ज्योतिष एक ऐसा माध्यम है जिससे व्यक्ति के हर जन्म के कर्म और स्वभाव को जाना जा सकता है। ज्योतिष विज्ञान को आज लगभग सभी मानने लगे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि के योग के क्या फल हैं? जानिए...
- जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि प्रथम भाव में हो वह व्यक्ति नौकरी करने वाला, क्रूर, लोभी, नीच, आलसी और पापी हो सकता है। ऐसा व्यक्ति विश्वासपात्र नहीं होता।
- किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि चतुर्थ भाव में हो तो वह व्यक्ति जल से संबंधित कार्य करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति खनिज पदार्थ का व्यवसाय करते हैं।
- कुंडली में चंद्र और शनि सप्तम भाव में हो तो व्यक्ति किसी मंत्री का प्रिय होता है परंतु स्त्रियों से कष्ट प्राप्त करने वाला होता है।
- चंद्र और शनि किसी व्यक्ति की कुंडली में दशम भाव में हो तो व्यक्ति शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला, सुविख्यात और राजा के समान सुख प्राप्त करने वाला होता है।
ध्यान रहें अन्य सभी ग्रहों की स्थिति भी विचारणीय है।
बुरे प्रभाव से बचने के उपाय
- चंद्र से संबंधित वस्तुओं का दान करें।
- शनि की वस्तुएं दान करें और दान या उपहार में चंद्र या शनि से संबंधित वस्तुएं कभी ना लें।
- हनुमान जी का पूजन करें। प्रति मंगलवार और शनिवार को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
- प्रतिदिन हनुमान चालिसा का पाठ करें।
- जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि प्रथम भाव में हो वह व्यक्ति नौकरी करने वाला, क्रूर, लोभी, नीच, आलसी और पापी हो सकता है। ऐसा व्यक्ति विश्वासपात्र नहीं होता।
- किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि चतुर्थ भाव में हो तो वह व्यक्ति जल से संबंधित कार्य करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति खनिज पदार्थ का व्यवसाय करते हैं।
- कुंडली में चंद्र और शनि सप्तम भाव में हो तो व्यक्ति किसी मंत्री का प्रिय होता है परंतु स्त्रियों से कष्ट प्राप्त करने वाला होता है।
- चंद्र और शनि किसी व्यक्ति की कुंडली में दशम भाव में हो तो व्यक्ति शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला, सुविख्यात और राजा के समान सुख प्राप्त करने वाला होता है।
ध्यान रहें अन्य सभी ग्रहों की स्थिति भी विचारणीय है।
बुरे प्रभाव से बचने के उपाय
- चंद्र से संबंधित वस्तुओं का दान करें।
- शनि की वस्तुएं दान करें और दान या उपहार में चंद्र या शनि से संबंधित वस्तुएं कभी ना लें।
- हनुमान जी का पूजन करें। प्रति मंगलवार और शनिवार को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
- प्रतिदिन हनुमान चालिसा का पाठ करें।
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