wealth) माना गया है, कुण्डली के किसी भी भाव में बृहस्पति बलवान होकर स्थित होने से धन का लाभ होता है। प्रश्न कुण्डली के अनुसार जब आप जानना चाहते हैं कि किस व्यक्ति से आपको धन लाभ मिलेगा, उस समय द्वितीय भाव(Second house) संकेत देता है कि आपको संयुक्त रूप से कुटुम्ब जन से धन प्राप्त होगा। तृतीय भाव (Third house) बतता है कि छोटे भाई/बहनों से धन मिलेगा। चतुर्थ भाव (4rth house) से माता या ससुर से धन मिलने का भान होता है तो पंचम भाव (5th house) से संतान से धन, षष्टम (Sixth house) से बैंक से कर्ज के रूप में धन, सप्तम (7th house) से पत्नी से धन, अष्टम भाव (8th house) से ससुराल से धन, नवम भाव(Ninth house) से साले/बहनोई से धन, एकादश (11th house) भाव से मित्र का धन तथा द्वादश भाव (12th house) से अनैतिक तरीके से धन लाभ का ज्ञान मिलता है।
ज्योतिषशास्त्री बताते हैं कि किसी व्यक्ति से धन लाभ के संदर्भ में आपके भाव/भावेश (House/House Lord) के साथ ही कारक ग्रह भी बलवान होकर शुभ होना चाहिए, इसे आप एक उदाहरण से समझ सकते हैं मान लीजिए आपको अपने बड़े भाई या बड़ी बहन से धन लाभ देखना है तो इसके लिए एकादश भाव एवं एकादशेश के साथ ही इनके कारक गुरू के बल पर भी दृष्टि रखनी होगी।
धन लाभ के विषय में दूसरे ग्रहों की एकादश भाव पर दृष्टि या भावेश के साथ युति या दृष्टि से भी विचार करना होता है। उपरोक्त भाव/ग्रहों का परिणाम संयुक्त रूप से अनुकूल आता है तो आपको धन का लाभ होता है। इस स्थिति में परिणाम प्रतिकूल आने से धन हानि होने की संभावना रहती है।
धन लाभ के संदर्भ में एक तथ्य यह भी है कि लग्न/लग्नेश शुभ (Auspiciousnes of Ascendant /Lord of Ascendant) होकर बलवान स्थिति में हों तो व्यक्ति स्वयं ही धन अर्जन करता है। धन लाभ की स्थिति के सम्बन्ध में नवम भाव/नवमेश का बलवान होना भी उत्तम माना जाता है।
तथ्यों के अध्ययन से ज्ञात होता है कि धन के लाभ के लिए हमारी कुण्डली में काफी संभावनाएं हैं। अपनी प्रश्न कुण्डली को जानकर हम धन के संदर्भ में सकारात्मक प्रयास कर सकते हैं।