Monday, June 27, 2011

सपने में सांई बाबा दर्शन दे तो समझ लें कि...

आज सांई बाबा सभी की आस्था के केंद्र हैं, इनके प्रति सभी भक्तों की अटूट श्रद्धा है। क्योंकि बाबा के दरबार में सभी की मनोकामनाएं बहुत ही पूरी हो जाती हैं। इसी वजह से शिर्डी में बाबा के मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। बाबा के दर्शनों के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है लेकिन कुछ भक्तों को सांई सपने में भी दर्शन देते हैं। जानिए यदि भक्त के सपने में सांई बाबा दर्शन दे तो इसके क्या फल प्राप्त होते हैं?

ज्योतिष के अनुसार सपनों में हमारे भविष्य से जुड़े कई रहस्य छुपे रहते हैं जिन्हें समझने की आवश्यकता होती है। सपने एक पहेली ही हैं जिनके उत्तर मिलने पर हम आने वाले कल में होने वाली घटनाओं की सही-सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। पुराने समय से ही ऐसा माना जाता है कि देवी-देवता या कोई संत-महात्मा के दर्शनों से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार भगवान या सच्चे संत-महात्मा के दर्शन प्राप्त करने के लिए कई प्रकार के पुण्य कर्म करना होते हैं। जो इंसान पूरी तरह से निष्पाप होता है उसे देवी-देवताओं के दर्शन अवश्य ही प्राप्त होते हैं। सांई बाबा भी उनके भक्तों के लिए सभी देवी-देवताओं के समान ही हैं।

किसी व्यक्ति के सपने में यदि सांई बाबा प्रसन्न मुद्रा में दिखाई दे तो समझना चाहिए कि आपके सभी रुके हुए कार्य पूर्ण हो जाएंगे और खुशियां प्राप्त होंगी। बुरा समय दूर हो जाएगा। वहीं यदि बाबा क्रोध में दिखाई दे तो इसका मतलब यह है कि आपके साथ कुछ बुरा होने वाला या आपसे कोई पाप हो गया है और इसकी वजह से आपको कोई संकट झेलना पड़ सकता है।

कपड़े सुखाने का भी है खास तरीका, जिससे प्रसन्न होती हैं महालक्ष्मी

कपड़े सुखाने का भी है खास तरीका, जिससे प्रसन्न होती हैं महालक्ष्मी


घर में किए जाने वाले दिनभर के कार्यों का हमारे भविष्य से गहरा संबंध है। जिस प्रकार से ये कार्य किए जाते हैं उन्हीं से हमारे सुख और दुख जुड़े हुए हैं। सही तरीके से इन कार्यों को करने से सभी काम व्यवस्थित तो होते हैं साथ ही देवी-देवताओं की प्रसन्नता भी प्राप्त होती है। शास्त्रों में सभी कार्य करने के विशेष तरीके बताए गए हैं और इन्हें अपनाने पर निश्चित ही कई फायदे प्राप्त होते हैं। सभी के घरों में कई प्रकार के कार्य होते हैं जैसे खाना बनाना, बर्तन धोना, साफ-सफाई, कपड़े धोना और सुखाना आदि। इन कार्यों में कपड़े धोने और सुखाने के संबंध में भी कई टिप्स बताई गई हैं।

ज्योतिष में कपड़े सुखाने के संबंध में कई खास बातें बताई गई हैं जिन्हें अपनाने से हमारे घर की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। शास्त्रों के अनुसार नहाने के बाद गिले वस्त्र को ऊपर से उतारना चाहिए जब किसी नदी पर स्नान करने के बाद कपड़ों को ऊपर से नीचे की ओर उतारना चाहिए। भीगे हुए कपड़ों को चार परत करके निचोडऩा चाहिए। इसके बाद कपड़े सुखाते समय पूर्व से या उत्तर से दक्षिण की ओर सुखने के लिए फैलाना चाहिए। निचोड़े कपड़ों को कंधे पर नहीं रखना चाहिए। बिना कपड़ों के कभी स्नान न करें। इन उपायों को अपनाने से करने से धन की देवी महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और परिवार की आर्थिक समस्याओं को दूर करती हैं।


एक गिलास पानी से जगाएं अपना भाग्य

एक गिलास पानी से जगाएं अपना भाग्य
भाग्य या किस्मत ऐसे शब्द हैं जिन्हें हम सभी दिन में कई बार बोलते या सुनते हैं। काफी लोग अपनी असफलता का श्रेय भाग्य को देते हैं। यदि कर्म में मेहनत या ईमानदारी का अभाव हो तो निश्चित ही सफलता आपसे दूर ही रहती है लेकिन यदि कड़ी मेहनत और पूरी ईमानदारी के साथ कार्य करने के बाद भी निराशा हाथ लगती है तो कुछ अन्य उपाय करना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार कुंडली में ग्रहों की अशुभ स्थिति के कारण ही हमें परेशानियों और असफलताओं का सामना करना पड़ता है।

अशुभ प्रभाव देने वाले ग्रहों का उचित उपचार करने पर उनके बुरे फलों में कमी आती है। जिससे काफी हद तक मेहनत के बल पर हम उन्नति प्राप्त कर सकते हैं। यदि आपको भी जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो ज्योतिष शास्त्र में बताया गया यह उपाय अपनाएं-

प्रतिदिन रात को सोते समय एक बर्तन में पानी भरकर अपने सिर के पास रखें। ब्रह्म मुहूर्त में उठें और वह पानी घर के बाहर फेंक दें। इसके साथ ही प्रतिदिन शिवलिंग पर दूध और जल चढ़ाएं। किसी के प्रति मन में ईष्र्या भाव न रखें और ना ही किसी को दुख पहुंचाएं। कार्य पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ करें। ऐसा करने पर कुछ ही समय में भाग्य आपका साथ देने लगेगा और आपका जीवन सुखी तथा समृद्धिशाली हो जाएगा।

हाथों में कड़ा पहनें, हमेशा बीमारियों से रहेंगे दूर

असंयमित दिनचर्या के चलते मौसमी बीमारियों से लड़ पाना काफी मुश्किल हो गया है। जल्दी-जल्दी सफलताएं प्राप्त करने की धुन में कई लोग सही समय पर खाना भी खा पाते। जिससे शारीरिक कमजोरी बढ़ जाती है और वे लोग मौसम संबंधी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। इन सभी बीमारियों से बचने के लिए हाथों में कड़ा पहनना सटीक उपाय बताया गया है।

ज्योतिष में बीमारियों से बचने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। यदि कोई व्यक्ति बार-बार बीमार होता है तो यह उपाय करें-


जो व्यक्ति बार-बार बीमार होता है उसके सीधे हाथ के नाप का कड़ा बनवाना है। कड़ा अष्टधातु का रहेगा। इसके लिए किसी भी मंगलवार को अष्टधातु का कड़ा बनवाएं। इसके बाद शनिवार को वह कड़ा लेकर आएं। शनिवार को ही किसी भी हनुमान मंदिर में जाकर कड़े को बजरंग बली के चरणों में रख दें। अब हनुमान चालिसा का पाठ करें। इसके बार कड़े में हनुमानजी का थोड़ा सिंदूर लगाकर बीमार व्यक्ति स्वयं सीधे हाथ में पहन लें।

ध्यान रहे यह कड़ा हनुमानजी का आशीर्वाद स्वरूप है अत: अपनी पवित्रता पूरी तरह बनाए रखें। कोई भी अपवित्र कार्य कड़ा पहनकर न करें। अन्यथा कड़ा प्रभावहीन हो जाएगा।

कैसे बर्तन में खाना खाने से नहीं आती है गरीबी...

जीने के लिए सबसे जरूरी है खाना। भोजन के संबंध में ज्योतिष और वास्तु शास्त्र में कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं। जिससे खाना शरीर को ऊर्जा तो प्रदान करता है साथ ही सभी देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त कराता है।

वास्तु के अनुसार खाना कैसे बर्तनों में खाना चाहिए? इस संबंध में खास बातें बताई गई हैं। भोजन हमेशा एकदम साफ बर्तनों में ही खाना चाहिए। बर्तन पर किसी भी प्रकार की धूल या गंदगी नहीं होना चाहिए। बर्तन कहीं से टूटे-फूटे न हो। यदि किसी बर्तन में कोई स्क्रेच जैसा निशान हो तो उसे भी खाने के उपयोग में नहीं लेना चाहिए। तांबे के बर्तन से पानी पीना बहुत फायदेमंद होता है। इस पानी से पेट संबंधी कई छोटी-छोटी मौसमी बीमारियां हमेशा दूर ही रहती हैं।

ऐसे बर्तन भी भोजन के उपयोग में नहीं लेना चाहिए जिन पर नकारात्मक दृश्य वाली डिजाइन हो। वास्तु के अनुसार ऐसे बर्तनों में खाना खाने से हमारे विचार नेगेटिव बनते हैं। जिसका हमारे कार्य पर बुरा असर पड़ता है। वहीं ज्योतिष के अनुसार इस प्रकार के बर्तनों में खाना खाने से दरिद्रता बढ़ती है और धन संबंधी परेशानियां झेलनी पड़ सकती है। इसी वजह से एकदम साफ और अच्छे बर्तनों में ही खाना चाहिए।

Friday, June 17, 2011

कुंडली में चंद्र और शनि एक साथ हो तो...

ज्योतिष एक ऐसा माध्यम है जिससे व्यक्ति के हर जन्म के कर्म और स्वभाव को जाना जा सकता है। ज्योतिष विज्ञान को आज लगभग सभी मानने लगे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि के योग के क्या फल हैं? जानिए...

- जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि प्रथम भाव में हो वह व्यक्ति नौकरी करने वाला, क्रूर, लोभी, नीच, आलसी और पापी हो सकता है। ऐसा व्यक्ति विश्वासपात्र नहीं होता।

- किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि चतुर्थ भाव में हो तो वह व्यक्ति जल से संबंधित कार्य करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति खनिज पदार्थ का व्यवसाय करते हैं।

- कुंडली में चंद्र और शनि सप्तम भाव में हो तो व्यक्ति किसी मंत्री का प्रिय होता है परंतु स्त्रियों से कष्ट प्राप्त करने वाला होता है।

- चंद्र और शनि किसी व्यक्ति की कुंडली में दशम भाव में हो तो व्यक्ति शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला, सुविख्यात और राजा के समान सुख प्राप्त करने वाला होता है।

ध्यान रहें अन्य सभी ग्रहों की स्थिति भी विचारणीय है।

बुरे प्रभाव से बचने के उपाय

- चंद्र से संबंधित वस्तुओं का दान करें।

- शनि की वस्तुएं दान करें और दान या उपहार में चंद्र या शनि से संबंधित वस्तुएं कभी ना लें।

- हनुमान जी का पूजन करें। प्रति मंगलवार और शनिवार को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।

- प्रतिदिन हनुमान चालिसा का पाठ करें।

शिवलिंग पर चढ़ाएं कच्चा दूध, जो चाहोगे वही मिलेगा

शिव महापुराण के अनुसार सृष्टि निर्माण से पहले केवल शिवजी का ही अस्तित्व बताया गया है। भगवान शंकर ही वह शक्ति है जिसका न आदि है न अंत। इसका मतलब यही है कि शिवजी सृष्टि के निर्माण से पहले से हैं और प्रलय के बाद भी केवल महादेव का ही अस्तित्व रहेगा। अत: इनकी भक्ति मात्र से ही मनुष्य को सभी सुख, धन, मान-सम्मान आदि प्राप्त हो जाता है।

शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर को भोलेनाथ कहा गया है अर्थात् शिवजी अपने भक्तों की आस्था और श्रद्धा से बहुत ही जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। शिवजी के प्रसन्न होने के अर्थ यही है कि भक्त को सभी मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो जाती है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के कई उपाय बताए गए हैं। इनकी पूजा, अर्चना, आरती करना श्रेष्ठ मार्ग हैं। प्रतिदिन विधिविधान से शिवलिंग का पूजन करने वाले श्रद्धालुओं को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

शिवजी को जल्द ही प्रसन्न के लिए शिवलिंग पर प्रतिदिन कच्चा गाय का दूध अर्पित करें। गाय को माता माना गया है अत: गौमाता का दूध पवित्र और पूजनीय है। इसे शिवलिंग पर चढ़ाने से महादेव श्रद्धालु की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

दूध की प्रकृति शीतलता प्रदान करने वाली होती है और शिवजी को ऐसी वस्तुएं अतिप्रिय हैं जो उन्हें शीतलता प्रदान करती हैं। इसके अलावा ज्योतिष में दूध चंद्र ग्रह से संबंधित माना गया है। चंद्र से संबंधित सभी दोषों को दूर करने के लिए प्रति सोमवार को शिवजी को दूध अर्पित करना चाहिए। मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए यह भी जरूरी है कि आपका आचरण पूरी तरह धार्मिक हो। ऐसा होने पर आपकी सभी मनोकामनाएं बहुत ही जल्द पूर्ण हो जाएंगी।

घर में जूते-चप्पल कहां और कैसे रखें?

परिवार के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि घर में पूरी तरह साफ-सफाई रहे, गंदगी न हो, धुल-मिट्टी न हो। गंदगी के कारण हमारे स्वास्थ्य को तो नुकसान है साथ ही इससे हमारी आर्थिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार जिस घर में गंदगी रहती है वहां कई प्रकार की आर्थिक हानि होती हैं और हमेशा पैसों की तंगी बनी रहती है। जब भी हम कहीं बाहर जाते हैं तब हमारे जूते-चप्पलों में गंदगी लग जाती है जिसे लेकर हम घर आ जाते हैं। काफी लोग घर में जूते-चप्पल पहनते हैं जबकि शास्त्रों के अनुसार घर में नंगे पैर ही रहना चाहिए क्योंकि घर में कई स्थान देवी-देवताओं से संबंधित होते हैं उनके आसपास जूते-चप्पल लेकर जाना शुभ नहीं माना जाता है।

जूते-चप्पल घर के बाहर या घर के अंदर ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जहां से गंदगी पूरे घर में न फैले। घर के बाहर भी जूते-चप्पलों को व्यवस्थित ढंग से ही रखा जाना चाहिए। बेतरतीब रखे गए जूते-चप्पल वास्तु दोष उत्पन्न करते हैं। अत: इससे बचना चाहिए। यदि घर में चप्पल पहनना ही पड़े तो घर के अंदर की चप्पल दूसरी रखें, जिसे बाहर पहनकर न जाएं।

घर के मंदिर कितनी बड़ी भगवान की मूर्तियां रखें?


प्रतिदिन सुबह-सुबह भगवान की प्रतिमा या चित्र के दर्शन से हमारा पूरा दिन खुशियोंभरा और सुख के साथ बीतता है। इसके साथ ही भगवान की पूजा से हमारे कई जन्मों के पाप स्वत: नष्ट हो जाते हैं और पुण्यों की वृद्धि होती है। सभी के घरों में भगवान के लिए अलग स्थान बनाया जाता है। कहीं-कहीं छोटे-छोटे मंदिर बने होते हैं। घर के मंदिरों के संबंध वास्तु कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं।

पूजा घर घर का सबसे पवित्र स्थान होता है। वास्तु के अनुसार यदि पूजा घर का वास्तु ठीक हो तो घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है। पूजा घर में कुछ बातों का ध्यान रखकर आप घर की परेशानियों को दूर सकते हैं। आजकल भिन्न-भिन्न प्रकार की धातुओं से मंदिर बनाए जाते हैं लेकिन घर में शुभता की दृष्टि से मंदिर लकड़ी, पत्थर और संगमरमर का होना चाहिए।

वास्तु के अनुसार, घर में पूजा के लिए अंगूठे के आकार की प्रतिमाएं श्रेष्ठ मानी गई हैं। इससे बड़ी मूर्तियों की पूजा घर में नहीं की जानी चाहिए। ज्यादा बड़ी मूर्तियों की पूजा केवल मंदिरों में ही श्रेष्ठ मानी जाती है। घर में पीतल, अष्ठधातु की भी बड़े आकार की मूर्ति नहीं होनी चाहिए।

Monday, June 13, 2011

नौकरी से सम्बंधित उपाय

नौकरी से सम्बंधित उपाय
नौकरी प्राप्त करने एंव तबदीली हेतु उपाय

यदि किसी की नौकरी नहीं लगती तो ४३ दिन लगातार १२ बजे चीनी व लाल फूल डालकर सूर्य को जल दें।

जिस व्यक्ति की बार-बार तबदीली होती है तो उसे १० पीले नींबू बिना दाग वाले साफ चलते पानी में प्रवाहित करें।

तबदीली को रूकवाने के लिए जातक को सवा चार रत्ती का लहसुनिया चांदी की चैन में धारण करने बार-बार होने वाली तबदीली रूक जाती है।(बृहस्पतिवार के दिन सूर्योदय होने के पश्चात् उपाय करें)

पलाश (ढ़ाक) के पत्तों का डोना लाकर उसमें लाल गुलाब के फूल की पत्तियां डालकर शाम के समय जल प्रवाह करें।


यदि आप नौकरी के लिए इन्टरव्यु पर जाते हैं या कारोबार के सिलसिले में यात्रा पर जाते हैं तो घर से निकालने से पहले थोड़ा सा मीठा खाकर निकलें और साथ में आधा लीटर दूध मन्दिर में रखकर जाने से किसी भी कार्य में विध्न-बाधाएं नहीं आयेंगी।

Friday, June 10, 2011

कर्ज से छुटकारा पाना है तो यह करें

वर्तमान समय में वाहन खरीदने से लेकर घर खरीदने तक के लिए लोन आसानी से मिल जाता है। कुछ लोग बिना समझे ही लोन के चक्कर मे फंस जाते हैं और जब लोन चुकाने का समय आता है तो वह अपने आप को ठगा सा महसूस करते हैं। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो जाने-अनजाने में ही कर्ज की दलदल में फंस जाते हैं और जब उसमें धंसने लगते हैं तो उन्हें अपने किए पर पछतावा होता है। यदि आप भी लोन या कर्ज से परेशान है तो नीचे लिखे मंत्र का विधि-विधान से जप करें।
ऋणहर्ता गणेश मंत्र

ऊँ श्री गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नम: फट्

जप विधि

- सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करके भगवान गणेश का पूजन करें। उन्हें दुर्वा चढ़ाएं, धूप, दीप व नैवेद्य अर्पण करें।

- इसके बाद एकांत स्थान पर बैठकर पूर्व दिशा में मुखकर कुश के आसन पर बैठ जाएं।

- रुद्राक्ष अथवा पन्ना की माला से इस मंत्र का कम से कम 5 माला जप करें।

- एक ही समय, स्थान, आसन व माला हो तो ठीक रहता है।

कुछ ही दिनों में आपकी कर्ज संबंधी समस्याएं दूर हो जाएंगी और आपका जीवन फिर पहले जैसा सुखमय हो जाएगा।

रतिक्रिया: रात्रि का प्रथम प्रहर ही श्रेष्ठ क्यों?

सनातन धर्म में रतिक्रिया के संबंध में भी कई आवश्यक निर्देश दिए हैं। विवाह उपरांत रतिक्रिया को महत्वपूर्ण माना गया है। रतिक्रिया के माध्यम से ही संतान की उत्पत्ति होती है।

आपकी संतान कैसी होगी? यह रतिक्रिया का समय निर्धारित करता है। इस संबंध में धर्म शास्त्रों में उल्लेख है कि रात्रि का प्रथम प्रहर रतिक्रिया के लिए सर्वश्रेष्ठ है। ऐसा माना जाता है कि रात्रि के प्रथम पहर में कि गई रतिक्रिया से उत्पन्न होने वाली संतान को शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वह संतान पूर्णत: धार्मिक, माता-पिता की आज्ञा का पालन करने वाली, भाग्यवान, दीर्घायु होती है।

मान्यता है कि प्रथम प्रहर के पश्चात राक्षस गण पृथ्वी भ्रमण पर निकलते हैं और उस दौरान की गई रतिक्रिया से उत्पन्न होने वाली संतान राक्षसों के समान ही गुण वाली होती है। वे संतान अति कामी, बुरे

गुणों वाली, माता-पिता का अनादर करने वाली, भाग्यहीन और बुरे व्यसनों में फंसने वाली होती हैं।

रात्रि का प्रथम प्रहर रात 12 बजे तक माना जाता है। वैदिक धर्म के अनुसार इसी समय को रतिक्रिया के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसके अतिरिक्त किसी अन्य समय में रतिक्रिया करने वाले युगल कई प्रकार के शारीरिक, मानसिक और आर्थिक दुख भोगते हैं। रात्रि 12 बजे के बाद रतिक्रिया करने से कई प्रकार की बीमारियां घेर लेती हैं। जैसे अनिंद्रा, मानसिक तनाव, थकान अन्य शारीरिक बीमारियां आदि। साथ ही उन्हें देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त नहीं होती।

घर पर झंडा लगाने से बढ़ता है सुख क्योंकि...


झंडे या ध्वजा को विजय और सकारात्मकता ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए पहले के जमाने में जब युद्ध में या किसी अन्य कार्य में  विजय प्राप्त होती थी तो ध्वजा फहराई जाती थी। वास्


तु के अनुसार भी झंडे को शुभता का प्रतीक माना गया है। माना जाता है कि घर पर ध्वजा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश तो होता ही है साथ ही घर को बुरी नजर भी नहीं लगती है। लेकिन घर के उत्तर-पश्चिम कोने में यदि ध्वजा लगाई जाती है तो उसे वास्तु के दृष्टिकोण से बहुत अधिक शुभ माना जाता है।

वायव्य कोण यानी उत्तर पश्चिम में झंडा या ध्वजा वास्तु के अनुसार जरूर लगाना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उत्तर-पश्चिम कोण यानी वायव्य कोण में  राहु का निवास माना गया है। ज्योतिष के अनुसार  राहु को रोग, शोक व दोष का कारक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यदि घर के इस कोने में किसी भी तरह का वास्तुदोष हो या ना भी हो तब भी ध्वजा या झंडा लगाने से घर में रहने वाले सदस्यों के रोग, शोक व दोष का नाश होता है और घर की सुख व समृद्धि बढ़ती है।

चंद्र ग्रहण 15 को : व्यवसाय और नौकरी को नुकसान से बचाने के उपाय

15 जून को चंद्र ग्रहण होने वाला है। इस ग्रहण का असर सभी लोगों के कार्यक्षेत्र और बिजनेस पर पड़ेगा अगर इस ग्रहण पर अपने प्रोफेशन के अनुसार उपाय किए जाए तो बिजनेस और कार्यक्षेत्र में होने वाले नुकसान से बच सकते हैं। जानिए आपको अपने प्रोफेशन और बिजनेस के अनुसार क्या उपाय करने चाहिए...

- सरकारी कर्मचारी, राजनेता, फॉरेस्ट विभाग, दवाई व्यापारी, सुनार, ठेकेदार या हृदय रोग के डॉक्टर, इन लोगों को अपने प्रोफेशन के  अनुसार इस ग्रहण पर तांबे के बर्तन में गेहूं भर के दान दें।

- अगर आप चांदी का बिजनेस करने वाले, मनोचिकित्सक, पानी से संबंधित व्यवसायी या उद्योग वाले, ट्रेवल एजेंट, प्लास्टिक व्यापारी, फूड प्रोडक्टस वाले, स्त्री रोग विशेषज्ञ, चावल, धान के व्यापारी है तो आपको इस ग्रहण पर शिवलिंग का गाय के कच्चे दूध से अभिषेक करना चाहिए। 

- प्रॅापर्टीज ब्रोकर, जेन्टस और लेडिस ब्यूटी पार्लर, वकील, कूक, ब्लड बैंक में काम करने वाले, सर्जन, धारदार वस्तुएं और हथियार बनाने वाले ग्रहण पर्व पर हनुमान मंदिर में तेल दीपक लगाएं।

- बीमा ऐजेन्ट, एकाउंटेंट, दलाल, कमीशन ऐजेन्ट, लेखक, प्रकाशक, अध्यापक, इंजीनियर, कोरियर सर्विस, बैंक कर्मचारीयों को इस ग्रहण पर गाय को हरी घास खिलाएं।

- बैंक, शिक्षा से जुड़ें लोग, जज, ज्योतिषी, धर्म शिक्षक, कंसल्टेंट्स, मैनेजमेंट का काम करने वाले लोग किसी मंदिर में पीले कपड़े में चने की दाल का दान दें।

- इलेक्ट्रॉनिक्स का काम करने वाले, फिल्म, टी.वी., नाटक और मनोरंजन के क्षेत्र से जुड़े लोग, फोटोग्राफर, विज्ञापन एजेन्सीज, ब्यूटी पार्लर, माडलिंग, फैशन व्यापार, फूलों के व्यापारी, आर्किटेक्ट, इत्र एवं सुगन्धित द्रव्य, सौंदर्य प्रसाधन के व्यवसायी या उद्योगपति आदि लोगों को मंदिर में सफेद कपड़े में चावल के साथ रूई और घी का दान देना चाहिए।

- रबर उद्योग, डेंटिस्ट, सफाई से सम्बंधित कार्य करने वाले, खेती के उपकरण बेचने वाले, पेट्रोलियम पदार्थों के व्यापारी, खनिज इंजीनियर, लेबर के ठेकेदार, धातु, खाद्य तेल आदि वस्तुओं के व्यवसायियों को हनुमान मंदिर, शनि देव या भैरव मंदिर में तेल का दीपक लगाना चाहिए।

Wednesday, June 8, 2011

वास्तु शास्त्र द्वारा मधुमेह का उपचार

वास्तु शास्त्र द्वारा  मधुमेह का उपचार 

http://www.homedesignfind.com/wp-content/uploads/2008/12/vaastu2.jpgवास्तु शास्त्र मनुष्य की सभी प्रकार की समस्याएँ  दूर करने में सक्षम है तो शुगर अर्थात मधुमेह को सफलता क्यों नहीं? यह एक राजसी रोग है जिसका निदान वास्तु में उपलब्ध है.
आधुनिक दौड़ में अपने पीछे की सभ्यता को भी याद रखें जो सटीक व हमारे जीवन में शत प्रतिशत कारगर सिद्ध होती आई है. वास्तु शै रूप में जीवन की एक कला है, क्योंकि हर व्यक्ति का शरीर ऊर्जा का केंद्र होता है . जहाँ भी वह निवास करता है वहां की वस्तुओं की ऊर्जा अपनी होती है और वह मनुष्य की ऊर्जा से तालमेल रखने की कोशिश करती हैं. यदि उस भवन या स्थान की ऊर्जा उसके शरीर की ऊर्जा से ज्यादा संतुलित हो तो उस स्थान से विकास होता है, शरीर से स्वस्थ रहता है, सही निर्णय लेने में समर्थ होता है. 

 सफलता   प्राप्त  करने  में  उत्साह  बढ़ता है ,धन  की वृद्धि  होती है , जिससे  समृध्दी  बढ़ती  है ,यदि  वास्तु  दोष  होनें  से अत्यधिक  मेहनत  करने पर  भी   सफलता नहीं  मिलती , वह  अनेक  व्याधियों  व रोगों से दु:खी  होने  लगता  है,, उसे अपयश तथा हनी उठानी पड़ती है.


    http://images.meredith.com/dlv/images/2008/09/ss_Slide1_tips.jpg
  • बिलकुल स्पष्ट है की घर भवन का दक्षिण पश्चिम कोण में कुआँ, जल बोरिंग या भूमिगत पानी का स्थान मधुमेह बढता है. 
  • दक्षिण पश्चिम कोण में हरियाली बगीचा या छोटे छोटे पौधे भी सुगर का कारण है. 
  • घर, भवन का दक्षिण पश्चिम कोना बड़ा हुआ है, तब भी सुगर होता है.
  • यदि दक्षिण पश्चिम का कोना घर में सबसे छोटा या सिकुड़ा भी हुआ है तो संजो मधुमेह बढेगा इस्सलिये यह भाग सबसे ऊँचा रखे.
  •  दक्षिण पश्चिम भाग में सीवर का गढ़ा होना भी सुगर को निमंत्रण देना है. 
  • ब्रहम स्थान अर्थात घर का मध्य भाग भरी हो तथा घर के मध्य में आधिक लोहे का प्रयोग हो या ब्रहम भाग से सीडियां ऊपर की ओर ता रही हो तक समझ ले की सुगर का घर में आगमन होने जा रहा है. अर्थात दक्षिण पश्चिम भाग यदि आपने सुधर लिया तो काफी हद तक आप आसाद्य रोगों से मुक्त हो जायेंगे .
  • अपने बेडरूम में कभी भी भूल कर खन्ना मत खाएं .
  • अपने बेडरूम में जुटे, चप्पल नए या पुराने बिलकुल भी न रखे .
  • मिटटी के घड़े का पानी का इस्तेमाल करे तथा घड़े में रोज ७ तुलसी के पत्ते दल कर प्रयोग करें .
  • दिन में एक बार अपनी माँ का बना खाना जरुर  खाएं 
  • हर मंगलवार को अपने दोस्तों को मिष्ठान जरुर दें. 
  • रविवार को बागवान सूर्य को जल दे कर बंदरों को गुड खिलें तो आप स्वयं अनुभव करेंगे की सुगर कितनी जल्दी जा रही है. 
  • इशान कोण से साडी लोहे की साडी वस्तुए हटा लें. हल्दी की एक गांठ लेकर एक चमच्च से सिल पत्थर में घिस कर सुबह खली पेट पिने से मधुमेह से मुक्ति हो सकती है.

Monday, June 6, 2011

चमत्कारी याददाश्त पाने का सरलतम उपाय


चमत्कारी याददाश्त पाने का सरलतम उपाय
आजकल अच्छा खान-पान न होने की वजह से याददाश्त का कमजोर होना एक आम समस्या बन गई है।हर आदमी अपनी भूलने की आदत से परेशान है, लेकिन अब आपको परेशान हो की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आयुर्वेद में इस बीमारी को दूर करने के सरलतम उपाय बताए हैं।

1.  सात दाने बादाम के रात को भिगोकर सुबह छिलका उतार कर बारीक पीस लें । इस पेस्ट को करीब 250 ग्राम दूध में डालकर तीन उबाल लगाऐं। इसके बाद इसे नीचे उतार कर एक चम्मच घी और दो चम्मच शक्कर मिलाकर ठंडाकर पीऐं। 15 से 20 दिन तक इस विधि को करने से याददाश्त तेज होती है।

2. भीगे हुए बादाम को काली मिर्च के साथ पीस लें या ऐसे ही खूब चबाचबाकर खाऐं और ऊपर से गुनगुना दूध पी लें।

3. एक चाय का चम्मच शंखपुष्पी का चूर्ण दूध या मिश्री के साथ रोजाना तीन से चार हफ्ते तक लें ।

विशेष: सिर का दर्द, आंखों की कमजोरी, आंखों से पानी आना, आंखों में दर्द होने जैसे कई रोगों में यह विधि लाभदायक है। आजकल अच्छा खान पान न होने की वजह से याददाश्त का कमजोर होना एक आम समस्या बन गई है।हर आदमी अपनी भूलने की आदत से परेशान है लेकिन अब आपको परेशान हो की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आयुर्वेद में इस बीमारी को दूर करने के सरलतम उपाय बताए हैं।

1.  सात दाने बादाम के रात को भिगोकर सुबह छिलका उतार कर बारीक पीस लें । इस पेस्ट को करीब 250 ग्राम दूध में डालकर तीन उबाल लगाऐं। इसके बाद इसे नीचे उतार कर एक चम्मच घी और दो चम्मच शक्कर मिलाकर ठंडाकर पीऐं। 15 से 20 दिन तक इस विधि को करने से याददाश्त तेज होती है।

2. भीगे हुए बादाम को काली मिर्च के साथ पीस लें या ऐसे ही खूब चबाचबाकर खाऐं और ऊपर से गुनगुना दूध पी लें।

3. एक चाय का चम्मच शंखपुष्पी का चूर्ण दूध या मिश्री के साथ रोजाना तीन से चार हफ्ते तक लें ।

विशेष: सिर का दर्द, आंखों की कमजोरी, आंखों से पानी आना, आंखों में दर्द होने जैसे कई रोगों में यह विधि लाभदायक है।

यदि मन भटकता है तो, सोमवार को अपनाएं ये टिप्स


shiva_pooja_fज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक मात्र चंद्र ऐसा ग्रह है तो बहुत तेज गति से चलता है। चंद्र मात्र ढाई दिन ही एक राशि में रुकता है। इसके चंचल स्वभाव के कारण इसे मन का देवता भी कहा जाता है। चंद्र हमारे मन को पूरी तरह प्रभावित करता है। यदि चंद्र नीच का या अशुभ फल देने वाला हो तो व्यक्ति पागल भी हो सकता है। चंद्र विपक्ष में होने पर व्यक्ति कोई भी निर्णय ठीक से नहीं कर पाता। मन भटकता रहता है। किसी भी कार्य को लगन से नहीं कर पाता। यदि आपको भी निर्णय लेने में काफी समय लगता है या सही निर्णय नहीं ले पाते है तो आपको यह उपाय करने चाहिए:
- प्रति सोमवार भगवान शिव की विशेष पूजा करें।
- प्रतिदिन शिव पर जल चढ़ाएं।
- प्रति सोमवार छोटी कन्याओं को दूध का सेवन कराएं।
- प्रति सोमवार बबूल के पेड़ की जड़ों में दूध चढ़ाएं।
- पीपल को रोज जल चढ़ाएं।
- सोमवार को सफेद गाय का दान करें।
- सोमवार को सफेद गाय को गुड़, चावल आदि खिलाएं।
- सोमवार नदी में चांदी का सिक्का प्रवाहित करें।
- अपने साथ हमेशा एक चांदी का सिक्का रखें।
- चंद्र से संबंधित दान स्वीकार न करें।
- गरीबों को दूध दान में दें।
- आपकी कुंडली किसी ज्योतिषी को दिखाकर परामर्श लें।

Thursday, June 2, 2011

इंटरव्यू से सक्सेस पाने का अचूक फंडा

इंटरव्यू का नाम सुनते ही अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाते हैं। हर वक्त यही बात दिमाग में घुमती है कि इंटरव्यू में क्या प्रश्न पुछेंगे। उनका जबाव दे पाऊंगा या नहीं। इस तरह इंटरव्यू से पहले ही कई लोग नर्वस हो जाते हैं। यदि आप भी इंटरव्यू देने जा रहे हैं और उसमें सफलता चाहते हैं तो नीचे लिखा उपाय करें-
उपाय

शुभ दिन देखकर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सफेद रंग का सूती आसन बिछाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके उस पर बैठ जाएं। अब अपने सामने पीला कपड़ा बिछाकर उस पर 108 दानों वाली स्फटिक की माला रख दें और इस पर केसर व इत्र छिड़क कर इसका पूजन करें। इसके बाद धूप, दीप और अगरबत्ती दिखाकर नीचे लिखे मंत्र का 31 बार उच्चारण करें। इस प्रकार ग्यारह दिन तक करने से वह माला सिद्ध हो जाएगी। जब भी किसी इंटरव्यू में जाएं तो इस माला को पहन कर जाएं। ऐसे करने से शीघ्र ही इंटरव्यू में सफलता मिलेगी।

मंत्र

ऊँ ह्लीं वाग्वादिनी भगवती मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु फट् स्वाहा।


तंत्र शास्त्र के अंतर्गत अनेक समस्याओं का समाधान निहित है। यह साधारण तंत्र उपाय जल्दी ही शुभ परिणाम देते हैं। यदि इस संबंध आपकी कोई जिज्ञासा हो तो आप हमें पुछ सकते हैं। आप अपनी जिज्ञासा हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर पोस्ट करें। हम आपके प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयत्न करेंगे।

लाल किताब में ग्रहो के पक्के घर


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जिस प्रकार वैदिक ज्योतिष में ग्रहो का कारक के रुप में प्रयोग भावानुसार होता है, उसी प्रकार लाल किताब में प्रत्येक भाव का कारक होता है. जिस प्रकार वैदिक ज्योतिष में ग्रहो का कारक के रुप में प्रयोग भावानुसार होता है, उसी प्रकार लाल किताब में प्रत्येक भाव का कारक होता है.

लाल किताब के अनुसार भाव के कारक, ग्रहो के पक्के घर कहलाते हैं. लाल किताब पद्वति में राशि की जगह भाव की प्रधानता  है इसलिए इन ग्रहो का महत्व भी अधिक हो जाता है.

आम तौर पर वैदिक ज्योतिष और लाल किताब के भावो के कारक  लगभग एक से हैं, परन्तु लाल किताब कुछ भावो के कारक थोडा सा अलग है. लाल किताब का एक अन्य सिद्धान्त है कि जिस भाव में कोइ ग्रह न हो या भाव पर किसी ग्रह की दृष्टि न हो तो वह भाव सोया हुआ  कहलायेगा. लेकिन अगर ग्रह अपने पक्के घर में स्थित हो जैसे सूर्य प्रथम भाव में, बृहस्पति द्वितीय भाव में इत्यादि तो उस ग्रह को हम पूरी तरह जागता हुआ मानेंगे यानि कि वह ग्रह अपने प्रभाव से दूसरे भाव या ग्रह को प्रभावित करने में पूर्ण समर्थ होगा. इस दृष्टिकोण से लाल किताब में पक्के घर का ग्रह बहुत उपयोगी है.

एक बात और है चूँकि लाल किताब में भावों में राशियाँ स्थिर मानी जाती हैं, प्रथम भाव में हमेशा मेष राशी, द्वितीय भाव में वृष राशी तथा द्वादश भाव में मीन राशी रहेगी चाहे  का जन्म किसी भी समय हुआ हो इस दृष्टि से कारक ग्रह अधिक प्रासांगिक हो जाते हैं.

लाल किताब पद्वति में राशी के स्थान पर भाव की प्रधानता है. अतः यहाँ प्रत्येक ग्रह को किसी न किसी भाव का कारक माना गया है. लाल किताब में ये ग्रहो के पक्के घर के नाम से विख्यात है.

भाव न: ग्रह

1 सुर्य
2 बृह्स्पति
3 मंगल
4 चन्द्रमा
5 बृहस्पति
6 बुध व केतु
7 बुध व शुक्र
8 मंगल व शनि
9 बृहस्पति
10 शनि
11 बृहस्पति
12 बृहस्पति व राहु

लालकिताब के अनुसार धोखा फल


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कुण्डली के किसी भी भाव में स्थित ग्रह अपने से दसवें स्थान में स्थित ग्रह को अपनी धोखे की दृष्टि से अशुभ फल प्रदान करता है. जैसे कि उपरोक्त कुण्डली में दशम भाव में बैठा सूर्य अपनी दशम दृष्टि सप्तम भाव पर डालकर पत्नि या वैवाहिक जीवन की हानि करता है.

इसी प्रकार राहु पंचम भाव में स्थित होकर द्वितीय भाव में स्थित शनि पर अपनी दशम धोखे की दृष्टि डाल रहा है, जिस कारण से व्यक्ति के कुटुम्ब-परिवार में समस्या रहने की सम्भावना है. दृष्टि (धोखे) के इस नियम में भी नैसर्गिक मित्रता एंव शत्रुता का कोई महत्व नहीं है.लाल किताब में धोखे की दृष्टि के सम्बन्ध में एक बात बहुत महत्वपूर्ण है कि जो ग्रह जिस भाव पर अपनी दसवीं दृष्टि डाल रहा है उसका उस भाव से कैसा सम्बन्ध है.

उदाहरण स्वरुप यदि दृष्टिगत भाव ग्रह का स्वक्षेत्र उच्च क्षेत्र या पक्का घर हो तो जो ग्रह उस भाव में स्थित है उस पर अपनी धोखे की दृष्टि डालकर ग्रह को तो नुक्सान पहुँचा रहा होगा परन्तु भाव की हानि नहीं करेगा. लेकिन यदि दृष्टिगत भाव दृष्टि डालने वाले ग्रह का शत्रु या नीच राशी वाला भाव हो तो वह परम हानि करेगा. हाँ एक बात और विशेष रुप से ध्यान देने योग्य है कि अशुभ ग्रह या भाव किसी अन्य ग्रह से शुभ सम्बन्ध बना रहा हो तो उसके फल में परिवर्तन हो जायेगा.

शुक्र ग्रह के ऋण-पितृ होने पर परिवार के प्रत्येक सदस्य से समान मात्रा में धन एकत्र करें फिर उस धन से 100 गायो का उत्तम भोजन (चारा इत्यादि) करायें.

Wednesday, June 1, 2011

इन उपाय ठीक हो सकता है लकवा

वर्तमान की भागदौड़ भरी जिंदगी में कब कोई इंसान किस बीमारी की चपेट में आ जाए, कहना मुश्किल है। लकवा ऐसी ही एक बीमारी है जो अचानक ही किसी हंसते-खेलते व्यक्ति को अपनी चपेट में ले लेती है। यह रोग तब होता है जब दिमाग का कोई हिस्सा अचानक काम करना बंद कर देता है। मेडिकल साइंस के इस दौर में लकवा का ईलाज भी संभव है। यदि ईलाज करवाने के साथ-साथ नीचे लिखे कुछ टोटके भी करें तो संभव है लकवा से पीडि़त व्यक्ति और भी जल्दी ठीक हो सकता है।  
उपाय 

- एक काले कपड़े में पीपल की सूखी जड़ को बांधकर लकवा से पीडि़त व्यक्ति के सिर के नीचे रखें तो कुछ ही दिनों में इसका असर दिखने लगेगा।

- प्रत्येक शनिवार के दिन एक नुकीली कील द्वारा लकवा पीडि़त अंग को आठ बार उसारकर शनिदेव का स्मरण करते हुए पीपल के वृक्ष की मिट्टी में गाड़ दें। साथ ही यह निवेदन करें कि जिस दिन अमुक रोग दूर हो जाएगा, उस दिन कील निकाल लेंगे। जब लकवा ठीक हो जाए तब शनिदेव व पीपल को धन्यवाद देते हुए वह कील निकालकर नदी में प्रवाहित कर दें।

- लकवे से पीडि़त व्यक्ति को लोहे की अंगूठी में नीलम एवं तांबे की अंगूठी में लहसुनिया जड़वाकर क्रमश: मध्यमा और कनिष्ठा अंगुली में पहना दें। इससे भी लकवा रोग में काफी लाभ होगा।

लाल किताब में बृहस्पति - सूर्य की युति

लाल किताब में बृहस्पति - सूर्य की युति 
प्रथम भाव : प्रथम भाव में बृहस्पति -सूर्य की युति होने पर व्यक्ति धनवान एवं सम्मानित होता है उसके गृहस्थ जीवन में सुख - शान्ति बनी रहती है उसकी मृत्यु बिना किसी कष्ट के होती है. परन्तु सावधानी के तौर पर उसे किसी से भी मुफ्त में न कुछ लेना चाहिये ना देना चाहिये.

द्वितीय भाव : द्वितीय भाव में इन दोनो ग्रहो की युति होने पर व्यक्ति आनन्दपूर्वक जीवन व्यतीत करता है. वह अच्छे मकान में निवास करता है. वह दूसरो की भावनाओ की कद्र करने वाला तथा बहादुर होता है.

तृ्तीय भाव : तृतीय भाव में दोनो ग्रह उत्तम फल देते है .ऎसा व्यक्ति अपने जीवन में उन्नति के शिखर पर अवश्य पहुँचता है . परन्तु उसे स्वभाव से अधिक लालची नही होना चाहिये अन्यथा उसकी तरक्की में बाधा आ सकती है.

चतुर्थ भाव : चतुर्थ भाव में दोनो ग्रहो की युति शुभ फलदायी होती है .ऎसे व्यक्ति का जीवन बिना किसी परेशानी के शानदार तरीके से व्यतीत होता है. शनि से सम्बन्धित व्यवसाय लोहा,इस्पात,लकडी़ तथा भारी मशीनरी का काम बहुत ही लाभकारी होता है

पंचम भाव : पंचम भाव में स्थित होकर दोनो ग्रह शुभ फल देते है. व्यक्ति को परामर्श से धन लाभ होता है. शत्रू पक्ष की हानी होती है. व्यक्ति की सन्तान भी धनवान एवं सुखी होती है.

छटे भाव : यद्यपि छटे भाव में दोनो ग्रहो की युति बन रही होती है फिर भी बृहस्पति एंव सूर्य दोनो ग्रह अपना अलग-अलग फल प्रदान करते है. परन्तु वृद्धावस्था में दोनो ग्रह व्यक्ति को अपनी युति का शुभ फल प्रदान करते है.

सप्तम भाव : सप्तम भाव में दोनो ग्रह युति बनाने के बावजूद अपना-अपना फल प्रदान करते है. बृहस्पति की अपेक्षा सूर्य ग्रह सप्तम भाव में थोडा़ बुरा फल देता है.

अष्टम भाव : अष्टम भाव में दोनो ग्रहो की युति उत्तम फल प्रदान करती है. व्यक्ति का भाग्य सदैव उसका साथ देता है तथा परिवार में कभी भी असमय मृत्यु नही होती है.

नवम भाव : नवम भाव में दोनो ग्रह युति बनाकर बहुत ही शुभ फल प्रदान करते है. व्यक्ति के परिवार में काफी उन्नति होती है तथा उसकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ होती जाती है.

दशम भाव : दशम भाव में दोनो ग्रहो की युति शुभ फलदायी नही होती. लेकिन जैसे ही व्यक्ति की आयु बढती जाती है अर्थात बुढापा आना शुरु होता है तब इन दोनो ग्रहो का फल काफी हद तक ठीक होना प्रारम्भ हो जाता है.

एकादश भाव : एकादश भाव में दोनो ग्रहो की युति युवावस्था में आर्थिक रुप से कुछ कमजोर फल प्रदान करती है. लेकिन जैसे-जैसे व्यक्ति की आयु बढती जाती है वैसे-वैसे ही आर्थिक स्थिति में सुधार होना शुरु हो जाता है.

द्वादश भाव : द्वादश भाव में दोनो ग्रहो की युति बहुत लाभकारी होती है. व्यक्ति आर्थिक रुप से सुदृढ स्थिति में होता है एंव उसका परिवार भी व्यक्ति के भाग्य से उन्नति करता जाता है.