विवाह की आयु - गोचर का गुरु जब लग्न,त्रितीय,पंचम,नवम या एकादश भाव में आता है,उस वर्ष विवाह होता है! विशेषकर लग्न अथवा सप्तम बाव मेंआने पर विवाह हो जाता है! तथापि संबध्द वर्ष में शनि की दृष्टि लग्न अथवा सप्तम भाव पर नहीं होनी चाहिए ! विवाह का वर्ष निकालने की एक अन्य विधि इस प्रकार है -
सप्तम में जिस क्रम की राशि स्थित हो ,उस राशि के अंक में १० जोड़ें ! अब देखें कि सप्तम में कितनें पाप ग्रहों की दृष्टि है! ऍसे प्रत्येक ग्रह के लिए चार अंक जोड़े ! उदाहरण के लिए मान लेते हैं कि सप्तम भाव में सिंह राशि स्थित है,तो इस राशि के ५ अंक में १० जोड़े! अब यदि सप्तम भाब पर तीन पाप ग्रहों कि दृष्टि पड़ रही है तो ५+१०+१२=२७वर्ष की आयु में विवाह होने की सम्भावना है!
विवाह का वर्ष निकालने की एक अन्य विधि इस प्रकार है - सप्तम में जिस क्रम की राशि स्थित हो ,उस राशि के अंक में १० जोड़ें ! अब देखें कि सप्तम में कितनें पाप ग्रहों की दृष्टि है! ऍसे प्रत्येक ग्रह के लिए चार अंक जोड़े ! उदाहरण के लिए मान लेते हैं कि सप्तम भाव में सिंह राशि स्थित है,तो इस राशि के ५ अंक में १० जोड़े! अब यदि सप्तम भाब पर तीन पाप ग्रहों कि दृष्टि पड़ रही है तो ५+१०+१२=२७वर्ष की आयु में विवाह होने की सम्भावना है!
पति कैसा मिलेगा----अगर कोई शुभ ग्रह (चन्द्र,गुरु,शुक्रसप्तम भाव में स्थित हो,या इन भावो का स्वामी हो,या इन भावो को देख रहा हो ,तो समझें कि लगभग सम आयु का पति प्राप्त होगा,परन्तु यदि कोई पापी ग्रह (सुर्य,मंगल,शनि,राहु,केतुसप्तम को अपनी स्थिति,दृष्टि या भावेश होने के नाते प्रभावित कर रहा है,तो मानेके अपनी से बड़ी आयु का पति प्राप्त होगा! पति की नौकरी,
उसके भाई-बहन एवं आयु---नवम भाव में स्थित ग्रह तथा उस पर द्र्ष्ति डालने वाले ग्रहो के आधार पर पति के भाई बहनों क़ि संख्या को जाना जाता है,पुरुष और स्त्री ग्रह क्रमशः भाई बहनो को संकेत करता है!चतुर्थ भाव या चतुर्थेश बलयुक्त हो,तो पति की अजीविका के बारे में समझ सकते हैं!द्वतीयेश शुभ स्थान में हो अथवा अच्छी स्थिति में हो कर द्वतीय भाव को दृष्ट करता हो,तो पति दीर्घायु होता है!