वर्तमान की भागदौड़ भरी जिंदगी में कब
कोई इंसान किस बीमारी की चपेट में आ जाए, कहना मुश्किल है। लकवा ऐसी ही एक
बीमारी है जो अचानक ही किसी हंसते-खेलते व्यक्ति को अपनी चपेट में ले लेती
है। मेडिकल साइंस के इस दौर में लकवा का ईलाज भी संभव है। यदि ईलाज करवाने
के साथ-साथ नीचे लिखे कुछ उपाय भी करें तो संभव है लकवा से पीडि़त व्यक्ति
और भी जल्दी ठीक हो जाए।
उपाय
- एक काले कपड़े में पीपल की सूखी जड़ को बांधकर लकवा से पीडि़त व्यक्ति के सिर के नीचे रखें तो कुछ ही दिनों में इसका असर दिखने लगेगा।
- प्रत्येक शनिवार के दिन एक नुकीली कील द्वारा लकवा पीडि़त अंग को आठ बार उसारकर शनिदेव का स्मरण करते हुए पीपल के वृक्ष की मिट्टी में गाड़ दें। साथ ही यह निवेदन करें कि जिस दिन अमुक रोग दूर हो जाएगा, उस दिन कील निकाल लेंगे। जब लकवा ठीक हो जाए तब शनिदेव व पीपल को धन्यवाद देते हुए वह कील निकालकर नदी में प्रवाहित कर दें।
- लकवे से पीडि़त व्यक्ति को लोहे की अंगूठी में नीलम एवं तांबे की अंगूठी में लहसुनिया जड़वाकर क्रमश: मध्यमा और कनिष्ठा अंगुली में पहना दें। इससे भी लकवा रोग में काफी लाभ होगा।
उपाय
- एक काले कपड़े में पीपल की सूखी जड़ को बांधकर लकवा से पीडि़त व्यक्ति के सिर के नीचे रखें तो कुछ ही दिनों में इसका असर दिखने लगेगा।
- प्रत्येक शनिवार के दिन एक नुकीली कील द्वारा लकवा पीडि़त अंग को आठ बार उसारकर शनिदेव का स्मरण करते हुए पीपल के वृक्ष की मिट्टी में गाड़ दें। साथ ही यह निवेदन करें कि जिस दिन अमुक रोग दूर हो जाएगा, उस दिन कील निकाल लेंगे। जब लकवा ठीक हो जाए तब शनिदेव व पीपल को धन्यवाद देते हुए वह कील निकालकर नदी में प्रवाहित कर दें।
- लकवे से पीडि़त व्यक्ति को लोहे की अंगूठी में नीलम एवं तांबे की अंगूठी में लहसुनिया जड़वाकर क्रमश: मध्यमा और कनिष्ठा अंगुली में पहना दें। इससे भी लकवा रोग में काफी लाभ होगा।
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