जब कोई आत्महत्या करता है तो उसके भाग्य के साथ-साथ उसके घर के वास्तुदोष भी अहम भूमिका निभाते हैं।
जिस घर में आत्महत्या होती है उस घर में दो या दो से अधिक वास्तुदोष अवश्य होते हैं। जिनमें से एक घर के ईशान कोण (उत्तर पूर्व) में होता है और दूसरा दोष नैऋत्य कोण (दक्षिण पश्चिम) में होता है। इन दिशाओं में भूमिगत पानी की टंकी, कुआं, बोरवेल, बेसमेंट या किसी भी प्रकार से इस कोने का फर्श नीचा हो या घर के दक्षिण दिशा का दक्षिणी कोना या दक्षिण पश्चिम का दक्षिणी भाग का बढ़ा हुआ हो तो वास्तु बुरी तरह प्रभावित होता है।
इस दोष के साथ यदि घर के पश्चिम नैऋत्य कोण में मुख्य द्वार हो तो घर के पुरूष सदस्य द्वारा और यदि मुख्य द्वार दक्षिण नैऋत्य कोण में हो तो उस घर की स्त्री द्वारा आत्महत्या करने की संभावना रहती है।
दूसरा वास्तुदोष घर के ईशान कोण में होता है। घर का यह कोना अंदर दब जाए, कट जाए, गोल हो जाए या किसी कारण दक्षिण पूर्व की दीवार पूर्व की ओर आगे बढ़ जाए तो घर के पुरूष सदस्य द्वारा और यदि उत्तर पश्चिमी दीवार का का उत्तरी भाग आगे बढ़ा हुआ हो तो स्त्री सदस्य आत्महत्या कर सकती है।
घर के दक्षिण नैऋत्य में मार्ग प्रहार हो यानी इस दिशा में कोई रास्ता आकर मिल रहा हो तब स्त्रियां और पश्चिम नैऋत्य में कोई मार्ग आकर घर के द्वार के पास मिल रहा हो तब पुरूष इस प्रकार का कदम उठाते हैं।
जमीन के पूर्व आग्नेय कोण को किसी भी चीज से ढकना नहीं चाहिए अन्यथा पुरूषों में निराशा और आत्महत्या की भावना बलवती होती है जबकि वायव्य ढका हुआ हो तब स्त्रियां निराश होकर इस तरह के कदम उठाती हैं।
वास्तु के अनुसार इस तरह की घटना से बचने के लिए जरूरी है कि घर बनवाते समय वास्तु के इन दोषों को ध्यान में रखते हुए घर बनवाएं। अगर किराये पर घर ले रहे हैं तो ध्यान रखें कि घर में ऐसे वास्तुदोष न हो।
जिस घर में आत्महत्या होती है उस घर में दो या दो से अधिक वास्तुदोष अवश्य होते हैं। जिनमें से एक घर के ईशान कोण (उत्तर पूर्व) में होता है और दूसरा दोष नैऋत्य कोण (दक्षिण पश्चिम) में होता है। इन दिशाओं में भूमिगत पानी की टंकी, कुआं, बोरवेल, बेसमेंट या किसी भी प्रकार से इस कोने का फर्श नीचा हो या घर के दक्षिण दिशा का दक्षिणी कोना या दक्षिण पश्चिम का दक्षिणी भाग का बढ़ा हुआ हो तो वास्तु बुरी तरह प्रभावित होता है।
इस दोष के साथ यदि घर के पश्चिम नैऋत्य कोण में मुख्य द्वार हो तो घर के पुरूष सदस्य द्वारा और यदि मुख्य द्वार दक्षिण नैऋत्य कोण में हो तो उस घर की स्त्री द्वारा आत्महत्या करने की संभावना रहती है।
दूसरा वास्तुदोष घर के ईशान कोण में होता है। घर का यह कोना अंदर दब जाए, कट जाए, गोल हो जाए या किसी कारण दक्षिण पूर्व की दीवार पूर्व की ओर आगे बढ़ जाए तो घर के पुरूष सदस्य द्वारा और यदि उत्तर पश्चिमी दीवार का का उत्तरी भाग आगे बढ़ा हुआ हो तो स्त्री सदस्य आत्महत्या कर सकती है।
घर के दक्षिण नैऋत्य में मार्ग प्रहार हो यानी इस दिशा में कोई रास्ता आकर मिल रहा हो तब स्त्रियां और पश्चिम नैऋत्य में कोई मार्ग आकर घर के द्वार के पास मिल रहा हो तब पुरूष इस प्रकार का कदम उठाते हैं।
जमीन के पूर्व आग्नेय कोण को किसी भी चीज से ढकना नहीं चाहिए अन्यथा पुरूषों में निराशा और आत्महत्या की भावना बलवती होती है जबकि वायव्य ढका हुआ हो तब स्त्रियां निराश होकर इस तरह के कदम उठाती हैं।
वास्तु के अनुसार इस तरह की घटना से बचने के लिए जरूरी है कि घर बनवाते समय वास्तु के इन दोषों को ध्यान में रखते हुए घर बनवाएं। अगर किराये पर घर ले रहे हैं तो ध्यान रखें कि घर में ऐसे वास्तुदोष न हो।
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