Thursday, April 21, 2011

लालकिताब के अनुसार धोखा फल

कुण्डली के किसी भी भाव में स्थित ग्रह अपने से दसवें स्थान में स्थित ग्रह को अपनी धोखे की दृष्टि से अशुभ फल प्रदान करता है. जैसे कि उपरोक्त कुण्डली में दशम भाव में बैठा सूर्य अपनी दशम दृष्टि सप्तम भाव पर डालकर पत्नि या वैवाहिक जीवन की हानि करता है. 



इसी प्रकार राहु पंचम भावमें स्थित होकर द्वितीय भाव में स्थित शनि पर अपनी दशम धोखे की दृष्टि डाल रहा है, जिस कारण से व्यक्ति के कुटुम्ब-परिवार में समस्या रहने की सम्भावना है. दृष्टि (धोखे) के इस नियम में भी नैसर्गिक मित्रता एंव शत्रुता का कोई महत्व नहीं है.लाल किताब में धोखे की दृष्टि के सम्बन्ध में एक बात बहुत महत्वपूर्ण है कि जो ग्रह जिस भाव पर अपनी दसवीं दृष्टि डाल रहा है उसका उस भाव से कैसा सम्बन्ध है.
उदाहरण स्वरुप यदि दृष्टिगत भाव ग्रह का स्वक्षेत्र उच्च क्षेत्र या पक्का घर हो तो जो ग्रह उस भाव में स्थित है उस पर अपनी धोखे की दृष्टि डालकर ग्रह को तो नुक्सान पहुँचा रहा होगा परन्तु भाव की हानि नहीं करेगा. लेकिन यदि दृष्टिगत भाव दृष्टि डालने वाले ग्रह का शत्रु या नीच राशी वाला भाव हो तो वह परम हानि करेगा. हाँ एक बात और विशेष रुप से ध्यान देने योग्य है कि अशुभ ग्रह या भाव किसी अन्य ग्रह से शुभ सम्बन्ध बना रहा हो तो उसके फल में परिवर्तन  हो जायेगा.
शुक्र ग्रह के ऋण-पितृ होने पर परिवार के प्रत्येक सदस्य से समान मात्रा में धन एकत्र करें फिर उस धन से 100 गायो का उत्तम भोजन (चारा इत्यादि) करायें.

लड़के के शीघ्र विवाह के लिए अचूक टोटका

हर माता-पिता की इच्छा होता है कि उनके बेटे का विवाह धूम-धाम से हो। लेकिन कभी-कभी कुछ कारणों के चलते उचित समय पर उसका विवाह नहीं हो पाता। यदि आपके साथ भी यही समस्या है तो नीचे लिखे टोटके से इस समस्या का निदान संभव है

उपाय

कुम्हार अपने चाक को जिस डंडे से घुमाता है, उसे किसी तरह किसी को बिना बताए प्राप्त कर लें। इसके बाद घर के किसी कोने को रंग-रोगन कर साफ कर लें। इस स्थान पर उस डंडे को लंहगा-चुनरी व सुहाग का अन्य सामग्री से सजाकर दुल्हन का स्वरूप देकर एक कोने में खड़ करके गुड़ और चावलों से इसकी पूजा करें। इससे लड़के का विवाह शीघ्र ही हो जाता है। यदि चालीस दिनों में इच्छा पूरी न हो तो फिर यही प्रक्रिया दोहराएं(डंडा प्राप्त करने से लेकर पूजा तक)। यह प्रक्रिया सात बार कर सकते हैं।

इन 5 टिप्स से दूर हो जाएंगे घर के बहुत से दोष

अधिकांश लोगों के यहां घर बनवाते समय यदि कुछ वास्तुदोष रह जाते हैं। ऐसे में इन दोषों को दूर करने के लिए घर को तुड़वाने की जरूरत रहती है लेकिन कुछ छोटी-छोटी टिप्स हैं जिन्हें अपनाने से कई वास्तु दोषों का प्रभाव खत्म हो जाता है।

वास्तु दोष दूर होने के बाद घर में सुख-समृद्धि बढऩे लगती है और परिवार के सभी सदस्यों का मन प्रसन्न रहता है।

- यदि आपके घर की छत पर व्यर्थ का सामान पड़ा हो तो उसे वहां से हटा दें।

- प्लास्टर आदि उखड़ गया हो तो उसकी तत्काल मरम्मत करवा दें।

- यदि आपकी रसोई के गेट के ठीक सामने बाथरूम का गेट हो तो यह नकारात्मक ऊर्जा देगा। इस दोष से बचने के लिए बाथरूम तथा रसोई के बीच में एक कपड़े का पर्दा या किसी अन्य प्रकार का पार्टीशन खड़ा कर सकते हैं ताकि रसोई से बाथरूम दिखाई न दे।

- यदि घर के दरवाजे व खिड़कियां खुलने व बंद होने पर आवाज करते हैं तो उनकी आवश्यक मरम्मत करवाएं।

- आग्नेय कोण में रसोई न होने पर गैस चूल्हे को रसोई के आग्नेय कोण में रखकर दोष का निवारण कर सकते हैं। और यह भी नहीं सकते तो आग्नेय कोण में एक जीरो वाट का बल्ब जलाकर भी इस दोष से बचा जा सकता है।

किन ग्रहों की वजह से होते हैं पिंपल्स...?

सभी को सुंदर दिखाने का शौक होता है। हर कोई चाहता है लोग उनकी सुंदरता की तारीफ करें। यदि आप सुंदर है, आपके नाक-नक्ष आकर्षक हैं परंतु चेहरे पर कील-मुंहासे हैं तो हर बात बेकार हो जाती है। कील-मुंहासे चेहरों पर भद्दे दाग के समान होते हैं।

सामान्यत: माना जाता है कि कील-मुंहासे खून की खराबी से होते हैं। साथ ही खान-पान की गड़बड़ी भी कील-मुंहासों को पैदा कर देती है। इस बात से परेशान होकर आप डॉक्टर के पास जाते हैं। दवाइयां आदि लेने के बाद भी यदि कील-मुंहासे ठीक नहीं हो रहे हैं तो हो सकता है किसी ग्रह दोष की वजह से आपको इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार त्वचा रोग के लिए बुध ग्रह, शनि, राहु, मंगल के अशुभ होने पर तथा सूर्य, चंद्र के कमजोर होने पर त्वचा रोग होते हैं। कुण्डली में षष्ठम यानि छठां भाव त्वचा से संबंधित होता है।

यदि कुंडली में सप्तम स्थान पर केतु भी त्वचा रोग का कारण बन सकता हैै। बुध यदि बलवान है तो यह रोग पूरा असर नहीं दिखाता, वहीं बुध के कमजोर रहने पर निश्चित ही त्वचा रोग परेशान कर सकते हैं।

त्वचा रोग और ग्रह

- चंद्र के कारण पानी अथवा मवाद से भरी फुंसी व मुंहासे होती है।

- मंगल के कारण रक्त विकार वाले कील-मुंहासे होते हैं।

- राहु के प्रभाव से दर्द देने वाले कील-मुंहासे होते हैं।

कील-मुंहासों को दूर करने के उपाय

- यदि षष्ठम स्थान पर कोई अशुभ ग्रह है तो उसका उपचार कराएं।

- सूर्य मंत्रों या आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।

- शनिवार के दिन कुत्ते को तेल चुपड़ी रोटी खिलाएं।

- सरस्वती स्तोत्र का पाठ करें।

- पारद शिवलिंग का पूजन करें।

- प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाएं और 7 परिक्रमा करें।