प्रतिदिन सुबह-सुबह भगवान की प्रतिमा या चित्र के दर्शन से हमारा पूरा दिन खुशियोंभरा और सुख के साथ बीतता है। इसके साथ ही भगवान की पूजा से हमारे कई जन्मों के पाप स्वत: नष्ट हो जाते हैं और पुण्यों की वृद्धि होती है। सभी के घरों में भगवान के लिए अलग स्थान बनाया जाता है। कहीं-कहीं छोटे-छोटे मंदिर बने होते हैं। घर के मंदिरों के संबंध वास्तु कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं।
पूजा घर घर का सबसे पवित्र स्थान होता है। वास्तु के अनुसार यदि पूजा घर का वास्तु ठीक हो तो घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है। पूजा घर में कुछ बातों का ध्यान रखकर आप घर की परेशानियों को दूर सकते हैं। आजकल भिन्न-भिन्न प्रकार की धातुओं से मंदिर बनाए जाते हैं लेकिन घर में शुभता की दृष्टि से मंदिर लकड़ी, पत्थर और संगमरमर का होना चाहिए।
वास्तु के अनुसार, घर में पूजा के लिए अंगूठे के आकार की प्रतिमाएं श्रेष्ठ मानी गई हैं। इससे बड़ी मूर्तियों की पूजा घर में नहीं की जानी चाहिए। ज्यादा बड़ी मूर्तियों की पूजा केवल मंदिरों में ही श्रेष्ठ मानी जाती है। घर में पीतल, अष्ठधातु की भी बड़े आकार की मूर्ति नहीं होनी चाहिए।
पूजा घर घर का सबसे पवित्र स्थान होता है। वास्तु के अनुसार यदि पूजा घर का वास्तु ठीक हो तो घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है। पूजा घर में कुछ बातों का ध्यान रखकर आप घर की परेशानियों को दूर सकते हैं। आजकल भिन्न-भिन्न प्रकार की धातुओं से मंदिर बनाए जाते हैं लेकिन घर में शुभता की दृष्टि से मंदिर लकड़ी, पत्थर और संगमरमर का होना चाहिए।
वास्तु के अनुसार, घर में पूजा के लिए अंगूठे के आकार की प्रतिमाएं श्रेष्ठ मानी गई हैं। इससे बड़ी मूर्तियों की पूजा घर में नहीं की जानी चाहिए। ज्यादा बड़ी मूर्तियों की पूजा केवल मंदिरों में ही श्रेष्ठ मानी जाती है। घर में पीतल, अष्ठधातु की भी बड़े आकार की मूर्ति नहीं होनी चाहिए।
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