गुरु और चंद्रमा मिलकर एक शुभ योग बनाते हैं। इस योग का नाम गजकेसरी योग है। यह योग जिस कुंडली में होता है उसके जीवन में पद प्रतिष्ठा और पैसों की कोई कमी नही होती। इसके कारण अचानक धन लाभ के योग बनते है।
- अगर कुंडली के दुसरे भाव में गुरु और चंद्रमा मीन राशि में होते हैं तो ऐसे व्यक्ति को अचानक शेयर या लॉटरी से धन लाभ मिलता है।
- अगर गुरु केन्द्र भाव यानी चौथे भाव में अपनी ही राशि धनु यानी 9 अंक के साथ होता है तो पंचमहापुरूष योग में से एक हंस योग बनाता है। ऐसे योग से जातक को अचानक पैसा मिलता है ।
- कुंडली के पांचवे भाव में स्थित गुरु और चंद्रमा लाभ भाव यानि ग्यारहवें भाव को देखते हैं और इसी स्थान से गुरु की पांचवी नजर किस्मत के घर पर भी पड़ती है। ऐसा योग जिसकी कुंडली में बनता है। उसकी किस्मत अचानक पलटती है और उसे शेयर बाजार या लॉटरी से धन मिलता है।
- गुरु अपनी ही राशि मीन में यानी 12 नंबर के साथ किस्मत के घर (नवें भाव) में हो तो इस घर में गुरु के होने से किस्मत साथ देेती है और शेयर या लॉटरी से धन लाभ होता है।
- कुंडली के लाभ भाव (ग्यारहवें घर) में चंद्रमा की राशि कर्क यानि 4 अंक के साथ गुरु और चंद्र धन लाभ देने वाले माने जाते हैं।
- अगर सातवें भाव में स्थित राशि का स्वामी छठें, आठवें या बारहवें घर में हो तो जीवनसाथी सामान्य स्तर की नौकरी करने वाला होता है।
- अगर किसी कुंडली के सातवें घर में स्थित राशि का स्वामी पाप ग्रह होता है यानी सातवें घर में सिंह, कुंभ, मकर, मेष या वृश्चिक राशि हो और सूर्य, शनि या मंगल अपनी निच राशि में हो या शत्रु राशि में हो तो जीवनसाथी की कमाई ज्यादा नही होती।
- अगर कुंडली के दुसरे भाव में गुरु और चंद्रमा मीन राशि में होते हैं तो ऐसे व्यक्ति को अचानक शेयर या लॉटरी से धन लाभ मिलता है।
- अगर गुरु केन्द्र भाव यानी चौथे भाव में अपनी ही राशि धनु यानी 9 अंक के साथ होता है तो पंचमहापुरूष योग में से एक हंस योग बनाता है। ऐसे योग से जातक को अचानक पैसा मिलता है ।
- कुंडली के पांचवे भाव में स्थित गुरु और चंद्रमा लाभ भाव यानि ग्यारहवें भाव को देखते हैं और इसी स्थान से गुरु की पांचवी नजर किस्मत के घर पर भी पड़ती है। ऐसा योग जिसकी कुंडली में बनता है। उसकी किस्मत अचानक पलटती है और उसे शेयर बाजार या लॉटरी से धन मिलता है।
- गुरु अपनी ही राशि मीन में यानी 12 नंबर के साथ किस्मत के घर (नवें भाव) में हो तो इस घर में गुरु के होने से किस्मत साथ देेती है और शेयर या लॉटरी से धन लाभ होता है।
- कुंडली के लाभ भाव (ग्यारहवें घर) में चंद्रमा की राशि कर्क यानि 4 अंक के साथ गुरु और चंद्र धन लाभ देने वाले माने जाते हैं।
- अगर सातवें भाव में स्थित राशि का स्वामी छठें, आठवें या बारहवें घर में हो तो जीवनसाथी सामान्य स्तर की नौकरी करने वाला होता है।
- अगर किसी कुंडली के सातवें घर में स्थित राशि का स्वामी पाप ग्रह होता है यानी सातवें घर में सिंह, कुंभ, मकर, मेष या वृश्चिक राशि हो और सूर्य, शनि या मंगल अपनी निच राशि में हो या शत्रु राशि में हो तो जीवनसाथी की कमाई ज्यादा नही होती।