Saturday, August 13, 2011

बिजनेस, प्यार, दोस्ती...ऐसे नाम वालों से रहें सावधान

ज्योतिष में 12 राशियोंको उनके स्वभाव, प्रकृति, तत्व और गुणों के आधार पर बांटा गया है। सभी लोगों पर अपनी अपनी राशियों का प्रभाव होता है। राशियों की प्रकृति और स्वभाव के अनुसार सभी लोगों पर इसका असर भी पड़ता है। ज्योतिष में राशियों की प्रकृति और स्वभाव तीन तरह के बताए गए हैं। चर, स्थिर और द्विस्वभाव।

जिन लोगों की राशि की प्रकृति द्विस्वभाव होती है ऐसे लोगों से बिजनेस, प्यार, दोस्ती और अन्य क्षेत्रों में सावधान रहना चाहिए क्योंकि ऐसे लोग अपनी राशि के प्रभाव से विश्वास करने योग्य नही होते। द्विस्वभाव राशि के लोग अचानक अपना निर्णय बदल देते हैं।

कैसे नाम वालों से रहें सावधान
 
मिथुन ( का की कु घ ड़ छ के को हा)- जिन लोगों का नाम इन अक्षरों से शुरु होता है उनकी राशि मिथुन और राशि स्वामी बुध होता है। बुध को ज्योतिष में बुद्धि का कारक ग्रह माना गया है। मिथुन राशि वाले बुध के प्रभाव से किसी निर्णय पर स्थिर नही रह सकते।

कन्या-( टो पा पी पू ष ण ठ पे पो)- इन अक्षरों के नाम वालों की राशि कन्या होती है और इस राशि का भी स्वामी बुध है। बुध को ज्योतिष में वाणी का कारक ग्रह माना जाता है। इस राशि के लोगों के दिमाग में हमेशा दो बातें चालती रहती है। यह बोलते कुछ और है, करते कुछ और है।

धनु- (ये यो भा भी भू धा फा ढ़ा भे)- जिन लोगों का नाम इन अक्षरों से शुरु होता है उनकी धनु राशि होती है। गुरु और चंद्रमा के प्रभाव से इस राशि के लोग द्विस्वभाव वाले होते हैं यनि समय आने पर अपना फायदा देखकर बदल जाने वाले होते हैं।

मीन- (दी दू थ झ ञ दे दो चा ची )-  इस राशि वालों का फल भी धनु राशि वालों की तरह होता है।

जीवनसाथी के साथ कभी पटरी नहीं बैठ पाएगी अगर हथेली में....

हथेली में बुध पर्वत यानी लिटिल फिंगर के नीचे के क्षेत्र पर जो आड़ी रेखाएं होती है उन्हें विवाह रेखा कहा जाता है। इस पर्वत पर अगर कई रेखाएं दिखाई दे रही हैं तो इसका अर्थ यह नहीं कि सभी रेखा शादी की हैं अर्थात आपकी उतनी शादी होगी। इस पर्वत पर दिखने वाली सभी रेखाओं में से वही रेखा विवाह रेखा होगी जो सबसे गहरी और लम्बी होगी अन्य रेखा किसी के साथ प्रेम सम्बन्ध को दर्शाती है।
शादी के बाद जीवन कैसा होगा?वैवाहिक जीवन सुखी रहेगा या नहीं कहीं जीवन साथी से अनबन तो नहीं होगी आदी बातें किसी के हाथ में उपस्थित विवाह रेखा के साथ ही मस्तिष्क रेखा व सूर्य रेखा को देखकर भी जानी जा सकती है।
अगर जीवनसाथी के साथ अनबन रहती है या आप जानना चाहते हैं कि शादी के बाद कहीं अनबन तो नहीं रहेगी इसके लिए देखिए कि सूर्य रेखा मस्तिष्क रेखा से निकलकर बीच-बीच में टूटी तो नहीं है। अगर ऐसा है तो अपने जीवनसाथी पर विश्वास कीजिए और उन्हें समझने की कोशिश कीजिए अन्यथा किसी और के कारण आपके वैवाहिक जीवन में अशांति और अनबन रहेगी। इसके अलावा आप यह भी देखिए कि सूर्य पर्वत से निकलकर पतली सी रेखा हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा को कटती हुई जीवन रेखा से तो नहीं मिल रही है अगर ऐसा है तो आप समझ लीजिए आपकी कामयाबी के बीच जीवनसाथी से अनबन बहुत बड़ा कारण है।
जीवन साथी आपका साथ इस जीवन में कब तक निभायेगा यानी क्या आप उसे तन्हा छोड़ जाएंगे या वो आपको छोड़ जाएगा यह भी आप हाथ की रेखाओं से जान सकते हैं। हस्तरेखा विज्ञान कहता है अगर विवाह रेखा झुककर हृदय रेखा को छू रहा है तो इसका अर्थ है कि आप अपने जीवनसाथी को अकेला छोड़ जाएंगे। विवाह रेखा के सिरे पर क्रास का चिन्ह दिख रहा है तो यह संकेत है कि जीवनसाथी अचानक बीच सफर में छोड़कर दुनियां से विदा हो जाएगा।

पर्स में होंगी ये चीजें, तो बनी रहेगी पैसों की किल्लत...



रुपए या नोटों को सुरक्षित और व्यवस्थित रखने का कार्य हमारे पर्स बखूबी निभाते हें। हर परिस्थिति में आपके नोट पर्स
में सही ढंग से रखे रहते हैं। जिससे उनके कटने या फटने का डर नहीं रहता।

पर्स में पैसा रखा जाता है अत: इस संबंध में वास्तु द्वारा कई महत्वपूर्ण टिप्स दी गई हैं। जिन्हें अपनाने पर व्यक्ति को भी धन की कमी का एहसास ही नहीं होता है।

हमारे जीवन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातों का संबंध वास्तु से है। वास्तु शास्त्र हमारे आसपास फैली सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के सिद्धांतों पर कार्य करता है।

जो वस्तु नकारात्मक ऊर्जा फैलाती हैं उन्हें हमारे आसपास से हटा देना चाहिए। क्योंकि इनसे हमारे सुख और कमाई पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आय बढ़ाने या फिजूल खर्चों में कमी करने के लिए पर्स का वास्तु भी ठीक करने की आवश्यकता होती है। पर्स में सिक्के और नोट दोनों को ही अलग-अलग स्थानों पर रखना चाहिए। इसके अलावा पर्स में मृत व्यक्तियों के चित्र रखना भी शुभ नहीं माना जाता है। अत: इस प्रकार के चित्रों को भी पर्स में नोटों के साथ नहीं रखें। पर्स में संत-महात्मा के चित्र रखे जा सकते हैं। यदि कोई संत या महात्मा देह त्याग चुके हैं तब भी उनके चित्र या फोटो पर्स रखे जा सकते हैं क्योंकि शास्त्रों के अनुसार देह त्यागने के बाद भी संत-महात्माओं को मृत नहीं माना जाता है। कुछ लोग पर्स में ही चाबियां भी रखते हैं, चाबियां रखना भी अशुभ ही माना जाता है। इन्हें भी रुपए-पैसों से अलग ही रखना शुभ रहता है। पर्स में नोट या सिक्कों के साथ खाने की चीजें भी नहीं रखना चाहिए।

वास्तु के अनुसार पर्स में ऐसे वस्तुएं हरगिज न रखें जो नकारात्मक ऊर्जा को संचारित करती हैं। पर्स में किसी भी प्रकार के बिल या भुगतान से संबंधित कागज नहीं रखने चाहिए। इसके लिए पर्स में किसी भी प्रकार की अपवित्र वस्तु भी न रखें।

जो वस्तुएं फिजूल हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं है उन वस्तुएं तुरंत ही पर्स से बाहर कर दें। इनके अतिरिक्त पर्स में धार्मिक और पवित्र वस्तुएं रखें, जिनसे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और जिन्हें देखकर हमारा मन प्रसन्न होता है।

ज्योतिष: क्या आपके घर में बार-बार तेल का नुकसान होता है?

ज्योतिष के अनुसार खाने में उपयोग किया जाने वाला खाद्य तेल शनि देव से संबंधित है। इसी वजह से हर शनिवार को शनि देव के निमित्त तेल अर्पित किया जाता है। शनि महाराज को तेल क्यों अर्पित किया जाता है इस संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं।

एक कथा के अनुसार हनुमानजी और शनिदेव में युद्ध हुआ। इस युद्ध में बजरंग बली ने शनि को हरा दिया। इस दौरान हनुमानजी द्वारा किए गए प्रहार से शनि के शरीर में पीड़ा होने लगी। तब हनुमानजी ने इस दर्द से मुक्ति के लिए उन्हें तेल दिया। तभी से शनि हनुमानजी के भक्तों को कष्ट नहीं पहुंचाता है और उन्हें तेल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।

ज्योतिष के अनुसार नौ ग्रह बताए गए हैं जो हमारे सुख और दुख को निर्धारित करते हैं। सभी ग्रहों का संबंध अलग-अलग वस्तुओं से हैं। शनि का गहरा संबंध तेल से है। यदि किसी व्यक्ति के घर में बार-बार तेल ढुल जाता है या अन्य किसी प्रकार से तेल का नुकसान हो तो समझना चाहिए कि उसकी कुंडली में शनि संबंधी कोई दोष है।


यदि कोई व्यक्ति तेल से संबंधी रोजगार से धर्नाजन करता है और उसे इस कार्य से लगातार हानि उठाना पड़ रही हो तो संभव है कि उसकी कुंडली में कोई शनि दोष हो। ऐसे में शनि के दोषों को दूर करने का ज्योतिषीय उपचार करना चाहिए। प्रति शनिवार एक कटोरी में तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें और फिर इस तेल का दान करें। यह शनि के बुरे प्रभाव से बचने का सटीक उपाय है।

यदि आपके घर में कोई हो बहुत जिद्दी, तो करें ये चमत्कारी उपाय...

छोटे बच्चों की जिद माता-पिता का मन मोह लेती है लेकिन कई बार बच्चों की यही आदत बड़े होने तक बनी रहती है। ऐसे में माता-पिता को अक्सर परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि बच्चे कई बार ऐसी जिद कर बैठते हैं जिनका पूरा हो पाना लगभग असंभव सा ही होता है। यदि बच्चा ज्यादा ही जिद्दी हो गया है तो ज्योतिष के अनुसार उसे सुधारने के लिए उपाय बताया गया है-

यदि बच्चे ज्यादा ही जिद करें तो उनके साथ जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। बस केवल उनको रोज सीधे हाथ की सूंड वाले गणेशजी का दर्शन कराएं। इस दर्शन से उनकी बुद्धि में सुधार होने लगेगा तथा धीरे-धीरे उनकी जिद करने की आदत दूर हो जाएगी।

गणेशजी को बुद्धि का प्रतीक माना जाता है। इनकी आराधना से व्यक्ति को सदबुद्धि प्राप्त होती है और स्वभाव विनम्र हो जाता है। इनके दर्शन मात्र से दर्शनार्थी की जिद करने आदत छुट जाती है और वह सभ्य इंसान बन जाता है।

दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है...यह रहे अचूक उपाय

दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है...यह रहे अचूक उपाय


आमतौर पर यह मान्यता है कि शनिदेव बड़े ही निर्दयी स्वभाव के देवता हैं। लेकिन ऐसी मान्यता बड़ी ही सतही और भ्रामक है। अगर ज्योतिष की ही माने तो शनिदेव निर्दयी नहीं बल्कि बेहद न्यायप्रिय और जैसे के साथ तैसा करने वाले हैं। यह किसी भी व्यक्ति की उसके कर्मफलों और स्वभाव के अनुसार फल देने वाले न्यायप्रिय देवता हैं। यदि कोई इंसान मेहनती ईंमानदार और सच्चाई के रास्ते पर चलने वाला है तो शनिदेव उसको आश्चर्यजनक सफलता दिलाने में भरपूर मदद भी करते हैं, या यूं कहें कि योग्य व्यक्ति को शून्य से शिखर तक पहुंचाने में शनिदेव का भरपूर सहयोग मिलता है। लेकिन पिछले कुछ अज्ञात गलत कर्मों के कारण यदि शनिदेव का प्रभाव हमारे जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा हो तो उसे भी नीचे दिये गए अचूक उपायों से समाप्त किया जा सकता है...

- पिछले कर्मों के अच्छे-बुरे परिणामों की फ्रिक छोड़कर निष्काम भाव से सच्चे और न्यायप्रिय कर्म करें।

- प्रतिदिन सूर्योदय के समय गायत्री जप और ध्यान करें, लेकिन मन में किसी फल की आशा न रखें सिर्फ सद्बुद्धि की ही कामना रखें।

- माता-पिता यथा संभव प्रशन्न रखें इससे आपका बुरा प्रारब्ध भी समाप्त होने लगेगा।

- किसी का दिल न दुखाएं बद्दुआओं से सदा बच कर रहें।

- हर मंगलवान और शनिवार को शुन्दरकांड का पाठ करें और प्रतिदिन स्नान करने के बाद हनुमान चालीसा और गायत्री चालीसा का पाठ करें।

- प्रतिदिन 1-माला गायत्री मंत्र का जप और उगते हुए सूर्यदेव का ध्यान करें।