गुरु की शरण सभी कमियों और दु:खों से
मुक्त कर देती है। मोटे तौर पर अज्ञानता ही शारीरिक, मानसिक या भौतिक जीवन
के सारे कष्टों का कारण है। गुरु, ज्ञान द्वारा ही विद्या के अभाव को दूर
कर मन व जीवन को समृद्ध बना देते हैं।
शास्त्रों में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का स्वरूप बताया गया है। गुरु बल ही ईश कृपा को संभव बना देता है। गुरुवार गुरु भक्ति से ही उन कमियों और दोषों को दूर करने का दिन जो जीवन में अशांति और कलह का कारण होते हैं। ज्ञान के देवता गुरु बृहस्पति माने गए हैं।
शास्त्रों के मुताबिक बृहस्पति पूजा न केवल वैवाहिक दोष, बल्कि हर तरह से दक्षता, समृद्धि व शांति देने वाली मानी गई है। गुरु की प्रसन्नता के लिए इस दिन खासतौर पर विशेष रूप से केले के वृक्ष की पूजा का महत्व है। केले का वृक्ष विष्णु का रूप भी माना गया है।
यही कारण है कि गुरुवार को अगर विशेष पीली सामग्रियां अर्पित करने के साथ विशेष विष्णु मंत्र का ध्यान कर गुरु बृहस्पति की पूजा की जाए तो यह भरपूर सुख पाने की कामनासिद्धि का अचूक उपाय माना गया है।
- गुरुवार को केले के वृक्ष के नीचे या देवालय में केल के पत्तों के बीच एक चौकी पर पीले वस्त्र बिछाकर बृहस्पति व विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। पीली गाय के दूध से बृहस्पति व विष्णु को स्नान कराएं। पीले फूल, पीला चंदन, गुड़, चने की दाल, पीले वस्त्र दोनों देवताओं को अर्पित करें। भोग में पीले पकवान या पीले फल अर्पित करें।
- पूजा के बाद गुरु मंत्रो के स्मरण के साथ नीचे लिखें विष्णु मंत्र स्त्रोत का विशेष ध्यान कर विवाह, धन, सुख की कामना करें व अंत में बृहस्पति-विष्णु की आरती घी के दीप से ही करें -
श्रीनिवासाय देवाय नम: श्रीपयते नम:।
श्रीधराय सशाङ्र्गाय श्रीप्रदाय नमो नम:।।
श्रीवल्लभाय शान्ताय श्रीमते च नमो नम:।
श्रीपर्वतनिवासाय नम: श्रेयस्कराय च।
श्रेयसां पतये चैव ह्याश्रयाय नमो नम:।
नम: श्रेय:स्वरूपाय श्रीकराय नमो नम:।।
शरण्याय वरेण्याय नमो भूयो नमो नम:।
स्त्रोत्रं कृत्वा नमस्मृत्य देवदेवं विसर्जयेत्।।
इति रुद्र समाख्याता पूजा विष्णोर्महात्मन:।
य: करोति महाभक्त्या स याति परमं पदम्।।
शास्त्रों में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का स्वरूप बताया गया है। गुरु बल ही ईश कृपा को संभव बना देता है। गुरुवार गुरु भक्ति से ही उन कमियों और दोषों को दूर करने का दिन जो जीवन में अशांति और कलह का कारण होते हैं। ज्ञान के देवता गुरु बृहस्पति माने गए हैं।
शास्त्रों के मुताबिक बृहस्पति पूजा न केवल वैवाहिक दोष, बल्कि हर तरह से दक्षता, समृद्धि व शांति देने वाली मानी गई है। गुरु की प्रसन्नता के लिए इस दिन खासतौर पर विशेष रूप से केले के वृक्ष की पूजा का महत्व है। केले का वृक्ष विष्णु का रूप भी माना गया है।
यही कारण है कि गुरुवार को अगर विशेष पीली सामग्रियां अर्पित करने के साथ विशेष विष्णु मंत्र का ध्यान कर गुरु बृहस्पति की पूजा की जाए तो यह भरपूर सुख पाने की कामनासिद्धि का अचूक उपाय माना गया है।
- गुरुवार को केले के वृक्ष के नीचे या देवालय में केल के पत्तों के बीच एक चौकी पर पीले वस्त्र बिछाकर बृहस्पति व विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। पीली गाय के दूध से बृहस्पति व विष्णु को स्नान कराएं। पीले फूल, पीला चंदन, गुड़, चने की दाल, पीले वस्त्र दोनों देवताओं को अर्पित करें। भोग में पीले पकवान या पीले फल अर्पित करें।
- पूजा के बाद गुरु मंत्रो के स्मरण के साथ नीचे लिखें विष्णु मंत्र स्त्रोत का विशेष ध्यान कर विवाह, धन, सुख की कामना करें व अंत में बृहस्पति-विष्णु की आरती घी के दीप से ही करें -
श्रीनिवासाय देवाय नम: श्रीपयते नम:।
श्रीधराय सशाङ्र्गाय श्रीप्रदाय नमो नम:।।
श्रीवल्लभाय शान्ताय श्रीमते च नमो नम:।
श्रीपर्वतनिवासाय नम: श्रेयस्कराय च।
श्रेयसां पतये चैव ह्याश्रयाय नमो नम:।
नम: श्रेय:स्वरूपाय श्रीकराय नमो नम:।।
शरण्याय वरेण्याय नमो भूयो नमो नम:।
स्त्रोत्रं कृत्वा नमस्मृत्य देवदेवं विसर्जयेत्।।
इति रुद्र समाख्याता पूजा विष्णोर्महात्मन:।
य: करोति महाभक्त्या स याति परमं पदम्।।
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