Sunday, October 23, 2011

धनतेरस-सोम प्रदोष का अति दुर्लभ योग, मालामाल बना देगी इस मंत्र से शिव पूजा

धनतेरस-सोम प्रदोष का अति दुर्लभ योग, मालामाल बना देगी इस मंत्र से शिव पूजा
जीवन में सुख, शांति और सौंदर्य की कामना है तो मन, वचन व कर्म में सत्य की मौजूदगी भी जरूरी है। शिव हो या शंकर हर स्वरूप व शब्द में भी शमन यानी सुख व शांति का भाव ही छुपा है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान शंकर ने समुद्र मंथन से निकले घातक विष को पीकर जगत के दु:खों का शमन किया और इसी मंथन से ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी प्रकट हुई।

क ल सोमवार के साथ प्रदोष तिथि शिव भक्ति की घड़ी है। जिसके साथ ही धनतेरस का मंगलकारी योग है। जहां सोम प्रदोष पर शिव पूजा हर मनोथरसिद्धि कर सुख-संपन्नता पाने की मंगलकारी घड़ी मानी जाती है। वहीं धनतेरस देवी लक्ष्मी उपासना के पांच दिवसीय महापर्व का पहला दिन।

शास्त्रों में सोम प्रदोष व धनतेरस की शुभ तिथि पर भौतिक सुख खासतौर पर धन की कामना पूरी करने के लिए शिव पूजा के कुछ आसान उपाय बताए गए हैं। इनमें मंत्र विशेष से शिव का ध्यान व अनाज का चढ़ावा लक्ष्मी की अपार कृपा करने वाला माना गया है।

धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा के साथ ही प्रदोष काल यानी, दिन-रात की मिलन की घड़ी या शाम के वक्त शिव पूजा के यहां बताए इस उपाय को अपनाकर समृद्ध और खुशहाल जीवन की कामना पूर्ति करें -

- शाम के वक्त लक्ष्मी पूजा के साथ ही शिवलिंग या मूर्ति को जल या पंचामृत स्नान कराकर सफेद चंदन, सफेद फूल, बिल्वपत्र, सफेद वस्त्र व मिठाई चढ़ाकर नीचे लिखे मंत्र से शिव का स्मरण करें -

कैलासशिखरस्थं च पार्वतीपतिमुत्तमम् ।

यथोक्तरुपिणं शम्भुं निर्गुणं गुणरुपिणम् ।

पंचवक्त्रं दशभुजं त्रिनेत्रं वृषभध्वजम् ।

कर्पूरगौरं दिव्यांगगं चन्द्रमौलिं कपर्दिनम् ।

व्याघ्रचर्मोत्तरीयं च गजचर्माम्बरं शुभम् ।

वासुक्यादिपरीतांगं पिनाकाद्यायुधान्वितम् ।

सिद्धयोऽष्टौ च यस्याग्रे नृत्यन्तीह निरन्तरम् ।

जयजयेति शब्दैश्च सेवितं भक्तपुंजकैः ।

तेजसा दुस्सहेनैव दुर्लक्ष्यं देवसेवितम् ।

शरण्यं सर्वसत्त्वानां प्रसन्नमुखपंकजम् ।

वेदैः शास्त्रैर्यथागीतं विष्णुब्रह्मनुतं सदा ।

भक्तवत्सलमानन्दं शिवमावाहयाम्यहम् |

- इसके बाद महादेव या शिवलिंग के ऊपर अक्षत यानी, चावल जो टूटे न हो लक्ष्मी कृपा की कामना से चढ़ाएं। यह उपाय धन कामना सिद्धि के लिए बहुत शुभ माना गया है।

- अंत में शिव की धूप, दीप व कर्पूर आरती कर दरिद्रता से मुक्त जीवन की कामना करें।

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