Thursday, October 29, 2020

कोजागार पूर्णिमा सम्पूर्ण विष्लेषण

कोजागार पूर्णिमा विशेष.राशि अनुसार 

उपाय,


कोजागार पूर्णिमा सम्पूर्ण विष्लेषण. 

अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा कोजागार पूर्णिमा कहलाती है.

कोजागार पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है.

इस वर्ष कोजागार पूर्णिमा का पर्व 30 अक्टूबर शुक्रवार को मनाया जाएगा इस व्रत में रात्रि के प्रथम प्रहर अथवा सम्पूर्ण निशीथ व्यापनी पूर्णिमा ग्रहण करना चाहिए.

जो पूर्णिमा रात के समय रहे वहीं ग्रहण करना चाहिए.


पूर्णिमा तिथि महाराष्ट्र दांते पंचाग अनुसार  अक्टूबर 30, 2020 को 05:46 मिनट शाम से आरम्भ होकर अक्टूबर 31, 2020 को रात 08:18 मिनट पर समाप्त होगी.

पूर्णिमा की पूजा, व्रत और स्नान शुक्रवार यानी 30 अक्टूबर को ही होगा. 

चन्द्रोदय 05:34 शाम को कोजागार पूर्णिमा के व्रत को शरद व्रत भी कहते हैं.


लक्ष्मी जी को जागृति करने के कारण इस व्रत का नाम कोजागार पड़ा इस दिन लक्ष्मी नारायण महालक्ष्मी एवं तुलसी का पूजन किया जाता है.


इस दिन श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था.

साथ ही माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी रात के समय भ्रमण में निकलती है यह जानने के लिए कि कौन जाग रहा है और कौन सो रहा है.

उसी के अनुसार मां लक्ष्मी उनके घर पर ठहरती है इसीलिए इस दिन सभी लोग जागते है. जिससे कि मां की कृपा उनपर बरसे और उनके घर से कभी भी लक्ष्मी न जाएं.

इसलिए इसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहते हैं.

हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा ही शरद पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है.  कई वर्षों में पहली बार हो रहा है जब शरद पूर्णिमा और गुरुवार का संयोग बना है.

इस दिन पूरा चंद्रमा दिखाई देने के कारण इसे महापूर्णिमा भी कहते हैं.


पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है.

हिन्दू धर्म में इस दिन कोजागर व्रत माना गया है इसी को कौमुदी व्रत भी कहते हैं. मान्यता है इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झड़ता है तभी इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चाँदनी में रखने का विधान है.


गोजागार पूर्णिमा विधान. 

इस दिन मनुष्य विधिपूर्वक स्नान करके उपवास रखे और ब्रह्मचर्य भाव से रहे.

इस दिन ताँबे अथवा मिट्टी के कलश पर वस्त्र से ढँकी हुई स्वर्णमयी लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करके भिन्न-भिन्न उपचारों से उनकी पूजा करें, तदनंतर सायंकाल में चन्द्रोदय होने पर सोने, चाँदी अथवा मिट्टी के घी से भरे हुए 101 दीपक जलाए. इसके बाद घी मिश्रित खीर तैयार करे और बहुत-से पात्रों में डालकर उसे चन्द्रमा की चाँदनी में रखें.

जब एक प्रहर (3 घंटे) बीत जाएँ, तब लक्ष्मीजी को सारी खीर अर्पण करें.

तत्पश्चात भक्तिपूर्वक सात्विक ब्राह्मणों को इस प्रसाद रूपी खीर का भोजन कराएँ और उनके साथ ही मांगलिक गीत गाकर तथा मंगलमय कार्य करते हुए रात्रि जागरण करें.

तदनंतर अरुणोदय काल में स्नान करे

इस रात्रि की मध्यरात्रि में देवी महालक्ष्मी अपने कर-कमलों में वर और अभय लिए संसार में विचरती हैं और मन ही मन संकल्प करती हैं कि इस समय भूतल पर कौन जाग रहा है? जागकर मेरी पूजा में लगे हुए उस मनुष्य को मैं आज धन दूँगी.


गोजागार पूर्णिमा पर खीर खाने का महत्व

शरद पूर्णिमा की रात का अगर मनोवैज्ञानिक पक्ष देखा जाए तो यही वह समय होता है जब मौसम में परिवर्तन की शुरूआत होती है और शीत ऋतु का आगमन होता है.

शरद पूर्णिमा की रात में खीर का सेवन करना इस बात का प्रतीक है कि शीत ऋतु में हमें गर्म पदार्थों का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसी से हमें जीवनदायिनी ऊर्जा प्राप्त होगी.


शरद पूर्णिमा की रात को क्या करें,क्या न करें ?

दशहरे से शरद पूनम तक चन्द्रमा की चाँदनी में विशेष हितकारी रस, हितकारी किरणें होती हैं. इन दिनों चन्द्रमा की चाँदनी का लाभ उठाना, जिससे वर्षभर आप स्वस्थ और प्रसन्न रहें. नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए दशहरे से शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात्रि में 15 से 20 मिनट तक चन्द्रमा के ऊपर त्राटक करें.


अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य हैं जो भी इन्द्रियाँ शिथिल हो गयी हों, उनको पुष्ट करने के लिए चन्द्रमा की चाँदनी में खीर रखना और भगवान को भोग लगाकर अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करना कि ‘हमारी इन्द्रियों का बल-ओज बढ़ायें.फिर वह खीर खा लेना.


शरद पूनम दमे की बीमारी वालों के लिए वरदान का दिन है


चन्द्रमा की चाँदनी गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है.

शरद पूनम की चाँदनी का अपना महत्त्व है लेकिन बारहों महीने चन्द्रमा की चाँदनी गर्भ को और औषधियों को पुष्ट करती है.

अमावस्या और पूर्णिमा को चन्द्रमा के विशेष प्रभाव से समुद्र में ज्वार-भाटा आता है.

जब चन्द्रमा इतने बड़े दिगम्बर समुद्र में उथल-पुथल कर विशेष कम्पायमान कर देता है तो हमारे शरीर में जो जलीय अंश है, सप्तधातुएँ हैं, सप्त रंग हैं, उन पर भी चन्द्रमा का प्रभाव पड़ता है.

इन दिनों में अगर काम-विकार भोगा तो विकलांग संतान अथवा जानलेवा बीमारी हो जाती है और यदि उपवास, व्रत तथा सत्संग किया तो तन तंदुरुस्त, मन प्रसन्न और बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रकाश आता है.


राशि अनुसार करे ये उपाय.


मेष राशि.

शरद पूर्णिमा पर मेष राशि के लोग कन्याओं को खीर खिलाएं और चावल को दूध में धोकर बहते पानी में बहाएं. ऐसा करने से आपके सारे कष्ट दूर हो सकते हैं.


वृषभ राशि.

इस राशि में चंद्रमा उच्च का होता है वृषभ राशि शुक्र की राशि है और राशि स्वामी शुक्र प्रसन्न होने पर भौतिक सुख-सुविधाएं प्रदान करते हैं शुक्र देवता को प्रसन्न करने के लिए इस राशि के लोग दही और गाय का घी मंदिर में दान करें.


मिथुन राशि.

इस राशि का स्वामी बुध, चंद्र के साथ मिल कर आपकी व्यापारिक एवं कार्य क्षेत्र के निर्णयों को प्रभावित करता है उन्नति के लिए आप दूध और चावल का दान करें तो उत्तम रहेगा.


कर्क राशि.

आपके मन का स्वामी चंद्रमा है, जो कि आपका राशि स्वामी भी है इसलिए आपको तनाव मुक्त और प्रसन्न रहने के लिए मिश्री मिला हुआ दूध मंदिर में दान देना चाहिए.


सिंह राशि.

आपका राशि का स्वामी सूर्य है शरद पूर्णिमा के अवसर पर धन प्राप्ति के लिए मंदिर में गुड़ का दान करें तो आपकी आर्थिक स्थिति में परिवर्तन हो सकता है.


कन्या राशि.

इस पवित्र पर्व पर आपको अपनी राशि के अनुसार 3 से 10 वर्ष तक की कन्याओं को भोजन में खीर खिलाना विशेष लाभदाई रहेगा.


तुला राशि.

इस राशि पर शुक्र का विशेष प्रभाव होता है इस राशि के लोग धन और ऐश्वर्य के लिए धर्म स्थानों यानी मंदिरों पर दूध, चावल व शुद्ध घी का दान दें.


वृश्चिक राशि.

इस राशि में चंद्रमा नीच का होता है. सुख-शांति और संपन्नता के लिए इस राशि के लोग अपने राशि स्वामी मंगल देव से संबंधित वस्तुओं, कन्याओं को दूध व चांदी का दान दें.


धनु राशि.

इस राशि का स्वामी गुरु है. इस समय गुरु उच्च राशि में है और गुरु की नौवीं दृष्टि चंद्रमा पर रहेगी. इसलिए इस राशि वालों को शरद पूर्णिमा के अवसर पर किए गए दान का पूरा फल मिलेगा चने की दाल पीले कपड़े में रख कर मंदिर में दान दें.


मकर राशि.

इस राशि का स्वामी शनि है गुरु की सातवी दृष्टि आपकी राशि पर है जो कि शुभ है आप बहते पानी में चावल बहाएं इस उपाय से आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं.


कुंभ राशि.

इस राशि के लोगों का राशि स्वामी शनि है इसलिए इस पर्व पर शनि के उपाय करें तो विशेष लाभ मिलेगा आप दृष्टिहीनों को भोजन करवाएं.


मीन राशि.

शरद पूर्णिमा के अवसर पर आपकी राशि में पूर्ण चंद्रोदय होगा इसलिए आप सुख, ऐश्वर्य और धन की प्राप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन करवाएं.


Cp

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