Tuesday, September 13, 2011

नीच राशि का मंगल: बुरे असर से बचने के लिए राशि अनुसार ये उपाय करें

9 सितंबर को मंगल मिथुन राशि से निकल कर अपनी निच राशि में प्रवेश कर चूका है। 30 अक्टुबर तक इसका असर रहेगा। मंगल का राशि बदलना सभी राशि वालों को प्रभावित करेगा। चाहे वो शुभ या अशुभ प्रभाव हो।  निच राशि में आ कर मंगल जो बुरा असर आप पर डालेगा उससे बचने के लिए आप राशि अनुसार उपाय करें इनसे आप मंगल के
बुरे असर से अवश्य ही बच जाऐंगे।

मंगल के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए आप अपनी राशि के अनुसार उपाय ये करें।

मेष- हनुमान मन्दिर में बूंदी के लड्डू का प्रसाद चढ़ाएं।

वृष- तांबे का सिक्का या कलश का दान दें।

मिथुन- बहते पानी में रेवड़ी या बताशे प्रवाहित करें।

कर्क- भोजन करने से पहले अपने भोजन में से कुछ हिस्सा गाय के लिए निकालें।

सिंह- गुड़ की रोटी बनाकर कुत्तों को दें।

कन्या- 10 वर्ष से कम उम्र की 9 कन्याओं की पूजा कर के उनको दक्षिणा दें।

तुला- हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाए और हनुमान जी की दाहिनी भुजा से सिंदूर लेकर स्वयं लगाएं। 

वृश्चिक- आप लाल हकिक धारण करें।

धनु- रात को तांबे के कलश में पानी भर कर सिरहाने रख कर सोएं और सुबह कांटेदार पौधे में वो जल डाल दें।

मकर- आप शहद का दान दें तो आप पर मंगल के अशुभ प्रभाव नही होंगे।

कुंभ- किसी गरीब को तांबे का सिक्का दान दें।

मीन- आप लाल वस्तुओं से परहेज रखें और किसी भी कार्य के लिए घर से मीठा खाकर निकलें।

ये तीन सस्ती चीजें काले कपड़े में बांधे और शनि को मनाएं...

शनिवार, ये दिन है शनि देव का... इस दिन शनि को मनाने के लिए विशेष पूजन कर्म करने का महत्व है। ज्योतिष के अनुसार कुंडली में शनि की स्थिति काफी अधिक खास होती है। शनि की शुभ या अशुभ स्थिति के चलते व्यक्ति का जीवन सुखी या दुखों से पीडि़त हो सकता है। शनि का सर्वाधिक प्रभाव साढ़ेसाती और ढैय्या में ही झेलना पड़ता है। हर व्यक्ति को शनि की साढ़ेसाती अवश्य झेलना पड़ती है, इससे कोई बच नहीं सकता।

यदि शनि के कारण किसी व्यक्ति को अत्यधिक दुखों और असफलताओं का सामना करना पड़ रहा है तो शनिवार के दिन कुछ विशेष पूजन कार्य किए जाने चाहिए। शनि को मनाने के लिए यह सटीक उपाय बताया गया है, इसे प्रति शनिवार अपनाने से बहुत जल्द शुभ फल प्राप्त होने लगते हैं।

शनि के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए शनिवार के दिन एक काले कपड़े में काले उड़द, काले तिल और लोहे की वस्तु बांध लें। शनिदेव को अर्पित करें और पूजा करें। इसके बाद किसी ब्राह्मण, किसी जरूरतमंद व्यक्ति को काले कपड़े में बंधी तीनों चीजें दान कर दें। ऐसा हर शनिवार को किया जाना चाहिए। कुछ ही दिनों में इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगेंगे।

नीच राशि का शुक्र: प्यार, पैसा और दांम्पत्य सुख के उपाय

शुक्र के नीच राशि में आ जाने से सभी राशि वालों के जीवन में प्यार, पैसा और दांम्पत्य सुख संबंधित परेशानियां आने लगती है। 9 सितंबर से  शुक्र सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में आया है । शुक्र अपनी नीच राशि में यानी कन्या राशि में 4 अक्टूबर तक रहेगा। अक्सर ऐसा देखा गया है कि जब भी शुक्र अपनी नीच राशि में आता है सभी राशि वालों के प्यार, पैसा और दांपत्य पर शुभ-अशुभ असर पड़ता है। वैसे तो शुक्र हमेशा शुभ फल देने वाला होता है। लेकिन अपनी नीच राशि में आ कर कुछ राशि वालों के लिए अशुभ फल देता है। अगर आप राशि अनुसार शुक्र के उपाय करें तो आपके सुखी दांपत्य जीवन में प्यार और पैसा दोनों रहेगा।

शुक्र देव को प्रसन्न करने के उपाय-

मेष- किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।

वृष- पिता से सोना लेकर पहनें या धन स्थान पर रख कर पूजा करें तो जल्दी ही धन लाभ होगा।

मिथुन- भाई या बहन को शुक्र देव के लिए सफेद वस्त्र के साथ चांदी का सिक्का दें।

कर्क- शुक्रवार के दिन गाय के दुध से स्नान करना चाहिए।

सिंह- 10 वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को गाय के दूध की खीर खिलाएं तो आपको जल्दी ही इसके शुभ परिणाम मिलेंगे।

कन्या- सोने या चांदी की लक्ष्मी प्रतिमा का पूजन कर के धन स्थान पर रखें।

तुला- माता से सफेद कपड़े में चावल और चांदी का सिक्का लेकर धन स्थान पर रखने से मां लक्ष्मी प्रस्रन्न होगी।

वृश्चिक- लक्ष्मी जी को कमल पुष्प और कमल गट्टे अर्पित करें।

धनु- भोजपत्र पर लाल चंदन से श्रीं: लिख कर उसकी पूजा करें।

मकर- किसी मन्दिर में गाय का घी दान दें।

कुंभ- मां लक्ष्मी को शुद्ध गाय के घी का दीपक लगाएं।

मीन- मछलियों को आटे की गोलियां (दाना) डालें।

नीच राशि का शुक्र: प्यार, पैसा और दांम्पत्य सुख के उपाय

शुक्र के नीच राशि में आ जाने से सभी राशि वालों के जीवन में प्यार, पैसा और दांम्पत्य सुख संबंधित परेशानियां आने लगती है। 9 सितंबर से  शुक्र सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में आया है । शुक्र अपनी नीच राशि में यानी कन्या राशि में 4 अक्टूबर तक रहेगा। अक्सर ऐसा देखा गया है कि जब भी शुक्र अपनी नीच राशि में आता है सभी राशि वालों के प्यार, पैसा और दांपत्य पर शुभ-अशुभ असर पड़ता है। वैसे तो शुक्र हमेशा शुभ फल देने वाला होता है। लेकिन अपनी नीच राशि में आ कर कुछ राशि वालों के लिए अशुभ फल देता है। अगर आप राशि अनुसार शुक्र के उपाय करें तो आपके सुखी दांपत्य जीवन में प्यार और पैसा दोनों रहेगा।

शुक्र देव को प्रसन्न करने के उपाय-

मेष- किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।

वृष- पिता से सोना लेकर पहनें या धन स्थान पर रख कर पूजा करें तो जल्दी ही धन लाभ होगा।

मिथुन- भाई या बहन को शुक्र देव के लिए सफेद वस्त्र के साथ चांदी का सिक्का दें।

कर्क- शुक्रवार के दिन गाय के दुध से स्नान करना चाहिए।

सिंह- 10 वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को गाय के दूध की खीर खिलाएं तो आपको जल्दी ही इसके शुभ परिणाम मिलेंगे।

कन्या- सोने या चांदी की लक्ष्मी प्रतिमा का पूजन कर के धन स्थान पर रखें।

तुला- माता से सफेद कपड़े में चावल और चांदी का सिक्का लेकर धन स्थान पर रखने से मां लक्ष्मी प्रस्रन्न होगी।

वृश्चिक- लक्ष्मी जी को कमल पुष्प और कमल गट्टे अर्पित करें।

धनु- भोजपत्र पर लाल चंदन से श्रीं: लिख कर उसकी पूजा करें।

मकर- किसी मन्दिर में गाय का घी दान दें।

कुंभ- मां लक्ष्मी को शुद्ध गाय के घी का दीपक लगाएं।

मीन- मछलियों को आटे की गोलियां (दाना) डालें।

Friday, September 9, 2011

घर में शांति /सुकून के लिए वास्तु सिद्धांत


घर में शांति /सुकून के लिए वास्तु सिद्धांत ----


वास्तु के अनुसार घर की सजावट करते समय निम्न बातों का ध्यान रखें :-
1) घर के प्रवेश द्वार पर स्वस्तिक अथवा 'ॐ' की आकृति लगाने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
2) जिस भूखंड या मकान पर मंदिर की पीठ पड़ती है, वहाँ रहने वाले दिन-ब-दिन आर्थिक व शारीरिक परेशानियों में घिरते रहते है।
3) समृद्धि की प्राप्ति के लिए नार्थ-ईस्ट दिशा में पानी का कलश अवश्य रखना चाहिए।
4) घर में ऊर्जात्मक वातावरण बनाने में सूर्य की रोशनी का विशेष महत्व होता है इसलिए घर की आंतरिक साज-सज्जा ऐसी होनी चाहिए कि सूर्य की रोशनी घर में पर्याप्त रूप में प्रवेश करे।
5) घर में कलह अथवा अशांति का वातावरण हो तो ड्राइंग रूम में फूलों का गुलदस्ता रखना श्रेष्ठ होता है।
6) अशुद्ध वस्त्रों को घर के प्रवेश द्वार के मध्य में नहीं रखना चाहिए।
7) वास्तु के अनुसार रसोईघर में देवस्थान नहीं होना चाहिए।
8) गृहस्थ के बेडरूम में भगवान के चित्र अथवा धार्मिक महत्व की वस्तुएँ नहीं लगी होना चाहिए।
9) घर में देवस्थान की दीवार से शौचालय की दीवार का संपर्क नहीं होना चाहिए।

गृह कलह/क्लेश निवारण हेतु सरल और आसन उपाय----

वर्तमान समय में सभी परिवार चाहे वह संयुक्त हो या एकल परिवार हो गृह कलह से पीड़ित नजर आते है। गृह कलह के कारण परिवार के सभी सदस्यों में हृदय रोग, मधुमेह, उन्माद जैसी भयानक बीमारियां उत्पन्न हो सकती है एवं कभी-कभी यह गृह कलह प्राण-घातक (आत्मघातक) भी जो जाते है। गृह कलह मुख्य रूप से सास-बहु, पिता-पुत्र, भाई-बहिन-भाई, देवरानी-जेठानी, ननद-भाभी, पति-पत्नि के बीच दिखाई देता है।


आइये हम और आप ज्योतिषीय दृष्टि से गृह कलह के कारणों एवं उनके उपाय के बारे में जानें----

ज्योतिष् के अनुसार जन्म कुण्डली में सप्तम भाव सप्तमेश, सप्तम् भाव में स्थित ग्रह सप्तम् भाव पर दृष्टि डालने वाले गृह तथा सप्तम् भाव के कारक ग्रह से व्यक्ति के दाम्पत्य जीवन के बारे में विचार किया जाता है। यदि जातक का सप्तम् बलहीन हो सप्तम् भाव पर शनि, मंगल, सूर्य या राहु-केतु पापी कूरुर ग्रह का प्रभाव हो गुरु एवं शुक्र अस्त हो या पापक्रांत (पापकरतारी) हों तो दाम्पत्य सुख में बाधा आती है।
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सूर्य-ग्रह के कारण गृह कलह एवं उपाय----

जातक की कुण्डली में यदि सूर्य प्रथम, द्वितीय और सप्तम् भावों पर प्रभाव होने पर और बलहीन व नीच राशि के सूर्य के सप्तम् भाव में होने पर जातक अहंकारी, स्वाभिमानी, अड़ियल एवं जिद्दी स्वाभाव का होता है। पत्नी या परिवार के अन्य लोगों से स्वाभिमान का टकराव उत्पन्न होता है और जो गृह कलह का कारण बनता है।
उपाय -
1. सूर्योदय से पूर्व स्नानादि कर भगवान् सूर्य को ताँबे के लोटे में पवित्र शुद्ध जल भरकर उसमें लाल पुष्प, रोरी, अक्षत, मसूर दाल या मलका, गुड़ डालकर सूर्योदय काल में निम्न मंत्र पढ़ते हुए अध्र्य दें। एहि सूर्य! सहस्त्रांशो ! तेजोराशे! जगत्पते! अनुकम्प मां भक्त्या गृहाणाघ्र्यं दिवाकर!
2. ताँबे की अगुँठी या कड़ा दाहिने हाथ में घारण करें।
3. रविवार को दोपहर के समय लाल गाय को हाथों में भरकर गेहूँ खिलाए। कृपया जीमन में न डालें।
4. सूर्य भगवान के हृदय स्त्रोत का पाठ करें।
5. किसी विद्वान पण्डित से सूर्य की शान्ति जप सहित करवाए।
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मंगल ग्रह के कारण गृह कलह एवं उपाय----
मंगल एक उग्र एवं पापी ग्रह माना जाता है। जब जन्म कुण्डली में मंगल प्रथम, चैथे, सातवें, आठवें, या बारहवें भाव में स्थित हों तो जातक मंगली कहलाता है। मंगल जातक स्वभाव में विशेष प्रभाव करता है। मंगल के प्रभाव से जातक क्रोधी, उग्रता पूर्ण, एवं चड़चिडाहट पूर्ण व्यवहार करता है। यदि लग्न अथवा सप्तम भाव पर मंगल स्थित हो या सप्तम् भाव पर मंगल का प्रभाव (नीच दृष्टि, शत्रु) हो तथा किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक क्रोधी, अहंकारी, अभिमानी होता है और ये स्वभाव पति-पत्नी एवं परिवार के अन्य जनों के मध्य विवाद, गृह कलह का कारण उत्पन्न होता है।
उपाय-----
1. मंगलवार के दिन लाल गाय को गुड रोटी खिलाए
2. हनुमान चालीसा का पाठ करें।
3. शुक्ल पक्ष के मंगलवार का स्नानादि कर हनुमान मंदिर (दक्षिणमुखी) में चमेली का तेल सिन्दूर, गुड़, चना, एवं जनेऊ चढ़ाए और हनुमान संकट मोचन का पाठ करें। ऐसा लगातार सात मंगलवार करें।
4. मसूर दाल, गेंहूँ, गुड़, लाल पुष्प, ताँम्र-पात्र कुछ द्रव्य(दक्षिणा) सहित मंगलवार को ब्राह्मण या भिक्षुक को दान करें।
5. बन्दरों को चना-गुड़ खिलाए।
6. घर के सभी लोग संयुक्त रूप से भोजन करें। (दिन में एक बार भी कर सकते है।)
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शनि ग्रह के कारण गृह कलह एवं उपाय-----
यदि शनि की दृष्टि प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ अथव सप्तम् भाव में प्रभाव डालती है और साथ ही शनि अन्य पापी ग्रहों से सम्बन्ध बनता हों तो ऐसे शनि दाम्पत्य जीवन को उत्साह उमंग से क्षीण, परस्पर अकर्षक से विहीन बनता है। पति-पत्नी एवं परिवार के सदस्य साथ में रहते हुए पृथक रहने के समान जीवन व्यतीत करते हैं। आपस में चिड़चिडापर युक्त, कडवाहट युक्त एवं रूखा व्यवहार करते है। जिसके फलस्वरूप गृह कलह उत्पन्न होती है।
उपाय------
1. हनुमान चालीसा का पाठ नित्य करें।
2. सोलह सोमवार व्रत करें।
3. स्फाटिक या पारद शिवलिंग पर नित्य गाय का कच्चा दुध चढ़ाए फिर शुद्ध जल चढ़ाऐं और ओम् नमः शिवाय मन्त्र का जाप करें।
4. प्रदोष व्रत रखें।
5. प्रत्येक शनिवार को सूर्योदय के समय पीपल में तिल युक्त जल चढ़ाऐं और शाम को (सूर्यअस्त के बाद) तेल का दीपक जलाऐं।
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राहु ग्रह के कारण गृह कलह एवं उपाय------------------
जातक की कुण्डली में प्रथम, द्वितीय , चतुर्थ, सप्तम् भाव में राहु के दुष्प्रभाव के कारण दाम्पत्य जीवन एवं परिवार में विवाद, झगडे़ इत्यादि विषम परिस्थिति का सामना करना पड़ सकता है। राहु आकस्मिक क्रोध, वाणी कटुता, लोभ उत्पन्न करता है। जो गृह कलह का कारण होता है।
उपाय---------------
1. उड़द, तिल, तेल, काला कपड़ा छाता, सूपा, लोहे की चाकू, बुधवार के दिन सफाई कर्मचारी वर्ग के लोगों को दान करें।
2. शनिवार के दिन नीले वस्त्र में चार नारियल बांध कर नदी (बहते जलाशय) में लगातार सात शनिवार प्रवाहित करें।
3. केसर का तिलक माथे पर लागाऐं ।
4. मछली एवं पंक्षी को दाना खिलाऐं।
5. रुद्राभिषेक पूजन प्रत्येक प्रदोष में करें।
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पति-पत्नी के मध्य गृह कलह दूर करने हेतु उपाय-------
1. यदि पति-पत्नी के माध्य वाक् युद्ध होता रहता है तो दोनों पति-पत्नी को बुधवार के दिन दो घण्टे का मौन व्रत धारण करें।
2. पति को चाहिए की शुक्रवार को अपनी पत्नी को सुन्दर सुगन्ध युक्त पुष्प एवं इत्र भेंट करें एवं चाँदी की कटोरी चम्मच से दही शक्कर पत्नी को खिलाऐं।
3. पति को चाहिए की पत्नी की माँग में सिन्दूर भरें एवं पत्नी पति के मस्तक पर पीला तिलक लगाऐं।
4. स्त्री को चाहिए की अपने शयन कक्ष में 100 ग्राम सौंफ प्रातःकाल स्नान के बाद लाल कपडे में बांधकर रखें।
5. पति-पत्नी दोनों को फिरोज रत्न चाँदी में अनामिका आगुँली में धारण करें।
6. प्रतिदिन पति-पत्नी लक्ष्मी-नारायण या गौरी-शंकर के मन्दिर में जाऐं, सुगन्धित पुष्प चढ़ाऐं और दाम्पत्य सुख हेतु प्रार्थना करें।
7. पति-पत्नी सोमवार को दो-मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
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सास-बहु के बीच कलेश दूर करने के उपाय---------
1. घर के बर्तन के गिरने टकराने की आवाज न आने दें।
2. घर सजाकर सुन्दर रखें।
3. बहू को चाहिए की सूर्योदय से पहले घर में झाडू लगाकर कचड़े को घर के बाहर फेंके।
4. पितरों का पूजन करें।
5. प्रतिदिन पहली रोटी गाय को एवं आखरी रोटी कुत्ते को खिलाऐं।
6. ओम् शांति मन्त्र का जाप सास-बहू दोनों 21 दिन तक लगातर 11-11 माला करें।
7. रोटी बनाते समय तवा गर्म होने पर पहले उस पर ठंडे पानी के छींटे डाले और फिर रोटी बनाएं।
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भाई-भाई के बीच गृह कलह दूर करने के उपाय--------
1. गणेश जी एवं स्वामी कार्तिक जी का पूजन प्रतिदिन करें।
2. शिवलिंग पर शमी पत्र चढ़ाऐं।
3. विष्णु जी को तुलसी पत्र चढ़ाऐं।
4. माता-पिता एवं पूजनीय व्यक्तियों के चरण स्पर्श करें।
5. ओम् रामाय नमः मन्त्र का जप करें।
6. रामायण या रामचरित्र मानस का यथा शक्ति पाठ करें।
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देवरानी-जेठानी एवं ननद-भाभी में गृह कलह को दूर करने के उपाय-------
1. गाय के गोबर का दीपक बनाकर तेल रुई सहित उसे जलाऐं एवं मुख्य दरवाजे में रख कर उसमें थोड़ा गुड़ डालें।
2. ओम् नमः शिवशक्तिस्वरूपाय मम गृहे शांति कुरु-कुरु स्वाहा इस मन्त का जप 41 दिन तक नित्य 11 माला (रुद्राक्षमाला से) करें।
3. शिवलिंग में दूध एवं गंगाजल चढ़ाऐं और फिर बिल्व पत्र और पुष्प घर के सभी लोग चढ़ाऐं।
4. घर को सुन्दर, सजावट युक्त रखें एवं घर के चारों कोनो में शंख ध्वनि करें।
5. गीता का पाठ करें।
6. शिव जी का पूजन अपने पूरे परिवार सहित करें।
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गृह कलह शान्ति हेतु अन्य उपाय-------------
1. प्रतिदिन आटा गूथते समय एक चुटकी नकम एवं एक चुटकी बेसन उसमें मिला लें।
2. गेंहूँ चक्की पर पिसने जाने से पहले उसमें थोड़े से चने मिला दें तथा केवल सोमवार एवं शनिवार को ही गेंहूँ पिसवाऐं।
3. दुर्गा सप्तशती का पाठ नवरात्री में विद्वान पण्डित से कराऐं।
4. चीटियों का शक्कर खिलाऐं ।
5. घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में शौंच का स्थान न रखें एवं उस स्थान को साफ, और भार युक्त वास्तु से दूर रखें।
6. जो ग्रह कलह कारक हों उनकी वस्तुओं का दान करें।
7. कुण्डली के बली ग्रहों के मंत्रों का जप विद्वान पण्डित जी से या स्वयं किसी गुरु के सानिध्य में करें।
8. तेज स्वर (ऊंची आवाज) में बात न करें।

Sunday, September 4, 2011

गालों का रंग बता देता है हाव-भाव और आदत


क्या आप जानते हैं कि किसी भी व्यक्ति के गालों के रंग को देखकर उसका स्वभाव मालूम किया जा सकता है? जी हां, यह संभव है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शरीर के अंगों की बनावट को देखते हुए किसी भी व्यक्ति के स्वभाव, हाव-भाव और आदतों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। जिन ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव हमारे ऊपर सर्वाधिक होता है उसी के अनुसार हमारे गुण और अवगुण होते हैं।

जिन लोगों के गालों का सफेद रंग होता है वे अक्सर अस्वस्थ रहते हैं। वे अधिकांशत: किसी न किसी बीमारी से त्रस्त रहते हैं। ऐसे लोगों में निराशा रहती है और वे आलसी भी हो सकते हैं। इन लोगों में अनिश्चितता की भावना अधिक होती है। हर कार्य को अपने ही ढंग से करते हैं। इसके अलावा जिन लोगों के गालों का रंग लाल है वे लोग थोड़े गुस्से वाले होते हैं। छोटी-छोटी बातों में ही इन्हें क्रोध आ जाता है।

ये लोग साहसी, युद्धप्रिय व उत्तेजित व्यक्तित्व के होते हैं। ये लोग किसी भी कार्य को बहुत अच्छे ढंग से पूर्ण करते हैं। जिन लोगों के गालों का रंग गुलाबी दिखाई देता है वे लोग संतुलित मानसिकता के होते हैं।

किसी भी परिस्थिति में खुद को बहुत अच्छे से सेट कर लेते हैं। हर कार्य को करने की इनकी एक विशेष शैली होती है। इन लोगों को जीवन में कई उपलब्धियां हासिल होती हैं। किसी भी व्यक्ति के संबंध में सटीक भविष्यवाणी करने के लिए उसके विषय में गहराई से अध्ययन करने की आवश्यकता होती है। तभी सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

तिल्ली के तेल का दीपक जलाएं और गरीबी से पीछा छुड़ाएं...

धर्म-ज्योतिष को मानने वाले लोग शनिदेव और शनि के प्रभावों को अच्छे से जानते हैं। ऐसा माना जाता है कि शनि बुरे फल ही प्रदान करता है। ज्योतिष के अनुसार शनि को न्यायाधिश का पद प्राप्त है। इसी वजह से इन्हें क्रूर देवता माना जाता है। हमारे द्वारा किए गए कर्मों का फल शनिदेव साढ़ेसाती और ढैय्या के समय में प्रदान करते हैं।

यदि किसी व्यक्ति से जाने-अनजाने कोई पाप या गलत कार्य हो गया है तो शनिदेव ऐसे लोगों को निश्चित समय पर इन कर्मों का फल प्रदान करते हैं। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति को अत्यधिक कष्ट भोगना पड़ रहे हैं तो इन अशुभ फलों के प्रभावों को कम करने के लिए कुछ ज्योतिषीय उपाय बताए गए हैं।

कुछ लोगों की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में हो तो उसे जीवनभर कई प्रकार के कष्ट उठाने पड़ते हैं। ऐसे में प्रति शनिवार यह उपाय अपनाएं-

शनिवार को प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में उठें और नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि करके पवित्र हो जाएं। इसके बाद जल, दूध, तिल्ली के तेल का दीपक लेकर किसी पीपल के वृक्ष के समीप जाएं। अब पीपल पर जल और दूध अर्पित करें। इसके बाद पीपल के वृक्ष के नीचे तिल्ली के तेल के दीपक को प्रज्जवलित करें। शनिदेव प्रार्थना करें कि आपकी सभी समस्याएं दूर हो और बुरे समय से पीछा छुट जाए। इसके बाद पीपल की सात परिक्रमा करें।

घर लौट कर एक कटोरी में तेल लें और उसमें अपना चेहरा देखकर इस तेल का दान करें। ऐसा करने पर कुछ ही समय में आपको सकारात्मक फल प्राप्त होने लगेंगे। इसके प्रभाव से आपके घर की पैसों से जुड़ी समस्त समस्याएं दूर होने लगेंगी और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलेगी।

पैसों की किल्लत दूर करे यह लक्ष्मी-गणेश मंत्र

पैसों की किल्लत दूर करे यह लक्ष्मी-गणेश मंत्र
ज़िंदगी और गृहस्थ धर्म के सही संतुलन के लिए जरूरी है- आजीविका। जिससे मिलने वाला अर्थ या धन सभी सुख और सुविधाओं को आसान बना देता है। यही कारण है कि हर व्यक्ति छोटा-बड़ा व्यवसाय या फिर नौकरी करता है। किंतु अनेक अवसरों पर ऐसी स्थिति बनती है कि तमाम कोशिशों के बाद भी व्यक्ति व्यापार में घाटे या मंदी के दौर से गुजरने लगता है। ऐसी हालात किसी को भी बेहद परेशान कर देती है।
शास्त्रों में ऐसी ही हालात से बचने या बाहर आने के लिए देव उपासना का महत्व बताया गया है। जिसे किसी भी व्यक्ति को थोड़ा समय देकर जरूर करना चाहिए।
हिन्दू धर्म में भगवान श्री गणेश विघ्रहर्ता और माता लक्ष्मी धन और ऐश्वर्य की देवी के रूप में पूजी जाती है। इसलिए यहां जानते हैं भगवान श्री गणेश और माता लक्ष्मी के स्मरण का एक ऐसा ही आसान मंत्र, जो व्यवसाय में हो रहे घाटे से बचाता है और पैसों की किल्लत दूर कर धनलाभ देता है -
- बुधवार या चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की मूर्ति एक पात्र या चौकी पर विराजित कर उनके सामने घी का दीप जलाएं।
- श्री गणेश की गंध, अक्षत, दूर्वा, पुष्प से पूजा कर कम से कम 108 बार इस गणेश-महालक्ष्मी मंत्र का जप करें।
ऊँ गणेश महलक्ष्यै नम:।
या
ऊँ गं लक्ष्म्यै आगच्छ आगच्छ फट्।।
- मंत्र जप पूरे होने पर लड्डू का भोग लगाकर श्री गणेश और महालक्ष्मी से घाटे से उबारने और आर्थिक कृपा की प्रार्थना करें। ऐसा मंत्र जप और गणेश लक्ष्मी का ध्यान कुछ ही दिनों में शुभ नतीजा देगा।

कुंवारे लोगों के कमरे में ये रंग होगा तो शादी में आएंगी परेशानियां

हमें प्राप्त होने वाले सुख-दुख काफी हद तक हमारे घर के वास्तु पर भी निर्भर करते हैं। यदि जहां हम रहते हैं उस स्थान  या घर पर वास्तु दोष हों तो लाख कोशिशों के बाद भी सफलता मुश्किल से ही प्राप्त होती है।

जिससे मानसिक तनाव बढ़ता है और पारिवारिक जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इन अशुभ प्रभावों के चलते ध्यान रखना चाहिए कि घर में कोई वास्तु दोष न हो।

मनुष्य जीवन के 16 संस्कार मुख्य रूप से बताए गए हैं। इन्हीं में से एक है विवाह। विवाह के संबंध में ऐसा माना जाता है कि जोडिय़ां भगवान ही बनाते हैं और शादी का समय भी भगवान द्वारा ही तय किया जाता है।

कई युवाओं की शादी बहुत विलंब से होती हैं। इसके पीछे भी वास्तु दोष एक कारण हो सकता है। इसी वजह से विवाह योग्य लड़के और लड़कियों का कमरा वास्तु के अनुसार ही बनाया और सजाया जाना चाहिए।

कुंवारे लड़के और लड़कियों के कमरे में मुख्य रूप से काला रंग नहीं होना चाहिए। इनके कमरे में काले रंग के परदे, काले रंग के दरवाजे, काली अलमारियां, काली खिड़कियां, टेबल, बेड या पलंग आदि सभी आवश्यक वस्तुएं काले रंग की नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर विवाह योग्य लड़के और लड़किया की शादी में कई बाधाएं आती हैं।

विवाह प्रस्ताव नहीं आते हैं और यदि आते भी हैं तो बात पक्की नहीं हो पाती है। काला रंग नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। इससे नेगेटिव एनर्जी अधिक एक्टिव हो जाती है और बुरा प्रभाव देती है। इस वजह से विवाह योग्य युवाओं को कमरे में काले रंग से परहेज करना चाहिए।

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगलदोष है तो उसे कमरे में अधिक से अधिक लाल या गुलाबी रंग की वस्तुएं रखनी चाहिए। इससे विवाह में आ रही रुकावटें स्वत: दूर हो जाएंगी। इसके अलावा कुंडली में यदि अन्य किसी ग्रह बाधा की वजह से विवाह में विलंब हो रहा हो तो उसका उचित उपचार किया जाना चाहिए।

जन्म तारीख से जानें कब होगी आपकी सेहत खराब..!

जी हां अगर आप बीमार होने से पहले ही सावधान होना चाहते हैं या जानना चाहते है तो अपनी जन्म तारीख को जोडऩा शुरू कर दें। न्यूमरोलॉजी के अनुसार अंक बीमार होने से पहले ही बता देते हैं कि कौन सा महीना आपकी सेहत के लिए खराब रहेगा? किस महीने में आपको अपनी सेहत के लिए सावधान रहना चाहिए? जानें क्या कहती है न्यूमरोलॉजी...



मूलांक-1: जिन लोगों की जन्म तारीख 1,10,19 या 28 है।

सावधानी: अंक 1 वालों को जनवरी, अक्तूबर और दिसंबर के महीनों में अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहना चाहिए।

मूलांक-2: जन्म दिनांक 2,11,20,29

सावधानी: अगर आपकी जन्म तारीख उपर बताए गए नंबरों में से है तो जनवरी, फरवरी और जुलाई के महीनों में स्वास्थ्य व खान-पान आदि में सावधानी बरतना चाहिए।

मूलांक-3: जन्म दिनांक 3,12,21,30

सावधानी: अंक तीन वालों को  फरवरी, जून, सिंतबर और दिसंबर में अपनी सेहत का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।

मूलांक-4: जन्म दिनांक 4,13,22,31

सावधानी: अपने अंक के  स्वामी अनुसार अंंक 4 वाले लोगों को जनवरी, फरवरी, जुलाई, अगस्त व सितंबर इन पांच महीनों में अपने स्वास्थ्य पर विशेष गौर करना चाहिए।

मूलांक-5:जन्म दिनांक 5,14,23

सावधानी: आपको जून, सिंतबर और दिसंबर के महीनों में अपने स्वास्थ्य के बारे में सावधानी बरतना चाहिए।

मूलांक-6:जन्म दिनांक 6,15,24

सावधानी: आपको अंक का स्वामी शुक्र है इसलिए अंक 6 वालों को मई, अक्तूबर एवं नवंबर के महीने में उन्हें सावधानी रखनी चाहिए।

मूलांक-7: जन्म दिनांक 7,16,25

सावधानी: केतु के अंक वाले होने के कारण आपको जनवरी-फरवरी और जुलाई-अगस्त के चार महीनों में अपने स्वास्थ्य के प्रति पूर्ण सावधानी रखनी चाहिए।

मूलांक-8: जन्म दिनांक 8,17,26

सावधानी: आपके अंक का स्वामी शनि होने के कारण अंक आठ वालों को जनवरी, फरवरी, जुलाई और दिसंबर के महीनों में पूर्ण रूप से सावधान रहना चाहिए।

मूलांक-9:जन्म दिनांक 9,18,27

सावधानी: उपर बताइ गई तारीखों में जन्में लोगों का अंक स्वामी मंगल होता है ऐसे लोगों को  पूरे वर्ष अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए।

Thursday, September 1, 2011

टेढ़े गुरु के बुरे असर से बचाएंगे राशि अनुसार ये उपाय..


टेढ़े गुरु के बुरे असर से बचाएंगे राशि अनुसार ये उपाय...
30 अगस्त को दोपहर से गुरु अपनी सीधी चाल बदल कर टेढ़ी चाल पर आ गया है। अब गुरु टेढ़ा हो गया है, टेढ़े गुरु के उल्टे असर से बचने के लिए और सामान्य फल को शुभ बनाने के लिए राशि अनुसार उपाय करें। राशि अनुसार उपाय करने से आप पर गुरु का अशुभ असर कम हो जाएगा साथ ही अगर आपके लिए गुरु अच्छा फल देने वाला है तो आपके सभी काम पूरे होने लगेंगे।

गुरु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए ये उपाय करें-


मेष- 43 दिनों तक प्रतिदिन एक तांबे का सिक्का नदी में प्रवाहित करें। चमत्कारिक परिणाम प्राप्त होंगे।

वृष- पीला रूमाल सदैव अपने पास रखें।

मिथुन- प्रतिदिन पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं और सात परिक्रमा करें।

कर्क- घर में पीले रंग के फूल का पौधा लगाएं।

सिंह- प्रतिदिन विष्णु मंदिर जाएं और ब्राह्मण या अन्य किसी जरूरत मंद को धन का दान करें।

कन्या- गुरुवार का व्रत रखें।

तुला- भगवान विष्णु को गुड़-चने की दाल का प्रसाद अर्पित करें।

वृश्चिक- घी, दही, आलू और कपूर का दान करें।

धनु - किसी मन्दिर के पूजारी को भोजन कराएं।

मकर - पीली गाय को घास खिलाएं।

कुंभ - हल्दी एवं पीले चंदन से भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करें।

मीन- केसर का तिलक लगाएं।