Thursday, June 2, 2011

लाल किताब में ग्रहो के पक्के घर


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जिस प्रकार वैदिक ज्योतिष में ग्रहो का कारक के रुप में प्रयोग भावानुसार होता है, उसी प्रकार लाल किताब में प्रत्येक भाव का कारक होता है. जिस प्रकार वैदिक ज्योतिष में ग्रहो का कारक के रुप में प्रयोग भावानुसार होता है, उसी प्रकार लाल किताब में प्रत्येक भाव का कारक होता है.

लाल किताब के अनुसार भाव के कारक, ग्रहो के पक्के घर कहलाते हैं. लाल किताब पद्वति में राशि की जगह भाव की प्रधानता  है इसलिए इन ग्रहो का महत्व भी अधिक हो जाता है.

आम तौर पर वैदिक ज्योतिष और लाल किताब के भावो के कारक  लगभग एक से हैं, परन्तु लाल किताब कुछ भावो के कारक थोडा सा अलग है. लाल किताब का एक अन्य सिद्धान्त है कि जिस भाव में कोइ ग्रह न हो या भाव पर किसी ग्रह की दृष्टि न हो तो वह भाव सोया हुआ  कहलायेगा. लेकिन अगर ग्रह अपने पक्के घर में स्थित हो जैसे सूर्य प्रथम भाव में, बृहस्पति द्वितीय भाव में इत्यादि तो उस ग्रह को हम पूरी तरह जागता हुआ मानेंगे यानि कि वह ग्रह अपने प्रभाव से दूसरे भाव या ग्रह को प्रभावित करने में पूर्ण समर्थ होगा. इस दृष्टिकोण से लाल किताब में पक्के घर का ग्रह बहुत उपयोगी है.

एक बात और है चूँकि लाल किताब में भावों में राशियाँ स्थिर मानी जाती हैं, प्रथम भाव में हमेशा मेष राशी, द्वितीय भाव में वृष राशी तथा द्वादश भाव में मीन राशी रहेगी चाहे  का जन्म किसी भी समय हुआ हो इस दृष्टि से कारक ग्रह अधिक प्रासांगिक हो जाते हैं.

लाल किताब पद्वति में राशी के स्थान पर भाव की प्रधानता है. अतः यहाँ प्रत्येक ग्रह को किसी न किसी भाव का कारक माना गया है. लाल किताब में ये ग्रहो के पक्के घर के नाम से विख्यात है.

भाव न: ग्रह

1 सुर्य
2 बृह्स्पति
3 मंगल
4 चन्द्रमा
5 बृहस्पति
6 बुध व केतु
7 बुध व शुक्र
8 मंगल व शनि
9 बृहस्पति
10 शनि
11 बृहस्पति
12 बृहस्पति व राहु

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