वास्तु व जीवन में महत्वपूर्ण, बाँसुरी
बाँसुरी को शान्ति, शुभता एवं स्थिरता का प्रतीक
माना जाता है. यह उन्नति, प्रगति एवं सकारात्मक
गुणों की वृद्धि की सूचक भी होती है. फेगशुई और हमारे
शास्त्रों में शुभ वस्तुओं में बाँसुरी का अत्यधिक महत्व है.
फेंगशुई
बाँसुरी के उपायों का महत्व इसलिए भी अधिक है,
क्योंकि वास्तु शास्त्र में जहां कहीं किसी दोष से
पूर्णतः मुक्ति के लिए अशुभ निर्माण कार्य
को तोड़ना आवश्यक होता है, वहीं फेंगशुई में अशुभ निर्माण
को तोड़ने की कोई आवश्यकता नहीं होती है. अपितु पैगोडा,
बाँसुरी आदि सकरात्मक वस्तुओं का प्रयोग कर के उस दोष से
मुक्ति पा लेते है.
बाँसुरी का निर्माण बाँस के ताने से होता है.
सभी वनस्पतियों में बाँस सबसे तेज गति से बढ़ने
वाला पौधा होता है.इसी कारण से यह विकास का प्रतीक
है.और किसी भी वातावरण में यह अपना अस्तित्व बनाए
रखने की क्षमता इसमें होती है. यदि किसी भी दूकान
या व्यवसाय स्थल पर इसके पौधे को लगाया जाए तो जैसे
बाँस के पौधे की वृद्धि तेज गति से होगी, वैसे ही उस दूकान
या व्यवसाय स्थल के मालिक की भी प्रगति होगी. बाँस के
पौधे के ये सभी गुण बाँसुरी में भी विद्यमान होते है.
बाँसुरी का उपयोग न केवल फेंगशुई में, वरन वास्तु शास्त्र
एवं ग्रह दोष निवारण में बहुत ही उपयोगी है. वास्तु में बीम
संबंधी दोष, द्वार वेध, वृक्ष वेध, वीथी वेध
आदि सभी वेधो के निराकरण में और अशुभ निर्माण
संबंधी वास्तु दोषों में बाँसुरी का प्रयोग होता है. ग्रह
दोषों के अंतर्गत शनि, राहू आदि पाप ग्रहों से सम्बन्धित
दोषों के निवारण में बाँसुरी का कोई विपरीत प्रभाव
नहीं होता है.
लेकिन बाँसुरी के प्रयोग में एक सावधानी अवश्य
रखनी चाहिए वह यह है कि, जहां कहीं भी इसे लगाया जाए,
वहां इसे बिलकुल सीधा नहीं लगा कर
थोड़ा तिरछा लगाना चाहिए तथा इसका मुंह नीचे की तरफ
होना चाहिए.
जापान, चीन, हांगकांग, मलेशिया और मध्य एशिया में
इसका प्रयोग बहुतायत में किया जाता है. यदि किसी के
विकास में अनेक प्रयास करने के बाद भी बाधाए उत्पन्न
हो रही हो तो इस बाँसुरी का प्रयोग अवश्य
ही करना चाहिए.वैसे तो ”बाँसुरी एक फायदे अनेक है”. लेकिन
यहां मै इस लेख मेंबाँसुरी के आसान और अचूक रामबाण उपाय
दे रहा हूं जो कि पग पग पर हमारे लिए सहायक बनते है, और
हमारी समस्याओं का पूर्ण रूप से समाधान करते है.
१:- बाँसुरी बाँस के पौधे से निर्मित होने के कारण शीघ्र
उन्नतिदायक प्रभाव रखती है अतः जिन व्यक्तियों को जीवन
में पर्याप्त सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही हो,
अथवा शिक्षा, व्यवसाय या नौकरी में बाधा आ रही हो,
तो उसे अपने बैडरूम के दरवाजे पर
दो बाँसुरियों को लगाना चाहिए.
२:- यदि घर में बहुत ही अधिक वास्तु दोष है, या दो या तीन
दरवाजे एक सीध में है, तो घर के मुख्यद्वार के ऊपर
दो बाँसुरी लगाने से लाभ मिलता है तथा वास्तु दोष धीरे धीरे
समाप्त होने लगता है.
३:- यदि आप आध्यात्मिक रूप से उन्नति चाहते है, या फिर
किसी प्रकार की साधना में सफलता चाहते है तो, अपने
पूजा घर के दरवाजे पर भी बाँसुरिया लगाए. शीघ्र
ही सफलता प्राप्त होगी.
४:- बैडरूम में पलंग के ऊपर अथवा डाइनिंग टेबल के ऊपर
बीम हो तो, इसका अत्यंत खराब प्रभाव पड़ता है. इस दोष
को दूर करने के लिए बीम के दोनों ओर एक एक बाँसुरी लाल
फीते में बाँध कर लगानी चाहिए. साथ ही यह भी ध्यान रखे
कि बाँसुरी को लगाते समय बाँसुरी का मुंह नीचे की ओर
होना चाहिए.
५:- यदि बाँसुरी को घर के मुख हाल में या प्रवेश द्वार पर
तलवार की तरह “क्रास” के रूप में लगाया जाए,
तो आकस्मिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है.
६:- घर के सदस्य यदि बीमार अधिक हों अथवा अकाल मृत्यु
का भय या अन्य कोई स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्या हो,
तो प्रत्येक कमरें के बाहर और बीमार व्यक्ति के सिरहाने
बाँसुरी का प्रयोग करना चाहिए इससे अति शीघ्र लाभ
प्राप्त होने लगेगा.
७:- यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुण्डली में शनि सातवें भाव
में अशुभ स्थिति में होकर विवाह में देर करवा रहे हो,
अथवा शनि की साढ़ेसती या ढैया चल रही हो, तो एक
बाँसुरी में चीनी या बूरा भरकर किसी निर्जन स्थान में
दबा देना लाभदायक होता है इससे इस दोष से
मुक्ति मिलती है.
८:- यदि मानसिक चिंता अधिक तेहती हो अथवा पति-
पत्नी दोनों के बीच झगड़ा रहता हो, तो सोते समय सिरहाने
के नीचे बाँसुरी रखनी चाहिए.
९:- यदि आप एक बाँसुरी को गुरु-पुष्य योग में शुभ मुहूर्त में
पूजन कर के अपने गल्ले में स्थापित करते है तो इसके कारण
आपके कार्य-व्यवसाय में बढोत्तरी होगी, और धन आगमन
के अवसर प्राप्त होंगे.
१०:- पाश्चात्य देशो में इसे घरों में तलवार की तरह से
भी लटकाया जाता है.इसके प्रभाव स्वरुप अनिष्ट एवं अशुभ
आत्माओं एवं बुरे व्यक्तियों से घर की रक्षा होती है.
११:- घर और अपने परिवार की सुख समृधि और सुरक्षा के
लिए एक बाँसुरी लेकर श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन रात
बारह बजे के बाद भगवान श्री कृष्ण के हाथों में सुसज्जित
कर दे तो इसके प्रभाव से पूरे वर्ष आपकी और आपके परिवार
की रक्षा तो होगी ही तथा सभी कष्ट व बाधाए भी दूर
होती जायेगी.
बाँसुरी के संबंध में एक धार्मिक मान्यता है कि जब
बाँसुरी को हाथ में लेकर हिलाया जाता है, तो बुरी आत्माएं
दूर हो जाति है. और जब इसे बजाया जाता है,
तो ऐसी मान्यता है कि घरों में शुभ चुम्बकीय प्रवाह
का प्रवेश होता है.
इस प्रकार बाँसुरी प्रकृति का एक अनुपम वरदान है.
यदि सोच समझ कर इसका उपयोग किया जाए तो वास्तु
दोषों का बिना किसी तोड़ फोड के निवारण कर अशुभ फलो से
बचा जा सकता है. जहां रत्न धारण, रुद्राक्ष, यंत्र, हवन,
आदि श्रमसाध्य और खर्चीले उपाय है,
वहीं बाँसुरी का प्रयोग सस्ता, सुगम और प्रभावी होता है.
अपनी आवश्यकता के अनुसार इसका प्रयोग करके लाभ
उठाया जा सकता है
माना जाता है. यह उन्नति, प्रगति एवं सकारात्मक
गुणों की वृद्धि की सूचक भी होती है. फेगशुई और हमारे
शास्त्रों में शुभ वस्तुओं में बाँसुरी का अत्यधिक महत्व है.
फेंगशुई
बाँसुरी के उपायों का महत्व इसलिए भी अधिक है,
क्योंकि वास्तु शास्त्र में जहां कहीं किसी दोष से
पूर्णतः मुक्ति के लिए अशुभ निर्माण कार्य
को तोड़ना आवश्यक होता है, वहीं फेंगशुई में अशुभ निर्माण
को तोड़ने की कोई आवश्यकता नहीं होती है. अपितु पैगोडा,
बाँसुरी आदि सकरात्मक वस्तुओं का प्रयोग कर के उस दोष से
मुक्ति पा लेते है.
बाँसुरी का निर्माण बाँस के ताने से होता है.
सभी वनस्पतियों में बाँस सबसे तेज गति से बढ़ने
वाला पौधा होता है.इसी कारण से यह विकास का प्रतीक
है.और किसी भी वातावरण में यह अपना अस्तित्व बनाए
रखने की क्षमता इसमें होती है. यदि किसी भी दूकान
या व्यवसाय स्थल पर इसके पौधे को लगाया जाए तो जैसे
बाँस के पौधे की वृद्धि तेज गति से होगी, वैसे ही उस दूकान
या व्यवसाय स्थल के मालिक की भी प्रगति होगी. बाँस के
पौधे के ये सभी गुण बाँसुरी में भी विद्यमान होते है.
बाँसुरी का उपयोग न केवल फेंगशुई में, वरन वास्तु शास्त्र
एवं ग्रह दोष निवारण में बहुत ही उपयोगी है. वास्तु में बीम
संबंधी दोष, द्वार वेध, वृक्ष वेध, वीथी वेध
आदि सभी वेधो के निराकरण में और अशुभ निर्माण
संबंधी वास्तु दोषों में बाँसुरी का प्रयोग होता है. ग्रह
दोषों के अंतर्गत शनि, राहू आदि पाप ग्रहों से सम्बन्धित
दोषों के निवारण में बाँसुरी का कोई विपरीत प्रभाव
नहीं होता है.
लेकिन बाँसुरी के प्रयोग में एक सावधानी अवश्य
रखनी चाहिए वह यह है कि, जहां कहीं भी इसे लगाया जाए,
वहां इसे बिलकुल सीधा नहीं लगा कर
थोड़ा तिरछा लगाना चाहिए तथा इसका मुंह नीचे की तरफ
होना चाहिए.
जापान, चीन, हांगकांग, मलेशिया और मध्य एशिया में
इसका प्रयोग बहुतायत में किया जाता है. यदि किसी के
विकास में अनेक प्रयास करने के बाद भी बाधाए उत्पन्न
हो रही हो तो इस बाँसुरी का प्रयोग अवश्य
ही करना चाहिए.वैसे तो ”बाँसुरी एक फायदे अनेक है”. लेकिन
यहां मै इस लेख मेंबाँसुरी के आसान और अचूक रामबाण उपाय
दे रहा हूं जो कि पग पग पर हमारे लिए सहायक बनते है, और
हमारी समस्याओं का पूर्ण रूप से समाधान करते है.
१:- बाँसुरी बाँस के पौधे से निर्मित होने के कारण शीघ्र
उन्नतिदायक प्रभाव रखती है अतः जिन व्यक्तियों को जीवन
में पर्याप्त सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही हो,
अथवा शिक्षा, व्यवसाय या नौकरी में बाधा आ रही हो,
तो उसे अपने बैडरूम के दरवाजे पर
दो बाँसुरियों को लगाना चाहिए.
२:- यदि घर में बहुत ही अधिक वास्तु दोष है, या दो या तीन
दरवाजे एक सीध में है, तो घर के मुख्यद्वार के ऊपर
दो बाँसुरी लगाने से लाभ मिलता है तथा वास्तु दोष धीरे धीरे
समाप्त होने लगता है.
३:- यदि आप आध्यात्मिक रूप से उन्नति चाहते है, या फिर
किसी प्रकार की साधना में सफलता चाहते है तो, अपने
पूजा घर के दरवाजे पर भी बाँसुरिया लगाए. शीघ्र
ही सफलता प्राप्त होगी.
४:- बैडरूम में पलंग के ऊपर अथवा डाइनिंग टेबल के ऊपर
बीम हो तो, इसका अत्यंत खराब प्रभाव पड़ता है. इस दोष
को दूर करने के लिए बीम के दोनों ओर एक एक बाँसुरी लाल
फीते में बाँध कर लगानी चाहिए. साथ ही यह भी ध्यान रखे
कि बाँसुरी को लगाते समय बाँसुरी का मुंह नीचे की ओर
होना चाहिए.
५:- यदि बाँसुरी को घर के मुख हाल में या प्रवेश द्वार पर
तलवार की तरह “क्रास” के रूप में लगाया जाए,
तो आकस्मिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है.
६:- घर के सदस्य यदि बीमार अधिक हों अथवा अकाल मृत्यु
का भय या अन्य कोई स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्या हो,
तो प्रत्येक कमरें के बाहर और बीमार व्यक्ति के सिरहाने
बाँसुरी का प्रयोग करना चाहिए इससे अति शीघ्र लाभ
प्राप्त होने लगेगा.
७:- यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुण्डली में शनि सातवें भाव
में अशुभ स्थिति में होकर विवाह में देर करवा रहे हो,
अथवा शनि की साढ़ेसती या ढैया चल रही हो, तो एक
बाँसुरी में चीनी या बूरा भरकर किसी निर्जन स्थान में
दबा देना लाभदायक होता है इससे इस दोष से
मुक्ति मिलती है.
८:- यदि मानसिक चिंता अधिक तेहती हो अथवा पति-
पत्नी दोनों के बीच झगड़ा रहता हो, तो सोते समय सिरहाने
के नीचे बाँसुरी रखनी चाहिए.
९:- यदि आप एक बाँसुरी को गुरु-पुष्य योग में शुभ मुहूर्त में
पूजन कर के अपने गल्ले में स्थापित करते है तो इसके कारण
आपके कार्य-व्यवसाय में बढोत्तरी होगी, और धन आगमन
के अवसर प्राप्त होंगे.
१०:- पाश्चात्य देशो में इसे घरों में तलवार की तरह से
भी लटकाया जाता है.इसके प्रभाव स्वरुप अनिष्ट एवं अशुभ
आत्माओं एवं बुरे व्यक्तियों से घर की रक्षा होती है.
११:- घर और अपने परिवार की सुख समृधि और सुरक्षा के
लिए एक बाँसुरी लेकर श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन रात
बारह बजे के बाद भगवान श्री कृष्ण के हाथों में सुसज्जित
कर दे तो इसके प्रभाव से पूरे वर्ष आपकी और आपके परिवार
की रक्षा तो होगी ही तथा सभी कष्ट व बाधाए भी दूर
होती जायेगी.
बाँसुरी के संबंध में एक धार्मिक मान्यता है कि जब
बाँसुरी को हाथ में लेकर हिलाया जाता है, तो बुरी आत्माएं
दूर हो जाति है. और जब इसे बजाया जाता है,
तो ऐसी मान्यता है कि घरों में शुभ चुम्बकीय प्रवाह
का प्रवेश होता है.
इस प्रकार बाँसुरी प्रकृति का एक अनुपम वरदान है.
यदि सोच समझ कर इसका उपयोग किया जाए तो वास्तु
दोषों का बिना किसी तोड़ फोड के निवारण कर अशुभ फलो से
बचा जा सकता है. जहां रत्न धारण, रुद्राक्ष, यंत्र, हवन,
आदि श्रमसाध्य और खर्चीले उपाय है,
वहीं बाँसुरी का प्रयोग सस्ता, सुगम और प्रभावी होता है.
अपनी आवश्यकता के अनुसार इसका प्रयोग करके लाभ
उठाया जा सकता है
No comments:
Post a Comment