Friday, November 8, 2013

ये 30 बातें ध्यान रखेंगे तो नौकरी और प्रमोशन में नहीं होंगी परेशानियां

ये 30 बातें ध्यान रखेंगे तो नौकरी और प्रमोशन में नहीं होंगी परेशानियां

आज के समय में काफी अधिक ऐसे लोग हैं जिनका जीवन  नौकरी पर आधारित है। जो लोग जॉब या नौकरी में रहते हैं उनकी एक इच्छा हमेशा रहती है कि उन्हें समय-समय पर प्रमोशन और उचित इंक्रीमेंट मिलता रहे। इसके लिए कड़ी मेहनत भी की जाती है। काफी कम लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें मनमाफिक नौकरी और प्रमोशन हासिल हो पाता है।

- जिस तरह से वनस्पतियों को सूर्य से जीवन प्राप्त होता है, वैसे ही आशीर्वाद से आप में जीवन संचरित होता है। इसलिए बड़े- बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते रहना चाहिए।

- सफलता उन्हीं के कदम चूमती है जो किसी भी समस्या या कार्य के दोनों पक्षों को देखते हैं और जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं करते हैं।

- सच्चा पुरुषार्थी वही है, जो असफल रहने पर भी प्रयास में शिथिलता नहीं आने देता। और असफलताओं के बाद भी नए उत्साह से सफलता के लिए प्रयास करता है।

- खुशी, दुख, डर, प्रेम आदि भावों को प्रकट करने में जब सभी इंद्रियां हार मान बैठती हैं, तो आंसू ही उन भावों को प्रकट करने में सहायक होते हैं।

- जलती हुई लकडिय़ां अलग होने पर धुंआ फेंकती हैं। और साथ होने  पर जलने लगती हैं। ऐसे ही अपनों से अलग होने वाले दुख उठाते हैं और साथ होने पर सुखी होते हैं।

- अधिक अभिमान, अधिक बोलना, त्याग का प्रभाव, गुस्सा, अपना पेट पालने की चिंता और मित्र द्रोह- ये छह तीखी तलवारें आयु को कम कर देती हैं। इनसे बचना चाहिए।

- जो सेवक आज्ञा मिलने पर स्वामी की बात का आदर नहीं करता। किसी काम में लगाए जाने पर इनकार कर देता है। अपनी बुद्धि पर गर्व करता है। उसे छोड़ देना चाहिए।

- थोड़ा भोजन करने वाले को आयु, बल, सुख, आरोग्य मिलता है। उनके बच्चे सुंदर होते हैं। इसके अलावा लोग उन पर यह आरोप भी नहीं लगाते कि वह बहुत खाने वाले हैं।

- बुढ़ापा रूप का, मृत्यु प्राणों का, नीच पुरुषों की सेवा सदाचार का, क्रोध लक्ष्मी का और अभिमान सभी का नाश कर देता है। इसलिए इनसे बचना चाहिए।

- जो आपके साथ जैसा बर्ताव करे, उसके साथ वैसा ही बर्ताव करें। कपटी के साथ कपटपूर्ण और अच्छा बर्ताव करने वाले के साथ साधु भाव से बर्ताव करें।

- बहुत खाने वाले, अकर्मण्य, स भी लोगों से वैर रखने वाले, अधिक मायावी, क्रूर और देश काल का ज्ञान न रखने वाले  को कभी भी अपने घर में न ठहरने दें।

- जो हमेशा दूसरों की निंदा में लगे रहते हैं, दूसरों को दुख और आपस में फूट डालने की कोशिश में उत्साहित रहते हैं। उनसे धन का लेन-देन नहीं करना चाहिए।

- धूर्त, आलसी, डरपोक, क्रोधी पुरुष, अभिमानी, अहसान न मानने वाले और नास्तिक व्यक्ति पर कभी भी पूर्ण विश्वास नहीं करना चाहिए।

- जो धन बहुत क्लेश उठाने से, धर्म का उल्लंघन करने से या दुश्मन के सामने सिर झुकाने से मिले, उसे पाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

- यदि आप खुद को तुच्छ, निर्धन, क्षुद्र मान बैठेंगे तो आप वैसे ही हो जाएंगे। इसके विपरीत यदि खुद का आदर करते हैं तो आत्म- निर्भर हो जाएंगे और यश भी पाएंगे।

- हर चीज आपकी शारीरिक और मानसिक स्थिति पर निर्भर करती है क्योंकि इसी से आपकी कार्यशक्ति संचालित होती है। जरूरत है इस शक्ति को पहचानने की।

- जिसे दूसरे की सुविधा और दूसरे के साथ निभाने की दृष्टि से झुकना और राह छोड़ना नहीं आता, वह कुछ भी नहीं पा सकता। यहां तक संतोष भी नहीं।

- अहंकार को भूलकर कोमल लता की तरह आंधी तूफान  का सामना करने की कोशिश करें। सफलता खुद-ब-खुद आपको गले लगा लेगी।

- विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई अन्य विद्यालय आज तक नहीं बना है। और विपत्ति के समय में दुख भोगने से ही सुख के मूल्य का पता चलता है।

- यह दुनिया उसी व्यक्ति को श्रेष्ठ मानती है जो कृतकार्य होकर उसे यह दिखला देता है कि इसी तरह से सफलता हासिल की जा सकती है।

- क्रोध मूर्खता से शुरू होकर पश्चाताप पर खत्म होता है। जो व्यक्ति अपने क्रोध को अपने ऊपर ही झेल लेता है, वह दूसरों के क्रोध से बच जाता है।

- गरीब वह व्यक्ति है, जिसका खर्च उसकी आमदनी से अधिक है। उस इंसान से अधिक कोई और गरीब नहीं है, जिसके पास सिर्फ पैसा है।

- जिस तरह से बिना घिसे हीरे में चमक नहीं आती, उसी तरह से बिना गलतियां करे इंसान पूर्ण नहीं होता। मगर, गलतियों पर दृढ़ केवल मूर्ख ही रहते हैं।

- बहुत विद्वान होने से कोई आत्मगौरव प्राप्त नहीं कर सकता। इसके लिए सच्चरित्र होना जरूरी है। चरित्र के सामने विद्या का बहुत कम मूल्य है।

- चिंता एक ऐसी हथौड़ी है, जो मनुष्य के सूक्ष्म और सुकोमल सूत्रों व तंतुजाल को विघटित कर उसकी कार्य करने की शक्ति को नष्ट कर देती है।

- यह मानना कि वर्तमान समय बड़ा नाजुक है, जीवन का सबसे बड़ा भ्रम है। अपने हृदय में यह अंकित कर लें कि जीवन का हर पल जीवन का सर्वोत्तम समय है।

- जीवन का पहला और स्पष्ट लक्ष्य है- विस्तार। जिस क्षण आप विस्तार करना बंद कर देंगे, उसी क्षण जान लें कि आपको मृत्यु ने घेर लिया है, विपत्तियां सामने हैं।

- ईमानदारी वैभव का मुंह नहीं देखती। वह तो परिश्रम के पालने में किलकारियां मारती है और संतोष पिता की भांति उसे देखकर तृप्त होता है।

- किसी भी व्यक्ति को सांप, आग, शेर और अपने कुल में पैदा हुए लोगों का अनादर नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये सभी बड़े तेजस्वी होते हैं।

- स्त्रियों को घर की लक्ष्मी कहा जाता है। वे अत्यंत सौभाग्यशालिनी, पूजा के योग्य, पवित्र और घर की शोभा हैं। इसलिए उनकी विशेष रूप से रक्षा करनी चाहिए।