Sunday, June 10, 2012

हाथाजोडी – वनस्पति के रूप में जड़

हाथाजोडी – वनस्पति के रूप में जड़ हैं. मानव कंकाल की प्रकृति से साम्य रखनेवाली हाथाजोडी तंत्र-शास्त्र की अदभुत वस्तु हैं. शालिम मिश्री जैसी चिकनी और उसी रंग की होती हैं. किसी रविपुष्प योग में हाथाजोडी को पंचामृत में स्नान कराके लाल आसन पर स्थापित करें, फिर उसे सिंदूर भरी डिब्बी में रख लें. इसके रखने से गले एवं वाणी की दोष एवं रोग नहीं होते हैं. व्यक्तित्व को प्रभावी बनाती हैं. परिवार में प्रेत बाधा या भय की स्थिति नहीं रहती हैं. आत्म-विश्वास में वृद्धि होती हैं.

वांदा – वांदा, वंदा अथवा बंदाल नाम की परोपजीवी वनस्पति प्रात: आम, पीपल, महुआ, जामुन आदि के पेड़ों पर देखी जाती हैं. इसके पतले, लाल गुच्छेदार फूल और मोटे कड़े पत्ते पीपल के पत्ते की बराबर होते हैं.

भरणी नक्षत्र में कुश का वांदा लाकर पूजा के स्थान पर रखने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं.

पुष्प नक्षत्र में इमली का वांदा लाकर दाहिने हाथ में बाँधने से कंपन के रोग में आराम मिलेगा.

मघा नक्षत्र में हरसिंगार सज वांदा लाकर घर में रखने से समृद्धि एवं सम्पन्नता में वृद्धि होती हैं.

विशाखा नक्षत्र में महुआ का वांदा लाकर गले में धारण करने से भय समाप्त हो जाता हैं. डरावने सपने नहीं आती हैं. शक्ति (पुरुषत्व) में वृद्धि होती हैं.

लटजीरा – देहातों में जंगल तथा घरों के आसपास बरसात में एक पौधा उगता हैं. यह लाल एवं श्वेत किसी भी रंग का हो सकता हैं.

लाल लटजीरा की टहनी से दातुन करने पर दांत के रोग से मुक्ति मिलेगी. तथा सम्मोहन की शक्ति में वृद्धि होगी.

लटजीरा की जड़ को जलाकर भस्म बना लें. उसे दूध के साथ पीने से संतानोत्पति की क्षमता आ जाती हैं.

सफ़ेद लटजीरा की जड़ रविपुण्य नक्षत्र में लाने के बाद उसे अपने पास रख लें, जिससे नर्वसनेस समाप्त होगी. आत्मविश्वास में वृद्धि होगी.

लक्ष्मणा बूटी – देहात में इसे गूमा कहते हैं. वैधवर्ग इसे लक्ष्मण बूटी कहते हैं. श्वेत लक्ष्मण का पौधा ही तांत्रिक प्रयोग में लाया जाता हैं.

संतानहीन स्त्री, स्वस्थ एवं निरोगी हैं, तो वह श्वेत लक्ष्मण बूटी की २१ गोली बना ले, इसे गाय के दूध के साथ लगातार प्रात: एक गोली २१ दिन तक खाए, तो संतान लाभ मिलता हैं.

श्वेत लक्ष्मणा की जड़ को घिसकर तिलक नियमित रूप से लगाये, तो नर्वसनेस समाप्त होगी. आत्मविश्वास में वृद्धि होगी.

मदार – मदार, मंदार, अर्क अथवा आक के नाम से प्राय: सभी इस पौधे से परिचित हैं. इसके पुष्प शिवजी को अर्पित किये जाते हैं. लाल एवं श्वेत पुष्प के मदार के पेड़ होते हैं. श्वेत पुष्प वाले मदार का तांत्रिक प्रयोग होता हैं.

रविपुष्प के दिन मदार की जड़ खोद लाए, उस पर गणेशजी की मूर्ति बनाये. वह मूर्ति सिद्ध होगी. परिवार के अनेक संकट मात्र मूर्ति रखे से ही दूर हो जायेंगे. यदि गणेशजी की साधना करनी हैं, तो उसके लिए सर्वश्रेष्ठ वह मूर्ति होगी.

रविपुष्प में उसकी जड़ को बंध्या स्त्री भी कमर में बंधे तो संतान होगी. रविपुष्प नक्षत्र में लायी गयी जड़ को दाहिने हाथ में धारण करने से आर्थिक समृधि में वृद्धि होती हैं.

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