विवाह के लिए प्रश्न कुण्डली में सप्तम, द्वितीय और एकादश भाव को देखा जाता है.विवाह के कारक ग्रह के रूप में पुरूष की कुण्डली में शुक्र और चन्द्रमा (Venus are Moon are the karakas for marriage for males) को देखा जाता है जबकि स्त्री की कुण्डली में मंगल और सूर्य को देखा जाता है (Mars and Sun are marriage karakas for females)
.गुरू भी स्त्री की कुण्डली में विवाह के विषय में महत्वपूर्ण होता है.सप्तम भाव में शुभ ग्रह स्थित हो और एकादश एवं द्वितीय भाव भी शुभ प्रभाव में हो तो विवाह लाभप्रद और सुखमय होने का संकेत माना जाता है.अगर नवम भाव का स्वामी सप्तम भाव में शुभ प्रभाव में होता है तो विवाह के पश्चात व्यक्ति को अधिक कामयाबी मिलती है.नवम भाव का स्वामी चन्द्रमा अगर सप्तम में गुरू से युति सम्बन्ध बनता है चन्द को देखता है तो विवाह के पश्चात जीवन अधिक सुखमय हो सकता है ऐसी संभावना व्यक्त की जाती है.
प्रश्न कुण्डली में लाभप्रद वैवाहिक सम्बन्ध के लिए ग्रह स्थिति (Astrological Combinations for a fruitful married life)
जब प्रश्नकर्ता प्रश्न कुण्डली से यह पूछता है कि वैवाहिक सम्बन्ध लाभप्रद होगा अथवा नहीं.इस प्रश्न के उत्तर में प्रश्न कुण्डली में अगर चन्द्रमा तृतीय, पंचम, दशम अथवा एकादश भाव में हो और गुरू चन्द्र को देखता है तो वैवाहिक सम्बन्ध लाभप्रद होने की पूरी संभावना व्यक्त की जाती है (Marriage is fruitful if the Moon is in 3rd, 5th, 10th or 11th houses and aspecting jupiter).लग्न स्थान में चन्द्रमा अथवा शुक्र तुला, वृष या कर्क राशि हो बैठा हो और गुरू गुरू अपनी शुभ दृष्टि से लग्न को देखता हो तो वैवाहिक सम्बन्ध फायदेमंद हो सकता है.अष्टम भाव का स्वामी प्रश्न कुण्डली में अगर पीड़ित नहीं हो तो आर्थिक रूप से सम्पन्न परिवार में विवाह होता है और सम्बन्ध से लाभ मिलता है.अष्टम भाव में अगर गुरू, शुक्र या राहु भी हो तो इसे और भी शुभ संकेत माना जाता है.
प्रश्न कुण्डली में लाभप्रद वैवाहिक सम्बन्ध का उदाहरण (Example of astrological combinations for fruitful marriage)
अतुल का अपना कारोबार है.इनकी शादी की बात चल रही है.इनके मन में इस बात को लेकर आशंका है कि जो वैवाहिक सम्बन्ध होने जा रहा है क्या वह इनके लिए लाभप्रद होगा.अपनी जिज्ञासा लेकर अतुल 23 मई 2009 को 1 बजकर 5 सेकेण्ड पर प्रश्न कुण्डली से सवाल पूछते हैं कि, क्या यह वैवाहिक सम्बन्ध फायदेमंद होगा.लग्न निर्धारण हेतु इन्होंने कृष्णमूर्ति पद्धति के अनुसार दिये गये 1से 249 अंक में अंक 15 का चयन किया और वैदिक पद्धति के अनुसार 1 से 108 में 16 अंक का चयन किया.इस प्रकार प्रश्न की कुण्डली तैयार हुई.इस कुण्डली में सिह लग्न उपस्थित है जिसका स्वामी सूर्य है.राशि है कन्या जिसका स्वामी बुध है.नक्षत्र है भरणी जिसका स्वामी है शुक्र.कुण्डली का विश्लेषण करने से मालूम होता है कि अतुल के लिए यह वैवाहिक सम्बन्ध लाभप्रद होने की संभावना कम है क्योकि लग्न में पाप ग्रह शनि बैठा है (the malefic planet saturn is in the ascendant).दूसरी स्थिति यह भी है कि दशमेश शनि लग्न में शत्रु ग्रह की राशि में है अत: अनुकूल परिणाम की संभावना कम दिखाई देती है.प्रश्न की कुण्डली में अष्टमेश गुरू और द्वितीयेश बुध दोनों एक दूसरे से 90 डिग्री पर हैं जो इस विवाह सम्बन्ध से लाभ की संभावना से इंकार कर रहे हैं
.गुरू भी स्त्री की कुण्डली में विवाह के विषय में महत्वपूर्ण होता है.सप्तम भाव में शुभ ग्रह स्थित हो और एकादश एवं द्वितीय भाव भी शुभ प्रभाव में हो तो विवाह लाभप्रद और सुखमय होने का संकेत माना जाता है.अगर नवम भाव का स्वामी सप्तम भाव में शुभ प्रभाव में होता है तो विवाह के पश्चात व्यक्ति को अधिक कामयाबी मिलती है.नवम भाव का स्वामी चन्द्रमा अगर सप्तम में गुरू से युति सम्बन्ध बनता है चन्द को देखता है तो विवाह के पश्चात जीवन अधिक सुखमय हो सकता है ऐसी संभावना व्यक्त की जाती है.
प्रश्न कुण्डली में लाभप्रद वैवाहिक सम्बन्ध के लिए ग्रह स्थिति (Astrological Combinations for a fruitful married life)
जब प्रश्नकर्ता प्रश्न कुण्डली से यह पूछता है कि वैवाहिक सम्बन्ध लाभप्रद होगा अथवा नहीं.इस प्रश्न के उत्तर में प्रश्न कुण्डली में अगर चन्द्रमा तृतीय, पंचम, दशम अथवा एकादश भाव में हो और गुरू चन्द्र को देखता है तो वैवाहिक सम्बन्ध लाभप्रद होने की पूरी संभावना व्यक्त की जाती है (Marriage is fruitful if the Moon is in 3rd, 5th, 10th or 11th houses and aspecting jupiter).लग्न स्थान में चन्द्रमा अथवा शुक्र तुला, वृष या कर्क राशि हो बैठा हो और गुरू गुरू अपनी शुभ दृष्टि से लग्न को देखता हो तो वैवाहिक सम्बन्ध फायदेमंद हो सकता है.अष्टम भाव का स्वामी प्रश्न कुण्डली में अगर पीड़ित नहीं हो तो आर्थिक रूप से सम्पन्न परिवार में विवाह होता है और सम्बन्ध से लाभ मिलता है.अष्टम भाव में अगर गुरू, शुक्र या राहु भी हो तो इसे और भी शुभ संकेत माना जाता है.
प्रश्न कुण्डली में लाभप्रद वैवाहिक सम्बन्ध का उदाहरण (Example of astrological combinations for fruitful marriage)
अतुल का अपना कारोबार है.इनकी शादी की बात चल रही है.इनके मन में इस बात को लेकर आशंका है कि जो वैवाहिक सम्बन्ध होने जा रहा है क्या वह इनके लिए लाभप्रद होगा.अपनी जिज्ञासा लेकर अतुल 23 मई 2009 को 1 बजकर 5 सेकेण्ड पर प्रश्न कुण्डली से सवाल पूछते हैं कि, क्या यह वैवाहिक सम्बन्ध फायदेमंद होगा.लग्न निर्धारण हेतु इन्होंने कृष्णमूर्ति पद्धति के अनुसार दिये गये 1से 249 अंक में अंक 15 का चयन किया और वैदिक पद्धति के अनुसार 1 से 108 में 16 अंक का चयन किया.इस प्रकार प्रश्न की कुण्डली तैयार हुई.इस कुण्डली में सिह लग्न उपस्थित है जिसका स्वामी सूर्य है.राशि है कन्या जिसका स्वामी बुध है.नक्षत्र है भरणी जिसका स्वामी है शुक्र.कुण्डली का विश्लेषण करने से मालूम होता है कि अतुल के लिए यह वैवाहिक सम्बन्ध लाभप्रद होने की संभावना कम है क्योकि लग्न में पाप ग्रह शनि बैठा है (the malefic planet saturn is in the ascendant).दूसरी स्थिति यह भी है कि दशमेश शनि लग्न में शत्रु ग्रह की राशि में है अत: अनुकूल परिणाम की संभावना कम दिखाई देती है.प्रश्न की कुण्डली में अष्टमेश गुरू और द्वितीयेश बुध दोनों एक दूसरे से 90 डिग्री पर हैं जो इस विवाह सम्बन्ध से लाभ की संभावना से इंकार कर रहे हैं
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