Wednesday, June 1, 2011

इन उपाय ठीक हो सकता है लकवा

वर्तमान की भागदौड़ भरी जिंदगी में कब कोई इंसान किस बीमारी की चपेट में आ जाए, कहना मुश्किल है। लकवा ऐसी ही एक बीमारी है जो अचानक ही किसी हंसते-खेलते व्यक्ति को अपनी चपेट में ले लेती है। यह रोग तब होता है जब दिमाग का कोई हिस्सा अचानक काम करना बंद कर देता है। मेडिकल साइंस के इस दौर में लकवा का ईलाज भी संभव है। यदि ईलाज करवाने के साथ-साथ नीचे लिखे कुछ टोटके भी करें तो संभव है लकवा से पीडि़त व्यक्ति और भी जल्दी ठीक हो सकता है।  
उपाय 

- एक काले कपड़े में पीपल की सूखी जड़ को बांधकर लकवा से पीडि़त व्यक्ति के सिर के नीचे रखें तो कुछ ही दिनों में इसका असर दिखने लगेगा।

- प्रत्येक शनिवार के दिन एक नुकीली कील द्वारा लकवा पीडि़त अंग को आठ बार उसारकर शनिदेव का स्मरण करते हुए पीपल के वृक्ष की मिट्टी में गाड़ दें। साथ ही यह निवेदन करें कि जिस दिन अमुक रोग दूर हो जाएगा, उस दिन कील निकाल लेंगे। जब लकवा ठीक हो जाए तब शनिदेव व पीपल को धन्यवाद देते हुए वह कील निकालकर नदी में प्रवाहित कर दें।

- लकवे से पीडि़त व्यक्ति को लोहे की अंगूठी में नीलम एवं तांबे की अंगूठी में लहसुनिया जड़वाकर क्रमश: मध्यमा और कनिष्ठा अंगुली में पहना दें। इससे भी लकवा रोग में काफी लाभ होगा।

लाल किताब में बृहस्पति - सूर्य की युति

लाल किताब में बृहस्पति - सूर्य की युति 
प्रथम भाव : प्रथम भाव में बृहस्पति -सूर्य की युति होने पर व्यक्ति धनवान एवं सम्मानित होता है उसके गृहस्थ जीवन में सुख - शान्ति बनी रहती है उसकी मृत्यु बिना किसी कष्ट के होती है. परन्तु सावधानी के तौर पर उसे किसी से भी मुफ्त में न कुछ लेना चाहिये ना देना चाहिये.

द्वितीय भाव : द्वितीय भाव में इन दोनो ग्रहो की युति होने पर व्यक्ति आनन्दपूर्वक जीवन व्यतीत करता है. वह अच्छे मकान में निवास करता है. वह दूसरो की भावनाओ की कद्र करने वाला तथा बहादुर होता है.

तृ्तीय भाव : तृतीय भाव में दोनो ग्रह उत्तम फल देते है .ऎसा व्यक्ति अपने जीवन में उन्नति के शिखर पर अवश्य पहुँचता है . परन्तु उसे स्वभाव से अधिक लालची नही होना चाहिये अन्यथा उसकी तरक्की में बाधा आ सकती है.

चतुर्थ भाव : चतुर्थ भाव में दोनो ग्रहो की युति शुभ फलदायी होती है .ऎसे व्यक्ति का जीवन बिना किसी परेशानी के शानदार तरीके से व्यतीत होता है. शनि से सम्बन्धित व्यवसाय लोहा,इस्पात,लकडी़ तथा भारी मशीनरी का काम बहुत ही लाभकारी होता है

पंचम भाव : पंचम भाव में स्थित होकर दोनो ग्रह शुभ फल देते है. व्यक्ति को परामर्श से धन लाभ होता है. शत्रू पक्ष की हानी होती है. व्यक्ति की सन्तान भी धनवान एवं सुखी होती है.

छटे भाव : यद्यपि छटे भाव में दोनो ग्रहो की युति बन रही होती है फिर भी बृहस्पति एंव सूर्य दोनो ग्रह अपना अलग-अलग फल प्रदान करते है. परन्तु वृद्धावस्था में दोनो ग्रह व्यक्ति को अपनी युति का शुभ फल प्रदान करते है.

सप्तम भाव : सप्तम भाव में दोनो ग्रह युति बनाने के बावजूद अपना-अपना फल प्रदान करते है. बृहस्पति की अपेक्षा सूर्य ग्रह सप्तम भाव में थोडा़ बुरा फल देता है.

अष्टम भाव : अष्टम भाव में दोनो ग्रहो की युति उत्तम फल प्रदान करती है. व्यक्ति का भाग्य सदैव उसका साथ देता है तथा परिवार में कभी भी असमय मृत्यु नही होती है.

नवम भाव : नवम भाव में दोनो ग्रह युति बनाकर बहुत ही शुभ फल प्रदान करते है. व्यक्ति के परिवार में काफी उन्नति होती है तथा उसकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ होती जाती है.

दशम भाव : दशम भाव में दोनो ग्रहो की युति शुभ फलदायी नही होती. लेकिन जैसे ही व्यक्ति की आयु बढती जाती है अर्थात बुढापा आना शुरु होता है तब इन दोनो ग्रहो का फल काफी हद तक ठीक होना प्रारम्भ हो जाता है.

एकादश भाव : एकादश भाव में दोनो ग्रहो की युति युवावस्था में आर्थिक रुप से कुछ कमजोर फल प्रदान करती है. लेकिन जैसे-जैसे व्यक्ति की आयु बढती जाती है वैसे-वैसे ही आर्थिक स्थिति में सुधार होना शुरु हो जाता है.

द्वादश भाव : द्वादश भाव में दोनो ग्रहो की युति बहुत लाभकारी होती है. व्यक्ति आर्थिक रुप से सुदृढ स्थिति में होता है एंव उसका परिवार भी व्यक्ति के भाग्य से उन्नति करता जाता है.